वक्फ बोर्ड क्या है-हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में आपको वक़्फ़ बोर्ड के बारे में बताने जा रहु। हमारी धार्मिक किताबों में यह बताया गया है कि अपने जीवन में से अपने ऐशो आराम में कुछ कटौती करके कुछ चीजें यदि किसी व्यक्ति को दान में या उपहार में दे दी जाए तो अल्लाह की नजर में उस व्यक्ति को बहुत पाक माना जाता है। इसी तरह इस्लाम धर्म में कुछ चीजें सदा के लिए अल्लाह के नाम पर लिख दी जाती है। और इसके लिए एक बोर्ड बनाया जाता हैं. आइये जानते है इसके बारे में विस्तार से…
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वक्फ़ क्या है
क्या है वक्फ बोर्ड-इस्लामिक घर में जब कोई व्यक्ति भगवान के नाम पर दान करता है तो उसे वक़्फ़ कहते हैं। वक़्फ़ में वह व्यक्ति अपनी किसी भी प्रकार के संपत्ति अल्लाह के नाम पर दान दे सकता है। यह एक ऐसा दान है जिसमे संपत्ति दान देने के बाद उस पर किसी भी व्यक्ति का कोई मालिकाना हक नहीं रह जाता है। जब एक इंसान इस्लामिक धर्म के अनुसार अपनी उस संपत्ति को अल्लाह के नाम पर दान कर देता है तो कानून के अनुसार वह एक धार्मिक और दान दी गई संपत्ति हो जाती है। उस दान की हुई वस्तु पर दान देने वाले व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका या फिर उसके परिवार के किसी भी व्यक्ति का उस वस्तु पर कोई मालिकाना हक नहीं रहता है।
वक़्फ़ सम्पति का इस्तेमाल
वक्फ बोर्ड क्या है-यदि किसी व्यक्ति के पास दो घर है जिनमें से एक घर जिसमें वह रहता है और दूसरा वह वक़्फ़ को प्रदान कर देता है। इस दान की गई संपत्ति का इस्तेमाल कई रूप से किया जा सकता है जैसे अल्लाह के लिए वित्त जुटाने के लिए, कब्रिस्तान के लिए, मस्जिद बनाने के लिए, किसी व्यक्ति को छत देने के लिए, कोई चिकित्सालय खोलने के लिए, हॉस्टल बनाने के लिए या फिर किसी जरूरतमंद इंसान की मदद के लिए दान दी गई संपत्ति के रूप में आदि।
वक़्फ़ में दान करने वाली संपत्ति
सबसे पहले जो व्यक्ति वक़्फ़ करना चाहता है वह जिस संपत्ति को दान करना चाहता है वह संपत्ति उसके नाम पर होना अति आवश्यक है। अब सवाल यह आता है कि वक़्फ़ में किन सम्पतियों का दान किया जा सकता है।
वक़्फ़ में दान के रूप में किसी भी प्रकार की संपत्ति दान दी जा सकती है जिसमें चल व अचल किसी भी प्रकार की संपत्ति सम्मिलित की जाती है।
अपने नाम पर कोई भी कंपनी के शेयर या फिर खुद की कोई भी इस्तेमाल की गई वस्तु आप वक़्फ़ में दान दे सकते हैं।
वक्फ बोर्ड क्या है-आप किसी भी प्रकार की इस्तेमाल की गई किताबें लाइब्रेरी घर या फिर कुछ भी छोटी से लेकर बड़ी वस्तु को वक़्फ़ में दान कर सकते हैं। कुछ लोग तो ऐसे होते हैं जो अपने द्वारा चलाई जाने वाली बड़ी बड़ी लाइब्रेरी वक़्फ़ में दान कर देते हैं ताकि लोग वहां पर बैठकर किताबें पढ़ सके और अपने जीवन को दिशा निर्देश प्रदान कर सकें।
कौन कर सकता है वक़्फ़
वक़्फ़ करने के लिए कुछ योग्यता होनी बेहद आवश्यक है जो निम्नलिखित है
