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अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है | What is DRS or Umpire Decision Review System in Cricket in Hindi

09/12/2022

अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है: हेलो Friends स्वागत है आपका आपकी website पर आज हम आपको बताने वाले है की अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है  Friends काफी लोगो को इसके बारे में जानना होता है पर नहीं पता होता इसलिए यह post only आपके लिए लेकर आये है और आपको All Information आपको आपकी website jugadme से मिल जाएगी आपको किसी और website पर जाने की जरुरत नहीं पड़ेगी।





Write By: MuskanKhan

अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है | What is DRS or Umpire Decision Review System in Cricket in Hindi

अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है क्या आपको भी क्रिकेट देखना व डीआरएस क्रिकेट खेलने वालो का नाम जानते है डीआरएस की FULL FORM फुल फॉर्म, (अंपायर) डिसीजन Review System है. क्रिकेट के मैदान पर एक टीम बल्लेबाजी करते हुए या फील्डिंग करते हुए दो बार से लेकर अब कोरोना वायरस के समय 3 बार अंपायर के फैसले को चुनौती दे सकती हैं. इसी को अंपायर डिसीजन Review System कहा जाता है अंपायर डिसीजन Review System डीआरएस के अंत एक टीम के पास दो से तीन ऑप्शन होते हैं और यदि टीम के दावा में हर बार सही फैसला लिया जाता रहे तो यह Review System कायम रहते हैं. रिव्यू खराब होने पर रिव्यू cancel कर दिया जाता है. परीक्षण में दो बार एक पारी के अंदर और वनडे और टी20 एक बार रिव्यु लिया जा सकता है. अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है रिव्यू का अर्थ यही है कि मैदान पर यदि टीम को अंपायर का फैसला सही नहीं लगता है तो वह कुछ संख्या तक अंपायर के फैसले को चुनौती दे सकते हैं. इसी को डीआरएस या अंपायर डिसीजन Review System कहा जाता है.

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डीआरएस का पूरा नाम क्या है (DRS Full Form)

डिसीजन Review System है. इसे डीआरएस इसलिए बोला जाता है ताकि इसमें अंपायर शब्द भी आ जाए और तब यह अंपायर डिसीजन Review System कहलाता है.

 

डिसीजन Review System क्या है

मैदान में खेल रहे बल्लेबाज को या फील्डिंग कर रहे खिलाड़ियों को ऐसा लगता है कि अंपायर ने जो फ़ैसला लिया है अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है वह गलत है तो ऐसी Situation में खिलाड़ी इस सिद्धांत की सहायता से अंपायर के फैसले को चुनौती देते हुए नजर आते हैं. बल्लेबाजी कर रही टीम की तरफ से बल्लेबाज डिसीजन Review System का अमल कर सकता है लेकिन फील्डिंग कर रही टीम की तरफ से टीम का पिशाच ही डिसीजन Review System का संकेत कर सकता है. अगर कोई टीम डिसीजन Review System का इस्तेमाल करती है तब तीसरा अंपायर इस फैसले की अनुसंधान करता है अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है और अनुसंधान के दौरान यदि लगता है कि अंपायर ने गलती की है तब मैदान के अंपायर के फैसले को बदला जाता है और तीसरे अंपायर को यदि लगता है कि मैदान के अंपायर ने गलती नहीं की है तो अंपायर के फैसले को कायम रखा जाता है. इसे डिसीजन Review System कहा जाता है

डिसीजन Review System प्रयोग करने कि संख्या 

डिसीजन Review System डीआरएस का इस्तेमाल परीक्षण में एक पारी के अंदर दो बार किया जा सकता है और यदि दोनों ही बार फैसला सही जा रहा है तो आगे यह Review System कायम रहता है और यदि फैसला रिव्यू लेने वाली टीम के खिलाफ जाता है तो रिव्यू खत्म कर दिया जाता है. जब फैसला सही जाता रहेगा तब तक यह रिव्यू रहते हैं खत्म हो जाते हैं. टेस्ट क्रिकेट में एक पारी के अंदर दो बार रिव्यू लिया जाता है और वनडे और टी20 यह रिव्यू एक बार है. अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है  एक बार ही टीम रिव्यू ले सकती है और रिव्यू यदि सही जाता है तब उस स्थिति में रिव्यू आगे चला जाता है.

