Monday, April 29, 2024
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लाहौर का अधिवेशन कैसे और कब हुआ- लोहार का अधिवेशन नोट्स हिंदी

लाहौर का अधिवेशन कैसे और कब हुआ-  लाहौर अधिवेशन में पारित किए गए पूर्ण स्वराज प्रस्ताव में कहा गया था कि भारत को बिना किसी शर्त के पूर्ण स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि भारत एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, गणराज्य होना चाहिए। 1929 में लाहौर में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन का महत्व बताइये, कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन 1929- पूर्ण स्वराज्यलाहौर का अधिवेशन  कैसे और कब हुआ

लाहौर अधिवेशन का महत्व

लाहौर का अधिवेशन कैसे और कब हुआ- लाहौर अधिवेशन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की घोषणा और 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। इन निर्णयों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नया आयाम दिया।

लाहौर अधिवेशन के बाद, भारत में सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ। इस आंदोलन में लाखों भारतीयों ने भाग लिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण ब्रिटिश सरकार को भारत में अपनी नीतियों में बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

लाहौर अधिवेशन ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी और भारत के स्वतंत्रता की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

लाहौर अधिवेशन कब आयोजित किया गया था? 

वर्ष माह स्थान दिन अध्यक्ष
1929 दिसंबर लाहौर, पंजाब 29-31 जवाहरलाल नेहरू

 

प्रमुख निर्णय

  • पूर्ण स्वराज की घोषणा 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय कांग्रेस कार्यकारिणी समिति को सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने के लिए अधिकृत किया गया लोहार का अधिवेशन नोट्स हिंदी

कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन में क्या बदलाव महत्वपूर्ण था?

कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन 1929 में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस अधिवेशन में, कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज की घोषणा की और 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। ये निर्णय भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नया आयाम दिया। लाहौर का अधिवेशन कैसे और कब हुआ-

पूर्ण स्वराज की घोषणा 

लाहौर अधिवेशन में पारित किए गए पूर्ण स्वराज प्रस्ताव में कहा गया था कि भारत को बिना किसी शर्त के पूर्ण स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि भारत एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, गणराज्य होना चाहिए। लोहार का अधिवेशन नोट्स हिंदी 

लाहौर का अधिवेशन कैसे और कब हुआ-  यह घोषणा भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था। इससे पहले, कांग्रेस ने ब्रिटिश शासन के साथ समझौता करने के लिए तैयारी की थी। पूर्ण स्वराज की घोषणा ने यह स्पष्ट कर दिया कि कांग्रेस अब ब्रिटिश शासन से पूर्ण स्वतंत्रता चाहती है। लाहौर का अधिवेशन कैसे और कब हुआ-

26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय

लाहौर अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया कि 26 जनवरी को भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत पहली बार 1930 में की गई थी।

26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय एक महत्वपूर्ण कदम था। इससे भारतीयों में स्वतंत्रता की प्राप्ति के लिए एकजुट होकर लड़ने की भावना को बढ़ावा मिला।

सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत

लाहौर अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया कि कांग्रेस कार्यकारिणी समिति को सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू करने के लिए अधिकृत किया गया। सविनय अवज्ञा आंदोलन भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक जन आंदोलन था।

सविनय अवज्ञा आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस आंदोलन में लाखों भारतीयों ने भाग लिया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण ब्रिटिश सरकार को भारत में अपनी नीतियों में बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

लाहौर अधिवेशन का महत्व

लाहौर अधिवेशन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की घोषणा, 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय और सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत जैसे महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इन निर्णयों ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नया आयाम दिया और भारत के स्वतंत्रता की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

1930 का कांग्रेस अधिवेशन कहां हुआ

1930 का कांग्रेस अधिवेशन 29 दिसंबर से 2 जनवरी, 1930 तक लाहौर, पंजाब में हुआ था। इस अधिवेशन की अध्यक्षता जवाहरलाल नेहरू ने की थी। इस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की घोषणा की गई और 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। इसके अलावा, सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत करने का निर्णय भी लिया गया। लाहौर अधिवेशन भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस अधिवेशन ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई दिशा दी और भारत के स्वतंत्रता की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

