Monday, October 7, 2024
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गणगौर क्यों मनाई जाती है – गणगौर की कहानी हिंदी में

गणगौर क्यों मनाई जाती है – गणगौर राजस्थान के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक है जो मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की तीसरी तिथि से शुरू होता है और चतुर्थी तक चलता है।

इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव और उनकी पत्नी माता पार्वती की भक्ति करना है। महिलाएं इस उत्सव के दौरान गौरी माता (माता पार्वती) की मूर्ति की पूजा करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र और उनकी खुशहाली की कामना करती हैं।

गणगौर क्यों मनाई जाती है – इस त्योहार के दौरान महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं, सजवट और श्रृंगार करती हैं, मेहँदी लगाती हैं और खाने के पकवान बनाती हैं। गणगौर के दौरान विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं और अपने सौभाग्य की रक्षा करने के लिए व्रत रखती हैं। इस त्योहार का महत्व राजस्थान के लोगों के लिए बहुत उच्च होता है और वे इसे बड़ी धूमधाम से मनाते हैं।

राजस्थान में गणगौर कब मनाया जाता है

राजस्थान में गणगौर का त्योहार बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है। यह त्योहार राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है।

गणगौर का उत्सव राजस्थान में फाल्गुन महीने (फरवरी/मार्च) के शुक्ल पक्ष की तृतीया से शुरू होता है और चतुर्थी तक चलता है। इस दौरान महिलाएं गणगौर की पूजा करती हैं और व्रत रखती हैं। इस उत्सव के दौरान महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं, सजवट और श्रृंगार करती हैं और खाने के पकवान बनाती हैं।

इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के सौभाग्य और खुशहाली की कामना करना होता है और इसके दौरान शादीशुदा महिलाएं अपने पति के लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए पूजा और व्रत रखती हैं।

गणगौर क्यों मनाई जाती है

गणगौर हिंदू धर्म का एक प्रसिद्ध पर्व है जो भारत के राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और तेलंगाना जैसे राज्यों में मनाया जाता है। इस पर्व का उत्सव नौ दिनों तक चलता है और इसमें गौरी और ईश्वर की पूजा की जाती है।

इस पर्व को मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है और यह दक्षिण भारत में पोंगल और मकर संक्रांति के जैसा ही महत्वपूर्ण है। यह पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए खास महत्व रखता है और वे इस उत्सव के दौरान अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

गणगौर का महत्व हिंदू धर्म में स्त्री शक्ति और सुहागिन महिलाओं के सम्मान को दर्शाता है। इस पर्व के दौरान गौरी की मूर्ति को सजाया जाता है और गांव की सभी स्त्रियों को अपने सुहाग के लिए पूजा करने का अवसर मिलता है। इसके अलावा, इस पर्व के दौरान स्थानीय बाजारों में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ और उत्पादों की बिक्री होती है।

गणगौर क्या है

गणगौर हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो भारत के कुछ राज्यों में मनाया जाता है। यह पर्व वर्ष के विभिन्न महीनों में मनाया जाता है, लेकिन सबसे अधिक मार्च और अप्रैल में मनाया जाता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य गौरी की पूजा करना होता है, जो हिंदू धर्म में शक्ति की प्रतीक होती है।

गणगौर के दौरान स्थानीय लोग धूमधाम से मनाते हैं। इस पर्व के दौरान लोग गौरी की मूर्तियों को सजाते हैं और उन्हें अपने घरों में लेकर जाते हैं। इसके अलावा, लोग बाजार में खाद्य पदार्थ और अन्य वस्तुओं की खरीदारी करते हैं।

गणगौर के दौरान स्त्रियों के लिए भी खास महत्व होता है। वे इस पर्व के दौरान सुहागन बनने और अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं। इस पर्व को समाज में स्त्री शक्ति की प्रतीकता के रूप में माना जाता है।

गणगौर पर्व कैंसे मनाया जाता है?

गणगौर पर्व भारत के कुछ राज्यों में मनाया जाता है, जिसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात शामिल हैं। इस पर्व को वर्ष के विभिन्न महीनों में मनाया जाता है, लेकिन सबसे अधिक मार्च और अप्रैल में मनाया जाता है।

इस पर्व को मनाने के लिए लोग गौरी की मूर्तियों को सजाते हैं और उन्हें अपने घरों में लेकर जाते हैं। यह मूर्तियां पानी से धोकर वस्त्र और फूलों से सजाई जाती हैं। गणगौर पर्व के दौरान, स्थानीय लोग अपनी धर्म के त्योहार को बहुत उत्साह से मनाते हैं।

पर्व के दौरान स्थानीय बाजार में खाद्य पदार्थ और अन्य वस्तुएं भी खरीदी जाती हैं। स्त्रियों के लिए भी इस पर्व का विशेष महत्व होता है। वे सुहागन बनने के लिए प्रार्थना करती हैं और अपने पति की लंबी उम्र के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।