कब हुआ था रिव्यू का इस्तेमाल इस नियम का प्रयोग

सबसे पहले साल 2008 में किया गया था. भारत और श्रीलंका के बीच में एक मुकाबले में इस नियम का पहली बार इस्तेमाल किया गया था अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है और वहीं पर इसका परीक्षण हुआ था परीक्षण और निरीक्षण के बाद साल 2009 से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट क्रिकेट परिषद आईसीसी ने इस नियम को क्रिकेट में लागू कर दिया है. वनडे क्रिकेट में डीआरएस का इस्तेमाल साल 2011 से शुरू हुआ है.

T20 क्रिकेट में रिव्यू का इस्तेमाल कब शुरू हुआ (DRS in t20 cricket)

सबसे पहले बरस 2008 में किया गया था. भारतवर्ष और श्रीलंका के बीच में एक बराबरी में इस नियम का पहली बार इस्तेमाल किया गया था अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है और वहीं पर इसका जाँच हुआ था जाँच और निरीक्षण के बाद बरस 2009 से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट क्रिकेट परिषद आईसीसी ने इस नियम को क्रिकेट में लागू कर दिया है. वनडे क्रिकेट में डीआरएस का इस्तेमाल बरस 2011 से शुरू हुआ है.

डीआरएस में इस्तेमाल होने वाली तकनीक

तीसरा अंपायर फैसला देने के लिए हमेशा रिप्ले की अनुदान लेता है. रिप्ले की सहायता से अंपायर देखता है कि यह फैसला सही है या नहीं है. वहीँ डिसीजन Review System में तीन तरह की तकनीकों का प्रयोग किया जाता है. इन तकनीकों की सहायता से तीसरा अंपायर फैसला लेता है आगे जानते है की कोनसी कोनसी तकनीक है।

1. हॉक-आई तकनीक

इस तकनीक का इस्तेमाल LBW के डिसीजन पर किया जाता है. अंपायर इसकी सहायता से देखता है अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है कि गेंद सीधे wickets में जाकर लगेगी या फिर ऊपर या नीचे या right या Left किस तरफ जाएगी, इस तकनीक का इस्तेमाल LBW के लिए किया जाता है.

2. हॉट-स्पॉट तकनीक

गेंद जहां पर टकराती है वहां पर सफेद रंग का निशान नजर आता है. गेंद अगर बल्ले का किनारा लेकर गई है तो इसको देखने के लिए अंपायर इस तकनीक का प्रयोग करता है. गेंद अगर बल्ले पर टकराती है या फिर जहां भी टकराती है वहां पर सफेद रंग का गोला नजर आ जाता है.

3. स्निकोमीटर तकनीक

इस तकनीक का इस्तेमाल आवाज सुनने के लिए किया जाता है. बल्ले पर गेंद लगती है या फिर बल्ला कहीं पर भी लगता है अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है  तो इसके द्वारा उठी तरंगों से पहचाना जाता है कि क्या गेंद बल्ले का तट लेकर गई है या फिर बल्ला कहीं और टकराया है.

डिसीजन Review System में हुए बदलाव ,अंपायर कॉल’ नियम में हुआ बदलाव

डिसीजन Review System में समय-समय पर बदलता है जैसे-जैसे खेल आगे बढ़ा है तो उसी के तरीके इस नियम में बदलाव आये हैं. अंपायर कॉल इनमें सबसे More important है. जब DRS में तीसरा अंपायर यह निश्चित नहीं कर पाता है कि ये खिलाड़ी आउट है या नहीं है अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है  तब उस समय अंपायर के फैसले को सही माना जाता है जिसे कि अंपायर काल ( Umpire’s Call) कहते हैं. डिसीजन Review System में पहले अंपायर कॉल पर रिव्यू खत्म कर दिया जाता था लेकिन 2017 से इस नियम में रूपांतरण किया गया है और अगर खिलाड़ी को आउट इसलिए दिया जा रहा है या फिर not out इसलिए दिया जा रहा है क्योंकि अंपायर कॉल है तब उस स्थिति में रिव्यू खराब नहीं होता है.

