Monday, April 29, 2024
Homeतीज त्यौहारनवरात्रि की विधि व पूजा कैसे करे। Navratri rituals and how to...

नवरात्रि की विधि व पूजा कैसे करे। Navratri rituals and how to worship in hindi

नवरात्रि की विधि व पूजा –हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहती है आज में आपको नवरात्रि एक प्रमुख हिंदू त्योहार है,के बारे बताने जा रहा हूँ जिसे पूरे भारत भर में काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। इस पर्व पर लोगों द्वारा देवी दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है। Navratri rituals and how to worship in hindi नवरात्र का यह पर्व उत्तर भारत के कई राज्यों सहित पश्चिम बंगाल में भी इस पर्व का काफी भव्य आयोजन देखने को मिलता है।

वैसे तो नारी शक्ति देवी दुर्गा को समर्पित नवरात्र का यह पर्व एक वर्ष में चार बार आता है लेकिन इनमें से दो नवरात्रों को गुप्त नवरात्र माना जाता है और लोगो द्वारा सिर्फ चैत्र तथा शारदीय नवरात्र को ही मुख्य रूप से मनाया जाता है।

शारदीय नवरात्र 2023

वर्ष 2023 में नवरात्र (शारदीय नवरात्र) 15 अक्टूबर, रविवार से शुरु होकर 24 अक्टूबर, मंगलवार को समाप्त होगा।

शारदीय नवरात्रि क्यों मनाते हैं

नवरात्रि की विधि व पूजा – नवरात्रि के पर्व का हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान है, नौ दिनों तक मनाये जाने वाले इस पर्व में लोगो के अंदर काफी उत्साह देखने को मिलता है। यह नवरात्रि दशहरे के त्योहार से नौ दिन पूर्व शुरु होता है और इसका समापन दशहरे से एक दिन पहले या कई बार दशहरे के दिन भी होता है।

इस पर्व को लेकर ऐसी मान्यता है कि लंका पर आक्रमण से पूर्व भगवान श्रीराम ने ही समुद्र किनारे सबसे पहले शारदीय नवरात्रि की पूजा करते हुए माँ आदि शक्ति से युद्ध में विजय श्री का आशीर्वाद मांगा था।




इस दौरान आश्विन माह का समय था और प्रभु श्रीराम द्वारा लगातार नौ दिन माँ दुर्गा की पूजा की गयी थी। इसी के फलस्वरुप उन्होंने लंका पर विजय प्राप्त की थी। नवरात्र के इसी पौराणिक महत्व को देखते हुए आश्विन माह में नवरात्र या फिर शारदीय नवरात्र के नाम से जाने जाने वाले इस पर्व को मनाया जाता है।

दुर्गा पूजा कब और क्यों मनाई जाती है जाने क्या है दुर्गा पूजा का इतिहास

नवरात्रि साल में दो बार क्यों मनाई जाती है। Navratri celebrated twice a year in hindi

शारदीय नवरात्र कैसे मनाते है रिवाज एवं परंपरा

आश्विन माह में मनाये जाने वाले शारदीय नवरात्र की पूजा का एक विशेष तरीका है। इसके पहले दिन सभी घरों में कलश की स्थापना करते हुए अखंड ज्योति जलायी जाती है। इस दौरान अधिकतर लोग नवरात्र के पहले दिन व्रत का पालन करते है। इसके साथ ही कई लोगो द्वारा पूरे नौ दिनों तक भी व्रत रहा जाता है। Navratri rituals and how to worship in hindi

अधिकतर लोगों द्वारा नवरात्र में सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है, जिसमें लहसुन-प्याज का उपयोग पूर्ण रूप से वर्जित रहता है। नवरात्र के दौरान हमें मांस-मदिरा जैसी चीजों का सेवन नही करना चाहिए क्योंकि यह हमारे मन तथा शरीर के शुद्धि में बाधा डालते है। नवरात्र के नौ दिन विभिन्न देवियों को समर्पित है और यहीं कारण है कि हर दिन का महत्व दूसरे दिन से अलग होता है।

