Friday, April 26, 2024
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Article 35A क्या है और इसे क्यूँ हटाया गया?

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Article 35A क्या है और इसे क्यूँ हटाया गया?

  • आर्टिकल 35A क्या है? पुरे भारतवर्ष में Article 35A को लेकर बड़ा बवाल खड़ा हुआ था। इस bill को बदलने या उसे पूरी तरह से हटाने के ऊपर दोनों ही सदनों में काफी सवाल जबाव भी हुए। . वहीँ August 5 2019 को औपचारिक तोर पर धारा 35A को पूरी तरह से हटा दिया गया हमारे संविधान से. वहीँ इस bill को पास करने में सभी राजनेताओं का काफी बड़ा हाथ रहा जिन्होंने की इसे पास करने में अपनी होश्यारी  दिखाई ।
  •  आर्टिकल 35A केवल भारतीय संविधान ही नहीं बल्कि कश्मीर की जनता के साथ भी सबसे बड़ा धोखा है. वहीँ कुछ इस बात पर अपना कोई दूसरा मत भी रख सकते हैं। की एक समय के लिए यह धारा 35A कश्मीर क्या है भी अपने जगह में ठीक था तभी इसे लाया गया था। लेकिन इसकी उपयोगिता ख़त्म हो जाने के बाद इसे दुबारा से हटा देना चाहिए थ।  आज तक कभी भी नहीं हुआ था।
  • सभी को Article 35A के बारे में जानना था, जिसके लिए हमें बहुत से messages और email आ रहे थे।  हमने सोचा की क्यूँ न आप लोगों को Article 35A क्या होता है और इसे क्यूँ हटाया गया। आज हम इस article में जानेंगे। जो आप के मन में शंका है।

धारा 35A क्या है (What is Article 35A in Hindi)

  • Article 35A जम्मू कश्मीर को एक विशेष राज्य होने का दर्जा प्रदान करता है. धारा 35A या Article 35A एक ऐसा प्रावधान है जिसे की संविधान में बाद में प्रवृष्ट किया गया. इसके तहत ये जम्मू-कश्मीर की विधानसभा को यह खुला अधिकार प्रदान करता है कि वह यह तय  करे कि राज्य के रहने वाले लोग कौन हैं और उन्हें क्या अलग अधिकार (special rights)  दिए गए है ये वो खुद ही पहचान कर सकते हैं।
  • यदि हम उन रजियो की बात करें जहाँ पर ये अधिकार और विशेषाधिकार लागु होते हैं वो हैं सब जगहा की नौकरियाँ, राज्य में धन राशि को बढ़ावा देना ,छात्रों को बढ़ावा देना , सब जगह अन्न  सहायताओं और कल्याण कार्यक्रमों का लाभ उठाना।
  •  सभी अधिकारों का लाभ केवल इस राज्य का स्थायी निवासी ही ले सकता है. चूँकि पहले ही इस article में ये प्रावधान है विधानसभा के साथ किसी भी कार्रवाई को संविधान अथवा देश के किसी भी कानून को नहीं मानता  तो सच में बड़ा ही बेकार है ये Article 35A जो की इन्हें इतनी ज्यादा power देता है।

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आर्टिकल 35A की जानकारी हिंदी में

 article 35A के उन सभी जरूरी  बातों के ऊपर ध्यान करते हैं।

  •  जम्मू-कश्मीर का असल में रहने कौन है। वो व्यक्ति है। जो 14 मई 1954 से राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो, वहीँ इसके साथ ही उसने वहां किसी भी तरह की संपत्ति हासिल की हो।
  • . इसके अलावा भारत के किसी अन्य राज्य का निवासी जम्मू और कश्मीर का स्थायी निवासी नहीं बन सकता है. इसी कारणवस यहाँ इनके चुनाव में दूसरा कोई यहाँ पर वोट नहीं डाल सकता है।
  • . यहाँ के स्थायी निवासी ही राज्य में जमीन खरीद एवं बेच सकते हैं. राज्य किसी गैरकश्मीरी व्यक्ति को कश्मीर में जमीन खरीदने की permission नहीं देता
  • . सादी करने पर भी काफी नियम है यहाँ पर. जैसे अगर जम्मू और कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर राज्य के लड़के से शादी कर लेती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं, वहीँ उसके साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं. मतलब की उन्हें अपने राज्य के किसी लड़के के साथ ही विवाह करना जरूरी है नहीं तो उसकी नागरिकता चली जाएगी।
  • लेकिन वहीँ यदि वो लड़की पाकिस्तान के किसी लड़के के साथ सादी करती है तब उसके सोहर को भारतीय नागरिकता अपने आप ही मिल जाती है वहीँ ऐसे में लड़की की नागरिकता में कोई बदलाव नहीं आता है।
  • यदि राज्य सरकार यहाँ पर किसी कानून को अपने हिसाब से बदलती है तो उसे किसी भी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती है।

