Tuesday, April 30, 2024
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BA Sem 5th Administration and Public Policy: Concepts and Theories Important Questions And Answer Hindi

प्रश्न 1 लोक प्रशासन क्या है? सार्वजनिक और निजी प्रशासन के बीच प्रमुख अंतरों की व्याख्या करें।

BA Sem 5th Administration and Public Policy: Concepts and Theories Important Questions And Answer Hindi- लोक प्रशासन, सरकार या किसी सार्वजनिक इकाई द्वारा लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए किए गए कार्यों का प्रबंधन है। इसका उद्देश्य सार्वजनिक हित में कार्य करना और लोगों को आवश्यक सेवाएं प्रदान करना है।

  • कानूनों और नीतियों का निर्माण और कार्यान्वयन
  • सार्वजनिक सेवाओं का प्रावधान
  • सार्वजनिक संपत्ति और संसाधनों का प्रबंधन
  • आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देना
  • उद्देश्य: लोक प्रशासन का उद्देश्य सार्वजनिक हित में कार्य करना है, जबकि निजी प्रशासन का उद्देश्य लाभ कमाना है।
  • नियंत्रण: लोक प्रशासन पर सरकार का नियंत्रण होता है, जबकि निजी प्रशासन पर निजी स्वामित्व का नियंत्रण होता है।
  • पद्धति: लोक प्रशासन में अधिक औपचारिकता और लालफीताशाही होती है, जबकि निजी प्रशासन में अधिक लचीलापन और अनुकूलन होता है।
  • कर्मचारी: लोक प्रशासन में कर्मचारी आमतौर पर सरकारी नौकर होते हैं, जबकि निजी प्रशासन में कर्मचारी निजी तौर पर नियोजित होते हैं।

BA Sem 5th Administration and Public Policy: Concepts and Theories Important Questions And Answer Hindi इन अंतरों के अतिरिक्त, लोक प्रशासन और निजी प्रशासन के बीच कुछ अन्य अंतर भी हैं। उदाहरण के लिए, लोक प्रशासन में अक्सर अधिक जटिल कानूनी और विनियमन होते हैं, जबकि निजी प्रशासन में आमतौर पर कम कानूनी और विनियमन होते हैं। इसके अलावा, लोक प्रशासन में अक्सर अधिक राजनीतिक दबाव होता है, जबकि निजी प्रशासन में आमतौर पर कम राजनीतिक दबाव होता है।

लोक प्रशासन और निजी प्रशासन दो अलग-अलग प्रकार के प्रशासन हैं जिनके अपने-अपने उद्देश्य, नियंत्रण, पद्धति, कर्मचारी और अन्य पहलू होते हैं।

प्रश्न 2 लोक प्रशासन के पारिस्थितिक उपागम के प्रमुख तत्व क्या हैं?

  • लोक प्रशासन को एक खुले प्रणाली के रूप में देखना: यह उपागम लोक प्रशासन को एक खुली प्रणाली के रूप में देखता है जो अपने पर्यावरण से निरंतर बातचीत और संपर्क में रहती है। इसका अर्थ है कि लोक प्रशासन के कार्य और प्रभाव पर उसके पर्यावरण के कारक, जैसे कि सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और भौगोलिक कारक, महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं।
  • लोक प्रशासन और उसके पर्यावरण के बीच बातचीत पर ध्यान केंद्रित करना: यह उपागम लोक प्रशासन और उसके पर्यावरण के बीच बातचीत पर ध्यान केंद्रित करता है। यह बातचीत एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें दोनों पक्षों के बीच लगातार प्रतिक्रिया और समायोजन शामिल होता है।
  • लोक प्रशासन की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए पर्यावरणीय कारकों के प्रभाव को समझना: यह उपागम लोक प्रशासन की प्रभावशीलता को बढ़ाने के लिए पर्यावरणीय कारकों के प्रभाव को समझने पर जोर देता है। यह समझने से लोक प्रशासन को अपने पर्यावरण के अनुकूल होने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में अधिक प्रभावी होने में मदद मिल सकती है।

