दक्षिण भारत के 7 प्रमुख गणेश मंदिर-हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में आपको दक्षिण भारत के 7 प्रमुख गणेश मंदिर के बारे में बताने जा रहा हु। महाराष्ट्र के आर्थिक नगर मुम्बई के प्रभादेवी में स्थित श्री सिद्धिविनायक मन्दिर भगवान् गणेश जी को समर्पित सबसे पुराने और लोकप्रिय पवित्र मंदिरों में से एक है| ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त यहां आकर सच्चे मन से जो भी प्रार्थना करते हैं, उसे श्री सिद्धिविनायक भगवान् श्री गणेश जरूर पूरा करतें हैं. और यही कारण है कि यहां हर समय इस मंदिर में भक्तों की अपार भीड़ लगी रहती है. ऐसा माना जाता है की कई मशहूर हस्तियां इस मन्दिर में भगवान् श्री गणेश के दर्शन करने के लिए आती रहती हैं|
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श्री सिद्धिविनायक मन्दिर में है भगवान् श्री गणेश की खास मूर्ति
सिद्धिविनायक मन्दिर में भगवान् गणेश जी की मूर्ति में श्री गणेश जी की सूंड दाऐं ओर है, बल्कि जब हम गणेश जी की दूसरी मूर्तियों को देखते हैं तो उनकी सूंड बाईं ओर नजर आती हैं. सिद्धिविनायक मन्दिर में गणेश जी की मूर्ति को एक काले पत्थर से तराशा गया है जो 2.5-फिट ऊँची और 2-फिट चौड़ी है. भगवान् गणेश इस मन्दिर में अपनी दोनों पत्नियां रिद्धि-सिद्धि संग विराजमान हैं
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सिद्धिविनायक मन्दिर का निर्माण और मान्यता
सिद्धिविनायक मन्दिर का निर्माण 19 नवम्बर 1801 में हुआ था|मन्दिर के बारे में ऐसी मान्यता है इसके निर्माण में लगी धनराशि एक किसान महिला ने दी थी. उस महिला की कोई संतान नही थी, इसलिए वो चाहती थी कि जो भी महिला इस मन्दिर में संतान की कामना लेकर इस मन्दिर में आये, गणपति बप्पा उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करें
सिद्धिविनायक मन्दिर और गणेश चतुर्थी
भगवान् श्री गणेश को समर्पित गणेश चतुर्थी का उत्सव बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है जोकी आने वाले 18 सितंबर से शुरू हो रहा है. यह उत्सव 11 दिनों तक चलता है|
सिद्धिविनायक मन्दिर में यह उत्सव देखते ही बनता है. इस दौरान यहां रहने या यहां आने वाले लगभग हर भक्त की मुख्य कोशिश यही रहती है की सिद्धिविनायक जी और लालबाग के राजा के दर्शन हों. इस दौरान सिद्धिविनायक मन्दिर में वैदिक भजन और श्लोकों का जप किया जाता है और भगवान् गणेश को मोदक के प्रसाद चढ़ाये जाते हैं|
खजराना गणेश मन्दिर, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के इंदौर में स्थित खजराना के गणेश मन्दिर के चमत्कार की कहानी दूर-दूर तक फैली है| इस चमत्कारी मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इस मन्दिर में स्वयंभू गणपति अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. बस भक्तों को यहां आकर उल्टा स्वस्तिक बनाना होता है.
क्या है उल्टे स्वस्तिक का चमत्कार
खजराना मन्दिर में जब हम कोई मन्नत लेकर जाते हैं तो भगवान् गणेश जी के मन्दिर के पीछे की दीवार पर उल्टा स्वस्तिक बनाते हैं| जब हमारी मन्नत पूरी हो जाती है तो हम दुबारा जाकर सीधा स्वस्तिक बनाते हैं. कहा जाता है, ये चलन यहां कई सालों से चला आ रहा है| माना जाता है यहां उल्टा स्वस्तिक बनाने से हमारी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं
खजराना गणेश मन्दिर का इतिहास
खजराना गणेश जी का मन्दिर निर्माण 1735 में तत्कालीन होल्कर वंश की शासक अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था. माना जाता है खजराना गणेश जी के मन्दिर के निर्माण के लिए गणेश जी ने एक पंडित को स्वप्न दिखाया कि यहां पर गणेश भगवान् की एक मूर्ति जमीन में दबी हुई है; उसे वहां से निकालो. तब अहिल्याबाई होल्कर ने स्वप्न के अनुसार उस जगह की खुदवाई करवाई और खुदाई में ठीक वैसी ही भगवान् गणेश की प्रतिमा प्राप्त हुई, जिसके बाद यहां मन्दिर निर्माण करवाया गया खजराना का गणेश मन्दिर का निर्माण अपने आप में ही भव्य और विस्तृत में बना हुआ है| माना जाता है इस मन्दिर के निर्माण में लोग देश- विदेश से आकर पैसे, सोना, चाँदी, हीरे जवाहरात मन्दिर के निर्माण के लिए दान करते हैं. खजराना श्री गणेश जी के मन्दिर के गर्भ गृह के बाहरी गेट और दीवार का निर्माण चाँदी से हुआ है, और इसमें अलग-अलग त्योहारों की झाँकिया प्रस्तुत की गयी हैं| भगवान् गणेश जी की प्रतिमा की आँख हीरे से बनाई गयी है, जिसको इंदौर के एक व्यापारी के द्वारा दान किया गया था|
खजराना के श्री गणेश मन्दिर में इंदौर और उसके आस- पास रहने वाले लोगों के यहां किसी भी शुभ कार्य में पहला निमंत्रण मन्दिर में भेजकर भगवान् श्री गणेश को आमन्त्रित करते हैं| लोगों का मानना है कि इससे शुभ कार्य में कोई बाधा नही आती है और श्री गणेश हम सब की रक्षा करते हैं|
रणथंभौर गणेश मन्दिर, राजस्थान
यह मन्दिर भारत के राजस्थान प्रांत में सवाई माधोपुर जिले में स्थित है, जो की विश्व धरोहर में शामिल रणथंभौर दुर्ग के भीतर बना हुआ है| अरावली और विंध्याचल पहाड़ियों के बीच स्थित रणथंभौर दुर्ग में विराजे त्रिनेत्र गणेश की बात ही अलग निराली है| यह मन्दिर प्रकृति और आस्था का अनूठा संगम है|
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