Thursday, May 2, 2024
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8 भारतीयों को फांसी की सजा क्यों देने जा रहा कतर

8 भारतीयों को फांसी की सजा –हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में आपको 8 भारतीयों को फांसी की सजा क्यों दे रहे है कतर में पिछले साल से हिरासत में बंद आठ भारतीयों को मौत की सजा देने का फैसला वहां की अदालत से हुआ है। ये आठ लोग कभी भारतीय नौसेना में थे। भारत सरकार ने इन्हें सजा मिलने की खबर पर हैरानी जताई है। सरकार ने कहा है कि वह इस आदेश का विरोध करेगी। मामले को बेहद गोपनीय भी बताया जा रहा है। फिर भी इस पूरे घटनाक्रम के बारे में हमें हर मुमकिन जानकारी देंगी नवभारत टाइम्स की विशेष संवाददाता अल्पयू सिंह, जो विदेश मामले कवर करती हैं।



अल्पयू जी, क्या इन आठ लोगों के बारे में हमें कुछ पता है? मामले के बारे में क्या जानकारी है?

इस मामले के बारे में जो तथ्यात्मक रूप से कहा जा सकता है वह यही है कि पिछले साल 30 अगस्त को इन सभी लोगों को कतर में कस्टडी में ले लिया गया। था। इसमें हैरानी की सबसे बड़ी बात ये है कि इनके परिवारवालों का ये कहना है कि भारत सरकार तक को इस बारे में जानकारी सितंबर के मध्य में चला कि ऐसा कुछ हो गया है। इन लोगों को किस आरोप में गिरफ्तार किया गया? क्यों इनकी कस्टडी हुई? इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं थी। फिर कुछ रिपोर्टस इस तरह की आई कि 30 सितंबर के बाद इनको अपने परिवार वालों के साथ एक संक्षिप्त टेलिफोनिक बातचीत अलाउ कर दी गई है। इस मामले में पहली काउंसलर मदद भारत की तरफ से 3 अक्टूबर को दी गई थी। तो पूरा मामला जो है वो आप समझ ही सकते हैं। बेहद गोपनीय हैं। दोनों देशों के बीच एक तरह से द्विपक्षीय मसलों का एक मुद्दा भी है और इसमें पूरी सीक्रेसी जो है वो बढ़ती जा रही है। MEA का अगर आप स्टेटमेंट देखें तो उन्होंने मुख्य रूप से तीन चार बातें कही हैं।

सबसे पहली बात ये है कि भारत सरकार बहुत ही स्तब्ध है, बहुत ही हैरान है कि इस तरह की घटना जो है वो हुई है। कतर सरकार से भारत अपने नागरिकों को सकुशल वापस लाने के लिए बातचीत करेगी। इसके बाद भारत के विदेश मंत्रालय की ओर से ये एकदम साफ साफ कह दिया गया है कि ऐसा क्यों किया गया? कतर प्रशासन ने ऐसे उनकी गिरफ्तारी क्यों की? उसके बाद कोर्ट की ओर से इतनी कड़ी सजा जो सुनाई गई है। ये क्यों किया गया? उनके ऊपर किस तरह के आरोप लगे हुए थे। इस बारे में कतर की ओर से भारत सरकार को कुछ नहीं बताया गया है।

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आपको अगर याद होगा कि इस साल 29 मार्च को इन लोगों की कोर्ट में पहली सुनवाई हुई थी और 6 अप्रैल को विदेश मंत्रालय की ओर से एक प्रेस ब्रीफिंग हुई। प्रवक्ता अरिंदम बागची जो हैं उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने अपनी तरफ से एक लीगल मदद इन लोगों को पहुंचानी शुरू कर दी है। इन्फैक्ट उस केस को लेकर जो लॉयर अपॉइंट किए गए थे, उन्होंने भी वो मीटिंग अटेंड की थी। लेकिन उस प्रेस ब्रीफिंग में भी भारत सरकार की ओर से हैरानी जताई गई थी और यह कहा गया था कि हमें नहीं मालूम है कि किन आरोपों के तहत इन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। तो किसी तरह के आरोपों को सार्वजनिक किये बिना इस तरह से जो ये फैसला सामने आया है, उससे भारत सरकार और पूरा देश स्तब्ध है।


