Friday, March 29, 2024
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Barter System Kya Hai – (पूरी जानकारी ) Goods Exchange System in hindi

Barter System Kya Hai – (पूरी जानकारी ) Goods Exchange System in hindi Barter System ke fayde v nuksaan . Goods Exchange System in hindi. तो आज हम जानेंगे  barter system in hindi. दोस्तों दुनिया की जब से शुरुआत हुई है तब से लेकर अब तक हम ऐसे कई बदलाव करते हैं जिन्होंने मानव जाति का उत्थान किया है मैं यहां पर बात कर रही हूं एक ऐसे सिस्टम की जिसमें बहुत ही ज्यादा अच्छाई और बहुत ही ज्यादा बदलाव हुए हैं आज की डेट में हम डिजिटल करंसी को इस्तेमाल कर रहे हैं आप देख रहे हो किस तरह हम धीरे-धीरे एक नई दुनिया की ओर कदम रख रहे हैं और ऐसे में हमारे इस वेबसाइट के माध्यम से आप लोगों को इस नई दुनिया से जुड़ने का पूरी तरह से मौका मिल रहा है
आज हम एक ऐसे सिस्टम के बारे में जानेंगे जो प्राचीन समय से चलता आ रहा है और उसमें कई ऐसे बदलाव हुए हैं जो कि आपके लिए जानना जरूरी है Barter System in hindi एक ऐसा सिस्टम लोग चीजों का आदान प्रदान करते थे उसके बाद इस Barter System in hindi में बदलाव हुआ और लोग कौड़ियों का इस्तेमाल करने लगे उसके बाद मेटल के सिक्कों का उसके बाद नोट और अब डिजिटल करंसी ज्ञानी क्रिप्टोकरंसी तो यह जो हमारा पोस्ट है एक सीरीज है क्रिप्टो करेंसी के या करेंसी का इतिहास

Barter system kya hai (Barter System in Hindi)


कुछ दिन पहले ही मैं अपने चाचा जी के यहां गई था वह किसान है उस समय खेत पर गेहूं की फसल पर चुकी थी और कटाई का काम चल रहा था जिसके चलते खेत पर काफी मजदूर लगे हुए थे उनको फसल काटते देख बस ऐसे ही बातों बातों में मैंने उसे पूछा कि हर मजदूर 1 दिन की कटाई का कितना पैसा लेता है तब चाचा जी ने जो जवाब दिया वह आपको जरूर जाना चाहिए क्योंकि Barter System का जो कांसेप्ट है इससे पूरी तरह क्लियर हो जाएगा इस काम के लिए पैसा नहीं देते हैं पैसे की जगह दे देते हैं वह भी फिक्स होता है

कि हर दिन में कितने घंटे काम करने का कितना गेहूं मिलेगा तो थोड़ा हैरान हुआ फिर मैंने दिमाग के घोड़े दौड़ा और फिर मुझे समझ में आया कि यह भी कितना अच्छा कॉन्सेप्ट है क्योंकि अल्टीमेटली है उन्हें उन पैसों से गेहूं खरीद नहीं पड़ता है इसलिए वह गेहूं को खरीदने की बजाय सीधा किसान से ही गेहूं ले रहे हैं उसके बदले में उसके खेत की कटाई कर देते हैं इससे उन्हें शहर में जाकर गेहूं खरीदने का पूरा झंझट है उस से भी छुटकारा मिल जाएगा फालतू की बस जाएगी और वक्त भी बचाएगा

दोस्तों यही है Barter System जिसे कमोडिटी एक्सचेंज या Goods एक्सचेंज के नाम से भी जानते हैं


जब भी हम किसी से कोई काम करवाते हैं कोई सर्विस लेते हैं तो उसके चेंज में हम उसको पैसा देते हैं लेकिन Barter System में ऐसे नहीं होता Barter System है हम उसको पैसे देने की बजाय उसकी जरूरत की कोई चीज देते हैं फिर चाहे वह कोई सर्विस हो या कोई और चीज

