मिशन बुनियाद क्या है नमस्कार दोस्तों स्वागत है आपका हमारी वेबसाइट पर आज हम आपके लिए महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आये है हमारा आज का विषय है। मिशन बुनियाद क्या है और यह मिशन किसके द्वारा चलाया गया है। मिशन बुनियाद क्या है आज हम आपको इसकी जानकारी इस आर्टिकल में देने वाले है। तो दोस्तों बिना वक़्त गुजारे शुरू करते है।
मिशन बुनियाद क्या है
मिशन बुनियाद क्या है दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने कहा है ,कि कुछ स्कूलों को मिशन बुनियाद चलाने में परेशानी आ रही है। निदेशालय ने 22 मार्च और 5 अप्रैल को मिशन बुनियाद की गतिविधियां स्कूलों को भेजी थीं। मिशन बुनियाद क्या है स्कूलों का कहना है कि वार्षिक परीक्षाओं, रेमीडियल कक्षाओं के कारण पूरे दिन मिशन बुनियाद गतिविधियां चलाना संभव नहीं है। मिशन बुनियाद से छात्रों को हिंदी गणित में ग्रेड बढ़ाने में मिलेगी मदद- निदेशक शिक्षा ने कहा है कि निदेशालय द्वारा जारी सर्कुलर में ये पहले ही अंगित है कि सुबह 7 बजे से 9 बजे के बीच मिशन बुनियाद की कक्षाएं चलाई जाएं। मिशन बुनियाद क्या है उन्होंने स्कूलों के प्रमुखों को गाइड करने के लिए जिला उपशिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि स्कूलों के पास उपलब्ध संसाधनों से स्कूल मिशन बुनियाद की कक्षाएं चलाएं। मिशन बुनियाद के लिए शिक्षक पूरे दिन उपलब्ध रहें या सुबह 7 से 9 के बीच गतिविधियां खत्म कर लें। स्कूल प्रतिदिन 2 घंटे मिशन बुनियाद कक्षाएं जरूर चलाएं। इससे हिंदी, गणित विषयों में छात्रों को ग्रेड बढ़ाने में मदद मिलेगी।
2018 में हुई थी मिशन बुनियाद कार्यक्रम की शुरुआत-
उल्लेखनीय है कि सरकारी स्कूलों में साल 2018 में मिशन बुनियाद कार्यक्रम की शुरूआत हुई थी। मिशन बुनियाद क्या है मूलभूत साक्षरता के साथ योजना का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि कक्षा तीन से आठ तक के सभी बच्चे पढ़ने, लिखने और बुनियादी गणित के सवालों को समझने में सक्षम हो।
शुरूआत में स्कूल छात्रों के मेंटल, इमोशनल वेल बीइंग पर करेंगे काम
शिक्षक विद्यार्थियों की ओर से पिछले कुछ महीनों में किए गए कार्यों की वर्कशीट तैयार कराई गयी है। बच्चों को पढ़ाए गए कोर्स को दोहराया जाएगा और उनको प्रोत्साहित किए जाएगा। छात्रों को कहानी लेखन, कहानी पाठ का भी अभ्यास कराया जाएगा। छात्रों को मातृभाषा में कहानियां लिखने को भी प्रोत्साहित किया जा सकता है। सभी स्कूल 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाएंगे जिसके लिए अभिभावकों को भी बच्चों के साथ स्कूल में आमंत्रित किया जाएगा।
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2 सालों तक स्कूलों के बंद रहने से छोटे बच्चे हुए हैं ज्यादा प्रभावित
इसके अलावा शिक्षा निदेशालय द्वारा शनिवार को ली गई बैठक में सभी स्कूलों को मेंटल इमोशनल वेल बीइंग पर काम करने को कहा गया है। क्योंकि पिछले 2 सालों में स्कूलों के बंद रहने से छोटे बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। बच्चों की गणित और पढऩे संबंधी बुनियादी कौशल में आए लर्निंग गैप को पहचान कर मिशन बुनियाद की गतिविधियों की मदद से खत्म किया जाएगा।
10वीं-12वीं में अगले दो माह तक 100 फीसद उपस्थिति रखने की होगी कोशिश-
शिक्षा निदेशालय ने स्कूल प्रमुखों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि उच्च माध्यमिक वर्ग, कक्षा 10 और 12 के छात्र रोजाना कक्षाओं में आएं। इसमें कहा गया कि अगले दो माह तक शिक्षक छात्रों की सौ प्रतिशत उपस्थिति की कोशिश करें और समय का इस्तेमाल पाठ्यक्रम पूरा करने तथा रिवीजन और प्रैटिकल्स के जरिए छात्रों को परीक्षाओं के लिए तैयार कराने में करें। बैठक में यह भी कहा गया कि प्रायोगिक कार्य में ज्यादा ध्यान दिया जाएगा
बुनियादी पठन एवं अंकगणित पर ध्यान देने की जरूरत
निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक इस समय छात्रों के बुनियादी पठन और अंकगणित पर ध्यान देने की जरूरत है ताकि विषयों को पढ़ने, लिखने और सीखने में छात्रों ने साल भर जो कमी महसूस की है उसे पढ़ा जा सके। निदेशालय के इस साल स्कूलों में 90 दिन के लिए मिशन बुनियाद को लागू किया जाएगा। वहीं, स्कूलों में ये कार्यक्रम प्रभावी तरीके से चलता रहे इसके लिए पहले सभी शिक्षकों को मिशन बुनियाद से संबंधित सभी सामग्री और प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए शिक्षा निदेशालय और एससीईआरटी (राज्य शैक्षिक अनुसंधान व प्रशिक्षण संस्थान) द्वारा प्रशिक्षण सत्र की शुरूआत की जाएगी।
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अनुशासनहीनता समेत लर्निंग गैप दूर करना बड़ी चुनौती
दिल्ली स्थित वसुंधरा एंक्लेव स्थित एवरग्रीन पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल प्रियंका गुलाटी कहती हैं कि छात्रों की अनुशासनहीनता, लर्निंग ग्रुप को दूर करना सबसे बड़ी चुनौती है। दो साल घर में रहने के कारण छात्र-छात्राएं स्कूल और क्लासरूम में उठना, बैठना, बात करना, पढ़ना आदि सब भूल चुके हैं। ऐसे में शिक्षकों को इन कमियों को दूर करना बड़ी चुनौती है। इसलिए शिक्षकों के तनाव और इन चुनौतियों से निपटने के लिए उन्हें आठ हफ्ते की विशेष स्प्रिचुअल ट्रेनिंग कराई जा रही है। इसका मकसद यह है कि वे धैर्य, संयम, सहनशीलता के साथ छात्रों को दोबारा अनुशासन से जोड़ें। उन्हें संयमित रहकर, बिना छात्र पर गुस्सा किए हर बात के लिए समझाना होगा। छात्र को बहुत ज्यादा बांधकर नहीं रखा जाएगा, बल्कि धीरे-धीरे उन्हें सामान्य क्लासरूम में लाना है। इसके लिए शिक्षकों को बड़ी चुनौती के साथ बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। इसमें वे तनाव में न आए, इसका भी ध्यान रखा जाएगा। मात्रा में गलती, पढ़ना नहीं आ रहा, परीक्षा की आदत नहीं रही आदि दिक्कतों के समाधान के लिए ब्रिज कोर्स शुरू किए जाएंगे। एक अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र 2022-23 शुरू होने के बाद एक नए तरह का क्लासरूम दिखेगा।
पायलट प्रोजेक्ट: प्रत्येक समूह में 6 छात्राएं-
- प्रत्येक समूह में आदर्श रूप से 6 छात्राएं होंगी।
- टैबलेट वितरण के लिए कक्षा 8 से 12 एक ही गांव/परिक्षेत्र की 6 छात्राओं के नाम का समूह बनाया जाएगा।
- एक समूह में एक ही इलाके की छात्राएं सम्मिलित की जाएंगी, ताकि समूह की छात्राओं के बीच टैबलेट आसानी से साझा किया जा सके।
- समूह में कम से कम एक छात्रा स्मार्टफोन, टैबलेट या अन्य उपकरणों का उपयोग करने में सहज हो, इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा।
- पीरामल फाउंडेशन के गांधी फेलो एवं करुणा फेलो इस कार्यक्रम के संबंध में संबंधित स्कूलों से संपर्क करेंगे।
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परिणाम सुधारने और बालिकाओं को स्कूल से जोड़ना है मुख्य उद्देश्य-
सरकारी स्कूल में पढ़ रही कक्षा 8 से 12वीं तक की छात्राओं को स्कूल से जोड़ना और उनके बोर्ड और अन्य कक्षाओं के परिणाम को सुधारना इस पायलट प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य है। इस प्राेजेक्ट के लिए सिरोही जिले की 17 स्कूलों व 1791 बालिकाओं का चयन किया गया है। मिशन बुनियाद क्या है बालिकाओं को 6-6 के ग्रुप में 1-1 टैबलेट दिया जाएगा, जिसमें उनकी कक्षा का पूरा सेलेबस डाउनलोड होगा, जिसे वे ऑफलाइन देख सकेंगी और पढाई कर सकेंगे।
दोस्तों आज हमने सीखा की मिशन बुनियाद क्या है। और इससे जुडी जानकारी हमने आपको दी है उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आयी होगी। और दोस्तों आपको और नयी जानकारी चाहिए तो आप हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताये।
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