Friday, April 26, 2024
HomeComputer & TechnologyROM Kya Hai और कितने प्रकार के होते हैं?

ROM Kya Hai और कितने प्रकार के होते हैं?

ROM Kya Hai और कितने प्रकार के होते हैं? आइए दोस्तों आज मैं आपको  ROM Kya Hai , ROM के प्रकार हैं इसका मतलब है मेमोरी डिवाइस मीडियम  कहां जाता है जैसे कि किसी भी इंफॉर्मेशन को रिस्टोर करने के लिए काम करती है  और यह है Ram का कंप्यूटर की प्राइमरी मेमोरी का अच्छा होता है मुझे याद दिलाता है कि कंप्यूटर में दो तरह के मेमोरी होते हैं प्राइमरी और सेकेंडरी इसमें दो प्रकार की होती हैं  और ऐसे में कई लोगों के मन में यह सवाल आया होगा कि हमने ज्यादातर ram  का नाम सुना है परंतु ROM Kya Hai यह अत्यधिक लोगों को नहीं मालूम  तो आज मैं आपको ROM Kya Hai  और ROM के प्रकार हैं  तो चलिए जानते हैं

ROM का Full Form होता है 

Read Only Memory अब आपको इस नाम से ही पता चल चूका होगा की Read का मतलब यह है ROM Kya Hai और कितने प्रकार के होते हैं? की आप केवल मेमोरी को रीड कर सकते है। और इसके अंदर केवल फिक्स प्रोग्राम होता है जैसे की आप जानते है की प्रोग्राम को बदल सकते।  जैसे आप किसी नए कंप्यूटर को खरीदते है तो उसमे आपको BIOS नए Computer में पहले से ही रहता है तो यह जिस मेमोरी के अंदर रहता है उस मेमोरी का नाम ही ROM होता है।  और यह एक उदाहरण है 

Quantum Computer Kya Hai

FIRMWARE Software program जोकि यह हार्डवेयर के साथ जुड़ा होता है।   और FIRMWARE  के अंदर जो प्रोग्राम होता है वह भी ROM Chip में होता है। और दोस्तों इस मेमोरी को  Non-Volatile Memory भी बोला ज्याता है। और इस मेमोरी को केवल जब बनाया जाता है जब कंप्यूटर बनाते है

ROM का इस्तेमाल कहा किया जाता है

ROM का इस्तेमाल Computer या फिर Mobile में इस्तेमाल नहीं बल्कि इसे किसी और  WASHING Machine, Microwave Oven, TV, AC, Lift में इस्तेमाल कर सकते है। ROM Kya Hai और कितने प्रकार के होते हैं? और बढ़ती टेक्नोलॉजी के कारण ROM के कई प्रकार है तो चलिए जानते है ROM के बारे में विस्तार से।

Microsoft Ne Windows 8.1 Support Band Karne Ka Kiya Ailaan ये है इस्तेमाल करने की आखिरी तारीख

ROM Kya Hai 

इसका पूरा नाम तो सभी जानते है।  तो इसका मतलब यह है की इसमें डाटा को केवल पढ़ा जाता है।  और साथ ही आप इसमें कोई नया डाटा नहीं जोड़ सकते है। और साथ ही इसमें एक खासियत यह है की इसमें  Power Off होने पर भी डाटा memory से डिलिट नहीं होता है।

ROM की विशेषताएँ

  • ROM एक स्थायी मेमोरी या permanent memory होती हैं.
  •  इसमें Computer की सभी Basic Functionality के निर्देश को स्टोर किया जाता है.
  •  ROM केवल Readable होती हैं। मतलब की इसमें स्तिथ information को केवल read किया जा सकता है.
  • कीमत की बात करें तब ROM, RAM की मुताबिक यह काफी सस्ती होती हैं.
  •  ROM बहुत ही कम उर्जा का इस्तमाल किया जाता है और वही वो बहुत ही ज्यादा reliable होते हैं.

ROM के प्रकार – Types Of ROM in Hindi

तो दोस्तों अब बात आती है ROM की प्रकार  की तो इसमें आपको कई ऐसे वर्ड्स आपको दिखेंगे जिससे आप कंफ्यूज जरूर होंगे।  तो आपको कंफ्यूज नहीं होना है।  इसमें सभी शब्दों का मतलब एक ही है।  जैसे Data, Instruction, Program। ROM Kya Hai और कितने प्रकार के होते हैं? और इसके अंदर एक Term “Programmed” इसका मतलब यह है की इसमें कई सारे Command होता है जोकि टास्क करता है जैसे सॉफ्टवेयर करता है।  जैसे की एक कंप्यूटर को ऑन करने के लिए सॉफ्टवेयर  प्रोग्राम करता है  जिसका नाम है Firmware जो की ROM में रहता है। और बात आती है की इसके प्रकार की तो इसके तो वैसे चार प्रकार होते है ।  तो अब इसके प्रकार पर भी गौर फरमाते है।

MROM (Masked Read Only Memory)

PROM (Programmable Read-Only Memory)

EPROM (Erasable and Programmable Read-Only Memory)

EEPROM (Electrically Erasable and Programmable Read-Only Memory)

