क्या है जेरुसलेम का इतिहास-हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में आपको जेरुसलेम का इतिहास के अब्रे में बताने जा रहा हु। दुनिया में ऐसी कई जगह हैं जिनके अधिकार को लेकर कई देशों के बीच सदियों से विवाद चलता आ रहा है. इन्हीं जगहों में से ही एक जगह जेरुसलेम है. इस जगह का इतिहास जितना पुराना है उतना ही पुराना है इस जगह के अधिकार को लेकर चलता आ रहा विवाद है. इतना ही नहीं दुनिया की ये एक ऐसी जगह है जिसका नाता दुनिया में माने जाने वाले तीन धर्मों से हैं. आखिर क्या है जेरुसलेम का इतिहास और इस जगह को लेकर किन देशों के बीच चल रहा है विवाद, इसके बारे में आज हम अपने इस लेख में आपको जानकारी देने जा रहे हैं.
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कहां है जेरुसलेम या यरूशलेम शहर
दुनिया के नक्शे में ये स्थान इजराइल और फिलिस्तीन देश के पास स्थित है. इस स्थान को इजराइल और फिलिस्तीन देश अपने-अपने देश की राजधानी बनाना चाहते हैं. हालांकि दुनिया के अन्य देशों ने इन दोनों देशों के इस दावे को मान्यता नहीं दी है. वहीं इस स्थान से दुनिया के तीन सबसे बड़े धर्म यहूदी, इस्लाम और ईसाई का बहुत ही गहरा नाता है. इन तीनों धर्मों के लिए ये एक पवित्र स्थल है, जिसके चलते इस स्थान का महत्व और भी बढ़ जाता है.
जेरुसलेम या यरूशलेम शहर का इतिहास
क्या है जेरुसलेम का इतिहास-इतिहास के पन्नों के अनुसार इस जगह पर पहली बार मानव 3500 बीसी (BC) के आसपास बसे थे. जिसके बाद 1000 बीसी में इस जगह पर यहूदी शासक डेविड द्वारा शासन किया गया था और उन्होंने इस जगह को अपनी राजधानी का दर्जा दिया था. इस स्थान पर उनके बेटे सुलैमान द्वारा पहले पवित्र यहूदी मंदिर का निर्माण किया गया था. मगर इस मंदिर को बेबीलोनियन द्वारा 586 ईसा पूर्व में नष्ट कर दिया गया था और यहूदियों को इस जगह से निकाल दिया गया था. इस घटना के 50 साल बाद फ़ारसी राजा साइरस ने यहूदियों को जेरुसलेम लौटने और यहां पर अपने मंदिर का पुनर्निर्माण करने की अनुमति दी थी
ऑटोमन साम्राज्य का शासन
जेरुसलेम में कई शासकों द्वारा राज किया गया है और इन्हीं शासकों में से एक शासक सिकंदर भी थे. सिकंदर ने भी इस शहर को युद्ध कर के जीता था और यहां अपने राज्य की स्थापना की थी. वहीं इस जगह पर ऑटोमन साम्राज्य का भी शासन रहा है. ये साम्राज्य तुर्कों द्वारा स्थापित किया गया था.
ग्रेट ब्रिटेन द्वारा किया गया राज
जेरुसलेम पर ग्रेट ब्रिटेन द्वारा भी शासन किया गया है. इस शहर पर पहले विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटेन ने कब्जा कर लिया था. जेरुसलेम के जिस हिस्से पर ब्रिटेन ने कब्जा किया था, वो जगह इस वक्त फिलिस्तीन का हिस्सा है.
