Tuesday, April 30, 2024
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हज़रत मुहम्मद का आखिरी ख़ुत्बा- Hazrat Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam Ka Akhri Khutba In Hindi

हज़रत मुहम्मद का आखिरी ख़ुत्बा- अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाहि वबरकातुह जब भी हमारे नबी का जिक्र होता है वही हमारी आँखे नम हो जाती है क्योकि हुजूर की कई बाते इंसान को अच्छा बनाने में मदद करती है तो क्या आप भी हमारे नबी मुहम्मद सल्लाहुअलैहिवसल्लम दी गयी तालीम से खुश है और जैसा की आप जानते है की हमारे नबी ने मक़्क़ा में कुरान की तिलावत की लोगो को क़ुरान पढ़ने व समझने की तौफीक अता फरमायी हज़रत मुहम्मद का आखिरी ख़ुत्बा- 




 

और बात की जाये हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का आखिरी ख़ुत्बा, जिसे हज्जतुल विदा के नाम जानते है, इस्लाम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। यह 9 मार्च 632 ईस्वी (10 हजरत) को मक्का में हज के दौरान दिया गया था

हज़रत मुहम्मद का आखिरी ख़ुत्बा

 हज़रत मुहम्मद का आखिरी ख़ुत्बा- हज्जतुल विदा का अर्थ है “विदाई का हज”। यह हज्ज 9 मार्च 632 ईस्वी को हुआ था, जो पैगंबर मुहम्मद (ﷺ) का अंतिम हज था। इस हज के दौरान, उन्होंने अराफात के मैदान में एक ऐतिहासिक भाषण दिया, जिसे खुतबा-ए-हज्जतुल विदा के नाम से जाना जाता है।

मैदान अराफात मक्का में 10 हिजरी को मुहम्मद सल्लाहूअलेहिवस्सलम ने हज का आखरी खुत्बा दिया था उस दौरान काफी अहम संदेश दिए थे

1. ऐ लोगो सुनो, मुझे नही लगता की में अगले साल मैं तुम्हारे दरमियान मौजूद होगा , मेरी बातों को बहुत गौर से सुनो, और इनको उन लोगों तक पहुंचाओ जो यहां नही पहुंच सके।

2. ऐ लोगों जिस तरह ये आज का दिन ये महीना और ये जगह इज़्ज़त ओ हुरमत वाले हैं, बिल्कुल उसी तरह दूसरे मुसलमानो की ज़िंदगी, इज़्ज़त और माल हुरमत वाले हैं। ( तुम उसको छेड़ नही सकते )

3. लोगों के माल और अमानतें उनको वापस कर दो।
4. किसी को तंग न करो, किसी का नुकसान न करो, ताकि उस समय तुम भी महफूज़ रहो।

5. याद रखो, तुम्हे अल्लाह से मिलना है, और अल्लाह तुम से तुम्हारे आमाल के बारे में सवाल करेगा।

6. अल्लाह ने सूद(ब्याज) को खत्म कर दिया, इसलिए आज से सारा सूद खत्म कर दो। (सभी को माफ कर दो )

7. तुम औरतों पर हक़ रखते हो, और वो तुम पर हक़ रखती है, जब वो अपने हुक़ूक़ पूरे कर रही हैं तो तुम भी उनकी सारी ज़िम्मेदारियाँ पूरी करो।
8. औरतों के बारे में नरमी से बात करो और अच्छा रवय्या अख्तियार करो, क्योंकि वो तुम्हारी शराकत दार और बेलौस खिदमत गुज़ार रहती हैं।

9. कभी ज़िना यानि गैरकानूनी के करीब भी मत जाना




10. ऐ लोगों मेरी बात ग़ौर से सुनो, सिर्फ अल्लाह की इबादत करो, 5 फ़र्ज़ नमाज़ें पूरी रखो, रमज़ान के रोज़े रखो, और ज़कात अदा करते रहो, अगर इस्तेताअत हो तो हज करो।

11. हर मुसलमान दूसरे मुसलमान का भाई है। तुम सब अल्लाह की नज़र में बराबर हो। बरतरी सिर्फ तक़वे की वजह से है।

12. याद रखो ! तुम सब को एक दिन अल्लाह के सामने अपने आमाल की जवाबदेही के लिए हाज़िर होना है, खबरदार रहो ! मेरे बाद गुमराह न हो जाना।

13.याद रखना ! मेरे बाद कोई नबी नही आने वाला, न कोई नया दीन लाया जाएगा, मेरी बातें अच्छी तरह समझ लो।

14. मैं तुम्हारे लिए दो चीजें छोड़ के जा रहा हूँ, क़ुरआन और मेरी सुन्नत, अगर तुमने उनकी पैरवी की तो कभी गुमराह नही होंगे।

15. सुनो तुम लोग जो मौजूद हो, इस बात को अगले लोगों तक पहुंचाना, और वो फिर अगले लोगों तक पहुंचाए और ये मुमकिन है के बाद वाले मेरी बात को पहले वालों से ज़्यादा बेहतर समझ और अमल कर सके। फिर आपने आसमान की तरफ चेहरा उठाया और कहा ऐ अल्लाह मेरा गवाह रहना, मैंने तेरा पैग़ाम तेरे बंदों तक पहुंचा दिया। हम पर भी फ़र्ज़ है इस पैगाम को सुने,समझे, अमल करें। हज़रत मुहम्मद का आखिरी ख़ुत्बा

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