Saturday, April 27, 2024
Homeएजुकेशनपैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (Prophet Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam)

पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (Prophet Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam)

पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (Prophet Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam)- हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) इस्लाम धर्म के प्रमुख पैगंबर थे और उन्हें मुस्लिम समुदाय का प्रेरणास्त्रोत माना जाता है। वे मक्का में 570 ईसा पूर्व में पैदा हुए थे और मदीना में 632 ईसा पूर्व में उनका निधन हुआ।


हज़रत मुहम्मद के जीवन के प्रमुख पहलु

पैगंबरी: हज़रत मुहम्मद ने अपने जीवन में खुदा की वाही को प्राप्त किया और उन्हें मुस्लिम समुदाय के बीच का संदेश देने के लिए एक पैगंबर के रूप में चुना गया। उनके द्वारा प्राप्त वाही को कुरान में संग्रहित किया गया है।

मक्का और मदीना में जीवन: हज़रत मुहम्मद ने मक्का में अपने पैगंबरी कार्यकाल की शुरुआत की, जहाँ उन्होंने अपने संदेश को प्रसारित किया और मुस्लिम समुदाय को उनके आदर्शों और विचारों का पालन करने की सलाह दी। बाद में उन्होंने मक्का से मदीना हिज्रा की यात्रा की, जहाँ उन्होंने एक समुदाय का नेतृत्व किया और उनके साथियों के साथ एक समृद्धि और सहयोगपूर्ण समुदाय बनाया।

Surah Yaseen Shareef In Hindi सूरह यासीन इन हिंदी

पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम – हज़रत मुहम्मद ने समाज में अनेक सुधार किए और उन्होंने महिलाओं, गरीबों और असहाय वर्गों के अधिकारों की संरक्षण की दिशा में कई कदम उठाए। हज़रत मुहम्मद ने अपने जीवन में अपने अनुयायियों को धार्मिक और नैतिक शिक्षा देने का काम किया। उनके उपदेशों में सद्गुणों की महत्वपूर्ण बातें शामिल थीं। हज़रत मुहम्मद की शिक्षाओं में नैतिकता, करितास (दया) और सहानुभूति के महत्व को बड़े महत्वपूर्ण रूप से दिया गया था।














हज़रत मुहम्मद की शिक्षाओं और जीवनशैली को मुस्लिम समुदाय का आदर्श माना जाता है। उनकी शिक्षाओं का पालन करने के लिए मुस्लिम लोगों ने उन्हें प्रेरणास्त्रोत माना है।

मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इतिहास

जन्म और बचपन: हज़रत मुहम्मद 570 ईसा पूर्व में मक्का में पैदा हुए थे। उनका पिता अब्दुल्लाह था और माता आमिना थी। उनके जन्म के समय ही वे अनथ थे, और उन्हें दादी अमीना ने पालना किया।

पैगंबरी की शुरुआत: हज़रत मुहम्मद ने अपने 40 वर्ष की आयु में हिरासत में अल्लाह की वाही प्राप्त की। इसके बाद, वे मुस्लिम समुदाय के बीच का पैगंबर बने और उन्होंने तौहीद (एकता अल्लाह की) का संदेश प्रसारित किया।

मक्का में आपत्तियाँ: हज़रत मुहम्मद के संदेश को सुनकर मक्का की सामाजिक और राजनीतिक प्रतिष्ठा को खतरा महसूस हुआ। वे और उनके अनुयायियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा, जैसे कि आपत्तियाँ, बहिष्कार, आत्मरक्षा और आरामपूर्ति की समस्याएँ।

हिज्रा और मदीना: 622 ईसा पूर्व में, हज़रत मुहम्मद और उनके अनुयायियों को मक्का से मदीना जाने का निर्णय लेना पड़ा, जो इस्लाम के इतिहास में ‘हिज्रा’ के नाम से जाना जाता है। मदीना में वे एक समुदाय के नेता बने और एक सामाजिक-राजनीतिक संरचना स्थापित की।

