क्या है सेल्फी एडिक्शन बीमारी से ग्रसित –हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में आपको सेल्फी एडिक्शन के बारे में बताने जा रहा हु। क्या आपने देखा है आजकल का 2 साल का बच्चा भी फोन इस तरह चलाता है कि जैसे फोन चलाने में बहुत माहिर हो. उसे पता है कि फोन में सेल्फी भी ली जाती है. अब छोटे से बच्चे को क्या पता कि फोन में सेल्फी भी ली जाती है और कैसे मुँह बनाया जाता है. दरअसल उसकी यह शिक्षा तो उसके माहौल उसके माता-पिता और उसके चारों तरफ होने वाली घटनाओं की वजह से है. आजकल फोन होना प्रत्येक व्यक्ति के लिए आम बात बन गई है और फोन में मुख्य विशेषता उसका कैमरा होनी चाहिए ऐसी सोच आजकल की युवा पीढ़ी की बन गई है. अच्छी सेल्फी लेने के चक्कर में युवा लोग आजकल लाखों रुपए के फोन खरीदते हैं क्योंकि उनके कैमरे बहुत ज्यादा आकर्षित और बहुत अच्छे होते हैं. ऐसे में एक खतरा जो बच्चों से लेकर युवा पीढ़ियों के बीच मे फैल रहा है वह है मानसिक तनाव डिप्रेशन का जो सेल्फी की लत से आता है. इससे जुड़े खतरों के बारे में अवगत होना बेहद आवश्यक है:-
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सेल्फी एडिक्शन क्या है
क्या है सेल्फी एडिक्शन बीमारी से ग्रसित –आजकल के युवाओं के हाथ में फोन और हर फोन में एक स्मार्ट कैमरा और अगर बेहतर सेल्फी ना हो तो उस कैमरे का क्या फायदा? अपने हर पल को फोन के कैमरे द्वारा कैप्चर कर लेना ही सेल्फी लेना कहलाता है और लगातार हर वक्त यदि एक व्यक्ति अपने हर काम की फोटो खींचता है सेल्फी लेता है तो उसे उसका सेल्फी एडिक्शन कहते हैं. कुछ लोग तो सेल्फी लेने के इतने ज्यादा शौकीन होते हैं कि रात को सोते समय से लेकर सुबह उठते समय की भी फोटो खींचकर अपलोड कर देते हैं. इसे एक मानसिक बीमारी का नाम भी दिया गया है. इस बीमारी को विशेषज्ञों द्वारा सेल्फी सिंड्रोम या मानसिक विकार भी कहा जाता है.
सेल्फी सिंड्रोम के लक्षण
क्या है सेल्फी एडिक्शन बीमारी से ग्रसित –बॉर्डर लाइन सेल्फिटिस :- जिस व्यक्ति को सेल्फी लेने की आदत लग चुकी होती है वह कम से कम खुद की फोटो को दिन में तीन बार क्लिक करता है. पर सोशल मीडिया पर पोस्ट नहीं करता है इसे बॉर्डर लाइन सेल्फी स्टिक का नाम लिया जाता है जो सेल्फी सिंड्रोम का सबसे पहला लक्षण है.
एक्यूट सेल्फिटिस :- कुछ व्यक्ति ऐसे होते हैं जो अपनी पूरी दिनचर्या में से खुद की कुछ बेहतरीन फोटोग्राफ क्लिक करके लगातार उसे तीन बार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर डालते हैं इस मानसिक बीमारी को एक्यूट सेल्फिटिस का नाम दिया जाता है.
क्रॉनिक सेल्फिटिस :- इस कैटेगरी में उन व्यक्तियों को शामिल किया जाता है जो अपनी विभिन्न प्रकार की तस्वीरें खींचते हैं कभी ग्रुप के साथ तो कभी अकेले और उन्हें कम से कम 6 बार से भी ज्यादा सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं और लोगों को अपने विचार देने पर मजबूर करते हैं. सेल्फी सिंड्रोम का यह लक्षण आजकल के युवाओं में आमतौर पर देखने को मिल जाता है इस लक्षण को क्रॉनिक सेल्फिटिस कहते हैं.
सेल्फी सिंड्रोम की वजह से होने वाली मानसिक बीमारी..