दुनिया की लगभग सभी ओल्ड सिविलाइजेशन में Barter System यानी एक्सचेंज सिस्टम चला करता था उस दौर में यह बिजनेस करने का मीन सिस्टम हुआ करता था अब सवाल उठता है कि आखिर Barter System शुरू कब से हुआ था इतिहास पर थोड़ा नजर बढ़ाते हैं तो पता चलता है इसका इतिहास लगभग 6000 ईसापुर का है मेसोपोटामिया सभ्यता में रहने वाले लोग इस सिस्टम का यूज किया करते थे


यानी प्राचीन समय में सिक्कों का चलन नहीं था किसी करेंसी का चलन नहीं था लोग एक दूसरे से सामान खरीदने के लिए और अपना सामान बेचने के लिए Barter System ही यूज किया करते थे इतिहासकारों ने Barter System को पहला तरीका था माना जिससे बिजनेस हुआ करता था
अब सवाल उठता है कि क्या सिर्फ Mesopotamia  के रहने वाले लोग ही इसका उपयोग किया करते थे या यह दुनिया की एक और किसी देश में भी यूज हुआ करता था तो दोस्तों इतिहास में ही इसी के सपूत छुपे हुए हैं जिससे पता चलता है कि दुनिया के तमाम देश Barter System के जरिए ही बिजनेस किया करते थे

उस दौर में बेबीलोन की सभ्यता भी काफी उन्नत थी इसलिए उन्होंने थोड़ा साफ कर दिया और एक नए तरीके का सिस्टम अपने देश में चलाया यहां के लोग सामान के बदले खाना चाय पत्ती और हथियार तक एक्सचेंज कर दिया करते थे कई देश तो ऐसे भी थे जिन्होंने अपने यहां काम कर रहे लोगों को सैलरी देने के लिए भी Barter System का उपयोग किया है सुनने में आपको थोड़ा अजीब लग रहा होगा बिल्कुल सच दोस्तों रोमन देश का नाम आपने सुना ही होगा यहां के राजा अपने सिपाहियों को सैलरी के तौर पर नमक दिया करते थे
और वो ऐसा इसलिए करते थे कि उस वक्त नमक वाकई में बहुत ही ज्यादा कीमती हुआ करता था तरह तरह के टैक्स लगाए जाते थे जिसके चलते वह काफी ज्यादा महंगा हो जाता था फिर जैसे-जैसे समय पड़ता क्या और वैसे ही समय के साथ Barter System और ज्यादा होता चला गई

Middle East तक आते-आते लोग न सिर्फ अपने आसपास के लोगों के साथ Barter System से बिजनेस करते थे उन्होंने एक नया Dimension तक दे दिया था

और दूर-दूर के देशों में जाकर Barter System से बिजनेस करने लगे थे अमेरिकन लोग मस्कट बाल हिरण की स्कीम और गेहूं कैसे चेंज किया करते थे अगर बात करें हमारे देश भारत की तो बात Barter System से अछूता नहीं था भारत में 20 भारत के काफी सबूत मिले हैं कि जो प्राचीन भारत से लेकर वेदिक सिविलाइजेशन तक भारत में Barter System के जरिए पेश हुआ करता था एक बड़ा साम्राज्य था और ऐसे बड़े क्षेत्र में बांटना सक्सेसफुल नहीं था छोटे-छोटे देशों में हुआ था

हां बहुत राजा रजवाड़े होते थे और जिनके पास बड़ी-बड़ी विशाल सेना ही हुआ करती थी अब इन सेनाओं को बॉर्डर सिस्टम के जरिए से सैलरी देना बिल्कुल भी आसान काम नहीं होता था और सभी राजाओं के पास तो इतने रिसोर्सेस भी नहीं हुआ करते थे कि वह सभी सेनाओं को उनकी जरूरत की चीजें दे सकें ऐसे में भारत पर बहुत जल्दी हो गई वह कैसे हुआ उसके बारे में हम बाद अगले चैप्टर में करेंगे लेकिन अभी हम बात करेंगे