सबसे पहली बात तो यह वक़्फ़ मुस्लिम व्यक्तियों द्वारा ही किया जा सकता है क्योंकि यह इस्लाम धर्म द्वारा चलाया जाने वाला धार्मिक कार्य है।
जो भी व्यक्ति वक़्फ़ करना चाहता है उसके लिए सबसे बड़ी योग्यता यह होनी चाहिए कि वक़्फ़ में दान देने वाला व्यक्ति 18 साल की उम्र या उससे अधिक का होना चाहिए।
जो इंसान वक़्फ़ करना चाहता है उसके लिए आवश्यक है कि वह जिस संपत्ति को वक़्फ़ के अनुसार दान देना चाहता है वह उसके नाम पर होने चाहिए, ऐसा ना हो कि वह किसी और के नाम की संपत्ति का वक़्फ़ दे दें।
जो इंसान वक़्फ़ के अंतर्गत चलता है उसकी दिमागी हालत पूरी तरह से दुरुस्त होनी चाहिए, वह अपने होशो हवास में लिख कर दे कि वह अपनी वह संपत्ति अपने पूरे होशो हवास में वक़्फ़ के अंतर्गत दान दे रहा है।
वक़्फ़ पर मालिकाना हक औऱ देखभाल
वक्फ बोर्ड क्या है-वैसे तो वक़्फ़ के अंतर्गत दान की गई सभी वस्तुएं अल्लाह के नाम पर होती है परंतु इनकी देखभाल करने के लिए भी एक बोर्ड बनाया जाता है। इस तरह से वक़्फ़ के अंतर्गत प्राप्त सभी प्रकार की वस्तुओं की देखभाल करने के लिए कुछ ऐसे विश्वास वाले लोग रखे जाते हैं जो वक़्फ़ का ध्यान रखते हैं उनकी देखभाल करते हैं उनके अकाउंट व प्रबंधन देखने का काम करते हैं।
वक़्फ़ के अंदर सभी प्रकार की दान प्राप्त की हुई वस्तुओं की पूरी देखभाल की जाती है उनसे जिस भी प्रकार की संपत्ति या वित्त प्राप्त होता है उनका इस्तेमाल वक़्फ़ में प्राप्त जमीनों, मक़बरे और कब्रिस्तानों की देखरेख में लगाया जाता है।
वक़्फ़ बोर्ड लोकल भी होता है, यह एक राज्य के रूप में वक़्फ़ बोर्ड बनाया जाता है वहीं एक केंद्र के रूप में भी वक़्फ़ काउंसिल का निर्माण किया जाता है।
लोकल वक़्फ़ बोर्ड का काम होता है अपने आसपास की जगह पर मौजूद वक़्फ़ में प्राप्त वस्तुओं की देखभाल करना और उनका लेखा-जोखा रखना।
वक़्फ़ में कब्रिस्तान और सभी प्रकार के मकबरे भी शामिल किए जाते हैं जिनकी देखरेख का काम भी वक़्फ़ काउंसलिंग द्वारा किया जाता है।
वक्फ बोर्ड क्या है-दान किए गई जमीन से किसी भी प्रकार का वित्त प्राप्त होता है तो उसका इस्तेमाल कब्रिस्तान व मकबरों की मरम्मत करने या फिर उन्हें नई चीजें लगाने में किया जाता है।
एक बोर्ड राज्य के लिए बनाया जाता है जिसे वक़्फ़ राज्य बोर्ड कहा जाता है। उनका काम अपने राज्य में वक़्फ़ के अंतर्गत प्राप्त ज़मीन या वस्तुओं का हिसाब किताब रखना, जमीन है तो उसका स्क्वायर फीट या फिर एकड़ का हिसाब किताब रखना, उस दान में प्राप्त जमीन के कागजात व जरूरी दस्तावेज अपने पास मंगा कर रखना उनके मुख्य कार्यों में से एक है।
केंद्र में मौजूद वक़्फ़ बोर्ड राज्यों में मौजूद वक़्फ़ बोर्ड को दिशा-निर्देश प्रदान करने का काम करते हैं। केंद्रीय वक़्फ़ बोर्ड से दिशा-निर्देश प्राप्त करके राज्य वक़्फ़ बोर्ड केंद्र के अनुसार कार्य करते हैं और प्रत्येक राज्य का वक़्फ़ का पूरा ब्यौरा केंद्र सरकार तक पहुँचाते हैं।
वक़्फ़ के लिए लागू कानून
इसे सन 1954 में कानून द्वारा बनाया गया जिसे वक़्फ़ एक्ट 1954 कहा जाता है। इस कानून के अंतर्गत पहला अमेंडमेंट 1995 में लागू किया गया और नया अमेंडमेंट साल 2013 में लागू किया गया।
