ईद क्यों मनाई जाती है
- ईद एक मुस्लिम त्योहार है जो ईस्लाम धर्म के अनुयायियों द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार मुस्लिम कैलेंडर के अनुसार महीने की पहली चाँद की तारीख के दिन मनाया जाता है।
- ईद का मतलब होता है “खुशी का दिन”। यह त्योहार खुशी, उल्लास, और समृद्धि का संदेश देता है। इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह की भक्ति करते हुए एक दूसरे को ईद मुबारकबाद देते हैं
- एक दूसरे के साथ भोजन करते हैं और एक दूसरे के साथ अपनी खुशी साझा करते हैं।
- ईद अल-फित्र और ईद अल-अजहा दो तरह की होती है। ईद अल-फित्र रमजान के महीने के अंत में मनाई जाती है, जब मुस्लिम समुदाय के लोग रोजे रखते हैं। ईद अल-अजहा का त्योहार हज्ज के दौरान मनाया जाता है, जो इस्लाम धर्म के पाँच बेहतरीन कामों में से एक है।
ईद कैसे मनाई जाती है
Cएक मुस्लिम त्योहार होता है जो दो विभिन्न प्रकार के होते हैं – ईद अल-फित्र और ईद अल-अजहा। निम्नलिखित हैं कुछ सामान्य तरीके जिनसे ईद को मनाया जाता है:
ईद अल-फित्र:
- ईद के दिन सभी मुस्लिम लोग नमाज़ पढ़ते हैं। ईद की नमाज़ मस्जिद में या बाहर की जगहों में पढ़ी जाती है।
- ईद के दिन मुस्लिम लोग एक दूसरे को गले मिलते हैं और दूसरे को ईद मुबारकबाद देते हैं।
- ईद के दिन लोगों को खुश होने के लिए तोहफे दिए जाते हैं और बच्चों को ईदी दी जाती है।
- घरों में स्वादिष्ट खाने-पीने का इंतजाम किया जाता है जहां परिवार के सदस्य एक साथ भोजन करते हैं।
ईद अल-अजहा:
- ईद के दिन नमाज के बाद खुश होने के लिए तोहफे दिए जाते हैं।
इस दिन कुछ मुस्लिम लोग अपनी भेड़ों या बकरियों को क़ुरबान करते हैं।
भेड़ों या बकरियों का मांस दरिद्रों और जरूरतमंदों के बीच बांटा जाता है।
ईद मानाने का इतिहास
- ईद का मनाना मुस्लिम समुदाय में बहुत पुरानी परंपरा है जो 7वीं सदी में शुरू हुई थी। अरब में पहली ईद अल-फित्र का जश्न हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के आगमन के समय मनाया गया था। यह ईद उस दिन के लिए मनाई जाती है जब रमजान का महीना समाप्त हो जाता है।
- दूसरी ईद, ईद अल-अजहा, को ईब्राहीम अलैहिस्सलाम की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है। ईद अल-अजहा का मनाना मुस्लिम समुदाय में हज़रत इब्राहीम के अनुयायियों से जुड़ा हुआ है जो उन्हें अल्लाह के लिए अपनी संतान की बलिदान की याद दिलाता है।
- यह ईद मुस्लिम समुदाय में वर्षों से मनाई जाती रही है और आज यह दुनिया भर के मुस्लिम देशों में मनाई जाती है। इसे समाज में एकता, आदर, सम्मान और दया के साथ मनाया जाता है।
इस साल ईद कब मनाई जाएगी
ईद क्यों मनाई जाती है-इस साल 2023 में, ईद-उल-फितर का जश्न 25 अप्रैल, बुधवार को मनाया जाएगा। ईद-उल-फितर हर साल चाँदी की तारीख के आधार पर मनाई जाती है जो इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार तय की जाती है। चाँदी की तारीख के बाद, एक दिन की इंतजार करने के बाद ईद का जश्न मनाया जाता है। इस साल ईद-उल-अजहा का जश्न 20 जुलाई, गुरुवार को मनाया जाएगा।
ईद का महत्व
ईद दिन मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है जो दुनिया भर में मनाया जाता है। इस उत्सव के दो बड़े अवसर होते हैं – ईद उल फित्र और ईद उल अजहा।
ईद क्यों मनाई जाती है-ईद उल फित्र, जो रमजान के महीने के अंत में मनाया जाता है, एक बड़ी खुशी का दिन है जब मुसलमान रोज़ा खोलते हैं। इस दिन मुसलमान लोग अपने सबसे अच्छे कपड़े पहनते हैं, एक दूसरे को मुबारकबाद देते हैं, मीठे खाते हैं और अलग-अलग गतिविधियों में भाग लेते हैं।
दूसरी ओर, ईद उल अजहा या बकरीद उत्सव, जो हज़ यात्रा के दौरान मनाया जाता है, एक बड़ा धार्मिक उत्सव है जिसे भेड़ और बकरों की बलि देकर मनाया जाता है। इस दिन मुसलमान लोग अपने परिवारों और दोस्तों के साथ एक-दूसरे को मुबारकबाद देते हैं, और भोजन बाँटते हैं।
ईद का महत्व धार्मिक और सामाजिक दोनों होता है। यह एक बड़ा समाजिक उत्सव होता है जो लोगों को एक साथ लाने का ।
ईद पर क्या नहीं करना चाहिए
ईद एक महत्वपूर्ण मुस्लिम उत्सव है जिसे धूम्रपान, शराब और जुआ जैसी गैर-इस्लामिक गतिविधियों के साथ मनाना उचित नहीं होता है। इसके अलावा, ईद के दौरान कुछ अन्य चीजों से बचना चाहिए, जो निम्नलिखित हैं:
- किसी भी प्रकार की शराब या नशीली दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
- इस दिन गैर-मुस्लिम लोगों के साथ झगड़ा नहीं करना चाहिए।
- इस दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए।
- दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाली कोई भी गतिविधि नहीं करनी चाहिए।
- नमाज अवश्य करनी चाहिए, क्योंकि यह ईद का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- इस दिन दिन के पहले से ही अपनी खरीदारी कर लेनी चाहिए, क्योंकि ईद के दिन शॉपिंग करना भी उचित नहीं होता है।
- लड़ाई-झगड़े से दूर रहना चाहिए और दूसरों के साथ शांतिपूर्ण रहना चाहिए।
FAQ:
Q. इस साल ईद कब है
ANS. 25 अप्रैल, बुधवार को है
Q. रोज़े में क्या नहीं करना चाहिए?
ANS. रमजान महीने में जो लोग रोजा रखते हैं, उन्हें सूरज डूबने के बाद होने वाली मगरिब अजान से पहले कुछ भी खाने या पीने की मनाही होती है।