मिलेंगे केवल दो रिव्यू

Test क्रिकेट की बात करें तो यह एक पारी में टीम दो बार रिव्यू ले सकती हैं और अगर यह रिव्यू सही जाता है तब आगे भी रिव्यू जारी किया जा सकता है. दोनों बार रिव्यू खराब चला जाए तो पारी में रिव्यू खत्म हो जाता है.अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है  इससे पहले 80 overs में ही 2 बार रिव्यू लेने की प्रबंध की गई थी 80 ओवर खत्म होते ही रिव्यू फिर से शुरू हो जाते थे.

डिसीजन Review System से जुड़े हुए कुछ नियम

1. Team के captain जो team Fielding कर रही है उसको ऐसा अनुभव होता है कि अगर रिव्यू लेना है तो वह टी T का निशान umpire की तरफ बनाता है और मैदान का umpire तब तीसरे umpire की तरफ रिव्यू के लिए संकेत करता है.

2. Fielding करने वाले खिलाड़ी रिव्यू लेने के लिए अपने captain से अनुरोध करते हुए नजर आएँगे। फील्डिंग करने वाली टीम की तरफ से captain ही रिव्यू का संकेत कर सकता है. अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है वहीँ बल्लेबाजी करने वाले खिलाड़ियों में से बल्लेबाजी करने वाला खिलाड़ी रिव्यू के लिए अंपायर की तरफ संकेत कर सकता है.

3. मैच के अंदर कोई भी टीम केवल दो बार ही डीआरएस का इस्तेमाल कर सकती है जैसा कि हमने पहले आपको बताया। अगर किसी टीम के रिव्यू सही जाते हैं तो उसके रिव्यू आगे बढ़ते रहते हैं. वहीं अगर रिव्यू खराब हो जाते हैं अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है तो उसके आगे रिव्यू खत्म हो जाते हैं.

डिसीजन Review System से जुड़े विवाद

Review System तब लाया गया था जब ऐसा अनुभव हुआ था कि मैदान का अंपायर कई बार गलती कर देता है और उस गलती को दुरुस्त के मौके टीम को प्राप्त होने चाहिए कई बार तीसरा अंपायर भी मैदान के अंपायर की तरफ फैसला सुनाता हुआ नजर आता है. अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है देशभर में इसके तकनीकी जांबदारी की तरफ भी विवाद चलता हुआ आया है.

डिसीजन Review System के नुकसान 

जब क्रिकेट के खेल में Review System नहीं था, तब उस समय अंपायर का फैसला ही योग्य होता था लेकिन जब से System आया है तभी से cricket के खेल में समय की पतन होती हुए भी नजर आती है. अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है कई बार टीम तो रिव्यू लेने का जो समय है उन 15 सेकंड में समय बर्बाद करती हुई नजर आती हैं.

Review System के फायदे

कई बार अंपायर का फैसला गलत होता है और जब Review System आया है तभी से कई खिलाड़ी इस नियम का फायदा उठाते हुए नजर आए हैं.

क्रिकेट में डिसीजन Review System समय सीमा

क्रिकेट के खेल में DRS के जरिए अंपायर के निर्णय को चुनौती देने DRS के लिए समय निर्धारित किया गया है. गेंद किए जाने के बाद 15 सेकंड का समय मिलता है जिसके भीतरी एक टीम को DRS डिसीजन Review System का लाभ उठाना होता है.अंपायर डिसीजन रिव्यू सिस्टम या डीआरएस क्या है  10 सेकेंड के समय के बाद अंपायर एक संकेत करता है उसके बाद खिलाड़ी को पास 5 सेकंड का समय और मिलता है जिसमें रिव्यू लेना होता है.







 

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Raju
Raju
1 year ago

Thanks this article

Gyan Hours
8 months ago

आपने DRS से संबंधित बहुत ही अच्छी जानकारी दी है । पर क्या आप बता सकते है की IPL का Full Form क्या होता है?

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