Monday, April 29, 2024
Homeजानकारियाँकेदारनाथ मंदिर का इतिहास 2023 Kedarnath Temple History in Hindi

केदारनाथ मंदिर का इतिहास 2023 Kedarnath Temple History in Hindi

केदारनाथ मंदिर का इतिहास –हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में आपको केदारनाथ मंदिर के बारे में बताने जा रहा हूँ। हमारे देश में हिन्दुओं में तीर्थ दर्शन की करने की बहुत मान्यता है, जोकि प्राचीन समय से अब तब चल रही है. देश में कई तीर्थ स्थान हैं जहाँ देश के कोने – कोने से लोग दर्शन करने आते हैं. उनका मानना है कि इन तीर्थ स्थानों के दर्शन करने से जीवन के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. तीर्थ स्थान की बात आती है, तो सबसे पहले उत्तराखंड के केदारनाथ मंदिर का नाम सामने आता है. 5 साल पहले यहाँ बहुत ही गंभीर त्रासदी हुई थी, उस दिल दहला देने वाली त्रासदी को एक फिल्म के माध्यम से दर्शाया गया है. केदारनाथ मंदिर एवं उस पर बनी फिल्म के बारे में यहाँ पूरी जानकारी जानने के लिए यहाँ पढ़ें.



केदारनाथ मंदिर

यह मंदिर भगवान शिव शंकर जी का मंदिर हैं, जोकि कई साल पुराना है. यह भारत के उत्तराखंड केदारनाथ में मंदाकिनी नदी के पास गढ़वाल हिमालयी सीमा पर स्थित है. यह ऋषिकेश से 221 किलोमीटर की दूरी पर है. यह भगवान शिव की 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं. मौसम अच्छा नहीं होने के कारण मंदिर केवल अप्रैल के अंत से नवंबर के बीच तक खुलता है. इस अवधि में भगवान शिव के दर्शन करने एवं उनसे आशीर्वाद लेने के लिए दूर – दराज के लोग यहाँ आते हैं. इस मंदिर के पास में बहने वाली मंदाकिनी नदी एवं बर्फ की चादर ओढ़े हुए पहाड़ों के रूप में यहाँ का दृश्य बहुत ही शानदार है. केदारनाथ के इस शांत वातावरण एवं अदभुत दृश्य को देखकर लोग इसकी ओर आकर्षित हो जाते है. मानो किसी ने उन्हें मंत्रमुग्ध कर दिया हो. सर्दियों के दौरान, केदारनाथ मंदिर से देवताओं को उखीमठ लाया जाता है और वहां 6 महीने तक पूजा की जाती है. केदारनाथ मंदिर में भगवान शिव की पूजा ‘केदार खंड के भगवान’ के रूप में की जाती है. यह एक ऐतिहासिक नाम है, जोकि सदियों से चला आ रहा है. यह मंदिर विशेष रूप से हिन्दुओं के लिए सबसे प्रमुख तीर्थस्थानों में से एक है.

केदारनाथ मंदिर का इतिहास –केदारनाथ का सबसे प्रसिद्ध इतिहास हमे पांडवों के समय ले जाता है. ऐसा माना जाता है कि महाभारत के पांडवों ने भगवान शिव के इस मंदिर की नींव रखकर उसका निर्माण किया था. किन्तु यह बहुत पुराना हो जाने के कारण यह ध्वस्त हो गया. फिर उसी पवित्र स्थान पर 8 वीं शताब्दी में आदि गुरु शंकराचार्य जी ने मंदिर का दोबारा निर्माण किया. जिसे वर्तमान में केदारनाथ के पवित्र मंदिर के रूप में जाना जाता है

एक बार पांडव कुरुक्षेत्र के प्रसिद्ध युद्ध में अपने भाइयों, कौरवों की हत्या करने के बाद भगवान कृष्ण की सलाह पर भगवान शिव से माफ़ी मांगने के लिए गये थे. भगवान शिव उन्हें माफ़ नहीं करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने अपना रूप परिवर्तित कर बैल, नंदी का रूप धारण कर लिया. और पहाड़ों में छिपे हुए मवेशियों के बीच खुद छिप गये. लेकिन पांडवों में से एक भीम ने भगवान शिव को पहचान लिया. तब वे उनके सामने से गायब होने की कोशिश करने लगे. किन्तु भीम ने उनकी पूंछ पकड़ ली और उन्हें पांडवों को माफ़ करने के लिए मजबूर होना पड़ा. जहाँ से वे गायब हुए उसे गुप्तकाशी कहा जाता है. गुप्तकाशी से गायब हो कर भगवान शिव 5 अलग – अलग रूपों में प्रकट हुए थे. जैसे केदारनाथ में उनके कूल्हे, रुद्रनाथ में चेहरा, तुंगनाथ में हाथ, मध्यमहेश्वर में नाभि और पेट एवं कल्पेश्वर में उनकी जटा आदि. इन पांचों स्थानों को ‘पंच केदार’ के नाम से जाना जाता है