8 भारतीयों को फांसी की सजा –देखिए भारत सरकार की ओर से जो कहा जा रहा है बार-बार, जो की उस वक्त भी कहा गया जिस वक्त इन लोगों की कोर्ट में पहली सुनवाई हुई थी। उसके बाद जो प्रेस ब्रीफ हुई उसमें भी भारत सरकार ने कहा कि भारत सरकार को अधिकारिक रूप से नहीं बताया गया है कि इनके ऊपर आरोप क्या हैं। आज भी जब ये फैसला आया है तो इस बात की जानकारी भी उनके पास नहीं है कि किन-किन आरोपों में इन्हें इस तरह से गिरफ्तार किया गया है। खबरें इस तरह की हैं कि ये लोग पिछले साल 30 अगस्त की रात को सो रहे थे। जिस वक्त कतर की जो खुफिया एजेंसी है, वो इनके घर पर आई और इनको उठा लिया गया। उसके बाद इनको आइसोलेटेड जगहों पर रखा गया। अलग-अलग रखा गया। तो जो विदेशी मीडिया रिपोर्टस हैं वो इस बात का हिंट देती हैं कि ऐसा तब किया जाता है जब किसी पर सुरक्षा से जुड़े आरोप होते हैं। तब उनको अलग-अलग तरीके से रखा जाता है। लेकिन अधिकारिक तौर पर कतर की ओर से भारत सरकार को यह नहीं बताया गया है कि इन लोगों पर क्या आरोप हैं और ये भारत सरकार बार-बार कह रही है।

कतर के साथ हमारे जो संबंध हैं, वो कैसे रहे हैं अब तक?

8 भारतीयों को फांसी की सजा –कतर के साथ हमारे संबंध पिछले कुछ सालों में बेहतर हुए हैं। साल 2008 में डॉक्टर मनमोहन सिंह जब प्रधानमंत्री थे, तो वो पहले प्रधानमंत्री बने जो कतर गए। उसके बाद से संबंधों का एक मधुर सिलसिला जो है वह शुरू हुआ। जिसको पीएम मोदी ने लगातार जारी रखा है। पीएम मोदी कतर गए और उस वक्त कतर ने एक सद्भावना के मैसेज के तौर पर जेल में बंद 23 भारतीयों को रिहा किया था। पीएम मोदी ने इसे लेकर ट्वीट भी किया था। वहीं हम जानते हैं कि पिछले साल उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने भी कतर की यात्रा की थी। लेकिन ऐसा कुछ हुआ बीच में कि संबंधों में थोड़ी खटास आ गई। वो हुआ जब बीजेपी नेता नूपुर शर्मा ने पिछले साल जून में प्रोफेट मोहम्मद को लेकर एक विवादास्पद बयान दिया। उसके बाद कतर पहला देश था

जिसने इसकी सार्वजनिक रूप से आलोचना की। भारतीय राजदूत जो हैं वहां पर, उनको समन किया गया था और कहा था कि माफी मांगी जाए। तो उसके बाद से कोई उच्चस्तरीय यात्रा जो है दोनों देशों के बीच में नहीं हुई है। तो यह कहा जा सकता है कि जो संबंध बहुत ही एक अच्छे ट्रैक पर आ गए थे और वो इस टिप्पणी के बाद खराब हो गए थे। पिछले साल आपको याद होगा रमेश जी, संसद में विदेश मंत्री जयशंकर ने इस मसले पर कहा था कि ये बहुत ही संवेदनशील मसला है। हम लगातार बात कर रहे हैं। यह मसला विदेश नीती की प्राथमिकताओ में सबसे ऊपर है। लेकिन उसके बावजूद भी कतर की अदालत की ओर से इस तरह का फैसला, भारत डिप्लोमेसी ही नहीं, पूरे देश के लिए स्तब्ध करने वाला है।

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