इस एक्ट के अनुसार एक सर्वे कमिश्नर रखा जाता है जो वक़्फ़ में प्राप्त दान की वस्तुओं का पूरा ब्योरा लाकर राज्य बोर्ड को प्रदान करते हैं। इसी तरह पूरे भारत में वक़्फ़ बोर्ड के अलग-अलग ऑफिसस बनाए जाते हैं जिसमें कई सारे व्यक्ति काम करते हैं इस प्रकार वह एक सरकारी विभाग बन जाता है।
वक़्फ़ में प्राप्त प्रॉपर्टीज का ध्यान रखने के लिए या फिर कहे केयरटेकर के रूप में एक मुतवल्ली (सम्पति का रक्षक) रखा जाता है। उसे एक सुपरवाइजर का नाम दिया जाता है जो पूरी तरह से संपत्ति की देखरेख करता है वह उसका ध्यान रखता है।
वक़्फ़ बोर्ड एक प्रकार का न्यायिक व्यक्ति है जो हर प्रकार की पावर अपने हाथ में रखता है उसके पास हर तरह के अधिकार मौजूद होते हैं जिसके अनुसार वह उस प्रॉपर्टी को खरीद कर बेच सकता है और चाहे तो उस प्रॉपर्टी के लिए किसी पर केस भी कर सकता है।
वक्फ बोर्ड को इतनी पावर भी होती है कि यदि कोई व्यक्ति वक़्फ़ द्वारा प्राप्त जमीन पर अपना मालिकाना हक जताता है, तो वह उस पर केस कर सकता है और उसे कानूनी रूप से सज़ा भी दिला सकता है।
वक़्फ़ बोर्ड उस व्यक्ति की कानूनी रूप से सहायता करता है जो व्यक्ति अपनी कोई जमीन या फिर अपनी कोई प्रॉपर्टी वक़्फ़ बोर्ड को दान करना चाहता है।
वक़्फ़ बोर्ड चाहे तो वक़्फ़ में प्राप्त किसी जमीन को किसी और व्यक्ति को भी दे सकता है, लेकिन उसके लिए वक़्फ़ बोर्ड के दो तिहाई सदस्यों का वक़्फ़ इस पक्ष में होना चाहिए कि वह उस जमीन को किसी और को देने के लिए तैयार है।
राज्य वक़्फ़ बोर्ड में मौजूद सदस्य
एक राज्य के तौर पर कुछ ऐसे व्यक्ति जो सम्माननीय और विश्वासजनक हो उन व्यक्ति को वक़्फ़ बोर्ड का सदस्य बनाया जाता है।
राज्य में वक्फ बोर्ड में सबसे पहला सदस्य चेयर पर्सन होता है जो हर प्रकार के फैसलों को लेने के लिए सक्षम होता है।
एक या दो व्यक्ति ऐसे होते हैं जो डायरेक्ट स्टेट गवर्नमेंट द्वारा वक़्फ़ बोर्ड के सदस्य बनाए जाते हैं।
कुछ ऐसे सदस्य जो पहले से ही मुस्लिम समाज के सम्मानीय व्यक्ति या एमएलए मुस्लिम एमपी उन सभी को इस बोर्ड का सदस्य बनाया जाता है।
वक्फ बोर्ड में कानूनी रूप से कई सारे ऐसे काम होते हैं जिनको सुलझाने के लिए वकीलों की आवश्यकता होती है, तो ऐसे में कुछ मुस्लिम वकीलों को भी वक़्फ़ बोर्ड का सदस्य बनाया जाता है।
राज्य के तौर पर जो बार काउंसलिंग के सदस्य होते हैं उनको भी इस वक़्फ़ बोर्ड का सदस्य घोषित किया जाता है।
कुछ ऐसे व्यक्ति जिन्हें इस्लामिक तौर पर सबसे बेहतर माना जाता है और एक उचित स्थान प्रदान किया जाता है उन व्यक्तियों को भी वक़्फ़ बोर्ड का सदस्य बनाया जाता है।
वक्फ बोर्ड क्या है-यदि कोई ऐसी प्रॉपर्टी है जो कम से कम ₹1,00,000 या उससे अधिक की इनकम वक्फ बोर्ड को प्राप्त करने में मदद कर रही है तो ऐसी प्रॉपर्टी के लिए एक अलग से राज्य सरकार द्वारा मूतवल्ली रखा जाता है जो उस प्रॉपर्टी की देखरेख करता है और उस प्रॉपर्टी से जुड़े सभी लेखा जोखा अपने पास रखता है।
