निर्मला देशपांडे की जीवनी व सम्मान – Nirmala Deshpande Biography Hindi हेल्लो दोस्तों मेर नाम मोहित है अज्ज मेर निर्मला देशपांडे के बारे में बताने जा रहा हु। निर्मला देशपांडे (जन्म: 19 अक्टूबर, 1929 – मृत्य: 1 मई, 2008) गांधीवादी विचारधारा से जुड़ी हुईं प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता थीं।
निर्मला देशपांडे की जीवनी व सम्मान –उन्होंने अपना जीवन साम्प्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने के साथ-साथ महिलाओं, आदिवासियों और अवसर से वंचित लोगों की सेवा में अर्पण कर दिया। निर्मला जी बहुआयामी प्रतिभा की धनी थीं। उन्होंने अनेक उपन्यास, नाटक, यात्रा तथा वृत्तान्त, विनोबा भावे की जीवनी भी लिखी। उन्हें पद्म विभूषण भी मिला था।
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निर्मला देशपांडे की जीवन परिचय।
निर्मला देशपांडे की जीवनी व सम्मान–निर्मला देशपांडे का जन्म नागपुर में विमला और पुरुषोत्तम यशवंत देशपांडे के घर 19 अक्टूबर,1929 को नागपुर में हुआ था। इनके पिता को मराठी साहित्य (अनामिकाची चिंतनिका) में उत्कृष्ट काम के लिए 1962 में साहित्य अकादमी पुरस्कार प्रदान किया गया था।1 मई 2008 को अति प्रात: नई दिल्ली स्थित आवास में उनका निधन हो गया। श्रीमती देशपाण्डे “दीदी” के नाम से विख्यात थीं। दीदी लगभग 60 साल तक सार्वजनिक जीवन में रहीं। वह दो बार राज्यसभा के लिए मनोनीत हुर्इं। निर्मला जी अन्तिम समय तक महात्मा गांधी के सिद्धान्तों के आधार पर लोगों को अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष करती रहीं।
निर्मला देशपांडे की जीवनी व सम्मान–निर्मला को पंजाब और कश्मीर में हिंसा की चरम स्थिति पर शांति मार्च के लिए जाना जाता है। १९९४ में कश्मीर में शांति मिशन और १९९६ में भारत-पाकिस्तान वार्ता आयोजित करना इनकी दो मुख्य उपलब्धियों में शामिल है। चीनी दमन के खिलाफ तिब्बतियों की आवाज को बुलंद करना भी इनके दिल के करीब था।
निर्मला देशपांडे की जीवनी व सम्मान–2007 में राष्ट्रपति पद के लिए यूँ तो कई नामों पर चर्चा की गई, लेकिन अन्त में दो नाम रह गए थे, जो यू.पी.ए. और वाम मोर्चा द्वारा अन्तिम रूप से विचारित होने थे। दोनों नाम महिला उम्मीदवारों के थे-एक, गांधीवादी विचारधारा वाली निर्मला देशपांडे और दूसरी, राजस्थान की तत्कालीन राज्यपाल श्रीमती प्रतिभा पाटिल। 14 जून, 2007 को नाटकीय घटनाक्रम के बाद अन्तत: यू.पी.ए. और वामदलों ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम अन्तिम रूप से तय कर लिया। वह नाम था-राजस्थान की तत्कालीन राज्यपाल श्रीमती प्रतिभा पाटिल का।
- निर्मला देशपांडे जी जीवनपर्यन्त सर्वोदय आश्रम टडियांवा से जुडी रहीं।
- प्रतिभा पाटिल के समान निर्मला देशपांडे नेहरू-गाँधी परिवार के काफ़ी नजदीक रहीं और उनकी प्रबल समर्थक थीं।
- महिला कल्याणार्थ दिल्ली एवं मुम्बई में कार्यकारी महिलाओं के लिए आवासगृह स्थापित किया।
साहित्यिक उपलब्धि
निर्मला देशपांडे की जीवनी व सम्मान–निर्मला देशपांडे ने हिंदी में अनेक उपन्यास लिखे, जिनमें से एक को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला है। इसके अलावा उन्होंने ईशा उपनिशद पर टिप्पणी और विनोबा भावे की जीवनी लिखी है।
राष्ट्रपति पद के लिए चर्चा
2007 में राष्ट्रपति पद के लिए यूँ तो कई नामों पर चर्चा की गई, लेकिन अन्त में दो नाम रह गए थे, जो यू.पी.ए. और वाम मोर्चा द्वारा अन्तिम रूप से विचारित होने थे। दोनों नाम महिला उम्मीदवारों के थे-एक, गांधीवादी विचारधारा वाली निर्मला देशपांडे की जीवनी व सम्मान–निर्मला देशपांडे और दूसरी, राजस्थान की तत्कालीन राज्यपाल श्रीमती प्रतिभा पाटिल। 14 जून, 2007 को नाटकीय घटनाक्रम के बाद अन्तत: यू.पी.ए. और वामदलों ने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम अन्तिम रूप से तय कर लिया। वह नाम था-राजस्थान की तत्कालीन राज्यपाल श्रीमती प्रतिभा पाटिल का।
