इंदिरा गाँधी की जीवनी निबंध-हेलो दोस्तों आज में आप को इंदिरा गांधी के जीवन के बारे में बताने जा रहा हूँ की उन्होंने अपने जीवन काल में क्या काम और बहुत कुछ तो चलिए शुरू करते है
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इंदिरा गाँधी की जीवनी निबंध
इंदिरा गाँधी की जीवनी निबंध-भारत की पहेली महिला प्रथानमंत्री के रूप में जाने जाने वाले इंदिरा गांधी को कोण नहीं जानता इनका जीवन काफी ही रोचक रहा है उनके बचपन से लेकर इंदिरा और फिर प्रधानमंत्री बनने तक का सफर ना केवल सिखने वाला हैं, बल्कि भारत में महिला सशक्तिकरण के इतिहास का महत्वपूर्ण अध्याय भी हैं. उन्होंने 1966 से लेकर 1977 तक और 1980 से लेकर मृत्यू तक देश के प्रधानमंत्री का पद सम्भला रखा था
इंदिरा गाँधी जन्म और परिवार
इंदिरा गाँधी की जीवनी निबंध-इनका जन्म 19 नवंबर 1917 में उत्तर प्रदेश के इलाहबाद में हुआ था इनके पिता जो की भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू https://en.wikipedia.org/wiki/Jawaharlal_Nehruथे और इनके माता का नाम कमला नेहरू था इन्होने आपने ध्रम के विरुथ जा कर एक मुस्लिम लड़के से शादी की जिनका नाम फ़िरोज़ था और इनके दो बच्चे थे एक का नाम राजीव गाँधी था और दूसरे का नाम संजय गाँधी था
इंदिरा गाँधी ने बनाई थी वानर सेना
इंदिरा गाँधी की जीवनी निबंध-जब इंद्रा गाँधी 12 साल की थी तब उन्होंने कुछ कुछ बच्चो के साथ मिलकर वानर सेना बनाइ थी इसका नाम बंदर ब्रिगेड रखा गया था
इंदिरा गाँधी की शिक्षा
इंदिरा गाँधी की जीवनी निबंध-इंदिरा ने पुणे विश्वविद्यालय से मेट्रिक पास की थी और पश्चिम बंगाल में शांतिनिकेतन से भी थोड़ी सी शिक्षा हासिल की थी, इसके बाद वह स्विट्जरलैंड और लंदन में सोमेरविल्ले कॉलेज,ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में शिक्षा लेने गई.
इंदिरा गाँधी की जीवनी निबंध-1936 में, उनकी मां कमला नेहरू तपेदिक से बीमार हो गयी थी, पढाई के दिनों में ही इंदिरा ने स्विट्जरलैंड में कुछ महीने अपनी बीमार मां के साथ बिताये थे, कमला की मृत्यु के समय जवाहरलाल नेहरू भारत के जेल में थे.
विवाह और पारिवारिक जीवन
इंदिरा गाँधी की जीवनी निबंध-इंदिरा गाँधी जब इंडियन नेशनल कांग्रेस की सदस्य बनी, तो उनकी मुलाक़ात फिरोज गांधी से हुई. फिरोज गाँधी तब एक पत्रकार थे और यूथ कांग्रेस के महत्वपूर्ण सदस्य भी थे. 1941 में अपने पिता के मना करने के बावजूद भी इंदिरा ने फिरोज गांधी से शादी कर लिया था. इंदिरा ने पहले राजीव गांधी और उसके 2 साल बाद संजय गांधी को जन्म दिया. इंदिरा का विवाह फिरोज गान्धी से भलेही हुआ था,परन्तु फिरोज और महात्मा गांधी में कोई रिश्ता नहीं था. फिरोज उनके साथ स्वतंत्रता के संघर्ष में साथ थे, लेकिन वो पारसी थे, जबकि इंदिरा हिन्दू. और उस समय अंतरजातीय विवाह इतना आम नहीं था. दरअसल, इस जोड़ी को सार्वजनिक रूप से पसंद नहीं किया गया, ऐसे में महात्मा गांधी ने इन दोनों का समर्थन किया और ये सार्वजनिक बयान दिया, जिसमें उनका मीडिया से अनुरोध भी शामिल था “मैं अपमानजनक पत्रों के लेखकों को अपने गुस्से को कम करने के लिए इस शादी में आकर नवयुगल को आशीर्वाद देने के लिए आमंत्रित करता हूं” और बोला जाता हैं कि महात्मा गांधी ने ही राजनीतिक छवि बनाये रखने के लिए फिरोज और इंदिरा को गाँधी लगाने का सुझाव दिया था.
