इस बीमारी से हर साल मर जाती हैं हजारों बकरियां, जानें लक्षण और बचाव

पीपीआर (पेस्ट डेस पेटिट्स रूमिनेंट्स), इसे बकरियों की महामारी या बकरी प्लेग भी कहा जाता है।

इस बीमारी से बकरियों और भेड़ में बुखार, मुंह में घाव, दस्त, निमोनिया और बकरियों की मौत तक हो जाती है।

बकरियों और भेड़ों में पीपीआर की बीमाबकरियों और भेड़ों में पीपीआर की बीमारी की वजह से 8895.12 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हो जाता है।

इस बीमारी की मृत्यू दर 50 से 80 प्रतिशत तक होती है, ज्यादा बीमारी बढ़ने पर 100 प्रतिशत तक हो सकती है

संक्रमण होने के दो से सात दिन में इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं। पीपीआर विषाणु 60 डिग्री सेल्सियस पर एक घंटे रखने पर भी जीवित रहता है

एक जगह से दूसरे जगह भेड़-बकरियों को ले जाने से भी एक-दूसरे में बीमारी फैल सकती है।

रोग के घातक रूप में शुरू में तेज बुखार (40 से 42 डिग्री सेल्सियस) बहुत ही आम है।

इसमें आंख और नाक से पानी आना, दस्त, श्वेत कोशिकाओं की अल्पता, श्वास लेने में कष्ट इत्यादि लक्षण दिखाई देते हैं।

इसके बाद आँखों का चिपचिपा या पीपदार स्राव सूखने पर आंखों और नाक को एक परत से ढक लेता है, जिससे बकरियों को आंख खोलने और सांस लेने में तकलीफ होती है।