लोक प्रशासन के पारिस्थितिक उपागम के कुछ विशिष्ट अनुप्रयोग 

  • सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों के प्रभाव का विश्लेषण करना: इस उपागम का उपयोग सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों, जैसे कि औद्योगीकरण, शहरीकरण और वैश्वीकरण, के लोक प्रशासन पर प्रभाव का विश्लेषण करने के लिए किया जा सकता है।
  • लोक प्रशासन और राजनीति के बीच संबंधों का अध्ययन करना: इस उपागम का उपयोग लोक प्रशासन और राजनीति के बीच संबंधों का अध्ययन करने के लिए किया जा सकता है।
  • लोक प्रशासन की सांस्कृतिक विविधता पर विचार करना: इस उपागम का उपयोग लोक प्रशासन की सांस्कृतिक विविधता पर विचार करने के लिए किया जा सकता है।

कुल मिलाकर, लोक प्रशासन के पारिस्थितिक उपागम एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण है जो लोक प्रशासन को एक अधिक जटिल और बहुआयामी प्रणाली के रूप में समझने में मदद करता है।

प्रश्न 3 मानव संबंध सिद्धांत के सन्दर्भ में उन सामाजिक कौशल को समझाइए जिनके द्वारा प्रबंधक कर्मचारियों को यह विश्वास दिलाता है कि वे संगठन का महत्वपूर्ण अंग हैं।

मानव संबंध सिद्धांत के अनुसार, संगठनात्मक उत्पादकता और कार्य संतुष्टि कर्मचारियों के सामाजिक संबंधों और मनोवैज्ञानिक जरूरतों से प्रभावित होती है। इस सिद्धांत के अनुसार, प्रबंधकों को कर्मचारियों को संगठन का महत्वपूर्ण अंग महसूस कराने के लिए सामाजिक कौशल का उपयोग करना चाहिए।

  • सहानुभूति और समझ: प्रबंधकों को कर्मचारियों की भावनाओं और जरूरतों को समझने और उनका सम्मान करने में सक्षम होना चाहिए। इससे कर्मचारियों को यह विश्वास होगा कि प्रबंधक उनकी परवाह करते हैं और उनकी सफलता में रुचि रखते हैं।
  • सुनने का कौशल: प्रबंधकों को कर्मचारियों को सुनने में सक्षम होना चाहिए, भले ही वे उनसे सहमत न हों। इससे कर्मचारियों को यह विश्वास होगा कि उनकी राय महत्वपूर्ण है और उन्हें सुनी जा रही है।
  • संचार: प्रबंधकों को स्पष्ट और प्रभावी ढंग से संवाद करने में सक्षम होना चाहिए। इससे कर्मचारियों को यह विश्वास होगा कि प्रबंधक स्पष्ट और पारदर्शी हैं।
  • नेतृत्व: प्रबंधकों को प्रभावी नेता होने में सक्षम होना चाहिए। इससे कर्मचारियों को यह विश्वास होगा कि प्रबंधक उन्हें प्रेरित कर सकते हैं और उनके लिए एक रोल मॉडल बन सकते हैं।

इन कौशलों का उपयोग करके, प्रबंधक कर्मचारियों को संगठन का महत्वपूर्ण अंग महसूस कराने में सक्षम होते हैं। इससे कर्मचारियों की कार्य संतुष्टि और उत्पादकता में वृद्धि हो सकती है।

  • एक कर्मचारी के साथ व्यक्तिगत बैठक करें और उनकी चिंताओं को सुनें।
  • एक कर्मचारी के काम की सराहना करें।
  • कर्मचारियों के साथ नियमित रूप से संवाद करें और उन्हें संगठन के लक्ष्यों के बारे में सूचित रखें।
  • कर्मचारियों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल करें।

इन गतिविधियों से कर्मचारियों को यह विश्वास होगा कि वे संगठन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उनके विचार और योगदान मायने रखते हैं।

प्रश्न 4 लोक प्रशासन में हर्बर्ट साइमन के तार्किक निर्णय निर्माण उपागम की व्याख्या कीजिये

हर्बर्ट साइमन, एक अमेरिकी अर्थशास्त्री, मनोवैज्ञानिक, और प्रशासनिक वैज्ञानिक थे। उन्होंने लोक प्रशासन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, विशेष रूप से निर्णय निर्माण की प्रक्रिया के अध्ययन में। साइमन का मानना ​​था कि निर्णय निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है जिसे पूर्ण तर्कसंगति के सिद्धांतों के आधार पर नहीं समझा जा सकता है। उन्होंने परिबद्ध तर्कसंगति की अवधारणा विकसित की, जो यह मानती है कि निर्णय निर्माता अक्सर सीमित जानकारी और संसाधनों के साथ काम करते हैं।