केंद्र वक़्फ़ काउंसिल
केंद्र द्वारा बनाई गई वक़्फ़ काउंसलिंग एक प्रकार से कानून द्वारा बनाया गया है, जो वक़्फ़ में कानून प्रक्रिया को संचालित करता है और वहां के प्रबंधन को कानूनी रूप से चलाता है।
वक्फ एक्ट 1954 के प्रावधान के तहत केंद्र केंद्रीय वक्फ बोर्ड बनाया गया था जिसका काम केंद्र राज्य व सभी प्रकार की वक़्फ़ काउंसिल को सलाह देना है।
साल 2013 में जब वक़्फ़ एक्ट के तहत नया अमेंडमेंट आया तो इसमें कई सारे बदलाव किए गए। जिसने उनकी शक्तियां बढ़ा दी गई जिसके बाद वे केंद्र और राज्य सभी प्रकार की वक्त संस्थाओं को संचालन करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती है।
वक़्फ़ काउंसिल में एक मुख्य अधिकारी होता है और उनके साथ 20 सरकारी व्यक्ति भी उस वक्त काउंसिल के सदस्य बनाए जाते हैं।
वक्फ बोर्ड क्या है-वर्तमान समय में श्री मुख्तार अब्बास नवी इस यूनियन काउंसलिंग के 12वे चेयर पर्सन के रूप में है जिन्हें केंद्र वक़्फ़ काउंसिल का चेयरपर्सन घोषित किया गया है। मुख्य रूप से यूनियन मिनिस्टर को वक़्फ़ काउंसिल का चेयरपर्सन बनाया जाता है।
भारत मे वक़्फ़ के अंतर्गत मौजूद प्रॉपर्टीज
वर्तमान समय में 5,12,556 ऐसी प्रॉपर्टीज है जो भारत में रजिस्टर्ड और नॉन रजिस्टर्ड वक़्फ़ प्रॉपर्टीज है। यह आंकड़ा साल 2018 का है।
यदि बात करें इन सभी प्रॉपर्टीज की देखभाल करना और इनका लेखा-जोखा रखने की, तो पूरे विश्व में लगभग 35000 वक़्फ़ अनुसंधान बनाए जा चुके हैं जो वक्त बोर्ड के तहत इन सभी प्रॉपर्टीज की देखरेख और रखरखाव करते हैं।
भारत के वक्फ बोर्ड गणना के अनुसार भारत में 32 राज्यों के अलग अलग वक्फ बोर्ड पूरे देश में बने हुए हैं।
जबकी भारत में कुछ ऐसे राज्य हैं जहां पर मुस्लिम संख्या कम होने की वजह से वहां पर वक़्फ़ बोर्ड बनाए ही नहीं गए हैं, उन राज्यों का नाम गोवा, अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम, नागालैंड और सिक्किम है। वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में दो वक़्फ़ बोर्ड बनाए गए हैं।
वक़्फ़ प्रॉपर्टीज़ पर गैर कानूनी कब्जा
यदि भारत मे देखा जाए तो भारत में बहुत बड़ी मात्रा में जमीन है जो वक़्फ़ के अंतर्गत दान दी जा चुकी है।
वक्फ बोर्ड क्या है-यदि बात करें मात्र भारत की राजधानी दिल्ली की तो दिल्ली में लगभग 16,844 ऐसी प्रॉपर्टीस है जो वक़्फ़ के अंदर दान दी जा चुकी है। यदि इस पूरी वक़्फ़ प्रोपीटीज की व्यवसाई कीमत आंकी जाए तो 12 सो करोड रुपए है। जिनमें कुछ जमीनें रजिस्टर्ड है तो कुछ रजिस्टर्ड है ही नहीं।
जैसे जैसे जमीनो की कीमत बढ़ती जा रही है वैसे वैसे लोग वक़्फ़ बोर्ड की जमीन पर कब्जा करते जा रहे है। यदि राज्यों के आंकड़े की बात की जाए तो पंजाब में 5610 से भी ज्यादा जमीन पर लोगों ने गैर कानूनी कब्जा कर रखा है।
वही एमपी में 3240, वेस्ट बंगाल में 382, तमिलनाडु, कर्नाटका में 862, हरियाणा में 754 और एचपी में 530 जमीनों पर गैरकानूनी रूप से कब्जा किया गया है जिन पर वक़्फ़ कानूनी बोर्ड की तरफ से केस किया जा चुका है और अब तक अदालत में कई केस चल रहे है।