केदारनाथ के बारे में एक और कहानी नार – नारायण जी से सम्बंधित भी है, जोकि पार्थिव की पूजा एवं तपस्या करने के लिए बद्रीका गाँव गये और वहां भगवान शिव उनके सामने प्रकट हुए. नार – नारायण जी ने शिव जी से मानवता के कल्याण के लिए उन्हें मूल रूप में वहाँ रहने के लिए कहा था. उनकी इच्छा पूरी करते हुए भगवान शिव उस स्थान पर रहने के लिए सहमत हो गए, जोकि अब केदार के नाम से जाना जाता है. इस प्रकार उन्हें केदारेश्वर के नाम से भी जाना जाता है.

कुछ लोग केदारनाथ मंदिर के इतिहास को आदि गुरु शंकराचार्य जी की मृत्यु से भी जोड़ते हैं. कहा जाता है कि उनकी मृत्यु इसी स्थान पर हुई थी. इस तरह से इस मन्दिर से कई सारे इतिहास जुड़े हुए हैं

सन 2013 की त्रासदी

केदारनाथ मंदिर का इतिहास –आप सभी जानते हैं कि सन 2013 में भारत के उत्तराखंड राज्य में बहुत ही भयानक त्रासदी हुई थी. 16 एवं 17 जून 2013 को उत्तराखंड राज्य के अन्य हिस्सों के साथ ही केदारनाथ घाटी पर अभूतपूर्व बाढ़ आई थी. दरअसल 16 जून को शाम लगभग 7:30 बजे केदारनाथ मंदिर के पास बहुत तेज गडगडाहट की आवाज के साथ भूस्खलन शुरू हुआ. इस भयंकर गर्जना के बाद मंदकिनी नदी के नीचे चोराबरी ताल या गाँधी ताल में लगभग 8:30 बजे से भारी मात्रा में पानी गिरना शुरू हो गया. 17 जून 2013 को सुबह लगभग 6:40 पर सरस्वती नदी और चोरबारी ताल या गाँधी ताल का बहाव बहुत तेजी से बढ़ने लगा. जिससे इसके बहाव में इसके साथ बड़ी मात्रा में चट्टान, पत्थर टूटकर बहने लगे. जहाँ एक तरफ बाढ़ के पानी के सामने जो भी आये, वह उसे अपने साथ बहा ले जा रहा था. वहीं दूसरी तरफ केदारनाथ मंदिर के पीछे एक बड़ी सी चट्टान आकर फंस गई. उस भयंकर बाढ़ से उस चट्टान ने मंदिर की रक्षा की. और बाढ़ के पानी के साथ बहने वाला पूरा मलबा मंदिर के दोनों ओर से बहता रहा. पर मंदिर को कुछ नहीं हुआ. लोगों को तब भी बहुत डर था, कि बहता हुआ पानी एवं मलबा मंदिर को भी साथ में बहा ले जायेगा, किन्तु ऐसा नहीं हुआ. उत्तराखंड में आई इस बाढ़ में आसपास के अधिकतर क्षेत्र, स्थानीय लोग, दुकाने, होटल एवं तीर्थ यात्रियों की बड़ी संख्या में क्षति हुई. उस समय मानो मौत का सैलाब आया हुआ था. इन सब के बावजूद मंदिर के पीछे फंसी हुई चट्टान ने मंदिर को कुछ नहीं होने दिया. लोगों ने मंदिर के अंदर कई घंटों तक आश्रय लिया, जब तक कि भारतीय सेना ने उन्हें सुरक्षित स्थानों तक नहीं पहुंचाया

केदारनाथ मंदिर के पट 2023 में कब खुलेंगे

केदारनाथ मंदिर के पट इस साल यानि 2023 में अक्षय तृतीय के 3 दिन बाद खुलेंगे जोकि 25 अप्रैल को है. यहां पर सुबर 6 बजे स्पेशल आरती होती है.

