रूस और यूक्रेन विवाद के कारण –हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज मे आपको रूस और यूक्रेन के बारे में बताने जा रहा हूँ। दोस्तों रूस और यूक्रेन के मध्य चल रहा विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। आज कल वैश्विक स्तर पर इस विवाद से जुड़ी खबरें सुर्खियां बटोर रही हैं। गौरतलब है कि इस विवाद के चलते विश्व की महाशक्तियों के मध्य जंग छिड़ने तक की स्थिति आ गई। आपको बता दे कि ब्रिटेन और अमेरिका जहां यूक्रेन की पीठ थपथपा रहे हैं वहीं रूस ने इस मुद्दे पर उन्हें कड़ी चेतावनी दे डाली थी। पहले रूस ने ये स्पष्ट किया था कि उसका हमला करने का कोई इरादा नहीं है। और रूस ने ये भी कहा था कि वेस्टर्न कंट्रीज यूक्रेन एवं भूतपूर्व सोवियत देशों को नाटो में शामिल ना करें। किन्तु अब हालही में खबर आ रही है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया है। आज इस आर्टिकल के माध्यम से हम ये समझते हैं कि आखिर क्या है रूस और यूक्रेन का विवाद। उक्त जानकारी के लिए आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
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रूस और यूक्रेन विवाद क्या है
बात साल 2014 की है। जब रूस ने यूक्रेन में स्थित क्रिमिया को हमला कर के अपनी सीमा में मिला लिया था। इसके बाद से रूस और यूक्रेन संबंधों में तनाव आ गए। आपको बता दे कि यूएसएसआर से साल 1991 में अलग होने के बाद भी यूक्रेन रूस के पक्ष में खड़ा रहता था।
रूस और यूक्रेन विवाद 2022 क्यों हो रहा है, कारण
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे वर्तमान विवाद की मुख्य वजह नाटो है। 4 अप्रैल,1949 को उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन यानि नाटो का जन्म हुआ था। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद बने इस संगठन को अमेरिका द्वारा बारह देशों के समर्थन से बनाया गया था। मूलतः नाटो वेस्टर्न कंट्रीज और यूएसए के बीच बना एक सैन्य गठबंधन है। इसका मूल उद्देश्य सोवियत संघ के खिलाफ एकजुट रहना और सोवियत संघ के विस्तार पर रोक लगाना था।
अब मौजूदा हालत ये है कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बनने की इच्छा रखता है पर रूस इस बात के विरुद्ध है। रूस का कहना है कि ये उसके लिए नागवार है कि उसका पड़ोसी राष्ट्र नाटो की सदस्यता ग्रहण करे।
नाटो क्या है
रूस और यूक्रेन विवाद के कारण –उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन यानि नाटो अमेरिका, ब्रिटेन जैसे 30 देशों का एक सैन्य समूह है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अमेरिका ने इसकी नींव रखी थी। तब इसका मुख्य उद्देश्य सोवियत संघ के विस्तार पर रोक लगाना था। वर्तमान स्थिति ये है कि लातविया, इस्तोनिया जैसे देश नाटो में शामिल हो चुके हैं। अब यूक्रेन के नाटो से जुड़ जाने से रूस के लिए चुनौती बढ़ जाएगी। अमेरिका समेत पश्चिमी देश उस पर दवाब बना पाएंगे। गौर करने वाली बात ये भी है कि अगर यूक्रेन नाटो से जुड़ा तो इस संगठन के समझौते के तहत इसके सभी सदस्य यानि तीस देश यूक्रेन को सैन्य बल देंगे और एक साथ मिल कर रूस पर हमला भी कर पाएंगे।
यूक्रेन के नाटो से जुड़ने की इच्छा के पीछे एक बड़ी वजह है। यूक्रेन कभी भी अपने बलबूते रूस का सामना नहीं कर पाएगा। यूक्रेन के पास रूस जैसी विशाल सेना और आधुनिक हथियार मौजूद नहीं हैं। 2.9. मिलियन से अधिक सैन्य बल वाले रूस का सामना करने के लिए यूक्रेन के पास साधन नही हैं। इसलिए अपनी स्वतंत्रता की खातिर यूक्रेन नाटो का सदस्य बनना चाहता है।
रूस और यूक्रेन विवाद में अमेरिका की भूमिका
रूस और यूक्रेन संबंधित विवाद में अमेरिका की बड़ी भूमिका है। रिपोर्ट्स की मानें तो अमेरिका ने तीन हज़ार सैनिक यूक्रेन की धरती पर भेजा है। कहा जा रहा है कि अमेरिका ने यूक्रेन की मदद करने की बात की है। कुछ सूत्रों की माने तो अमेरिका अफगानिस्तान और ईरान में मिली नाकामी को भुनाने के लिए इस मुद्दे को तूल दे रहा है। अफगानिस्तान से सेना बुलाने के बाद अमेरिका के सुपर पावर इमेज को धक्का लगा है। इस प्रकरण के बाद अमेरिका अपनी छवि सुधारने में लगा है।
रूस और यूक्रेन विवाद के कारण –जैसा की हमने आपको बताया की रूस और यूक्रेन के बीच हो रहे विवाद में अमेरिका का भी भूमिका है. दरअसल हालही में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने विश्व को संबोधित करते हुए ये कहा है कि रूस अब वेस्ट कंट्रीज के साथ व्यापार नहीं कर सकता है, और वहां से उसे जो सहायता मिलती है वह भी मिलनी बंद हो जाएगी. और साथ ही रूस की 2 वित्तीय संस्थानों में प्रतिबध भी लगा दिया गया है. और साथ ही यह भी कहा गया है कि यदि रूस पीछे नहीं हटता है तो वह अगले फैसले के लिए तैयार रहे.