Barter System Kya Hai jugadme

Barter System के एडवांटेज और डिसएडवांटेज


क्योंकि हर सिस्टम के कुछ ना कुछ खामियां और अच्छाइयां होती हैं दोस्तों अगर बात करें एडवांटेजेस की तो सबसे पहला एडवांटेज तो यही था

Barter System के फायदे


1) इसके लिए आपको किसी करेंसी की जरूरत पड़ती ही नहीं थी यानी आपके पास कोई पैसा नहीं है तो भी कोई चिंता की बात नहीं है आपको सिर्फ सामान के बदले सामान देना है सर्विस के बदले सर्विस देनी है आप भी जैसी चीजों का एक चेंज तो कर ही सकते हैं धीरे-धीरे Barter System और इंप्रूवर और भी चेंज होने लगा

जैसे पहले क्या होता था कि कि उनके बदले चावल का एक चेंज हो जाता था दाल एक्सचेंज हो जाता था यानी खाने वाली चीज के बदले खाने का ही एक चेंज हुआ करता था लेकिन समय के साथ उसमें इंप्रूवमेंट हुआ और हथियार के बदले खाने की चीजों का एक्सचेंज होने लगा परफ्यूम के बदले जानवरों की चमड़ी का एक चेंज होने लगा यानी अब इसका कोई दायरा नहीं था दायरा धीरे धीरे बढ़ता ही गई जो इस सिस्टम की खासियत


2) अगला बड़ा फायदा था कि यह पूरा सिस्टम बहुत ही सिंपल था इसमें आज की मॉनिटरिंग सिस्टम जैसे जटिल चीजें नहीं होती थी जो आम इंसान की समझ में नहीं आती है

इंटरनेशनल ट्रेड में कभी भी ट्रेड डेफिसिट,  फॉरेन एक्सचेंज प्राइस जैसी प्रॉब्लम्स हुआ ही नहीं करती थी नेचुरल रिसोर्सेज भी बर्बाद नहीं होते थे और सबसे बड़ी बात कि पूरी दुनिया का पावर किसी एक देश पर कंसंट्रेटेड नहीं था ऐसे आज की डेट में अमेरिका है सभी देशों की स्वतंत्र आर्थिक नीतियां हुआ करती थी कोई किसी पर दबाव नहीं बना सकता था जैसा कि आज अमेरिका कर पा रहा है
तो अब आपके मन में एक सवाल चल रहा होगा कि जब सब कुछ इतना ही अच्छा था इसके सारे रूल्स एंड रेगुलेशंस बड़ी सिंपल थे तो यह सिस्टम कंटिन्यू क्यों नहीं हो पाया आखिर क्यों लोगों को करेंसी की जरूरत पड़ी


तो आपको बता दूं कि यह सिस्टम आज भी पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है आज तो यह सिस्टम और भी ज्यादा एडवांस रूप में कई कम्युनिटी इसमें चल भी रहा है आपको पता होगा कि 1930 में पूरी दुनिया में आर्थिक मंदी छा गए थे तब वहां पर रोक सामान खरीदने और बेचने के लिए इस सिस्टम का यूज करने लगे थे


पर यह सिस्टम थोड़े समय के लिए ठीक है खासकर country के अंदर आगे चल रही है तो वहां पर यह सिस्टम ठीक ठाक work करता है पर जब दो देशों के बीच बिजनेस की बात आती है वहां पर यह सिस्टम फेल हो जाता है इफेक्टिवली वर्क नहीं कर पाता क्योंकि इस सिस्टम में कई कमियां भी है

इस सिस्टम(Barter System) की सबसे बड़ी कमी है


कि सही समय पर सही इंसान का मौजूद होना अब इसको आप कुछ ऐसे समझ किए कि आपको गेहूं बेचना है और गेहूं के बदले आपको चावल खरीदना है तो आप यह तभी कर पाएंगे जब कोई आपको ऐसा इंसान मिले जो गेहूं खरीदना चाहता है और चावल बेचना चाहता है अगर ऐसा नहीं मिलता तो आप कितनी भी कोशिश कर ले आप चेंज नहीं कर पाएंगे पर प्रैक्टिकली देखें तो यह तो जरूरी नहीं है ना कि जब आपको किसी चीज की जरूरत पड़े उसी चीज का विक्रेता आपको मिल ही जाए और उसे भी वही चीज की जरूरत हो तो आप भेजना चाहते हो

