देशभक्ति संस्कृत श्लोक और हिंदी शब्दार्थ – “देशभक्ति” संस्कृते देशस्य प्रति आदरः, प्रेम्णः, आदरः च निर्दिश्यते । स्वदेशस्य सम्बन्धे यत् सामाजिकं स्थानं स्वाभाविकं च भावः भवति । संस्कृते “देशः” इति शब्दः “स्थानम्” अथवा “स्थानिका” इत्यनेन परिभाषितः । कस्मिंश्चित् स्थानं निर्दिशति, यस्मिन् तस्य स्थानस्य जनाः निवसन्ति, यत् स्वसमुदाय-संस्कृतेः, संस्कृति-आदिभिः परिचितः अस्ति ।
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सामाजिक-राजनैतिक-आर्थिक-सांस्कृतिक-समस्याः आधुनिकसंस्कृत-काव्येषु अवगम्यन्ते । एतानि काव्यानि प्रसिद्धकविभिः लिखितानि सन्ति, काले काले स्वसमयस्य सामयिकसमस्यानां च निवारणं भवति । आधुनिकसंस्कृतकाव्यानि सामाजिकन्यायं, स्वातन्त्र्यं, अधिकारं, प्रगतिम् च आनयन्ति ।
हिंदी शब्दार्थ – “देश भक्ति” संस्कृत में देश के सम्मान, प्रेम और श्रद्धा को बताता है। यह एक सामाजिक स्थान और स्वाभाविक भाव है जो किसी के देश के सम्बन्ध में होता है। संस्कृत में “देश” शब्द “स्थान” या “स्थानिक” के साथ परिभाषित किया गया है। यह एक निश्चित स्थान को बताता है, जिसे वहाँ के लोग रहते हैं और जो उनके समुदाय, संस्कृति, संस्कृति आदि से परिचित है।
आधुनिक संस्कृत कविता में सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक समस्याओं को समजाया जाता है। ये कविताएं प्रसिद्ध कविों द्वारा लिखी गई हैं और समय-समय पर अपने समय के सामयिक समस्याओं से संबंधित होती हैं। आधुनिक संस्कृत कविताओं में सामाजिक न्याय, स्वतंत्रता, अधिकार और प्रगति को लेकर आते हैं।
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देश भक्ति कविताएँ संस्कृत में (देशभक्ति काव्यानि संस्कृते )
- “वन्दे मातरम्” – संस्कृतकविः सविनाथसिंहस्य लिखिता एतत् काव्यं भारतदेशस्य प्रति आदरं प्रकटयति ।
- “भारतभाग्यविधाता” – संस्कृतकविरामदाससिंहेन लिखिता एषा काव्य भारतस्य भविष्यं सम्बोधयति।
- “जय भारत” – संस्कृतकविविवेकानन्देन लिखितं एतत् काव्यं भारतदेशस्य प्रति आदरं प्रकटयति।
- संस्कृतसाहित्ये अन्येऽपि काव्यानि सन्ति येषु देशभक्तिविषये कथ्यते।
हिंदी शब्दार्थ
- “Vande Mataram” – संस्कृत कवि सवीनाथ सिंह द्वारा लिखी गई यह कविता भारत देश के सम्मान को व्यक्त करती है।
- “Bharat Bhagya Vidhata” – संस्कृत कवि रामदास सिंह द्वारा लिखी गई यह कविता भारत देश के भविष्य को सम्बोधित करती है।
- “Jaya Bharat” – संस्कृत कवि विवेकानंद द्वारा लिखी गई यह कविता भारत देश के सम्मान को व्यक्त करती है।
संस्कृत साहित्य में अन्य कविताएँ भी हैं जो देश भक्ति को बताते हैं।
देशभक्ति संस्कृत श्लोक और हिंदी शब्दार्थ
हिंदी शब्दार्थ
हिंदी शब्दार्थ के साथ, देशभक्ति का अर्थ होता है “देश के प्रति प्रेम और सम्मान” । यह अपने देश के प्रति अपने संस्कृत के साथ सम्मान करना और इसके सम्बन्ध में सेवा करना संबोधित करता है।
समुत्कर्षनिःश्रेयस्यैकमुग्रं परं साधनं नाम वीरव्रतम् । तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम्॥ विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर् विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम्। परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम्॥
हिंदी शब्दार्थ
देशभक्ति संस्कृत श्लोक और हिंदी शब्दार्थ – सर्वोच्च पूर्णता प्राप्त करने के सबसे कठोर और सर्वोच्च साधनों में से एक को वीर व्रत कहा जाता है। ध्यान पर स्थिर त्वचा के अंतरतम स्पंदन रात में दिलों को तीव्रता से जगाएं। और विजेता कानून की इस धार्मिकता को बनाए रखने के लिए हमारी संयुक्त कार्य शक्ति है। आप अपने ढेर सारे आशीर्वादों से इस राज्य को इसकी सर्वोच्च महिमा तक ले जा सकें
हिंदी शब्दार्थ
- सम्मानपूर्वक सम्मानपूर्ण देशो नमस्तस्ये!