रूस और यूक्रेन की भौगोलिक स्थिति
रूस यूक्रेन से 28 गुना ज्यादा बड़ा है। जनसंख्या के मामले में भी यूक्रेन रूस से मात खाता है। रूस और यूक्रेन दोनो ही गैस और तेल संबंधी रिसोर्सेज में धनी हैं। यूक्रेन बेलारूस, ब्लैक सी, सी ऑफ अजोव, हंगरी, मोल्दोवा, रोमानिया, रूस, पोलैंड और स्लोवाकिया से अपनी सीमाएं बांटता है। अतः इसकी लोकेशन काफी महत्वपूर्ण है।
रूस और यूक्रेन विवाद का विश्व पर असर
अमेरिका के अलावा ब्रिटेन एवं फ्रांस जैसे देशों ने यूक्रेन को अपना समर्थन दिया है। हालांकि यूरोपीय देशों का एक बड़ा वर्ग गैस संबंधी जरूरतों के लिए रूस पर आश्रित है। आगे रूस इन्हे गैस देने से मना कर देगा तो पावर क्राइसिस उत्पन्न हो जाएगी। ऊर्जा संकट के उत्पन्न होने पर रूस फिर मनमाने दाम में गैस पहुंचा पाएगा। इसके साथ ही आपको बता दे कि यूक्रेन का सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर रूस है। इन दोनो के मध्य उत्पन्न तनाव से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। अगर युद्ध होता है तो गैस से जुड़ा संकट अवश्य देखने को मिलेगा
रूस और यूक्रेन की सैन्य ताकत
रूस | यूक्रेन | |
सैनिक | 2900000 | 1100000 |
तोप खाने | 7571 | 2040 |
टैंक | 12240 | 2596 |
अटैक हेलीकॉप्टर | 544 | 34 |
रूस और यूक्रेन विवाद पर भारत की प्रतिक्रिया
रूस और यूक्रेन विवाद के कारण –भारत के लिए ये स्थिति चुनौतीपूर्ण है। भारत रूस को नाराज़ करने की कोशिश नहीं करेगा पर पश्चिमी देशों से भी भारत की साझेदारी अच्छी है। रूस यूक्रेन विवाद के बीच S 400 एयर डिफेंस से संबंधित संकट भी उत्पन्न हो सकता है। भारत अपनी साठ प्रतिशत सैन्य आपूर्ति के लिए रूस पर आश्रित है। इसलिए भारत ने अभी खुल कर अपना पक्ष साझा नहीं किया है। अब देखने वाली बात ये है कि रूस यूक्रेन विवाद कितना आगे जाएगा और भविष्य में इसके क्या परिणाम होंगे।
रूस और यूक्रेन विवाद की ताज़ा खबर
आपको बता दें कि ताज़ा खबर के मुताबिक रूस और यूक्रेन विवाद खाफी आगे बढ़ गया है. हालही में खबर आई है कि रूस ने यूक्रेन पर हमला करना शुरु कर दिया है. यानि अब रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध प्रारंभ हो गया है. अब देखने वाली बात ये हैं कि इस युद्ध में अन्य देश भी शामिल होकर इसे विश्व युद्ध का रूप देते हैं या फिर ये युद्ध सिर्फ रुस और यूक्रेन युद्ध ही रहकर खत्म होता है
रूस और यूक्रेन युद्ध की ताज़ा जानकारी
हालही में ताजा खबर ये आ रही है कि कम से कम 2 लाख रुसी सैनिक यूक्रेन में तैनात हैं.
रुसी सेना यूक्रेन में अलग – अलग सीमाओं से हमला कर रही है. यहाँ तक कि कहा जा रहा है कि रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव में हमला कर दिया है. कीव में एयर साइरन के जरिये लोगों को चेतावनी दी गई है. सुबह से कीव में धमाके की आवाजें सुनाई दे रही है.
रुसी सेना ने सैन्य एयर को निशाना लगाया है.
कुल मिला कर अभी वहां की स्थिति यह है कि यूक्रेन को रूस की सेना ने चारों ओर से घेर लिया है.
आपको बता दें कि पूरे यूक्रेन में आपातकाल की घोषणा कर दी गई है.
यूक्रेन की राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र से आपातकालीन बैठक की अपील की है.
यूक्रेन के राजदूत डॉ इगोर पोलिखा जो भारत में मौजूद है उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी से भी मदद मांगी है, और उनसे इसमें हस्तक्षेप करने के लिए आग्रह किया है.
ब्रिटेन ने भी इस हमले के लिए रूस की कड़ी निंदा की है और कहा है कि वे एक निर्णायक फैसला लेंगे.
हालांकि यूक्रेन ने यह दावा किया है कि उसने 50 रुसी सैनिकों को मार गिराया है.
यूक्रेन में रहने वाले क्रीमियाई तातार मुसलमानों को रुसी सेना से सबसे ज्यादा डॉ लग रहा है और उन्हें इससे खतरा महसूस हो रहा है.
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