चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा निर्मित एक चंद्रमा मिशन है। यह भारत का तीसरा चंद्रमा मिशन होने की योजना बनाई गई है। चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर एक स्थायी रोवर और एक हाई-रेज़ोल्यूशन कैमरा को स्थापित करना है। 14 जुलाई 2023 का यादगार दिन बन गया है
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चंद्रयान 3 मिशन क्या है
दिनांक | इवेंट | जानकारी |
29 जुलाई | ऑर्बिट जलाना | बर्न टाइम – |
2 अगस्त | ऑर्बिट जलाना | बर्न टाइम – |
6 अगस्त | ऑर्बिट जलाना | बर्न टाइम – |
14 अगस्त | ट्रांस-चंद्र इंजेक्शन | बर्न टाइम – |
चंद्रयान 3 मिशन क्या है चंद्रयान-3 मिशन का आयोजन चंद्रयान-2 मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने के बाद किया गया है। चंद्रयान-2 मिशन, जो 2019 में लांच किया गया था, में लैंडर वाहन विक्रम चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड करने में विफल रहा था। चंद्रयान-3 मिशन का मुख्य उद्देश्य इस लैंडिंग मिशन को सफल बनाना है और वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए और अधिक जानकारी जुटाने के लिए एक रोवर को चंद्रमा की सतह पर प्रेषित करना है।
चंद्रयान 3 मिशन क्या है – चंद्रयान-3 की अनुमानित प्रक्षेपण तिथि 2023 14 जुलाई को लॉन्च हो गया है अब जानना यह है की इसका क्या उद्देश्य है इस मिशन के माध्यम से भारत अंतरिक्ष अनुसंधान में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाने का निर्णय लेता है और चंद्रमा के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करता है।
चंद्रयान 3 की स्पीड क्या है?
ISRO चीफ ने बताया कि चंद्रयान-3 लैंडर की लैंडिंग वेलोसिटी को 2 मीटर/सेकंड से बढ़ाकर 3 मीटर/सेकंड कर दिया गया है। और साथ ही यह एडजस्टमेंट सुनिश्चित करता है कि 3 मीटर/सेकंड की वेलोसिटी पर भी लैंडर दुर्घटनाग्रस्त नहीं होगा। इसका वजन करीब 3,900 किलोग्राम है।
चंद्रयान 3 कैसे काम करता है
चंद्रयान-3 एक प्रक्षेपण यान होता है जिसे गट्टेशिल प्रक्षेपण (Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) रॉकेट के माध्यम से प्रक्षेपित किया जाता है। यह रॉकेट चंद्रयान-3 को निर्धारित चंद्रमा यान के निर्धारित आकार और यात्रा मार्ग पर पहुंचाता है।
एक स्थायी लैंडर होता है जो चंद्रमा की सतह पर स्थापित होता है। इस लैंडर का उद्देश्य सतह पर संशोधन, चंद्रमा की भूतिकीय और वैज्ञानिक गतिविधियों का अध्ययन करना होता है। यह अपने उपकरणों और उपयोगी उपकरणों के माध्यम से डेटा और जानकारी जुटाता है और उसे पृथ्वी पर भेजता है।
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जो चंद्रमा की सतह पर स्थापित होता है। रोवर एक आपातकालीन वाहन होता है जो चंद्रमा की सतह पर गतिविधियों को संचालित करने के लिए उपयोग होता है। यह चंद्रमा की सतह पर चलकर वैज्ञानिक आधार के रूप में नमूने लेता है, उपकरणों को परीक्षण करता है और उपयोगी डेटा और जानकारी को जुटाता है।
उच्च रेज़ोल्यूशन इमेजिंग कैमरे, स्पेक्ट्रोमीटर, रडार और उपग्रही जो वैज्ञानिक अध्ययन के लिए उपयोग होते हैं। इन उपकरणों के माध्यम से चंद्रमा की सतह, वातावरण, खनिज संसाधन और उपयोगी जीवन समर्थक तत्वों की जांच की जाती है।
चंद्रयान 3 से क्या फायदा होगा?
चंद्रयान 3 क्या है- अधिक लोग है जो यह जानना चाहते है की अगर चंद्रयान-3 का ‘विक्रम’ लैंडर वहां सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग कर लेता है, तो ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन जाएगा. इतना ही नहीं, चांद की सतह पर लैंडर उतारने वाला चौथा देश बन जाएगा. ऐसे में कई फायदा भी नज़र आ रहा है
चंद्रयान सभी मिशन पर होने वाला खर्च (Chandrayaan all Budget)
- Chandrayaan-1 (2008): ₹386 crore (US$52 million)
- Chandrayaan-2 (2019): ₹978 crore (US$128 million)
- Chandrayaan-3 (2023): ₹615 crore (US$75 million)