इस सिस्टम की दूसरी बड़ी खामी है कोई इंसान इसमें धन इकट्ठा नहीं कर पाता

एग्जांपल के लिए मान के चलिए कि आपके यहां इस साल गेहूं का 25 कुंटल प्रोडक्शन हुआ है अब ऐसा तो होगा नहीं कि हर साल 25 कुंटल ही प्रोड्यूस होगा तो ऐसे में आप तो सोचेंगे कि ज्यादा प्रोडक्शन हुआ है तो ज्यादा प्रॉफिट कमाया जाए और कुछ फीचर के लिए भी बचा लिया जाए अब आपने सोच लिया कि मैं तो 3 साल के लिए इसके बदले चावल खरीद लूंगा पर असली समस्या यह है कि आपके घर में इतना स्टोरेज भी तो होना चाहिए ना यानी ना तो आप इतना ज्यादा गेहूं रख सकते हैं ना ही उसके बदले दूसरा सामान आपने रहे हैं उसको भी नहीं रख सकते

क्योंकि आपके घर में स्टोरेज नहीं है करेंसी के केस में आप अच्छा खासा मुनाफा पा सकते हैं और उस पैसे को फ्यूचर के लिए रख भी सकते हैं

इसकी अगली बड़ी प्रॉब्लम है कि – 

इस सिस्टम के जरिए से किसी भी वस्तु या सर्विस का सही वैल्यू कभी जान नहीं पाएंगे

जैसी 1 किलो गेहूं और 1 किलो बादाम की कीमत में जमीन आसमान का फर्क होता है लेकिन अगर आप इस सिस्टम से बिजनेस करेंगे तो हो सकता है कि 1 किलो गेहूं के बदले आपको 1 किलो ही बादाम मिले

क्योंकि दोनों का भजन बराबर है पहले भी खाने पीने की वस्तुओं का जो बिल होता था वह बजट के बीच पर किया जाता था तो अब आप अनुमान लगा सकते हैं कि लोगों को कितना Loss होता रहा होगा आज हम भी जानते हैं कि हर चीज के कीमत सिर्फ वजन के Base पर तय नहीं होती बहुत सारे Factors हैं किसी चीज की कीमत को तय करने के लिए जैसे उसकी उपज में कितनी कठिनाई आती है कितना Total खर्च लगता है जब जोड़ती हैं तब उसका Selling Price बनता है इससे आपको नुकसान यह है इस बात पर बहुत ज्यादा Depend करेगा कि जिसके साथ आप बिजनेस कर रहे हैं वह भरोसेमंद है या नहीं पूरा का पूरा प्रोसेस भरोसे पर बहुत ज्यादा डिपेंड करता है इसीलिए इस सिस्टम में हमेशा से यह चला रहा है कि अपने परिवार और जान पहचान के लोगों के साथ ही Goods एक्सचेंज करना चाहिए जिसे बाहर ज्यादा जानकारी नहीं है उसके लिए बस कुछ मिनटों में किसी चीज को देखकर समझ पाना काफी कठिन है कि वह सही condition में है या नहीं तो

यह सारे डिसएडवांटेजेस देखने के बाद लोगों को जरूरत महसूस हुई एक ऐसे सिस्टम की जिस पर सब भरोसा कर सके जो सभी जगह एक जैसा Valuable हो इसको Store करके रखा जा सके उसका भविष्य में यूज कर सके और Finally आज पूरी दुनिया में सिक्कों का चलन शुरू हो गई


दोस्तों सिक्को के पीछे की असली वजह क्या थी और दुनिया में कौन सा देश था

जिसने सबसे पहले सिक्के इस्तेमाल करने शुरू किए थे ऐसे ही तमाम सवालों के जवाब आपको हम अगले पोस्ट में देंगे

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