Thursday, May 2, 2024
HomeजानकारियाँAshura ka Roza कैसे रखे-आशूरा और उस दिन की क्या अहमियत है

Ashura ka Roza कैसे रखे-आशूरा और उस दिन की क्या अहमियत है

Ashura ka Roza कैसे रखे- आशूरा का रोज़ा रखना एक महत्वपूर्ण इस्लामी आदत है जो मुस्लिम समुदाय में सालाना महिने मुहर्रम के दसवें और आठवें दिन को मनाया जाता है। इस रोज़े का महत्व इमाम हुसैन के शहीद होने के मौके पर है, जो कर्बला के युद्ध में उनकी बहादुरी और न्याय के लिए उनके सुपुत्रों के साथ शहीद हो जाने पर आधारित है। आइए, हम इस रोज़े को रखने की विधि और इसका महत्व को विस्तार से समझते हैं।

Ashura ka Roza कैसे रखे- आशूरा मुहर्रम महीने का दसवां दिन है, जो इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है। यह दिन शिया और सुन्नी दोनों ही मुसलमानों के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन शिया मुसलमानों के लिए इसकी विशेष अहमियत है।

आशूरा का महत्व

RAMADAN
मुहर्रम माह का दसवा और आठवां दिन इस्लामी दिनचर्या में महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इस दिन हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों ने कर्बला के मैदान में कुर्बानी दी थी। हजरत हुसैन इस्लामी इतिहास में एक महान शख्सियत हैं, जो न्याय, सच्चाई, और इंसानियत के लिए अपने जीवन की कड़ी आज़माइश करते रहे हैं। कर्बला की घटना मुस्लिम समुदाय में एक दुखद और उत्साहित करने वाली घटना है जो आज भी मुहर्रम के मौके पर याद की जाती है। Ashura ka Roza कैसे रखे-आशूरा और उस दिन की क्या अहमियत है

Ashura ka Roza कैसे रखे-आशूरा का दिन इस्लाम के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है। इस दिन इब्राहिम अलैहिस्सलाम को आग से बचाया गया था, मूसा अलैहिस्सलाम को नील नदी से निकाला गया था, और यूनुस अलैहिस्सलाम को मछली के पेट से बाहर निकाला गया था।

इस्लाम में आशूरा को एक विशेष दिन माना जाता है। इस दिन मुसलमान अपने पापों की माफी के लिए प्रार्थना करते हैं और अल्लाह से अपने लिए आशीर्वाद मांगते हैं।

शिया मुसलमानों के लिए आशूरा

शिया मुसलमानों के लिए आशूरा का दिन इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है। इमाम हुसैन पैगंबर मोहम्मद के नवासे और चौथे खलीफा अली के पुत्र थे। सन 680 ईस्वी में इराक के कर्बला शहर में यजीद की सेना ने इमाम हुसैन और उनके 72 साथियों को शहीद कर दिया था।

शिया मुसलमान आशूरा के दिन उपवास रखते हैं, ताजिए निकालते हैं, मातम करते हैं और इमाम हुसैन की शहादत की याद में कविताएं और गीत गाते हैं। कुछ शिया समुदायों में इस दिन खुद को चोट पहुंचाने की भी प्रथा है।

आशूरा के रोज़े का सवाब

हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया

“जो व्यक्ति आशूरा के दिन रोज़ा रखता है, उसे एक वर्ष के पापों का कफ्फारा मिलता है।”

Ashura ka Roza कैसे रखे- आशूरा का दिन इस्लाम में एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन कई महत्वपूर्ण घटनाएं हुई हैं, जिनमें इब्राहिम अलैहिस्सलाम को आग से बचाया जाना, मूसा अलैहिस्सलाम को नील नदी से निकाला जाना, और यूनुस अलैहिस्सलाम को मछली के पेट से बाहर निकाला जाना शामिल हैं।

इस्लाम में आशूरा का दिन एक विशेष दिन माना जाता है। इस दिन मुसलमान अपने पापों की माफी के लिए प्रार्थना करते हैं और अल्लाह से अपने लिए आशीर्वाद मांगते हैं।

Ashura ka Roza कैसे रखें

आशूरा का रोज़ा रमज़ान के रोजे की तरह रखा जाता है। सुबह से पहले सूरज निकलने से पहले नीयत करनी चाहिए और पूरे दिन भूखा-प्यासा रहना चाहिए। शाम को सूरज ढलने के बाद इफ्तार करना चाहिए।

आशूरा के रोजे की नीयत

बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्रहीम

नईत करूँ मैं अल्लाह तआला के लिए आशूरा का रोजा, फर्जे इबादत के तौर पर, कलंदर मुहम्मदी में, अल्लाह तआला के लिए, तमाम गुनाहों की माफी के लिए।

या अल्लाह! तेरे लिए ही रोजा रखा, तेरे लिए ही इफ्तार किया, तेरा ही भरोसा है, तेरा ही सहारा है।

या अल्लाह! इस रोजे के सवाब से मेरी तमाम गुनाहों को माफ कर दे, मेरी तमाम तकलीफों को दूर कर दे, और मुझे अपने सदके और नेकियों में शामिल कर ले।

अल्लाह हम सब को आशूरा के रोजे की नीयत करने और उसको रखने की तौफीक अता फरमाए।

Asura Ramadan Calendar 2024

 

RELATED ARTICLES
5 2 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Most Popular