Saturday, April 27, 2024
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सूरज के कितना करीब जाएगा Aditya L1, क्या जानकारियां मिलेंगी? किन देशों ने अब तक भेजा Sun mission

सूरज के कितना करीब जाएगा Aditya L1

सूरज के कितना करीब जाएगा Aditya L1, क्या जानकारियां मिलेंगी- Aditya L1, सूरज के सबसे करीब पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित एल-1 लैग्रेंज बिंदु की कक्षा में जाएगा। यह बिंदु पृथ्वी और सूरज के बीच स्थित एक स्थिर बिंदु है, जहां गुरुत्वाकर्षण बलों का संतुलन होता है। इस बिंदु पर स्थित कोई भी वस्तु, चाहे वह ग्रह हो, उपग्रह हो या अंतरिक्ष यान हो, बिना किसी अतिरिक्त ईंधन का उपयोग किए पृथ्वी और सूरज के बीच निरंतर रूप से चलती रहेगी।

Aditya L1, सूर्य की सतह से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर स्थित होगा। यह दूरी इतनी है कि अंतरिक्ष यान को सूरज की गर्मी और विकिरण से बचाने के लिए कठोर सुरक्षात्मक कवच की आवश्यकता होगी।

  • सूरज की सतह का तापमान और चमक
  • सूर्य के वायुमंडल की संरचना और गतिशीलता
  • सौर गतिविधि, जैसे कि सौर धब्बे, सौर फ्लेयर्स, और कोरोनल मास इजेक्शन
  • अंतरिक्ष मौसम का निर्माण और विकास

Aditya L1, उपकरणों से लैस होगा

  • एक विकिरण एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर
  • एक कोरोनाग्राफ
  • एक सौर फ्लेयर एक्स-रे कैमरा
  • एक स्पेक्ट्रोमीटर
  • एक मैग्नेटोमीटर
  • एक पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (PET) कैमरा

इन उपकरणों का उपयोग करके, Aditya L1, सूरज की सतह से लेकर उसके वायुमंडल के सबसे बाहरी भागों तक, सूरज की संपूर्ण संरचना और गतिशीलता का अध्ययन करेगा। इससे सूरज की उत्पत्ति और विकास, सौर गतिविधि और अंतरिक्ष मौसम की हमारी समझ में महत्वपूर्ण प्रगति होने की उम्मीद है।

  • यहां कुछ विशिष्ट उदाहरण दिए गए हैं कि Aditya L1, सूरज के बारे में क्या सीखने में सक्षम हो सकता है:
  • यह सूर्य की सतह के तापमान और चमक को अधिक सटीकता से मापने में सक्षम हो सकता है। इससे हमें सूर्य के ऊर्जा उत्पादन के तरीके को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
  • यह सूर्य के वायुमंडल की संरचना और गतिशीलता का अध्ययन करने में सक्षम हो सकता है। इससे हमें सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र के निर्माण और विकास के तरीके को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।
  • यह सौर गतिविधि, जैसे कि सौर धब्बे, सौर फ्लेयर्स, और कोरोनल मास इजेक्शन, के पूर्वानुमान में सुधार करने में सक्षम हो सकता है। इससे अंतरिक्ष मौसम से होने वाली क्षति को कम करने में मदद मिलेगी।
  • Aditya L1, एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष मिशन है जो सूरज के बारे में हमारी समझ को गहराई से बदलने की क्षमता रखता है।

2 सितंबर को लॉन्च होने की संभावना

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 2 सितंबर, 2023 को अपने पहले सौर मिशन, Aditya L1 को लॉन्च करने की संभावना जताई है। इस मिशन को श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से PSLV-C53 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया जाएगा।

Aditya L1, सूर्य के सबसे करीब पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित एल-1 लैग्रेंज बिंदु की कक्षा में जाएगा। यह बिंदु पृथ्वी और सूरज के बीच स्थित एक स्थिर बिंदु है, जहां गुरुत्वाकर्षण बलों का संतुलन होता है। इस बिंदु पर स्थित कोई भी वस्तु, चाहे वह ग्रह हो, उपग्रह हो या अंतरिक्ष यान हो, बिना किसी अतिरिक्त ईंधन का उपयोग किए पृथ्वी और सूरज के बीच निरंतर रूप से चलती रहेगी।

इसरो के आदित्य-एल1 मिशन का मुख्य उद्देश्य सूर्य की परतों की गतिशीलता का अध्ययन करना है। सूर्य की परतों में क्रोमोस्फीयर और कोरोना शामिल हैं।

Aditya-L1 मिशन से क्या क्या चलेगा पता?

क्रोमोस्फीयर सूर्य का एक चमकदार वायुमंडल है जो सूर्य की सतह से लगभग 10,000 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह सूर्य के वायुमंडल का सबसे बाहरी हिस्सा है। कोरोना सूर्य का बाहरी वायुमंडल है जो सूर्य की सतह से लगभग 1 मिलियन किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह सूर्य के वायुमंडल का सबसे गर्म हिस्सा है।

सूरज के कितना करीब जाएगा Aditya L1, क्या जानकारियां मिलेंगी क्रोमोस्फीयर और कोरोना दोनों ही अत्यधिक गतिशील हैं। क्रोमोस्फीयर में, गर्म गैस और प्लाज्मा लगातार गति कर रहे हैं। कोरोना में, प्लाज्मा का तापमान सौर सतह के तापमान से लाखों गुना अधिक हो सकता है।

इससे पहले कौन कौन गया सन मिशन पर?

भारत पहली बार सूरज पर रिसर्च करने जा रहा है. लेकिन अब तक सूर्य पर कुल 22 मिशन भेजे जा चुके हैं. इन मिशन को पूरा करने वाले देशों में अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी शामिल है

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