पहला दिन

नवरात्रि की विधि व पूजा – नवरात्र का पहला दिन देवी दुर्गा को समर्पित होता है। दुर्गा माता को शक्ति और उर्जा का रूप माना जाता है, यहीं कारण है पहले दिन उनकी पूजा की जाती है और अन्य दिनों में उनके ही विभिन्न रुपों की पूजा की जाती है। इस दिन घरों में कलश स्थापना करते हुए अखंड ज्योति जलायी जाती है और दुर्गा चालीसा तथा अन्य मंत्रों का जाप किया जाता है। नवरात्रि के पहले दिन अधिकतर लोगों द्वारा व्रत रहा जाता है।

दूसरा दिन

नवरात्रि का दूसरा दिन माता ब्रम्हचारिणी को समर्पित होता है। इस लोगो द्वारा पूजा-पाठ करते हुए माता ब्रम्हचारिणी को याद किया जाता है और अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उनका आशीर्वाद मांगा जाता है।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

तीसरा दिन

नवरात्रि की विधि व पूजा – नवरात्र का तीसरा दिन देवी चंद्रघंटा को समर्पित होता है। इस दिन लोगो द्वारा देवी चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है और अपने इच्छाओं के पूर्ति के लिए उनका आशीर्वाद मांगा जाता है।

चौथा दिन

नवरात्र का चौथा दिन माता कुष्मांडा को समर्पित होता है। यह इस दिन लोगों द्वारा माता कुष्मांडा की पूजा अर्चना करते हुए, अपने मनोकामनाओं के पूर्ति के लिये उनके आशीर्वाद की कामना की जाती है।


पांचवा दिन

नवरात्र का पांचवा दिन देवी स्कंदमाता को समर्पित होता है। इस दिन लोगो द्वारा देवी स्कंदमाता की पूजा अर्चना करते हुए, अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उनके आशीर्वाद की कामना की जाती है।

छठवां दिन

नवरात्र का छठवां दिन देवी कात्यायनी को समर्पित होता है। इस दिन लोगों द्वारा देवी कात्यायनी की पूजा करते हुए, अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उनके आशीर्वाद की कामना की जाती है।

सातवां दिन

नवरात्र के इस दिन को महासप्तमी के नाम से भी जाना जाता है और यह दिन देवी कालरात्रि को समर्पित होता है। इस दिन लोगों द्वारा देवी कालरात्रि की पूजा-अर्चना करते हुए, अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उनका आशीर्वाद मांगा जाता है।

आठवां दिन

नवरात्र का नौवां दिन माता महागौरी को समर्पित होता है। इस दिन लोगों द्वारा माता महागौरी की पूजा-अर्चना करते हुए, अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उनका आशीर्वाद मांगा जाता है।

नौवां दिन

इस दिन को नवमी के नाम से भी जाना जाता है और यह दिन देवी सिद्धिदात्री को समर्पित होता है। इस दिन लोगों द्वारा देवी सिद्धिदात्री की पूजा करते हुए, अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। यह दिन नवरात्र के समापन का दिन होता है।

इस दिन दुर्गा माता की विशेष कृपा के लिए लोगो द्वारा कन्या पूजन भी किया जाता है, जिसमें नौं कुवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है। ऐसा माना जाता है कि कन्या पूजन करने से सभी ग्रह दोष दूर हो जाते है और हमें माँ दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

शारदीय नवरात्र की आधुनिक परंपरा

नवरात्रि की विधि व पूजा – पहले के अपेक्षा आज के समय में नवरात्र के पर्व में कई तरह के परिवर्तन हुए है। इसमें से कई सारे परिवर्तन अच्छे है वही कई सारे परिवर्तन रूढ़ीवादी होने के साथ ही वर्तमान समय के अनुकूल भी नही हैं, जैसे कि आज भी कई सारे जगहों पर नवरात्र के अवसर जानवरों की बलि दी जाती है। यदि हम इन चीजों पर अंकुश लगा पाये तो यह हमारे लिए काफी बेहतर साबित होगा।

आज के समय में नवरात्र के पर्व में कई अच्छे परिवर्तन भी हुए हैं, जिसके कारण नवरात्र का यह पर्व और भी ज्यादे लोकप्रिय और आकर्षक हो गया है। वर्तमान में नवरात्र के पर्व के दौरान गरबा जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। गरबा, कन्या पूजन, पंडाल तथा जागरण जैसे कार्यक्रमों के वजह से नवरात्र के पर्व को काफी प्रसिद्धि प्राप्त हुई है।