  1. समस्या की पहचान: निर्णय निर्माता को सबसे पहले समस्या की पहचान करनी चाहिए।
  2. विकल्पों का विकास: निर्णय निर्माता को समस्या को हल करने के लिए संभावित विकल्पों का विकास करना चाहिए।
  3. विकल्पों का मूल्यांकन: निर्णय निर्माता को प्रत्येक विकल्प के संभावित परिणामों का मूल्यांकन करना चाहिए।
  4. निर्णय लेना: निर्णय निर्माता को सबसे अच्छा विकल्प चुनना चाहिए।

साइमन का मानना ​​था कि निर्णय निर्माता हमेशा इन सभी चरणों को पूरी तरह से पूरा नहीं कर पाते हैं। अक्सर, वे सीमित जानकारी और संसाधनों के साथ काम करते हैं, और उन्हें जल्दी से निर्णय लेने की आवश्यकता होती है। इन सीमाओं के कारण, निर्णय निर्माता अक्सर परिबद्ध तर्कसंगति का उपयोग करते हैं।

साइमन का तार्किक निर्णय निर्माण उपागम लोक प्रशासन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है क्योंकि यह निर्णय निर्माण की प्रक्रिया को समझने में मदद करता है। यह उपागम निर्णय निर्माता को अधिक प्रभावी निर्णय लेने में मदद करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

  • यह निर्णय निर्माण को एक जटिल प्रक्रिया के रूप में देखता है।
  • यह मानता है कि निर्णय निर्माता अक्सर सीमित जानकारी और संसाधनों के साथ काम करते हैं।
  • यह परिबद्ध तर्कसंगति की अवधारणा का उपयोग करता है।

साइमन के तार्किक निर्णय निर्माण उपागम का लोक प्रशासन के क्षेत्र में कई अनुप्रयोग हैं। इसका उपयोग निर्णय लेने की प्रक्रिया को बेहतर ढंग से समझने के लिए किया जा सकता है, और इसका उपयोग निर्णय निर्माता को अधिक प्रभावी निर्णय लेने में मदद करने के लिए किया जा सकता है

  • नए कानूनों और नीतियों के विकास के लिए।
  • सार्वजनिक सेवाओं के प्रावधान के लिए।
  • आपातकालीन स्थितियों में निर्णय लेने के लिए।

प्रश्न 5 लोकनीति से आप क्या समझते हैं? लोकनीति के निर्माण में कार्यपालिका की भूमिका स्पष्ट कीजिए।

लोकनीति से मेरा तात्पर्य सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली नीतियों से है। लोकनीति का उद्देश्य सार्वजनिक हित में कार्य करना और लोगों के जीवन को बेहतर बनाना है। लोकनीति का निर्माण सरकार के तीन अंगों, अर्थात् कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका द्वारा किया जाता है।

कार्यपालिका लोकनीति के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कार्यपालिका में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिपरिषद और अन्य सरकारी अधिकारी शामिल होते हैं।

  • कानूनों और नीतियों का प्रस्ताव करना: कार्यपालिका नए कानूनों और नीतियों का प्रस्ताव करती है, जिन्हें बाद में विधायिका द्वारा पारित किया जाता है।
  • कानूनों और नीतियों को लागू करना: कार्यपालिका कानूनों और नीतियों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है।
  • नीतिगत निर्णय लेना: कार्यपालिका को अक्सर नीतिगत निर्णय लेने की आवश्यकता होती है, जो कानूनों और नीतियों के दायरे में आते हैं।

कार्यपालिका लोकनीति के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि यह सरकार का कार्यकारी अंग है। कार्यपालिका के पास कानूनों और नीतियों को लागू करने और नीतिगत निर्णय लेने की शक्ति होती है।

  • भारत में, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद नए कानूनों और नीतियों का प्रस्ताव करते हैं।
  • भारत में, कार्यपालिका सामाजिक कल्याण नीतियों, आर्थिक विकास नीतियों और विदेश नीति नीतियों को लागू करने के लिए जिम्मेदार है।
  • भारत में, कार्यपालिका को अक्सर आपातकालीन स्थितियों में नीतिगत निर्णय लेने की आवश्यकता होती है।

कार्यपालिका लोकनीति के निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कार्यपालिका के पास कानूनों और नीतियों को लागू करने और नीतिगत निर्णय लेने की शक्ति होती है। कार्यपालिका की लोकनीति के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका एक लोकतांत्रिक सरकार के लिए आवश्यक है।

 

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