केदारनाथ मंदिर के पट 2023 में कब बंद होंगे

केदारनाथ मंदिर के पट हर साल दिवाली के 2 दिन बाद यानि कि भाई दूज के दिन बंद होते हैं. इसलिए इस साल यानि 2023 में केदारनाथ मंदिर के पट 14 नवम्बर के दिन बंद होंगे

केदारनाथ मंदिर की ऊंचाई एवं दूरी कितनी है

केदारनाथ मंदिर की समुद्र तल से ऊंचाई 11,755 फीट यानि 3,583 मीटर है, इसके साथ ही दूरी की बात करें तो इसकी दूरी 913 किलोमीटर है. ऋषिकेश से यह 223 किलोमीटर की दूरी पर है.

केदारनाथ धाम जाने के लिए रजिस्ट्रेशन

आपको बात दें कि केदारनाथ धाम यदि आप हेलीकॉप्टर से जाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको पहले से रजिस्ट्रेशन कराना होता है. इसके लिए आप ऑनलाइन या ऑफलाइन दोनों तरीके से रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. सभी श्रद्धालुयों को बाबा केदारनाथ के दर्शन हो इसलिए प्रशासन ने ऐसा सिस्टम बनाया है कि 1-1 घंटे के स्लॉट में कुछ-कुछ श्रद्धालु बाबा केदारनाथ शिवलिंग के दर्शन कर सकते हैं. इससे मंदिर के पास भीड़भाड़ नहीं रहेगी और सभी को दर्शन हो सकेंगे. ऑनलाइन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन इस प्रकार कर सकते हैं

ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन

यदि आप ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं तो आपको बता दें कि उत्तराखंड में चार धाम यात्रा मार्ग में कई सारे काउंटर बने हुए हैं जहाँ पर आप जाकर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं.

ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन

यदि आप ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं तो इसके लिए आप आईआरसीटीसी की अधिकारिक वेबसाइट में जाकर चार धाम यात्रा रजिस्ट्रेशन या केदारनाथ मंदिर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. इसके अलावा उत्तराखंड सरकार द्वारा शुरू किये गये पोर्टल पर जाकर भी रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है.

केदारनाथ धाम का मौसम कैसा है

आपको बता दें कि केदारनाथ धाम पहाड़ों पर स्थित हैं जहाँ पर बर्फबारी होती रहती है. इसलिए यहां का बहुत अत्यधिक ठंडा होता है. यहां कभी भी बारिश हो जाती है, तो कभी भी बर्फबारी भी हो सकती है. यदि आप केदारनाथ धाम जा रहे हैं तो आप अपने साथ गरम कपड़े, रेनकोट या छाता पानी की बोटल एवं कुछ खाने पीने का सामान साथ में लेकर जायें.

फिल्म ‘केदारनाथ’

केदारनाथ मंदिर एवं सन 2013 में वहां आई अभूतपूर्व त्रासदी को दर्शाने के लिए एक फिल्म का निर्माण किया गया है. जिसका नाम है ‘केदारनाथ’. इस फिल्म में न सिर्फ त्रासदी को दर्शाया गया है, बल्कि इस फिल्म में एक प्रेम कहानी को दर्शाया जा गया है, जोकि विपरीत धर्म के एक जोड़े से जुड़ी हुई है.

फिल्म की संक्षिप्त जानकारी



फिल्म की जानकारी बिंदु (Movie Information Points) फिल्म की जानकारी (Movie Information)
फिल्म का नाम (Movie Name) केदारनाथ
फिल्म का प्रकार (Movie Type) रोमांटिक ड्रामा फिल्म
फिल्म की शैली (Movie Genre) फीचर फिल्म साउंडट्रैक
भाषा (Language) हिंदी
देश (Country) भारत
निर्देशक (Directed By) अभिषेक कपूर
निर्माता (Produced By) रोंनी स्क्रूवाला, प्रज्ञा कपूर, अभिषेक कपूर, अभिषेक नायर
कहानी (Story By) अभिषेक कपूर एवं कनिका ढिल्लो
एडिटर (Editor) चंदन अरोरा
फिल्म आधारित है (Based On) सन 2013 में उत्तर भारत में आई बाढ़ पर
मुख्य किरदार (Starring) सुशांत सिंह राजपूत एवं सारा अली खान
संगीत (Music By) अमित त्रिवेदी एवं हितेश सोनिक (बैकग्राउंड स्कोर)
सिनेमेटोग्राफी (Cinematography) तुषार कांति राय
प्रोडक्शन (Production) आरएसवीपी मूवीज
कंपनी (Company) गाए इन द स्काई पिक्चर्स
लेबल (Label) ज़ी म्यूजिक कंपनी
फिल्म की रिलीज़ डेट (Release Date) 7 दिसम्बर, 2018