स्वतंत्रता से पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्रों की सूची 

वर्ष स्थान अध्यक्ष प्रमुख निर्णय
1885 बंबई दादाभाई नौरोजी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना
1886 कलकत्ता ए ओ ह्यूम कांग्रेस का उद्देश्य निर्धारित किया गया
1887 मद्रास ए ओ ह्यूम कांग्रेस का स्थायी अध्यक्ष निर्वाचित किया गया
1888 अमृतसर गोपाल कृष्ण गोखले कांग्रेस का स्वरूप लोकतांत्रिक बनाया गया
1889 इलाहाबाद फजलूल हक स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत
1890 कलकत्ता पी एन बख्शी कांग्रेस का संविधान पारित किया गया
1891 लखनऊ सुरेन्द्रनाथ बनर्जी मुस्लिम लीग का गठन
1892 नागपुर फजलूल हक स्वदेशी आंदोलन को जारी रखने का निर्णय
1893 मद्रास लाला लाजपत राय कांग्रेस का विस्तार किया गया
1894 कलकत्ता एम जी रानाडे कांग्रेस का स्वरूप उदारवादी बनाया गया
1895 अमृतसर सुरेन्द्रनाथ बनर्जी कांग्रेस का स्वरूप पुनः लोकतांत्रिक बनाया गया
1896 बंबई गोपाल कृष्ण गोखले विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार
1897 नागपुर लाला लाजपत राय स्वराज्य की मांग
1898 इलाहाबाद लाला लाजपत राय कांग्रेस का स्वरूप पुनः उदारवादी बनाया गया
1899 कलकत्ता एम जी रानाडे कांग्रेस का स्वरूप पुनः लोकतांत्रिक बनाया गया
1900 मद्रास गोपाल कृष्ण गोखले स्वदेशी आंदोलन को जारी रखने का निर्णय
1901 बंबई सुरेन्द्रनाथ बनर्जी कांग्रेस का स्वरूप पुनः उदारवादी बनाया गया
1902 नागपुर लाला लाजपत राय स्वदेशी आंदोलन को जारी रखने का निर्णय
1903 इलाहाबाद लाला लाजपत राय स्वदेशी आंदोलन को जारी रखने का निर्णय
1904 कलकत्ता एम जी रानाडे कांग्रेस का स्वरूप पुनः लोकतांत्रिक बनाया गया
1905 मद्रास गोपाल कृष्ण गोखले बंगाल विभाजन का विरोध
1906 बंबई सुरेन्द्रनाथ बनर्जी बंगाल विभाजन का विरोध
1907 नागपुर लाला लाजपत राय बंगाल विभाजन का विरोध
1908 इलाहाबाद लाला लाजपत राय बंगाल विभाजन का विरोध
1909 कलकत्ता ए ओ ह्यूम कांग्रेस का स्वरूप पुनः उदारवादी बनाया गया
1910 मद्रास गोपाल कृष्ण गोखले बंगाल विभाजन का विरोध
1911 बंबई सुरेन्द्रनाथ बनर्जी बंगाल विभाजन को रद्द करने की मांग
1912 नागपुर लाला लाजपत राय बंगाल विभाजन को रद्द करने की मांग
1913 इलाहाबाद लाला लाजपत राय बंगाल विभाजन को रद्द करने की मांग
1914 कलकत्ता ए ओ ह्यूम प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटेन का समर्थन
1915 मद्रास गोपाल कृष्ण गोखले प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटेन का समर्थन
1916 बंबई सुरेन्द्रनाथ बनर्जी कांग्रेस और मुस्लिम लीग का लखनऊ समझौता
1917 नागपुर लाला लाजपत राय प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटेन का समर्थन

 

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