महत्त्वपूर्व पड़ाव
- निर्मला देशपांडे जी जीवनपर्यन्त सर्वोदय आश्रम टडियांवा से जुडी रहीं।
- प्रतिभा पाटिल के समान निर्मला देशपांडे नेहरू-गाँधी परिवार के काफ़ी नजदीक रहीं और उनकी प्रबल समर्थक थीं।
- महिला कल्याणार्थ दिल्ली एवं मुम्बई में कार्यकारी महिलाओं के लिए आवासगृह स्थापित किया।
निर्मला देशपांडे का सम्मान
निर्मला देशपांडे की जीवनी व सम्मान–निर्मला देशपांडे १९९७-२००७ तक राज्यसभा में मनोनीत सदस्य रहीं। २००७ में हुए भारत के राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए इनके नाम पर भी विचार किया गया। उन्हें २००६ में राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार और पद्म विभूषण की उपाधि से सम्मानित किया गया]२००५ में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए इनकी उम्मीदवारी रखी गई थी। 13 अगस्त 2009 को पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर पाकिस्तान सरकार द्वारा देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान सितारा-ए-इम्तियाज़ से सम्मानित किया गया।
अन्य सम्मान
- बीबीसी से लंबे समय से जुड़े रहे पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रहीमुल्लाह यूसुफ़ज़ई को भी सितारा-ए-इम्तियाज़ से सम्मानित किया गया.निर्मला देशपांडे की जीवनी व सम्मान–
- अमरीकी सीनेटर और राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रह चुके जॉन केरी को हिलाल-ए-पाकिस्तान से सम्मानित किया जाएगा.
- जॉन केरी पाकिस्तान को मिलने वाली अमरीकी आर्थिक सहायता बढ़वाने में अग्रणी भूमिका निभा चुके हैं, उन्होंने अमरीकी संसद से एक बिल मंज़ूर कराया था जिसे केरी-लुगर बिल के नाम से जाना जाता है.
- ऑर्गेनाइजेशन ऑफ़ इस्लामिक कंट्रीज़ (ओआईसी) के महासचिव इकमुद्दीन इशांगुलू को भी ‘कश्मीर विवाद को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाने में उनकी भूमिका’ के लिए हिलाल-ए-पाकिस्तान सम्मान दिया जाएगा.
- स्वतंत्रता दिवस के अवसर इन सम्मानों की घोषणा की गई है और पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस 23 मार्च को राष्ट्रपति ये सम्मान देंगे.
निर्मला देशपांडे की मृत्यु
निर्मला देशपांडे की जीवनी व सम्मान–1 मई 2008 की सुबह नई दिल्ली स्थित आवास पर उनका निधन हो गया। वे “दीदी” के नाम से विख्यात थीं। वे लगभग 60 साल तक सार्वजनिक जीवन में रहीं और दो बार राज्यसभा के लिए मनोनीत भी हुर्इं। वे अन्तिम समय तक महात्मा गांधी के सिद्धान्तों के आधार पर लोगों को अधिकार दिलाने के लिए संघर्षरत रहीं।
FAQ
Q. निर्मला देशपांडे कौन थी?
Ans. निर्मला देशपांडे (जन्म: 19 अक्टूबर, 1929 – मृत्य: 1 मई, 2008) गांधीवादी विचारधारा से जुड़ी हुईं प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता थीं। उन्होंने अपना जीवन साम्प्रदायिक सौहार्द को बढ़ावा देने के साथ-साथ महिलाओं, आदिवासियों और अवसर से वंचित लोगों की सेवा में अर्पण कर दिया।
Q. निर्मला देशपांडे की मृत्यु कब हुई थी ?
Ans. 1 मई 2008 की सुबह नई दिल्ली स्थित आवास पर उनका निधन हो गया। .
Q. निर्मला देशपांडे की मृत्यु कैसे हुई थी ?
Ans. वे लगभग 60 साल तक सार्वजनिक जीवन में रहीं और दो बार राज्यसभा के लिए मनोनीत भी हुर्इं। वे अन्तिम समय तक महात्मा गांधी के सिद्धान्तों के आधार पर लोगों को अधिकार दिलाने के लिए संघर्षरत रहीं।