मदीना में, हज़रत मुहम्मद ने एक सामाजिक संरचना की स्थापना की, जो आपसी सहमति, शांति, और सदयता पर आधारित थी। उन्होंने अनेक समझौतों, संधियों और समझौतों के माध्यम से समुदाय के भिन्न-भिन्न समूहों को एक साथ लाने का प्रयास किया। 630 ईसा पूर्व में, हज़रत मुहम्मद ने मक्का की तरफ अपने सेना के साथ एक महत्वपूर्ण अभियान किया, जिसे “खण्डकाव्य” कहा जाता है। उन्होंने मक्का पर विजय प्राप्त की और काबा मस्जिद में इबादत की अनुमति दी।

आख़िरी दिन: 632 ईसा पूर्व में, हज़रत मुहम्मद का निधन हुआ। उनके आख़िरी दिनों में वे अपने अनुयायियों को महत्वपूर्ण उपदेश दिए और उनके सफल जीवन का संक्षिप्त समापन किया।`

मोहम्मद पैगंबर की मौत कैसे हुई

पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (Prophet Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam) हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की मौत, 632 ईसा पूर्व में हुई थी। हज़रत मुहम्मद की मौत के वक्त, वे मदीना में थे और उनकी स्वास्थ्य स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ रही थी। उनके आख़िरी दिनों में, उन्होंने अपने अनुयायियों को अपने उपदेशों और मार्गदर्शन के लिए संबोधित किया।

उनकी मौत के बाद, उनके अनुयायियों ने उनकी जनाज़ा की तैयारी की और उन्हें दफ़्न कर दिया गया। वे मदीना में ही दफ़्न किए गए और उनके मक़बरे का स्थान उनके घर के पास है, जिसे “मस्जिद नबवी” के आसपास स्थित है। हज़रत मुहम्मद की मौत उनके विचारों, उपदेशों और आदर्शों का एक संगीत है, जो मुस्लिम समुदाय के लिए आदरणीय है। उनकी मौत के बाद, इस्लाम धर्म की विकास और प्रसारण का काम उनके अनुयायियों ने जारी रखा और उनके द्वारा दिए गए आदर्शों का पालन किया।

हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम उर्दू में

صَلَّىٰ ٱللَّٰهُ عَلَيْہِ وَآلِہِ وَسَلَّمَ


حضرت محمد (صلی اللہ علیہ وسلم) دین اسلام کے مرکزی پیغمبر تھے اور انہیں امت مسلمہ کا الہام سمجھا جاتا ہے۔

“حضرت محمد صلی اللہ علیہ وسلم” ایک عام عربی لفظ ہے جس کا مطلب ہے “السلام علیکم و رحمۃ اللہ و برکاتہ”۔ یہ ان کی بھلائی، برکت اور محبت کی خواہش کرنے کے لیے استعمال ہوتا ہے۔ یہ ایک روایتی عربی جملہ ہے جو مسلم کمیونٹی میں پیغمبر اسلام کی تعظیم کے لیے استعمال ہوتا ہے۔

मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का बुक्स

  • अल्लाह के पैगंबर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम
  • Muslim Samaj Aur Shiksha
  • इस्लाम दर्शन 
  • इस्लाम एक परिचय व सम्प्रदाय
  • विश्व के प्रमुख धर्म, मत व सम्प्रदाय
  • बाबरनामा

Q:- सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का अर्थ

सलामती की दुआ है

Q:- पैगंबर मुहम्मद की पहली बेटी कौन है?



आज अपने क्या सीखा

पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (Prophet Muhammad Sallallahu Alaihi Wasallam)  उम्मीद करती हूँ आपको हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बारे, में जानकारी मिल चुकी होगी और जान भी चुके होंगे यदि आप इस ही इस्लाम या अन्य धर्म की जानकारी जानना चाहते है तो आप हमें सपोर्ट करे और जिससे हमारे बनाये गए पोस्ट आप तक आसानी से पहुंच जाये

 

 

RELATED ARTICLES
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Most Popular