 इस अनुच्छेद के तहत राज्य में धारा 356 लागु नहीं की जा सकती है।

  •  यहाँ पर कोई भी बाहर का व्यक्ति आकार अपना संस्था यहाँ नहीं खोल नहीं सकता है. यही कारण है की आजतक भी जम्मू और कश्मीर में काफी उन्नति नहीं हुई है।
  •  इस article 35a के तहत सभी राज्यवासी के पास दोहरी नागरिकता उपलब्ध है. वहीँ उनका खुद का भी एक राष्ट्रीय ध्वज मेह्जुद हैं।
  •  पुरे देश में चाहे तो आपातकालीन स्तिथि हो लेकिन यह आपातकालीन स्तिथि यहाँ पर लागु नहीं की जा सकती है।
  • Supreme Court (उच्चतम न्यायालय) द्वारा घोषित कोई भी नियम जम्मू कश्मीर पर लागु नहीं होती है।
  • . यहाँ के राज्यवासियों के द्वारा किया गया को भी अपमान राष्ट्रीय चिन्हों के प्रति को अपराध नहीं माना जायेगा।
  • Article 35A को कब लागु किया गया और किसके साथ ?
क्या है अनुच्छेद 35A – Article 35A की परिभाषा हिंदी में

यह जम्मू-कश्मीर की विधान सभा को स्थाई नागरिक की परिभाषा तय करने का अधिकार देती है  इस  राज्य को  14 मई 1954 को लागू किया गया था. यह संविधान की किताबों में देखने को नहीं मिलता है क्यूंकि इसे बिना किसी सदन में पारित किये ही, केवल राष्ट्रपति के ही हस्ताक्ष्यर के पारित किया गया था।

धारा 35A  को लागू करने के लिए तत्कालीन सरकार ने धारा 370 के अंदर  मिली शक्ति का इस्तेमाल किया था।

आर्टिकल 35A इतना ज्यादा विवादित क्यूँ था?
  • . यह धारा राज्य के अस्थायी नागरिकों से एक अलग ही प्रकार से व्यवहार करती थी।
  •  इस धारा के कारण ही राज्य के अस्थायी निवासी किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं ले सकते थे।
  • . अस्थायी नागरिकों के बच्चों को छात्रवृत्ति (scholarship) नहीं मिलती थी वहीँ इसके लिए वो किसी भी न्यायालय की शरण भी नहीं ले सकते थे।
  • अस्थायी नागरिकों को वहां पर सरकारी नौकरियाँ करने पर रोक था वहीँ उनकी वेतन भी राज्य सरकार ही निर्धारित करती थी।
  • . वहीँ सुप्रीम कोर्ट की कोई भी नियम यहाँ पर लागु नहीं की जा सकती थी।
  •  ये शरणार्थी सरकारी नौकरी हासिल नहीं कर सकते, किसी सरकारी शिक्षण संस्थान में दाख़िला नहीं हो सकते हैं, वहीँ इन्हें किसी भी प्रकार के चुनाव में वोटिंग राइट प्रदान नहीं किया जाता था।
  • धारा 35A भारत की एकात्मता की भवाना के ही प्रतिकूल था क्योंकि इससे भारतीय नागरिकों के अंदर वर्ग के भीतर वर्ग (class within a class) का निर्माण होता था।
  • इन नियम के कारण ही आम जनता को बहुत तकलीफ उठानी पड़ती थी. इन सबसे ज्यादा फायेदा यहाँ की सियासी लोगों को ही मिलता था वंहा आम जनता इन सबसे अलग ही रह जाती थी।

संविधान में धारा 35A की प्रवृष्टि कैसे हुई?

 संविधान में धारा 35A को शामिल कैसे किया गया था।

  • यह आदेश 1952 में हुए नेहरू और जम्मू-कश्मीर के वजीरे आजम शेख अब्दुल्ला के बीच हुए दिल्ली समझौते पर आधारित था. दिल्ली समझौते के द्वारा जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को भारतीय नागरिक करार कर दिया गया था।
  •  राष्ट्रपति के द्वारा दिया गया आदेश संविधान की धारा 370 (1) (d) के तहत निर्गत हुआ था. ज्ञातव्य है कि यह धारा राष्ट्रपति को यह अधिकार देती है कि वह जम्मू-कश्मीर की प्रजा के लाभ के लिए संविधान में कतिपय अपवाद और सुधार कर सकती है. जो की कल (5 august 2019) में किया गया।
  • . धारा 35A संविधान में 1954 में केन्द्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर तत्कालीन राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद के आदेश से प्रविष्ट की गई थी.
  • यह आदेश संविधान (जम्मू-कश्मीर में लागू करना) आदेश, 1954 कहलाया।

जम्मू-कश्मीर का नागरिक कौन है?

