कुरान की हदीस और फजीलत अस्सलामू अलैकुम आज दोस्तों आज मैं आपको कुरान हदीस की कुछ ऐसी बातें जो हमें अल्लाह ताला हमें अच्छे काम और बुरे काम करने की सलाह देते हैं यदि आप चाहते हैं कि हदीस और कुरान में जो बातें कही गई है और जो हमारे लिए बेहतर साबित होती हैं वह आपको जाननी चाहिए तो आज मैं आपको इस पोस्ट में कुरान और हदीस की बातें कुछ जो आपके लिए जीवन में काफी महत्वपूर्ण बन सकती हैं
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कुरान की हदीस और फजीलत Quran aur Hadees Ki baatein Hindi mein
कुरान की हदीस और फजीलत Quran aur Hadees Ki baatein Hindi mein- किसी ऐसे वक्त की बात है जिसमें लोगों का यह कहना था कि कभी भी कोई भी मुसलमान बंदा हिंदू धर्म कि किसी भी प्रकार के त्यौहार में शामिल नहीं हो सकता परंतु ऐसा नहीं है कुरान और हदीस में अल्लाह ताला हमें यही बताना चाहते हैं कि हमें हर वक्त पर दूसरों की खुशी में शामिल होना फर्ज माना गया है जीवन में फर्ज को हर हाल में पूरा करना जरूरी है
कुरान की हदीस और फजीलत Quran aur Hadees Ki baatein Hindi mein – बकायदा कई लोग फर्ज को सुन्नत समझ के छोड़ देते हैं परंतु अल्लाह ताला हमें यही समझाना चाहते हैं कि कुरान और हदीस में यही बताया गया है कि हमें हर हाल में किसी भी धर्म के या फिर किसी भी व्यक्ति की खुशी में शामिल होना गलत नहीं है मुसलमान है और आप हिंदू धर्म को अपना रहे हैं तो यह बेशक गलत हो सकता है परंतु किसी भी खुशी में शामिल होना गलत नहीं माना जाताvvv
Quran aur Hadees Ki baatein Hindi mein इसमें कुछ ऐसी बातें लिखी हुई है जिसमें लोग आज की जिंदगी के मुताबिक उसे भूल कर अपनी कहानियां बनाने लग जाते हैं यानी कि सरल भाषा में कहे तो कई लोगों का मानना है कि नमाज अदा करते वक्त सर के बाल दिखने पर नमाज नहीं मानी जाती लोग कहते है ये केवल एक बात है हदीस और कुरान में लिखा गया है परंतु कई लोग इस बात पर गौर नहीं फरमाते
अभी एक मुसलमान व्यक्ति है तो ऐसे में कुरान और हदीस की बातों को आप को समझना बेहद जरूरी है अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमें जानी आदमी और औरत दोनों को बराबर का हक दीया है जैसे एक शौहर का हक होता है जी अपनी बीवी को हर हाल में खुश रखना और पैसे कमा कर शौहर अपनी बीवी को देना तो ऐसे में यदि किसी मजबूरी के कारण या फिर अपने बच्चे की जिंदगी के फैसले के लिए किसी एक औरत को बाहर जाकर काम करना पर जाता है तो ऐसे में कई लोग यानी कि शौहर इस बात तो गलत कहने लग जाते हैं परंतु ऐसा नहीं है अल्लाह हमें यह हक दिया है और ऐसे में किसी भी व्यक्ति को हक नहीं मारना चाहिए Quran aur Hadees Ki baatein Hindi mein कुरान और हदीस, इस्लाम के दो मुख्य और पवित्र ग्रंथ हैं। ये ग्रंथ मुसलमान समुदाय के लिए धार्मिक और सामाजिक जीवन में मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। Quran aur Hadees Ki baatein Hindi mein
कुरान Quran
- कुरान, अल्लाह के आखिरी रसूल, हजरत मुहम्मद ﷺ को कुरान के रहस्योद्घाटन (वही) के ज़रिये नाज़िल हुआ था।
- कुरान एक मुकम्मल किताब है, जिसमें हर तरह के मुद्दो पर हिदायत और समझ बनती है।
- ये कुरान एक अल्लाह की साहिब से इंसानों तक नाज़िल हुई हिदायत का एक मोज़ा है।
- कुरान के सूरह (अध्याय) और आयत (छंद) हैं, और हर आयत को आयत-उल-कुरान या आयत कहते हैं।
हदीस Hadees