- मम देशस्य प्रियतमस्ति कथयन्ति मया सन्ति मया।
- सम्मानपूर्ण देशः सम्मानपूर्णः सम्मानपूर्णः सम्मानपूर्णः।
- सम्मानपूर्ण देशस्य सम्मानपूर्णस्य सम्मानपूर्णस्य सम्मानपूर्णस्य।
- देशेऽस्मिन् सम्मानमस्ति सम्मानमस्ति सम्मानमस्ति।
ये श्लोक देश के सम्मान को व्यक्त करते हैं और देश प्रेम को बताते हैं।
हिंदी शब्दार्थ
- सम्मानपूर्वक, सम्माननीय देशों, नमस्कार!
- वे कहते हैं कि मेरे देश में मेरी पसंदीदा चीजें हैं
- सम्माननीय देश: आदरणीय आदरणीय आदरणीय।
- माननीय देश माननीय माननीय माननीय माननीय।
- इस देश में सम्मान है, सम्मान है, सम्मान है।
ये छंद देश के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं और देशभक्ति के बारे में बताते हैं।
संस्कृत हास्य कविता
- वसन्तकाले सुखं न द्विधा भवति, प्रकृतिस्य श्रेयसाम् कथयति। (वाकविता)
- सुखं सम्पत्तिं सम्पत्तिं सुखम्, सम्पत्तिं सुखं सम्पत्तिम्। (सुखकविता)
- बालकश्च कश्चन विश्वसिद्धः कथयति, कुरुते विश्वसिद्धस्य कुरुते। (बालकविता)
- समुद्रस्य समुद्रेषु कथयति समुद्रः, कथयति समुद्रस्य समुद्रेषु कथयति। (समुद्रकविता)
- कृष्णकथनं कृष्णकथनं कृष्णकथनम्, कृष्णकथनं कृष्णकथनं कृष्णकथनम्। (कृष्णकविता)
हिंदी शब्दार्थ
- वसंत ऋतु का आनंद अस्पष्ट नहीं होता, यह प्रकृति की श्रेष्ठता को बयां करता है। (कविता)
- सुख ही धन है, धन ही सुख है, धन ही सुख है, धन ही सुख है। (खुश कविता)
- और लड़का वह है जो विश्व प्रसिद्ध है और कहता है, करता है और करता है जो विश्व प्रसिद्ध है। (बच्चों की कविता)
- सागरों का सागर बोलता है, सागरों का सागर बोलता है। (समुद्र कविता)
- काली बात, काली बात, काली बात, काली बात, काली बात। (कृष्णकविता)
भारत पर संस्कृत श्लोक सुभाषितानि
भारतं प्राचीनसंस्कृत्या इतिहासेन च आनन्ददायकः अद्भुतः देशः अस्ति । भारतस्य सुन्दरपर्वतशृङ्खलाभिः सह सुन्दरैः समुद्रतटैः अपि अयं मनोहरः अस्ति । मृद्धेः वास्तुकलायां संस्कृतिः आवश्यकी इति भारतस्य संस्कृतिः उपदिशति । भारतं वेश्यादेशः अस्ति, यत्र सर्वजातीयजनाः अवगच्छन्ति यत् सम्बन्धेन सह समानता एव समृद्धेः सर्वोत्तमः उपायः अस्ति।
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हिंदी शब्दार्थ
भारत एक शानदार देश है, अपने प्राचीन संस्कृति और इतिहास से प्रसन्न करता है। भारत की सुन्दर पर्वतारोहण के साथ ही, अपने सुंदर समुद्री तटों से भी प्रसन्न करता है। भारत की संस्कृति का शिक्षा देती है, कि संस्कृति समृद्धता की स्थापत्य के लिए आवश्यक है। भारत एक वेश्या देश है, जहाँ सम्पूर्ण जातियों के लोग समझ कर रहे हैं, कि सम्बन्ध के साथ समानता ही समृद्धता का सबसे बेहतर रास्ता है।