फिल्म की कहानी

केदारनाथ मंदिर का इतिहास –यह एक प्रेम कहानी है. जिसमें सन 2013 में एक अमीर हिन्दू लड़की मुकु, उत्तराखंड के पहाड़ों में स्थित ऐतिहासिक केदारनाथ मंदिर में तीर्थ यात्रा के लिए जाती है. वहां उसकी मुलाकात एक मुस्लिम लड़के मंसूर से होती है, जिसके प्यार में वह पड़ जाती है. यह उस समय उनका गाइड बनता है. धीरे – धीरे उनके बीच नजदीकियां बढ़ने लगती है, किन्तु उनके इस रिश्ते को उनके परिवार वालों से स्वीकृति नहीं मिलती, जिसके चलते उन्हें कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है. उसी बीच वहां उत्तराखंड में भयानक बाढ़ से इस क्षेत्र में तबाही मच जाती है. वे इससे जूझते हुए कैसे अपने आप को एवं अपने प्यार को बचाते हैं और अपनी जिंदगी के अंतिम समय में आई कठिनाइयों का सामना करते हैं, यही फिल्म में दर्शाया गया है

ट्रेलर एवं रिलीज़ डेट

केदारनाथ मंदिर का इतिहास –इस फिल्म का ट्रेलर 12 नवंबर 2018 दिन सोमवार को लांच किया गया. एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेलर सोमवार को ही इसलिए लांच किया गया, क्योंकि यह भगवान शिव का दिन माना जाता है. हालाँकि फिल्म का अधिकारिक पोस्टर 29 अक्टूबर, 2018 को जारी किया गया था, और इसके अगले ही दिन 30 अक्टूबर को इसका टीज़र भी जारी कर दिया गया था. इस फिल्म के मुख्य किरदार सुशांत सिंह राजपूत एवं सारा अली खान ने फिल्म के लिए काफी प्रमोशन भी किया था. 7 दिसम्बर सन 2018 को यह फिल्म देश के सभी सिनेमाघरों में दिखाई दी.



फिल्म की कास्ट एवं किरदार

सुशांत सिंह राजपूत :- इस फिल्म में जो मुख्य किरदार निभा रहे हैं वो है सुशांत सिंह राजपूत. इस फिल्म में वे एक मुस्लिम लड़के ‘मंसूर’ के किरदार में नजर आने वाले हैं. जोकि केदारनाथ में एक गाइड होता है.

सारा अली खान :- इस फिल्म के मुख्य किरदार में जो अभिनेत्री दिखाई देने वाली है, वे सारा अली खान हैं. ये पूर्व अभिनेत्री अमृता सिंह एवं अभिनेता शैफ अली खान की बेटी है. इस फिल्म के माध्यम से सारा बॉलीवुड में एंट्री करने जा रही हैं. इस फिल्म में वे एक हिन्दू लड़की ‘मुकु’ का किरदार निभा रही है.

नीतीश भारद्वाज :- इस फिल्म में नीतीश भारद्वाज मुकु के पिता के रोल में दिखाई देने वाले हैं. फिल्म के ट्रेलर में उनका एक डायलाग बहुत ही चर्चित हो रहा है वह डायलाग है ‘ये संगम नहीं हो सकता फिर चाहे प्रलय ही क्यों न आ जाये’.

अलका अमिन :- ये भी इस फिल्म में नजर आयेंगी. ये फिल्म में फिल्म के मुख्य किरदार की माँ का रोल निभाने वाली है. वे बॉलीवुड में काम करने के साथ – साथ टेलीविज़न अभिनेत्री भी हैं.

सोनाली सचदेव, पूजा गोर एवं निशांत दहिया :- ये तीनों भी इस फिल्म में सहायक रोल में नजर आने वाले है

Read more :-

दिवाली क्यों मनाई जाती है | दीपावली त्यौहार का महत्व और शुभ मुहूर्त

RELATED ARTICLES
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Most Popular