एक आंकड़ों के अनुसार महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड ने अपने द्वारा मीडिया रिपोर्ट में एक आंकड़े प्रस्तुत किए थे जिसके अनुसार वक़्फ़ में दान की गई 70% जमीनों पर अलग-अलग लोगों ने अपना कब्जा गैरकानूनी रूप से जमाया हुआ था। उस कब्जे पर कोर्ट में केस भी चलाए जा रहे हैं।
इन सभी कब्जे की गयी जमीनों की कीमत साल 2018 में आंकी गई थी जो लगभग 1 लाख करोड से भी ज्यादा है।
वक्फ बोर्ड vs एएसआई
वक्फ बोर्ड क्या है-आजादी से पहले कुछ मस्जिदें ऐसी थी जिनमें आजादी के समय नमाज नहीं पढ़ी जाती थी तो ऐसे ही मस्जिदों को एएसआई ने अपने अंतर्गत ले लिया था। ऐसी कुछ जगहों पर वक्फ बोर्ड ने अपना कब्जा प्राप्त करने के लिए एएसआई से अर्जी लगाई कि जिन जगहों पर आजादी से पहले प्रार्थनाएं हुआ करती थी उन जगहों पर प्रत्येक शुक्रवार को नमाज़ करने की अनुमति तो एएसआई द्वारा मिल गई लेकिन उन जगह पर कब्जा वक्फ बोर्ड को नहीं दिया गया। जैसा कि कानूनी नियम के तहत बताया गया है कि सभी मस्जिद एवं मकबरे वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आते हैं ऐसे में उन मस्जिदों और मकबरा का कब्जा एएसआई द्वारा वक्फ बोर्ड को नहीं दिया गया था. और एएसआई ने अपने कब्जे में कर लिया था। इसी तरह से ताजमहल भी एएसआई के अंतर्गत ही आता है परंतु कुछ समय पहले वक्फ बोर्ड ने ताजमहल को अपने अंतर्गत लेने के लिए कोर्ट में केस भी दायर किया था क्योंकि ताजमहल से लगभग हर साल 20 करोड से भी ऊपर की रकम प्राप्त होती है और वक्फ बोर्ड चाहता था कि वह रकम उन्हें प्राप्त हो और उनकी सालाना वक़्फ़ की रकम बढ़ जाए। परन्तु उसके बाद वक्फ बोर्ड उस केस को हार गए और एएसआई को ही ताजमहल का मालिकाना हक दिया गया।
राम मंदिर – बाबरी मस्जिद मुद्दा
ऐसा सिर्फ मुस्लिम इमारतों के साथ ही नही बल्कि हिंदू, सिख, औऱ ईसाई इमारतों के साथ भी हो चुका है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण सुर्खियों में छाया हुआ है जो राम मंदिर को लेकर चल रहा है। यूपी में राम मंदिर मुद्दा को लेकर बहस छिड़ी हुई है जिसमें मुस्लिम वक्फ बोर्ड का कहना है कि वहां पर बाबरी मस्जिद बनाई जाएगी और हिंदुओं का कहना है कि वहां पर राम मंदिर बनाया जाएगा। ऐसे में वक्फ बोर्ड चाहता है कि वह जमीन उनके हवाले कर दी जाए परंतु इस बात को लेकर कई सालों से सुप्रीम कोर्ट में केस चला आ रहा है और आज भी चल रहा है।
वक्फ बोर्ड क्या है-किसी भी धर्म में दान देना का बहुत अधिक मह्त्व माना जाता है, और इसी प्रकार यदि वक़्फ़ की बात करें तो इसमें दान दी गई प्रत्येक वस्तु का इस्तेमाल इंसानियत की देखरेख और रखवाली के लिए किया जाता है जो कि बहुत ही नेक काम होता है। दूसरी तरफ से देखा जाए तो वक़्फ़ बोर्ड इंसानियत के कर्म को भी बढ़ावा देता है कि वे अच्छे कर्म की ओर अग्रसर हो और इंसानियत की एक नई मिसाल कायम करें।
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