Monday, May 6, 2024
Homeजानकारियाँबीरबल खोसला का हुआ 84 साल की उम्र में निधन 500 से...

बीरबल खोसला का हुआ 84 साल की उम्र में निधन 500 से ज्यादा फिल्मों में काम किया

बीरबल खोसला का निधन हुआ-हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में आपको बीरबल खोसला के बारे में बताने जा रहा हु नई दिल्‍ली । 84 की उम्र में बीरबल (birbal) ने इस दुनिया को अलविदा (goodbye) कह दिया है। वह बीते कुछ वक्त से बीमार थे और अस्पताल (hospital) में भर्ती थे। बीरबल का असली नाम सतिंदर कुमार खोसला  था, उन्होंने अलग अलग भाषाई फिल्मों में काम किया। सिनेमाई दुनिया से एक बार फिर से एक दुखद खबर सामने आई है। अभिनेता बीरबल खोसला ने मंगलवार की शाम को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। 84 की उम्र में उन्होंने मुंबई में अपनी आखिरी सांस ली। बीरबल का असली नाम सतिंदर कुमार खोसला था और उन्होंने बहुत सी हिंदी, पंजाबी, भोजपुरी और मराठी फिल्मों में काम किया था।

लंबे समय से थे बीमार

बॉलीवुड की पुरानी हिंदी फिल्मों के हास्य कलाकार बीरबल लंबे समय से बीमार चल रहे थे और मुंबई के धीरूभाई कोकिला बेन अस्पताल में भर्ती थे , जहां बीते शाम 07.30 बजे उनका निधन हो गया। सोशल मीडिया पर सिंटा ने भी बीरबल को श्रद्धांजलि दी है। वहीं साथ ही साथ कुछ सितारों और फैन्स ने भी उन्हें याद किया है। पोस्ट में बताया गया है कि 1981 से वो सिंटा के सदस्य थे।

500 से अधिक फिल्मों में किया काम

बीरबल ने अपने करीब चार दशक के फिल्मी करियर में पांच सौ से अधिक फिल्मों में हास्य अभिनय किया है। उनकी कुछ प्रमुख लोकप्रिय फिल्मों मे दो बीरबल खोसला एक प्रसिद्ध भारतीय व्यक्ति थे। वे एक प्रमुख उपन्यासकार, कहानीकार, और संवादक थे। उन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से साहित्यिक जगत में महत्वपूर्ण योगदान किया और अपनी कहानियों से समाज को सोचने पर मजबूर किया।

बीरबल खोसला का निधन हुआ-बीरबल खोसला का जन्म 9 जून 1929 को हुआ था और उन्होंने अपना शिक्षा जीवन दिल्ली विश्वविद्यालय से पूरा किया। उनका लेखनी करियर भारतीय साहित्य के क्षेत्र में कई पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित हुआ, और उन्होंने अपनी कहानियों के माध्यम से सामाजिक मुद्दों, मानवीय भावनाओं, और राष्ट्रीय विषयों पर गहरा विचार किया।

उनकी प्रमुख रचनाएँ में ‘सिर, तुम्हारे चक्कर में’ और ‘तितली और तम्बूलम’ जैसी कहानियाँ शामिल हैं, जो उनके अद्वितीय लेखनी का प्रतीक हैं। बीरबल खोसला के लेखनी का योगदान भारतीय साहित्य के इतिहास में महत्वपूर्ण है और उन्हें सम्मान और प्रशंसा की हाकिकत है।बदन, बूंद जो बन गये मोती, शोले, मेरा गांव मेरा देश, क्रांति, रोटी कपड़ा और मकान, अनुरोध, अमीर गरीब , सदमा और दिल जैसी फिल्मों शामिल हैं।

RELATED ARTICLES
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Most Popular