क्या है जेरुसलेम का इतिहास-वहीं साल 1948 में इजराइल देश बनने के बाद जेरुसलेम जगह को दो हिस्सों में बांट दिया गया था और इस जगह के एक हिस्से में इजराइल का कब्जा हुआ करता था, जबकि दूसरे हिस्से पर जॉर्डन देश का. जिसके बाद इजराइल ने 1967 में हमला करके पूरे जेरुसलेम पर अपना कब्जा कर लिया था. वहीं इजराइल ने जेरुसलेम पर कब्जा करने के बाद अरब (फिलीस्तीनी) निवासियों को स्थायी निवासी का दर्जा तो दे दिया, लेकिन उनको नागरिकता नहीं दी. इसी लड़ाई में इजराइल ने वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में भी पूरी तरह काबू पा लिया था और इन दोनों इलाकों में बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी जनसंख्या है. इस समय वेस्ट बैंक को केवल दिखावे मात्र के लिए फिलीस्तीनी प्राधिकरण द्वारा चलाया जाता है, जबकि ये हिस्सा इजराइल के अधिकारों के अंतर्गत चलाया जाता है. वहीं फिलिस्तीनी इसे अपना फिलिस्तीन देश मानते हैं. इतना ही नहीं दुनिया के कुल 135 लोगों द्वारा फिलिस्तीन को एक देश माना जाता है. वहीं गाजा, हमास जो कि एक इस्लामवादी कट्टरपंथी पार्टी द्वारा नियंत्रित है
हाल के वर्षों में कुछ इजरायली समूहों ने जेरुसलेम में तीसरा यहूदी मंदिर बनाने की घोषणा की थी. वहीं इस घोषणा के बाद इस क्षेत्र में रहने वाले फिलीस्तीनियों ने इसका विरोध किया था.
फिलिस्तीन और इजराइल देश जेरुसलेम को अपनी राजधानी मानते हैं, हालांकि दुनिया में जेरुसलेम को इन दोनों देशों में से किसी भी देश की राजधानी की मान्यता प्राप्त नहीं है. वहीं इस जगह पर हर साल दोनों देशों के लोग तीर्थयात्रा करने आते हैं.
क्यों है यरूशलेम और जेरुसलेम इतना खास मुसलमानों, ईसाईयों व यहूदियों के लिए
क्या है जेरुसलेम का इतिहास-35 एकड़ भूमि में फैला ‘टैपल माउंट’ जेरुसलेम में एक पहाड़ी पर स्थित है और इसी जगह पर वेस्टन दीवार, द डोम ऑफ द रॉक और अल-अक्सा मस्जिद जैसे धार्मिक स्थल हैं. इन्हीं धर्म स्थल पर हर साल कई संख्या में मुस्लिम, यूहदी और ईसाई धर्म को लोगों आते हैं.
मुस्लिम धर्म की आस्था
इतिहास के अनुसार इस जगह में ही पैग़म्बर मोहम्मद साहब ने अपनी अंतिम सांस ली थी और यहां से ही उन्होंने अपनी स्वर्ग की यात्रा की थी. जिसके बाद इस स्थान को मुस्लिमानों का पवित्र स्थल होने का दर्जा मिला और इस स्थल पर ही उनकी पवित्र “अल-अक्सा” मस्जिद है. इस मस्जिद को मुस्लिम धर्म के मक्का मदीना के बाद, तीसरा सबसे पवित्र स्थल कहा जाता है. हर साल यहां पर कई लाखों की संख्या में मुस्लिम आते हैं
ईसाई धर्म की आस्था
ईसाइयों के लिए भी ये स्थान एक पवित्र स्थल के सामान है. ईसाइयों का मानना है कि इस जगह से उनका धर्म पूरी दुनिया में फैला था. इस जगह पर उनके भगवान येशु ने चमत्कार दिखाए थे और लोगों को उपदेश दिए थे. इतना ही नहीं इसी जगह पर येशु को सूली पर चढ़ाया गया था, जिसके बाद वो फिर से जिंदा हो गए थे और कुछ दिनों तक उन्होंने लोगों को ज्ञान दिया था, जिसके बाद वो स्वर्ग चले गए थे.
यहूदी धर्म से जुड़ी आस्था
क्या है जेरुसलेम का इतिहास-यहूदी धर्म में इस जगह का काफी महत्व है और इस धर्म के लोगों का विश्वास था कि ये जगह धरती का केंद्र है और इसलिए इस जगह पर उनके भगवान का निवास है. इस जगह पर ही राजा सोलोमन द्वारा बनाया गया ‘टैपल माउंट’ है और मंदिर को इस धर्म में एक पवित्र स्थान हासिल है
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