मंझला रोजे पर , करते हैं पहले रोजे की शुरुआत जानिए इतिहास- मंझला रोजा है, जो रमज़ान महीने का 14वां रोजा होता है। यह रोज़ा इसलिए खास माना जाता है क्योंकि यह रमज़ान के मध्य में पड़ता है। इस दिन, कई मासूम बच्चे पहली बार रोज़ा रखते हैं। यह बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है क्योंकि यह उन्हें धार्मिक अनुशासन और आत्म-संयम सीखने में मदद करता है।
पहला रोजा मुसलमानों के लिए धैर्य और दान करने की सीख देता है। यह रोजा उन्हें अपने ईश्वर के प्रति समर्पण और कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर भी प्रदान करता है।
मंझला रोजा कब है 2024
2024 में मंझला रोजा 25 मार्च को है। यह रमजान का 14वां रोजा होगा। यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इस दिन चंद्र ग्रहण भी होगा। यह साल का पहला चंद्र ग्रहण होगा। चंद्र ग्रहण के दौरान, मुस्लिम समुदाय ‘सलात अल कुसूफ’ नामक विशेष नमाज पढ़ते हैं। यह नमाज सामान्य नमाज से अलग और लंबी होती है।
इस नमाज में, लोग चंद्र ग्रहण के प्रभावों से बचाव के लिए अल्लाह से दुआ मांगते हैं। पैगंबर मुहम्मद के आदेश अनुसार, यह नमाज केवल उन्हीं लोगों को पढ़नी चाहिए जिनकी नजर चंद्रमा पर पड़ी हो।
मंझला रोजे की विशेष बातें
मंझला रोजे पर , करते हैं पहले रोजे की शुरुआत- मझला रोजा रमजान महीने का 14वां रोजा होता है। यह रोजा इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह रमजान महीने का आधा समय पूरा होने का प्रतीक है। इस रोजे को मनाने के लिए कई मुस्लिम लोग विशेष इफ्तार का आयोजन करते हैं। इस रोजे पर गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने का भी विशेष महत्व है।
मंझला रोजे की दुआएं
- “اللهم ارزقني صياماً مقبولاً و دعاءً مستجاباً و عملاً صالحاً و مغفرةً منك يا أرحم الراحمين”
- “اللهم اجعل صيامنا هذا صياماً مقبولاً و دعاءنا مستجاباً و خطايانا مغفورةً و نفوسنا مطهرةً يا أرحم الراحمين