Tuesday, May 7, 2024
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18 या 19 जनवरी को अजमेर शरीफ का ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स होगा। Ajmer Sharif Ka Urs Kab Hoga 2024

18 या 19 जनवरी को अजमेर शरीफ का ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स होगा। Ajmer Sharif Ka Urs Kab Hoga 2024- ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स हर साल 7 रबी अल-अव्वल (हिजरी कैलेंडर का तीसरा महीना) को मनाया जाता है। 2024 में, 7 रबी अल-अव्वल 18 जनवरी को है। इसलिए, अजमेर शरीफ का ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स 18 जनवरी को होगा।

यह उर्स एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, जिसे दुनिया भर से लाखों लोग आते हैं। इस अवसर पर दरगाह में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें कव्वाली, नातिया, और सूफी संगीत शामिल हैं। इसके अलावा, दरगाह पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो ख्वाजा गरीब नवाज की मजार पर माथा टेकते हैं और उनके अभिवादन मांगते हैं।

अजमेर शरीफ का ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स कब है 2024

18 या 19 जनवरी को अजमेर शरीफ का ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स होगा। Ajmer Sharif Ka Urs Kab Hoga 2024- अजमेर शरीफ का ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स होगा। यह उर्स हर साल 12 या 13 जनवरी को मनाया जाता है। इस साल, 13 जनवरी को चांद दिखने की संभावना है, इसलिए उर्स 13 जनवरी को मनाया जाएगा।

उर्स की शुरुआत 8 जनवरी को झंडा चढ़ाने से होगी। इसके बाद, 12 या 13 जनवरी को जन्नती दरवाजा खोल दिया जाएगा और उर्स की धार्मिक रस्में शुरू हो जाएंगी। उर्स के दौरान, दरगाह पर लाखों जायरीन आते हैं और ख्वाजा गरीब नवाज की मजार पर माथा टेकते हैं।

इस साल, उर्स को लेकर काफी उत्साह है। दरगाह प्रशासन ने उर्स को भव्य तरीके से मनाने की तैयारी कर ली है। सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए हैं।

ख्वाजा गरीब नवाज का 2024 में उर्स कब मनाया जाएगा 

18 या 19 जनवरी को अजमेर शरीफ का ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स होगा।/ajmer sharif ka urs kab hoga 2024

ख्वाजा गरीब नवाज का 2024 में उर्स 13 जनवरी को मनाया जाएगा। यह उर्स हर साल 12 या 13 जनवरी को मनाया जाता है। इस साल, 13 जनवरी को चांद दिखने की संभावना है, इसलिए उर्स 13 जनवरी को मनाया जाएगा। 2024 में ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स कब है 

दिनांक कार्यक्रम
8 जनवरी झंडा चढ़ाना
12 या 13 जनवरी जन्नती दरवाजा खोलना
12 या 13 जनवरी चादर चढ़ाना
12 या 13 जनवरी मेला शुरू होना
12 या 13 जनवरी धार्मिक रस्में शुरू होना
14 जनवरी उर्स का समाप्ति

 

ख्वाजा गरीब नवाज फोटो

18 या 19 जनवरी को अजमेर शरीफ का ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स होगा।/ajmer sharif ka urs kab hoga 2024Ajmer Urs 2024: ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह पर चढ़ा 812वें उर्स का झंडा

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अजमेर शरीफ ख्वाजा गरीब नवाज कव्वाली

अजमेर शरीफ ख्वाजा गरीब नवाज की कव्वाली एक बहुत ही लोकप्रिय कव्वाली है। यह कव्वाली ख्वाजा गरीब नवाज की शान में गाई जाती है। यह कव्वाली आमतौर पर उर्स के दौरान गाई जाती है।

ख्वाजा गरीब नवाज का दिलचस्व वाक्या

ख्वाजा गरीब नवाज का एक दिलचस्प वाक्या है, “माँ के पैरों में जन्नत है।” यह वाक्य इस बात को दर्शाता है कि माँ का स्थान हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण है। माँ हमें जीवन देती है, हमें पालती-पोसती है, और हमें सही मार्गदर्शन करती है। इसलिए, हमें हमेशा अपनी माँ का सम्मान करना चाहिए और उनकी सेवा करनी चाहिए।

यह वाक्य इस बात को भी दर्शाता है कि माँ का प्रेम बहुत शुद्ध और पवित्र होता है। माँ का प्रेम हमें हमेशा सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करता है। इसलिए, हमें अपनी माँ की बातों को हमेशा ध्यान से सुनना चाहिए और उनका पालन करना चाहिए।

ख्वाजा गरीब नवाज के इस वाक्य से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपनी माँ का हमेशा सम्मान करना चाहिए और उनकी सेवा करनी चाहिए। माँ का प्रेम हमारे जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

अजमेर शरीफ दरगाह क्यों प्रसिद्ध है?

अजमेर शरीफ दरगाह भारत के राजस्थान राज्य के अजमेर शहर में स्थित एक सूफी दरगाह है। यह दरगाह ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की समाधि है, जिन्हें “ख्वाजा गरीब नवाज” के नाम से भी जाना जाता है। ख्वाजा गरीब नवाज एक प्रसिद्ध सूफी संत थे और उनका अनुसरण दुनिया भर में लाखों लोगों द्वारा किया जाता है।

अजमेर शरीफ दरगाह की प्रसिद्धि के कई कारण हैं। सबसे पहले, यह दरगाह एक पवित्र स्थल है जो दुनिया भर के मुस्लिम श्रद्धालुओं के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। हर साल लाखों लोग अजमेर शरीफ दरगाह की यात्रा करते हैं और ख्वाजा गरीब नवाज की समाधि पर माथा टेकते हैं।

दूसरे, अजमेर शरीफ दरगाह अपनी स्थापत्य और कलात्मक विशेषताओं के लिए भी प्रसिद्ध है। दरगाह का निर्माण 13वीं शताब्दी में हुआ था और यह एक सुंदर और भव्य इमारत है। दरगाह के अंदर ख्वाजा गरीब नवाज की समाधि एक सोने के गुंबद के नीचे स्थित है।

तीसरे, अजमेर शरीफ दरगाह एक शांति और सद्भाव का प्रतीक है। यह दरगाह सभी धर्मों के लोगों के लिए एक खुला स्थान है। यहां हर साल हिंदू, मुस्लिम, सिख और अन्य धर्मों के लोग एक साथ आते हैं और ख्वाजा गरीब नवाज की समाधि पर माथा टेकते हैं।

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