क्या है सेल्फी एडिक्शन बीमारी से ग्रसित –सेल्फी सिंड्रोम की वजह से व्यक्ति को एक ऐसी मानसिक बीमारी हो जाती है जिसमें वह अपने आगे किसी को कुछ नहीं समझता है. अपनी खूबसूरत तस्वीरें निकालकर उसे घंटों निहारना और उनको सोशल मीडिया पर पोस्ट करके लोगों को आकर्षित करना उसका मुख्य काम रहता है. विशेषज्ञों ने इस बीमारी को मनुष्यों का एक बहुत बड़ा मनोरोग कहकर संबोधित किया है क्योंकि वह व्यक्ति कुछ ऐसी प्रवृत्ति में पहुंच जाता है जिसमें वह अपने रंग रूप और शरीर के साथ-साथ अपनी आदतों के बारे में लोगों को बार-बार बढ़ा चढ़ाकर बताता है और धीरे-धीरे अपनी कमजोरियों को अपने अंदर दबाता जाता है. विशेषज्ञों ने इस बीमारी को नार्सिसिस्ट का नाम दिया है. आज के समय में पूरे विश्व में नार्सिसिस्ट के लक्षण युवा पीढ़ी के बीच बहुत ज्यादा देखने को मिल रहे हैं. आइए कुछ प्रारंभिक लक्षणों से अवगत कराएं
नार्सिसिस्ट के प्रारंभिक लक्षणों के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
खुद को अधिक प्राथमिकता देना :- यदि हम यहां पर ओवरकॉन्फिडेंट वर्ल्ड का इस्तेमाल करें तो गलत नहीं होगा क्योंकि कुछ लोग अपने आपको इतना ज्यादा पसंद करने लगते हैं कि अपने आगे वे ना तो किसी को देखते हैं और ना ही किसी को सुनते हैं. सब को नजरअंदाज करते हुए वे बेपरवाह होकर अपने मन की ही करते हैं जिसका खामियाजा उन्हें आगे जाकर भुगतना पड़ता है.
अपने में ही मगन रहना :- सबके बीच होते हुए भी वे खुद को अकेला कर लेते हैं और सिर्फ वही काम करते हैं जो वे करना चाहते हैं. साथ ही अपनी मनोदशा किसी के साथ शेयर करना और किसी से बातचीत करना भी बंद कर देते हैं.
कानून कायदों को भूल जाना :- जो लोग नार्सिसिस्ट के शिकार हो जाते हैं वह इतना तक भूल जाते हैं कि उनके किस गलत काम की वजह से वे कानूनी शिकंजे में फंस सकते हैं. अपनी इस लत के चलते वे कानून के दायरे से बाहर कुछ अजीबोगरीब काम भी कर जाते हैं जिसका उन्हें अनुमान भी नहीं होता है. कई बार ऐसी दुर्घटनाओं की वजह से वे मौत का शिकार भी बन जाते हैं.
आलोचना सहन ना कर पाना :- यदि कोई भी व्यक्ति उनमें कोई भी छोटी सी त्रुटि निकाल देता है तो उन्हें बहुत ज्यादा गुस्सा आ जाता है ऐसे में वे अपनी तारीफ के अलावा अपने खिलाफ कोई भी शब्द सुनना पसंद नहीं करते हैं. छोटी सी बात पर ही बहुत जल्दी हिंसक हो जाते हैं ऐसे लोगों से फोन पर बात करने पर भी डर लगता है क्योंकि कुछ पता नहीं कि वे कब किस बात पर बिगड़ जाए.
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नार्सिसिस्ट को बढ़ावा देने वाली सोशल मीडिया साइट
क्या है सेल्फी एडिक्शन बीमारी से ग्रसित –नार्सिसिस्ट को बढ़ावा देने का सबसे महत्वपूर्ण काम आज के समय में फेसबुक और इंस्टाग्राम द्वारा किया जाता है. क्योंकि वहां पर सेल्फी को लेकर अधिक लाइक और कमेंट प्राप्त करने की होड़ सी लग जाती है ऐसे में जो लोग इन सब चीजों से दूर होते हैं वे भी इनकी तरफ आकर्षित होकर सेल्फी एडिक्ट बन जाते हैं. ऐसे में वे भी नार्सिसिस्ट का शिकार होकर मानसिक रोगी बन जाते हैं.
सेल्फी सिंड्रोम से बचने के उपाय
क्या है सेल्फी एडिक्शन बीमारी से ग्रसित –दुनिया भर में इस सिंड्रोम से बचने के लिए एक थेरेपी का अविष्कार किया गया है जिसका चलन आजकल बहुत ज्यादा हो गया है उस थेरेपी का नाम कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी है. इस थेरेपी के अंतर्गत इस सिंड्रोम से शिकार व्यक्ति के दिलों दिमाग में चल रही बातों को जानकर उन्हें तालमेल बिठाकर उनके बीच संबंध तलाशा जाता है और उनके विचारों में परिवर्तन लाने की कोशिश की जाती है. इस थेरेपी को देने के लिए कई सारे विशेषज्ञ आपके आसपास मौजूद होंगे यदि आप कोई भी ऐसा व्यक्ति देखते हैं जो इस रोग से ग्रसित है तो उसे तुरंत उस विशेषज्ञ के पास ले जाकर थेरेपी दिलाना बहुत ज्यादा आवश्यक है. इस थेरेपी के अंतर्गत डॉक्टर या विशेषज्ञ द्वारा इस सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति के दिलो दिमाग में मौजूद नकारात्मक सभी बातों को हटाकर कुछ सकारात्मक विचार भरे जाते हैं ताकि वे अपने अंदर मौजूद खुद से जुड़े विचारों को निकाल कर बाकी देश दुनिया के बारे में और अपने दोस्त रिश्तेदारों के बारे में भी सोच सकें