क्या है खालिस्तानी आंदोलन, कैसे हुई इसकी शुरुआत? आप लोग जानते हैं कौन हैं खालिस्तानी कैसे बन गया है आतंकी और क्या आतंकी संगठन और क्या चाहते हैं भारत से यह लोग पंजाब के करनाल से पुलिस ने विस्फोटकों के साथ चार आतंकवादियों को गिरफ्तार किया है
खालिस्तान आंदोलन क्या है , भारत में खालिस्तान शासन है , खालिस्तान किस देश में है , खालिस्तान आंदोलन के इतिहास , खालिस्तान क्या है , खालिस्तान समर्थक संगठन क्या है , खालिस्तान की राजधानी ,खालिस्तान पाकिस्तान
यह सभी आतंकी करनाल से पकड़े गए हैं और इसमें से तीन फिरोजपुर के रहने वाले हैं जबकि एक लुधियाना का है इस मे से कम से कम तीन आइइडी ओर एक पिस्तौल तथा 31 कारतूस बरामद किए गए हैं
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यह सभी आतंकी इनोवा से महाराष्ट्र के नांदेड़ से जा रहे वारदात को अंजाम देने के फिराक में थे सबसे बड़ा खुलासा यह हुआ है कि बब्बर खालसा के इन आतंकियों के तार पाकिस्तान से जुड़े हुए हैं इन्हीं ड्रोन के जरिए पाकिस्तानी में मौजूद आतंकवादी हरविंदर सिंह के रीन्दा हथियार पहुंचाए थे और इसी घटना के दौरान कई सारे खुलासे के बाद एक बार फिर से खालिस्तान आतंकी संगठन के चर्चा में चल रहा है
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आपको भी पता है कौन है खालिस्तान और क्या है इनका इतिहास
कब शुरू हुआ खालिस्तान आंदोलन
क्या है खालिस्तानी आंदोलन, कैसे हुई इसकी शुरुआत? शायद ही कई लोग इस बारे में बिल्कुल भी जानकारी नहीं रखते कि खालिस्तान आंदोलन आखिरकार कब शुरू हुआ बात साल 1947 की है जब अंग्रेज भारत के 2 देशों में बांटा जा रहा था और बाकी की योजना बना रहे थे
और उसी वक्त कुछ सिख नेताओं ने अपने लिए एक अलग देश की स्थापना की थी यानी कि सिख नेताओं ने अपने लिए अलग देश खालिस्तान की मांग रखी थी
और उन्हें ऐसा लगता था कि अपनी अलग मुल्क की मांग रखने के लिए यह सबसे अच्छा समय लगा था भारत से अलग होगा पाकिस्तान तो बन गया लेकिन खालिस्तान नहीं बन सका आजादी के बाद इसे लेकर कई सारे हिंसक आंदोलन भी हुए जिसके दौरान कई लोगों की जान भी गई है
कौन हैं खालिस्तानी
खालिस्तानी शब्द का मतलब होता है उन लोगों को जो एक स्वतंत्र खालिस्तान राज्य के लिए संघर्ष करते हैं। यह एक विवादित विषय है जो भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच संबंधित है।
खालिस्तानी आंदोलन के प्रमुख वकील भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु थे। इन लोगों ने भारत में आजादी के बाद से खालिस्तान के लिए संघर्ष किया। इनके अलावा शब्बीर शाहीद, जर्नेल संघा सिंह, लाल सिंह, बलवंत राय, जगजीत सिंह हवारा और जर्नेल तारा सिंह एक्स जी कुछ और जाने जाते हैं जो खालिस्तानी आंदोलन के प्रमुख शख्सियत थे।
इन लोगों का मकसद था एक स्वतंत्र खालिस्तान राज्य के गठन के लिए संघर्ष करना, जो भारत और पाकिस्तान के पंजाब राज्य के भौगोलिक क्षेत्रों को शामिल करता है। खालिस्तानी आंदोलन के प्रतिनिधियों का मानना है कि पंजाब के सिख समुदाय के लोगों को एक स्वतंत्र राज्य मिलना चाहिए
पंजाबी सुबह और अकाली दल का उदय
साल 1950 में अकाली दल ने पंजाब सुबा आंदोलन के नाम से एक आंदोलन चलाया था भारत सरकार ने साफ तौर पर पंजाब को अलग करने से मना कर दिया यह पहला मौका था जिसमें पंजाब को भाषा के आधार पर अलग दिखाने की कोशिश की गई थी यानी कि अकाली दल का जन्म जब हुआ जब इस पार्टी ने बेशुमार लोकप्रियता की हासिल अलग पंजाब के लिए जबरदस्त प्रदर्शन किया गया था
खालिस्तानी इतिहास
खालिस्तानी इतिहास भारत और पाकिस्तान के पंजाब क्षेत्र में सिख समुदाय के स्वाधीनता के लिए संघर्ष का इतिहास है।