गणगौर 2023 कब है

गणगौर 2023 की तारीखें विभिन्न राज्यों में भिन्न हो सकती हैं। हालांकि इसे राजस्थान में 25 मार्च से 26 मार्च तक मनाया जाएगा। इसके अलावा, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे अन्य राज्यों में भी इस पर्व को विभिन्न दिनों और तिथियों पर मनाया जाता है।

गणगौर पूजा समय

गणगौर पूजा का समय भारत के विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में भिन्न होता है। इस पूजा को अधिकतर स्थानों पर चैत्र माह (मार्च-अप्रैल) में मनाया जाता है।

गणगौर पूजा के दौरान, लोग गौरी देवी की मूर्तियों की पूजा करते हैं और उन्हें विभिन्न प्रकार के भोग चढ़ाते हैं। इसके अलावा, लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशी के साथ मिलते हैं और विभिन्न व्यंजन खाते हैं।

यदि आप गणगौर पूजा के समय और तिथि के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आप अपने निकटतम स्थानीय मंदिर या आश्रम की सूचनाएं या कैलेंडर की जांच कर सकते हैं।

गणगौर की कहानी

गणगौर की कहानी भारतीय परंपरा में बहुत प्रसिद्ध है। इस पर्व के पीछे कई कहानियां हैं, लेकिन एक लोकप्रिय कथा इस प्रकार है:

कहते हैं कि एक समय परंपरा के अनुसार, राजा चन्द्रसेन के बेटे राजकुमार गणेश और उसकी पत्नी मातारानी के बीच बहुत प्यार था। एक दिन, गणेश की पत्नी अपने पिता से अनुरोध करती है कि उन्हें अपनी माता-पिता के घर जाने की इजाजत दी जाए। राजा चन्द्रसेन रोकते हुए उसे मना करते हैं, लेकिन उसने अपने पति के साथ घर छोड़ने का फैसला किया।

मातारानी अपने माता-पिता के घर जाते हैं, जहाँ उन्हें उनके अमृत-शक्ति से अलग करने की कोशिश की जाती है। लेकिन मातारानी की विश्वासघात नहीं करने के कारण उन्हें कुछ अद्भुत शक्तियों की प्राप्ति होती है जो उन्हें सुरक्षित रखती हैं। गणेश भी उस घर में जाते हैं और अपनी पत्नी को बचाने के लिए उनकी साथ लड़ते हैं।

अंततः, मातारानी को उस शक्ति की मदद से बचा लिया जाता है

गणगौर व्रत कैसे रखा जाता है?

गणगौर का व्रत प्रतिवर्ष भारत के कुछ राज्यों में रखा जाता है। यह व्रत नववर्ष के बाद आने वाले पहले महीने में स्थानांतरित की जाती है और 18 दिनों तक चलता है। इस व्रत के दौरान महिलाएं अपने पति के लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं और अपने पति के लिए सुंदर वस्तुओं का उपहार भी लेती हैं।

यह व्रत शुक्ल पक्ष की तृतीया से शुरू होता है और गणेश जी और मातारानी के पूजन से आरम्भ होता है। व्रत के इन दिनों में, महिलाएं उत्सव के लिए सुंदर वस्तुओं को सजाती हैं और अपनी सादी या लहंगे का चुनाव भी ध्यान से करती हैं।

व्रत के दौरान महिलाएं सुबह उठते ही स्नान करती हैं और उसके बाद पूजा के लिए तैयार होती हैं। उन्हें सूखे फल, फूल और चावल की मीठी खीर भोग लगाना चाहिए। दोपहर को, महिलाओं को दो अलग-अलग घरों में अपनी-अपनी सहेलियों के साथ मिलकर बैठना चाहिए

गणगौर पूजा का महत्व

गणगौर पूजा भारत में बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस पूजा का महत्व मुख्य रूप से महिलाओं के जीवन के लिए होता है। यह पूजा सामाजिक और संस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाई जाती है जो भारतीय महिलाओं के सामाजिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

इस पूजा के दौरान महिलाएं गणेश और मातारानी की पूजा करती हैं और अपने पति के लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं। यह पूजा महिलाओं के पति की लंबी उम्र के लिए दुआ मांगने का एक उत्तम अवसर होता है।

इस पूजा का उद्देश्य महिलाओं को स्वस्थ, सुखी और खुशहाल जीवन की कामना करना होता है। यह उनके पति की लंबी उम्र की कामना भी करता है तथा वैवाहिक जीवन में उन्हें सफलता प्रदान करने के लिए उन्हें शक्ति और सामर्थ्य प्रदान करता है।

इसके अलावा, यह पूजा समाज को समृद्धि, खुशहाली और सौभाग्य प्रदान करने के लिए भी महत्वपूर्ण होती है।

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