इस दौरान कई स्थानों पर काफी भव्य पंडाल बनाये जाते है, जिसे देखने के लिए हजारों की संख्या में लोग इकठ्ठा होते है। यदि हम इन चीजों को ऐसे ही बढ़ावा देते रहेंगे तथा इस पर्व को लेकर जागरुकता बनाये रखेंगे तो हम आने वाले समय में नवरात्र के महत्व को और भी बढ़ा सकते है।

शारदीय नवरात्र का महत्व

नवरात्र का त्योहार हिंदू धर्म के सभी त्योहारों से भिन्न है क्योंकि जहां ज्यादेतर त्योहार प्रमुखतः देवताओं को समर्पित हैं, वहीं नवरात्र का पर्व नारी शक्ति का प्रतीक देवी दुर्गा का समर्पित है। वास्तव में यह पर्व अपने आप महिला सशक्तिकरण का एक बड़ा संदेश देता है कि नारी Navratri rituals and how to worship in hindi अबला नही सबला है क्योंकि जब महिषासुर जैसे दानव के सामने जब सारे देवता परास्त हो गये तो माँ दुर्गा ने उस राक्षस का वध किया था।

इसके साथ ही नवरात्र का यह पर्व हमें इस बात का एहसास दिलाता है कि बुराई कितनी भीशक्तिशाली हो जाये लेकिन अच्छाई की उस पर सदैव जीत होती है।

शारदीय नवरात्र का इतिहास

नवरात्र पर्व का इतिहास काफी प्राचीन है ऐसा माना जाता है कि नवरात्र का यह पर्व प्रागैतिहासिक काल से ही मनाया जा रहा है। इस पर्व में देवी दुर्गा के नौ रुपों की पूजा की जाती है। इस पर्व को लेकर कई सारे पौराणिक तथा ऐतिहासिक कथाएं प्रचलित है। ऐसी ही नवरात्रि की एक जो सबसे प्रचलित पौराणिक कथा है उसके अनुसार




लंका युद्ध में ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण का वध करने के लिए चंडी देवी की पूजा करने को कहा। इस पर प्रभुश्रीराम ने ब्रह्माजी के बताये अनुसार पूजा की तैयारियां करते हुए चंडी पूजन और हवन के लिए 108 दुर्लभ नीलकमल की व्यवस्था की। वहीं दूसरे ओर रावण ने भी विजय तथा शक्ति के कामना के लिए चंडी पाठ प्रारंभ किया। तब देवराज इंद्र ने पवन देव के माध्यम से प्रभु श्रीराम को इस विषय में जानकारी भीजवायी। इधर हवन सामग्री में पूजा स्थल से एक नीलकमल रावण की मायावी शक्ति से गायब हो गया।

तब भगवान राम का संकल्प टूटता सा नजर आने लगा। तब प्रभु श्रीराम का संकल्प टूटता सा नजर आने लगा और उन्हें ऐसा लगा कि कही देवी रुष्ट ना हो जायें। उस प्रकार के दुर्लभ नीलकमल की तत्काल व्यवस्था असंभव थी, तब भगवान राम को यह बात याद आयी कि मुझे लोग ‘कमलनयन नवकंच लोचन’ भी कहते हैं तो क्यों न संकल्प पूर्ति के लिए अपना एक नेत्र अर्पित कर दिया जाये और जैसे ही इस कार्य के लिए उन्होंने अपने तुणीर से एक बाढ़ निकालकर अपना आंख निकालने का प्रयास किया।

उनके सामने साक्षात देवी माँ ने प्रकट होकर उनका हांथ पकड़ लिया और कहा- राम मैं तुम्हारी आराधना से प्रसन्न हूँ और तुम्हे विजयश्री का आशीर्वाद देती हुं। ऐसा माना जाता है इसी के बाद से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हुई और यहीं कारण है कि नौ दिनों तक नवरात्र मनाने के पश्चात माँ दुर्गा के कृपा के कारण भगवान श्रीराम के लंका विजय के उत्सव में दसवें दिन दशहरा का त्योहार मनाते हुए रावण दहन किया जाता है।

RELATED ARTICLES
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Most Popular