खालिस्तानी आंदोलन की शुरुआत 20वीं शताब्दी के दशक में हुई, जब सिख समुदाय के नेताओं ने ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ आवाज उठाई। 1947 में भारत के आजाद होने के बाद, पंजाब के दो हिस्सों में बाँट कर दो अलग-अलग देशों के रूप में विभाजित किया गया, भारत और पाकिस्तान। इस विभाजन के दौरान, सिख समुदाय के लोगों का अनुभव बहुत ही अलग रहा। वे बारूद के धब्बे नहीं ले सकते थे जो उन्हें उनके धर्म से जुड़े स्थानों पर जाने की आजादी देते थे और उन्हें अपनी संस्कृति और भाषा का त्याग करना पड़ा।
1950 के दशक में, सिख समुदाय के नेताओं ने खालिस्तान के लिए संघर्ष करना शुरू किया। वे इसके लिए नए संगठनों की स्थापना की जैसे कि खालिस्तान जत्था, अखिल भारतीय सिख युवा दल, बाबा जर्नेल सिंह भिंडरांवाले के नेतृत्व में आये
सरकार ने बात मानी
1966 में भारत सरकार ने पंजाब को अलग राज्य बनाने की मांग रखी और उसी दौरान भाषा के आधार पर हरियाणा हिमाचल प्रदेश और कुछ केंद्र शासित देश जैसे चंडीगढ़ की स्थापना हुई थी
अकाली चाहते थे कि पंजाब के नदियों का पानी किसी भी हाल में हरियाणा तथा हिमाचल को नहीं दिया जाए यानी कि अकाली एक देश है जिसमें वह नहीं चाहता कि हिमाचल और हरियाणा जैसे देशों को हमारा देश का पानी नहीं मिलना चाहिए के दौरान सरकार ने इस फैसले को इनकार कर दिया
कब खालिस्तान नाम आया सामने
खालिस्तान को लेकर कई सारे आंदोलन भी चले परंतु उसी दौरान 1970 के दशक में खालिस्तान को लेकर कई सारी घटनाएं हुई 1971 में जगजीत सिंह चौहान ने अमेरिका में जाकर वहां के अखबार में खालिस्तान राष्ट्र के तौर पर एक पेज का विज्ञापन प्रकाशित किया
दौरान आंदोलन को मजबूत करने के लिए चंदा मांगा बाद में 1980 के दशक में उसने खालिस्तान राष्ट्रीय परिषद बनाई और उसका मुख्य भी बन गया
लंदन में उसने खालिस्तान का देश का डाक टिकट जारी किया सबसे पहले 1978 में जगजीत सिंह चौहान ने कार्यों के साथ मिलकर आनंदपुर साहिब के नाम संकल्प पत्र जारी किए जो अलग खालिस्तान देश को लेकर था
भंडारावाले का उदय
80 के दशक के खालिस्तान आंदोलन पूरे देश में उभर कर आया उसे विदेशों में रहने वाले सिखों के जरिए वित्तीय और नैतिक समर्थन मिल रहा था पंजाब में जनरल सिंह भंडारावाले खालिस्तान की सबसे मजबूत नेता थे और साथियों भर के सामने आए थे स्वर्ण मंदिर के हरमंदिर साहिब को अपनी गतिविधियों का केंद्र बनाया उसने अपने साथियों के जरिए पूरे पंजाब में इस आंदोलन का उग्र कर दिया था तब से लेकर आज तक आंदोलनकारियों के हाथ के निकल गया
ऑपरेशन ब्लू स्टार
पहले ऑपरेशन सन्डाउन बनाया गया 200 कमनदोज इसके लिए ट्रेनिंग भी दी गई लेकिन बाद में आम नागरिकों को सबसे ज्यादा नुकसान की आशंका चलते हुए ऑपरेशन को नकार दिया गया था उसी दौरान जून 1984 में भारत सरकार ने ऑपरेशन ब्लू स्टार को अंजाम देकर से ने कार्यवाही की और इस आंदोलन को समाप्त कर दिया
खालिस्तान एक उत्पीड़ित समुदाय की मांग है, जो सिख धर्म के अनुयायियों के बीच बतौर एक स्वाधीन राज्य गठित करने की आवाज उठाती है। इसका मूल मकसद इस समुदाय के लोगों को अलग स्वतंत्र राज्य में रहने की आजादी देना है।
यह समुदाय भारत और पाकिस्तान के पंजाब राज्य में रहता है और उनके मतदाता और समर्थकों के मानने के अनुसार, खालिस्तान के अंतर्गत इस समुदाय के लोगों को अपनी स्वतंत्रता का अधिकार होना चाहिए।
खालिस्तान आंदोलन के नेताओं के अनुसार, उनका आंदोलन शांतिपूर्ण होना चाहिए और उन्हें समाधान की तलाश करने के लिए दोनों देशों के नेता एक साथ काम करने चाहिए। हालांकि, दूसरी ओर अन्य लोगों के मानने के अनुसार, इस आंदोलन में कुछ उत्पीड़नकारी और आतंकवादी तत्वों का हाथ हो सकता है।तो इस दौरान केवल यही पता चला है कि खालिस्तान जैसे देश को लेकर आंदोलन चलाए गए थे