इंदिरा गाँधी की जीवनी निबंध-स्वतंत्रता के बाद इंदिरा गांधी के पिता जवाहर लाल नेहरु देश के पहले प्रधानमंत्री बने गए थे, तब इंदिरा गाँधी अपने पिता के साथ दिल्ली शिफ्ट हो गयी थी. उनके दोनों बेटे उनके साथ थे लेकिन फिरोज ने तब इलाहबाद रुकने का ही निर्णय किया था, क्योंकि फिरोज तब दी नेशनल हेरल्ड में एडिटर का कम कर रहे थे, इस न्यूज़ पेपर को मोतीलाल नेहरु ने शुरू करवाया थ।
इंदिरा का राजनीतिक करियर
इंदिरा गाँधी की जीवनी निबंध-नेहरु परिवार वैसे भी भारत के केंद्र सरकार में मुख्य परिवार थे, इसलिए इंदिरा गाँधी का राजनीति में आना ज्यादा मुश्किल और आश्चर्यजनक नहीं था. उन्होंने बचपन से ही महात्मा गांधी को अपने इलाहाबाद वाले घर में आते-जाते देखा था, इसलिए उनकी देश और राजनीति में रूचि बढ़ने लग।
इंदिरा गाँधी की जीवनी निबंध-1951-52 के लोकसभा चुनावों में इंदिरा गांधी ने अपने पति फिरोज गांधी के लिए बहुत सी चुनावी सभाएं आयोजित की और उनके समर्थन में चलने वाले चुनावी अभियान का देख रेख किया. उस समय फिरोज रायबरेली से चुनाव लड़ रहे थे. जल्द ही फिरोज सरकार के भ्रष्टाचार के विरुद्ध बड़ा चेहरा बन गए. उन्होंने बहुत से भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों का पर्दा फाश किया,जिसमे बीमा कम्पनी और वित्त मंत्री टीटी कृष्णामचारी का नाम शामिल था. वित्त मंत्री को तब जवाहर लाल नेहरु के करीबी मने जाते थे. इस तरह फिरोज राष्ट्रीय स्तर की राजनीति की मुख्य धारा में सामने आये, और अपने थोड़े से समर्थकों के साथ उन्होंने केंद्र सरकार के साथ अपना संघर्ष ज़ारी रखा, लेकिन 8 सितम्बर 1960 को फिरोज की हृदयघात से मृत्यु हो गई.
प्रधानमंत्री के रूप में पहली बार
इंदिरा गाँधी की जीवनी निबंध-11 जनवरी 1966 को लाल बहादुर शास्त्री के ताशकंद में देहांत के बाद अंतरिम चुनावों में उन्होंने बहुमत से विजय हासिल की,और प्रधानमंत्री का कार्यभार संभाला.
इंदिरा गाँधी की जीवनी निबंध-प्रधानमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल की सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियां प्रिंसी पर्स के उन्मूलन के लिए प्रिंसिपल राज्यों के पूर्व शासकों और चार प्रीमियम तेल कंपनियों के साथ भारत के चौदह सबसे बड़े बैंकों के 1969 राष्ट्रीयकरण के प्रस्तावों को पास करवाना था. उन्होंने देश में खाद्य सामग्री को दूर करने में रचनात्मक कदम भी उठाए थे और देश को परमाणु युग में 1974 में भारत के पहले भूमिगत विस्फोट के साथ नेतृत्व भी किया था.
आपातकाल लागू करना
इंदिरा गाँधी की जीवनी निबंध-1975 में, विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बढ़ती तकरार, अर्थव्यवस्था की खराब स्थिति और अनियंत्रित भ्रष्टाचार पर इंदिरा गांधी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार के खिलाफ बहुत प्रदर्शन किया था.
उस वर्ष, इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया, कि इंदिरा गांधी ने पिछले चुनाव के दौरान गलत तरीके का इस्तेमाल किया था और मौजूदा राजनीतिक परिस्थियों में इस बात ने आग का काम किया. इस फैसले में इंदिरा को तुरंत अपनी सीट खाली करने का आदेश दिया गया था. इस कारण लोगों में उनके प्रति क्रोध भी बढ़ गया. श्रीमती गांधी ने 26 जून, 1975 के दिन इस्तीफा देने के बजाय “देश में अशांत राजनीतिक स्थिति के कारण” आपातकाल घोषित कर दिया.
इंदिरा गाँधी की जीवनी निबंध-आपातकाल के दौरान उन्होंने अपने सभी राजनीतिक दुश्मनों को जेल करवा दिया, उस समय नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों को रद्द कर दिया गया, और प्रेस को भी सख्त सेंसरशिप के तहत रखा गया था. गांधीवादी समाजवादी जया प्रकाश नारायण और उनके समर्थकों ने भारतीय समाज को बदलने के लिए ‘कुल अहिंसक क्रांति’ में छात्रों, किसानों और श्रम संगठनों को एकजुट करने की मांग की थी. बाद में नारायण को भी गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेजा दिया गया.
1977 के शुरवात में आपातकाल को हटाते हुए इंदिरा ने चुनावों की घोषणा की, उस समय जनता ने अपातकाल और नसबंदी अभियान के बदले में इंदिरा का समर्थन नहीं किया था.
इंदिरा गाँधी हत्या
इंदिरा गाँधी की जीवनी निबंध-31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी के बॉडीगार्ड सतवंत सिंह और बिंत सिंह ने सवर्ण
मंदिर में हुए नरसंहार के बदले में कुल 31 बुलेट मारकर इंदिरा गांधी की हत्या कर दी. ये घटना सफदरगंज रोड नयी दिल्ली में हुई थी.