कैसे हुआ था 'द्रोपदी' का चीरहरण जाने इसकी पीछे का रहस्य

द्रौपदी का चीरहरण महाभारत के युद्ध कांड में वर्णित है। महाभारत के अनुसार, द्रौपदी पांच पांडव भाईयों की पत्नी थी।

उन्होंने कुंती के उपदेशों पर उन पांडवों से स्वयंवर के दौरान विवाह किया था। द्रौपदी के पति पांडव भाइयों के लड़ाई में उन्हें जीतने वाला शकुनि नाम का दुष्ट व्यक्ति था।

शकुनि ने धृतराष्ट्र के अनुमति से, द्रौपदी को सभा में बुलाकर उसे अपमानित करने का प्रयास किया।

शकुनि ने द्रौपदी को चुनौती दी और उसे बोला कि वह उन पांडवों को स्वयंवर के दौरान वस्त्राभरण के समय जो भी वस्त्र पहने हुए हैं, उन्हें उतार कर उसे अपने सामने रख दे।

शकुनि ने यह चुनौती देते समय द्रौपदी को बहुत शर्मिंदगी और गुस्से का सामना करना पड़ा

लेकिन उसने अपनी शक्ति और वीरता का प्रदर्शन करते हुए शकुनि के चुनाव को स्वीकार किया।

युद्ध के दौरान, धर्मराज युधिष्ठिर कौरवों के साथ जुड़े दोस्तों के लिए जुटे थे और उन्होंने एक जुआ खेला। इस जुआ में उन्हें हार जानकर उन्होंने अपनी पत्नी द्रौपदी को भी हार दिया।

दुखी होकर, कौरवों का राजा धृतराष्ट्र ने द्रौपदी को बुलाया और उसे अपमानित किया। उसने द्रौपदी से कहा कि उसे पांच बार वस्त्र उतारना होगा। इस घोर अपमान के बाद द्रौपदी बेहोश हो गई।

इस घटना के बाद, पांडवों ने अपनी पत्नी के अपमान का बदला लेने के लिए महाभारत युद्ध का ज्ञानपूर्वक तैयारी की।

इस घटना से संबंधित द्रौपदी के चीरहरण का वर्णन महाभारत में विस्तार से किया गया है