Ayodhya Ram Mandir Ki Murti Kisne Banai: अयोध्या राम मंदिर की मूर्ति का निर्माण श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा कराया गया था। मूर्ति का निर्माण कर्नाटक के मैसूर के रहने वाले मूर्तिकार अरुण योगीराज ने किया था। मूर्ति का वजन 35 टन है और यह 15 फुट ऊंची है। मूर्ति में भगवान राम को 5 साल के बाल रूप में दिखाया गया है। मूर्ति को सफेद संगमरमर से बनाया गया है।
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जटायु की मूर्ति
Ayodhya Ram Mandir Ki Murti Kisne Banai: अयोध्या राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति के अलावा, जटायु की एक विशाल मूर्ति भी है। जटायु की मूर्ति का निर्माण राजस्थान के भीलवाड़ा के रहने वाले मूर्तिकार राम वंजी सुतार ने किया था। मूर्ति का वजन 150 टन है और यह 20 फुट ऊंची है। मूर्ति में जटायु को भगवान राम की रक्षा करते हुए दिखाया गया है। मूर्ति को काले पत्थर से बनाया गया है।
Ayodhya Ram Mandir Ki Murti Kisne Banai
राम वंजी सुतार:- राम वंजी सुतार राजस्थान के भीलवाड़ा के रहने वाले एक प्रसिद्ध मूर्तिकार हैं। उन्होंने अपनी कला में जटायु की मूर्ति को एक अद्वितीय स्थान दिया है। उन्होंने कई अन्य मूर्तियों का भी निर्माण किया है, जिनमें भगवान शिव, भगवान कृष्ण, और देवी दुर्गा शामिल हैं।
रामलला की मूर्ति कैसी है और किसने बनाई?
अरुण योगीराज एक भारतीय मूर्तिकार हैं, जो कर्नाटक के मैसूर शहर के रहने वाले हैं। वह पांच पीढ़ियों से चली आ रही मूर्तिकार परिवार से आते हैं। उनके पिता योगीराज शिल्पी और दादा बसवन्ना शिल्पी भी प्रसिद्ध मूर्तिकार थे।
- सुभाष चंद्र बोस की 30 फीट की प्रतिमा, जो नई दिल्ली में इंडिया गेट पर स्थित है।
- भगवान आदि शंकराचार्य की 12 फीट की प्रतिमा, जो केदारनाथ में स्थित है।
- भगवान हनुमान की 21 फीट की प्रतिमा, जो मैसूर में स्थित है।
अरुण योगीराज ने अयोध्या में श्रीराम मंदिर के लिए भी भगवान राम की 51 इंच की मूर्ति का निर्माण किया है। यह मूर्ति अयोध्या राम मंदिर के गर्भगृह में स्थापित है।
Ayodhya Ram Mandir Ki Murti Kisne Banai: अरुण योगीराज की मूर्तियां उनकी बारीक कारीगरी और सुंदरता के लिए जानी जाती हैं। उन्हें भारत और विदेशों में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। अरुण योगीराज को भारतीय मूर्तिकला के क्षेत्र में एक उभरते हुए सितारे के रूप में देखा जाता है।
राम मंदिर मूर्ति क्यों है श्री राम की मूर्ति का रंग काला?
राम मंदिर में स्थापित श्री राम की मूर्ति का रंग काला है। इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं। पहला कारण यह है कि जिस पत्थर से मूर्ति का निर्माण किया गया है, वह काले रंग का है। इस पत्थर का नाम “श्याम शिला” या “कृष्ण शिला” है। यह पत्थर बहुत कठोर और टिकाऊ होता है। यह हजारों साल तक खराब नहीं होता है।
दूसरा कारण यह है कि वाल्मीकि रामायण में भगवान राम का वर्णन “श्याम वर्ण” के रूप में किया गया है। इसलिए, यह माना जाता है कि भगवान राम का वास्तविक रंग भी काला होगा। इसके अलावा, काले रंग को अक्सर शक्ति और शांति का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, यह भी संभव है कि मूर्ति का रंग काला रखने के पीछे यह भी एक कारण हो। राम मंदिर की मूर्ति का रंग काला रखने के पीछे कई कारण हो सकते हैं। इनमें से कोई एक कारण या सभी कारण हो सकते हैं।
क्या है कुबेर टीला का महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कुबेर टीला पर धन के देवता कुबेर ने भगवान शिव की पूजा की थी। इसलिए, यह स्थान शिव भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहां एक शिव मंदिर भी स्थित है। अयोध्या के इतिहास के अनुसार, कुबेर टीला पर भगवान राम के जन्म से पहले ही एक शिवलिंग स्थापित था। इस शिवलिंग को भगवान राम के जन्म के बाद भी पूजा जाता रहा।
पुरातात्विक महत्व
Ayodhya Ram Mandir Ki Murti Kisne Banai:भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने कुबेर टीला को अयोध्या की संरक्षित स्थलों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया है। ASI की खोजों के अनुसार, कुबेर टीला पर एक प्राचीन मंदिर के अवशेष पाए गए हैं। ये अवशेष 12वीं शताब्दी के हैं।
- यह स्थान शिव भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
- यह स्थान राम भक्तों के लिए भी एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
- यह स्थान अयोध्या के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
- यह स्थान पुरातात्विक रूप से भी महत्वपूर्ण है।
कुबेर टीला अयोध्या का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल है। यह स्थान शिव भक्तों, राम भक्तों और इतिहास प्रेमियों के लिए एक समान रूप से आकर्षण का केंद्र है।
रामलला की मूर्ति किस चीज से बनी है?
