जगद्गुरु रामभद्राचार्य 22 भाषाओं में पारंगत हैं. वह संस्कृत और हिंदी के अलावा कई अन्य भाषाओं में भी कविता पाठ करते हैं.

उन्होंने 80 से अधिक पुस्तकों की रचना की है. भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2015 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया था.

मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान की बात करते हुए उन्होंने 7 दिनों तक चली 100 पेजों की अपनी गवाही का जिक्र किया।

इसी अदालती कार्रवाई की एक बहस का जिक्र करते हुए स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया था

कि शास्त्रों की गवाही के लिए आँखों की जरूरत नहीं है।

इसमें 8 चक्र और 9 देवताओं की अयोध्या के बीच में मंडप के आकार का सोने का मंदिर बताया गया है।

स्वामी रामभद्राचार्य का दावा है कि इस गवाही के बाद उन्हें मुस्लिम जज ने उन्हें ‘डिवाइन पॉवर’ (दैवीय शक्ति) से सम्पन्न बताया था।

अयोध्या के अलावा काशी और मथुरा को भी अदालत के माध्यम से हिन्दुओं को वापस दिलाने की माँग की।