Mughal हरम की वो जगह जिसके नाम से औरतों की निकल जाती थी चीख

इतावली चिकित्सक मनूची लिखते हैं कि हरम की जरूरत के पीछे मुगलों की मानसिकता जिम्मेदार थी. मुसलमानों को महिलाओं से खास लगाव रहा था.

उन्हें उनके बीच काफी सुकून मिलता था. हालांकि हरम बनाने का मकसद केवल यौन सुख पाना ही नहीं था

मुगलों के हरम में बड़ी संख्या में किन्नरों की तैनाती की जाती थी. किसी भी बाहर से आने वाले इंसान को लाना और उसे बाहर तक छोड़ना, उनकी जिम्मेदारी का अहम हिस्सा था

जब भी शाही घराने में किसी चिकित्सक को बुलाया जाता था तो किन्नर उसका सिर ढक देते थे ताकि वो अंदर का माहौल न देख सके.

इलाज के बाद उसे बाहर निकालने का तरीका भी वही रहता था. लेकिन जब मेरा वहां आना-जाना आम हो गया तो उनका मुझ पर भरोसा बढ़ गया और पाबंदिया नहीं रहीं.

इतावली चिकित्सक मनूची ने यह आपबीती अपनी किताब ‘मुगल इंडिया’ में लिखी है. मनूची एक चिकित्सक रहे हैं और उनके दारा शिकोह के साथ सम्बंध अच्छे रहे हैं

अकबर के हरम में 5 हजार औरते थीं. उसने हर को इतना व्यवस्थित कर रखा था कि हरम को कई हिस्सों में बांट दिया था. किसी तरह की कोई कलह न हो इसके लिए दरोगा की नियुक्ति भी की गई थी

इतना ही नहीं, कुछ महिलाओं को बतौर गुप्तचर रखा जाता था. अकबर ने हरम को लेकर जो नियम बनाए अगली पीढ़ी में उनका पालन किया गया.

जब भी हरम में कोई नई लड़की आती थी तो उससे बाहरी दुनिया से सम्बंध न रखने की बात कही जाती थी. बादशाह की मौत के बाद भी हरम को न छोड़ने का नियम बना हुआ था.