रामलला की मूर्ति काले रंग के श्याम शिला या कृष्ण शिला पत्थर से बनी है। यह पत्थर बहुत कठोर और टिकाऊ होता है। यह हजारों साल तक खराब नहीं होता है। श्याम शिला पत्थर कर्नाटक के मैसूर जिले में पाया जाता है। यह पत्थर मुख्य रूप से भगवान विष्णु की मूर्तियों के निर्माण के लिए उपयोग किया जाता है।
रामलला की मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच है। यह मूर्ति भगवान राम के बाल रूप को दर्शाती है। मूर्ति में भगवान राम को एक हाथ में धनुष और दूसरे हाथ में बाण लिए हुए दिखाया गया है। मूर्ति की मुद्रा बहुत शांतिपूर्ण और भक्तिपूर्ण है। रामलला की मूर्ति का निर्माण कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने किया था। मूर्ति का निर्माण लगभग दो साल में पूरा हुआ। मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी, 2024 को हुई थी
बाबरी मस्जिद में राम की मूर्ति किसने लगाई?
बाबरी मस्जिद में राम की मूर्ति 23 दिसंबर, 1949 को रात के समय रखी गई थी। इस काम में मुख्य भूमिका निभाई थीं, अभिराम दास, एक हिंदू साधु, और स्वामी करपात्री महाराज, एक हिंदू संत। अभिराम दास और स्वामी करपात्री महाराज अयोध्या में राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख नेता थे। वे दोनों मानते थे कि बाबरी मस्जिद स्थल पर भगवान राम का जन्म हुआ था। इसलिए, उन्होंने इस स्थल पर राम की मूर्ति स्थापित करने का फैसला किया।
23 दिसंबर, 1949 की रात को, अभिराम दास और स्वामी करपात्री महाराज के साथ कुछ अन्य हिंदू कार्यकर्ताओं ने बाबरी मस्जिद में प्रवेश किया। उन्होंने एक कमरे में एक मूर्ति रखी और उसे “रामलला” नाम दिया। इस घटना के बाद, हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया। इस तनाव के कारण, 1992 में बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया।
2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि बाबरी मस्जिद स्थल पर राम मंदिर बनाया जाएगा। 22 जनवरी, 2024 को, राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई।
राम लला की मूर्ति फोटो
रामलला की मूर्ति की विशेषताएं
- मूर्ति का निर्माण काले रंग के श्याम शिला या कृष्ण शिला पत्थर से किया गया है। यह पत्थर बहुत कठोर और टिकाऊ होता है। यह हजारों साल तक खराब नहीं होता है।
- मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच है। यह मूर्ति भगवान राम के बाल रूप को दर्शाती है।
- मूर्ति में भगवान राम को एक हाथ में धनुष और दूसरे हाथ में बाण लिए हुए दिखाया गया है। मूर्ति की मुद्रा बहुत शांतिपूर्ण और भक्तिपूर्ण है।
- मूर्ति का निर्माण कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज ने किया था। मूर्ति का निर्माण लगभग दो साल में पूरा हुआ।
- मूर्ति के शीश पर भगवान विष्णु के दस अवतारों को दर्शाया गया है।
- मूर्ति के एक तरफ गरुण हैं तो दूसरी तरफ हनुमान जी नजर आ रहे हैं।
- मूर्ति को एक ही पत्थर पर बनाया गया है। इसमें कोई और पत्थर को नहीं जोड़ा गया है।