जम्मू कश्मीर का अपना संविधान है।  जो 1956 में बना था।  उस संविधान में यह उल्लिखित है कि जम्मू कश्मीर का नागरिक वही है जो

  • i) 14 मई 1954 को जम्मू कश्मीर का नागरिक रहा हो या
  • ii) उससे पहले के 10 साल से वह सम्पत्ति हासिल करके J&K में रह रहा हो।

नागरिक होने के फायदे

जो नागरिक हैं, उनको सरकार –

  • राज्य में जायदाद खरीदने का अधिकार दे सकती है.
  • छात्रवृत्ति और अन्य कल्याणकारी लाभ दे सकती है.
  • सरकारी नौकरी में विशेष अधिकार दे सकती है.
  • नागरिक नहीं होने के नुक्सान
  • राज्य में अपनी सम्पत्ति नहीं खरीद सकते.
  • सरकारी नौकरी नहीं पा सकते.
  • चुनाव में खड़े नहीं हो सकते.
  • विधान सभा में वोट नहीं दे सकते.
Article 35A को कब किया गया खत्म?

5 अगस्त 2019 सोमवार के दिन धारा 35A (Article 35A) को लेकर मोदी सरकार ने बहुत बड़ा फैसला लिया. जिसके तहत मोदी सरकार ने 35a को पूरी तरह से खत्म करने का फैसला लिया। इस फैसले के साथ जम्मू कश्मीर पर कोई भी अलग कानून लागू नही किया जायेगा।

 35A को लेकर हुआ बड़ा फैसला।

जो कानून भारत में लागू किया जाता है ठीक वही क़ानून जम्मू-कश्मीर में भी लागू किया जाएगा। इसे अब और एक special राज्य होने की शक्ति नहीं दी जाएगी जो की पहले दी गयी थी।

इसके परिणाम स्वरुप नीचे बताये गए बदलाव देखने को मिलेंगे.

  • किसी भी राष्ट्रीय चिन्ह का अपमान को कानून की श्रेणी में लाया जाएगा।

अब यहाँ पर इनका खुद का ध्वज को हटाया जा चूका है और केवल तिरंगा ही एकमात्र ध्वज है सभी के लिए।

  • इतना ही नहीं अब कोई भी जम्मू एंड कश्मीर की किसी लड़की से शादी भी कर सकते हैं. वहीँ यहाँ की लड़कियां भी किसी भी दुसरे राज्य के लड़के के साथ सादी कर सकती हैं।
  • अब कोई भी भारतीय जम्मू कश्मीर में जमीन खरीद और बेच सकता है।
  • इस article के ख़त्म होने से कश्मीर के लिए विशेष दर्जा समाप्त हो जाता है, जो 1947 में भारत मे विवादों के चलते लाया गया था।
  • इतना ही नहीं बल्कि यहाँ पर अधिक उद्योग की सम्भावनाये बनेंगी, अधिक निजी शिक्षण संस्थान बनाये जा सकते है, अधिक नौकरियां होंगी जिससे अधिक राजस्व भी उतपन्न होगा।
  • अब जम्मू-कश्मीर में अधिक निवेश किया जा सकता है. जिससे यहाँ पर रोजगार बढ़ेगी वहीँ इस जगह की उन्नति भी होगी।
  • . अब जम्मू कश्मीर एक राज्य नहीं रहेगा, बल्कि इसे दो हिस्सों में बाँट दिया गया है. अब लद्दाख को जम्मू कश्मीर से अलग कर दिया गया है. अब लद्दाख को एक अलग विधानसभा के रूप में घोषित कर दिया गया है।
  • ये जगह अब केवल राष्ट्रपति शासन से सीमित नही रहेगा बल्कि प्रधानमंत्री शासन भी यहाँ पर लागू किया जाएगा.
  • सच में पिछले 72 सालों से जिसे किसी भी सरकार ने आज तक नहीं कर पाई थी वहीँ उसे आज मोदी सरकार ने कर दिखाया जो इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में किया लिखा जायेगा।
  •  इस सार के हटने से फिर एक बेहद ही खूबसूरत टुकड़ा जो की देश से अलग था आज वो फिर से भारत से जुड़ गया है।
  • इस सार के हटने से  ही भारत देश के नागरिकों के बीच हर्सौलास का माहौल बना हुआ है. इतनी ही नहीं जम्मू-कश्मीर के लोगों को भी इस फैसले से बहुत बड़ी राहत मिली है।
  •  पहले वो दबी हुई जिंदगी जीते थे वो अब पूरी तरह से स्वतंत्र हो गए हैं।  साथ में वो भी अन्य राज्यवासियों के तरह ही सभी मौलिक अधिकारों का फायेदा उठा सकते हैं. जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के लिए ये सही माईने में आजादी है जिसे उन्होंने 5 August 2019 को पूरे रूप से पाई है।

 

 

तो दोस्तों आप के उम्मीद करते है की आप को ये पोस्ट Article 35A क्या है और इसे क्यूँ हटाया गया? जरूर पसंद आया होगा इस पोस्ट पेमेंट गेटवे क्या है? को पढ़ने के बाद आप कोArticle 35A क्या है और इसे क्यूँ हटाया गया?के बारे में पूरी जानकारी हो गई होगी

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