हदीस, हज़रत मुहम्मद ﷺ की ज़िन्दगी और उनके ख़िताबों, हरकतों, और अमलियत को सम्बोधित करती है।
हदीस, सहीह बुखारी, सहीह मुस्लिम, सुनान अबू दाऊद, सुनान एट-तिर्मिज़ी, सुनान अन-नासाई, सुनान इब्न माजा, और सुनन अद-दारिमी जैसे किताबों में सजती है।
हदीस, कुरान की तशरीह (व्याख्यान) को समझने में मदद करती है और कुरान के अमल का तरीक़ा बताती है।
हदीस, कुरान के साथ मिल कर शरीयत और इस्लामी कानून का एक मुकम्मल ज़रिया है।
हदीस-ए-नबवी (पैगंबर की हदीस)
- हज़रत मुहम्मद ﷺ के इरशादत, फ़रमान, और सुवाल-जवाब को हदीस-ए-नबवी कहते हैं।
- हदीस-ए-नबवी में इंसानों को अच्छे अखलाक, नेक अमल, और सही राह दिखती है।
तफ़सीर (व्याख्या):
कुरान की तफ़सीर, कुरान की आयतें समझ और मतलब का पता लगाने का अमल है।
हज़रत इब्न अब्बास, हज़रत इब्न कथिर, हज़रत अल-कुर्तुबी जैसे उलमा ने कुरान की तफ़सीर किया है।
सुन्नत:
- सुन्नत, हजरत मुहम्मद ﷺ के जिंदगी से ली गई अमलियत और उसके तारिकों को रेफर करता है।
- मुसलमानों को सुन्नत अपना कर जिंदगी गुजारनी चाहिए।
- ये कुरान और हदीस से जुड़ी कुछ मुख्य बातें थीं, जो इस्लाम के कट्टर अनुयायियों के लिए महत्तवपूर्ण हैं। ग्रन्थों को समझने और उनके मूलों को अपने से मुसलमानों की रूहानियत और आध्यात्मिकता में सुधार होता है।
(1) गैर मुस्लिमों के साथ अच्छा सुलूक करने वालों को अल्लाह पसंद करता है , क्यूंकि अल्लाह इंसाफ करने वालों का दोस्त है । (सूरत-60)
(2) नमाज़ से अपने काम को अंजाम दो । (सूरत – 42)
(3) जो अल्लाह पर यकीन रखता है , अल्लाह उनकी हिफाजत करता है । (सूरत-24)
(4) जमीन पर आराम और सुकून से चलो । (सूरत-25 )
(5) अल्लाह के साथ किसी और को मत पुकारो । (सूरत-28)
(6) अच्छे कामों कि नसीहत और बुरे कामों से लोगों को रोका करो । (सूरत-31)
(7) अल्लाह की रहमत से मायूस न हो । (सूरत-39)
(8) अल्लाह तमाम गुनाहों को मुआफ़ कर देगा सिर्फ शिर्क की बख्शीश नहीं होगी । (सूरत-39)
(9) बुराई को भलाई से मिटा दो। (सूरत-41)
(10) तुममे से सबसे ज्यादा इज्जत वाला इंसान वो है जिसने सच्चाई और भलाई को इख्तियार किया होगा । (सूरत-49)
(11) अल्लाह से मआफ़ी मांगों क्यूंकि अल्लाह बहुत मआफ़ करने वाला और रहम करने वाला है । (सूरत-73)
(12) जो तुममे से मदद और हिफाजत और पनाह (माफी) के तलबगार (चाहते) हो , तो तुम उनकी मदद और हिफाजत करो और मुआफ़ कर दो । (सूरत-9)
(13) पाक साफ रहा करो । (सूरत-9)
(14) कोई किसी दूसरे के गुनाहों का बोझ नहीं उठाएगा ।(सूरत-7)
(15) वालिदैन की बेअदबी करने से बचो और उन्हे उफ़ तक न कहो । (सूरत-17)
(16) दूसरों का मज़ाक न उड़ाओ। (सूरत-49)
(17) वालिदैन की इज्जत और फर्माबरदारी किया करो। (सूरत-17)
(18) लोगों से नरमी से बात किया करो । (सूरत-20)
(19) दूसरों की गलतियों को मआफ़ कर दो । (सूरत-7)
(20) गुस्से को पी जाओ । (सूरत-2)
(21) हर शख्स के मरने के बाद उसकी दौलत उसके रिश्तेदारों मे बाट दो । (सूरत-4)
(22) लोगों के बीच इंसाफ का फैसला करो । (सूरत-4)
(23) आपस मे भरोसा क़ायम रखो । (सूरत-2)
(24) सूद (ब्याज) मत खाओ या मत लो । (सूरत-2)
(25) यतीमों का माल नाहक़ मत खाओ । (सूरत-4)
सहीह बुखारी [10 Hadith Book]
- सहीह मुस्लिम
- इब्ने कसीर
- कौसर यज़दानी
- अल तनकीह
- फ़ैज़ अल बारी
- जामी अल तिरमिज़ी
- सुनन इब्न मजाह
- सुनन अबु दाऊद
- सुनन अल सुग़रा
- अनवार उल बारी