Masked Read Only Memory

ये सबसे पहला वाला ROM है, ये आज कल की दुनिया में इसका इस्तेमाल बिलकुल ही नहीं होता है। Read Only Memory Hard Wired Devices है। जिसमे पहले से Pre-Programmed Data और Instruction Store किया ज्याता था। ROM Kya Hai और कितने प्रकार के होते हैं? इस तरह के Memory काफी महंगे होते थे

Programmable Read Only Memory

ये एक ऐसा ROM है जिसको हम बस एक बार ही बदल सकते हैं। फिर आप चाहो तब भी बदल नहीं पाएंगे। बदलनी का मतलब यह है की PROM में नया Program डालना होतो आप नहीं डाल सकते है और इसे अपडेट भी कहा जाता है जोकि आप दुबारा इसे अपडेट नहीं कर सकते है।

Erasable and Programmable Read Only Memory 

इसका यह ३ प्रकार है इसमें एक अच्छी खासियत यह है की आप इसको Erase भी कर सकते हैं और फिर से programmed भी कर सकते हैं। इस memory को erase करने का तरीका काफी अलग है ROM Kya Hai और कितने प्रकार के होते हैं? जिसमे आपको इस Memory को 40 Minute तक Ultra Violet Light से pass किया जाता  है तो तब आपकी मेमोरी खाली होती है। 

इस प्रकार के ROM में Data को Erase करके दुबारा से Program कर सकते हैं. Data को हटाने के लिए Ultra Violet Light का प्रयोग किया जाता है. डाटा को हटाने के लिए डाटा को 30 से 40 बार Ultra Violet Light से होकर गुजरना पड़ता है. ROM Kya Hai और कितने प्रकार के होते हैं? डाटा को Erase करने की लिए EPROM Eraser का इस्तेमाल होता है.

Characteristics of EPROM

इसमें डाटा को दो बार Program कर सकते हैं.

इसमें अधिक बिजली की जरूरत होती है.

डाटा को हटाने के लिए Ultra Violet Light की जरुरत होती है.

इसमें Reprograming बहुत धीरे होता है.

डाटा को Reprograming करने के बाद कई सालों तक सुरक्षित रखा जा सकता है.

इसका प्रयोग PCO कंप्यूटर और TV Turner में किया जाता है.

EEPROM ( Electricity Erasable and Programable Read Only Memory )

EEPROM में डाटा को 10 से 15 हजार बार Erase करके Program कर सकते हैं. ROM Kya Hai और कितने प्रकार के होते हैं? इसमें डाटा को Erase करने के लिए केवल 6 से 10 मिलिसेकंड का समय लग जाता है. इसमें डाटा को Erase करने के लिए पूरी चिप को खली करने की जरुरत नहीं पड़ती है. किसी एरिया को Select करके उसे Erase करके पूरा Program कर सकते हैं.   

EPROM और EEPROM में क्या अंतर है?
EPROM EEPROM
1. EPROM में, UV लाइट का उपयोग EPROM की कंटेंट को मिटाने के लिए किया जाता है। EEPROM में कंटेंट को मिटाने के लिए इलेक्ट्रिक सिग्नल का उपयोग किया जाता है।
2. EPROM में टॉप पर एक रॉक क्रिस्टल विंडो शामिल है। EEPROM क्षेत्र इकाई पूरी तरह से एक अपारदर्शी प्लास्टिक केस सील होती है।
3. EPROM में सेल का सापेक्ष आकार एक है। EEPROM में सेल का सापेक्ष आकार 3 है।
4. EPROM PROM का आधुनिक संस्करण है। EEPROM EPROM का आधुनिक संस्करण है।
5. EPROM एक्सटर्नल प्रोग्रामिंग है। EEPROM एक्सटर्नल प्रोग्रामिंग है।
6. एक बार जब EPROM मेमोरी को मिटा दिया जाता है तो इसे फिर से Reprogrammed किया जा सकता है। EEPROM को EPROM की तरह Erase  कर देने के बाद भी reprogrammed किया जाता है।
7. EPROM में प्रयुक्त ट्रांजिस्टर 12.5 वोल्ट की खपत करता है। EEPROM में प्रयुक्त ट्रांजिस्टर 5 वोल्ट का उपभोग करता है।
8. EPROM में, हॉट इलेक्ट्रॉन इंजेक्शन प्रोग्रामिंग तकनीक का उपयोग किया जाता है। EEPROM में Tunnel effect का उपयोग प्रोग्रामिंग तकनीक के रूप में किया जाता है।
9. EPROM में, मिटाने की सामग्री के लिए एक इरेज़र की खपत 15 से 20 मिनट होती है। EEPROM में कंटेंट को मिटाने के लिए 5 मिलीसेकंड का समय लगता है।
10. कंप्यूटर के BIOS को erase और  reprogram करने के लिए EPROM चिप को कंप्यूटर सर्किट से दूर होना चाहिए। EEPROM चिप को मिटाया जाएगा और कंप्यूटर के BIOS की सामग्री को मिटाने और पुन: उत्पन्न करने के लिए विद्युत सर्किट के भीतर पुन: डिज़ाइन किया जाएगा।

ROM कैसे काम करता है?

जैसा की सभी जानते है की जब आपको कंप्यूटर चालु करते है तो उसके साथ में CPU, Mouse, Keyboard आदि हार्डवेयर भी Attached हैं. इन सभी को BIOS (Basic Input Output System) कहा जाता है. कंप्यूटर के अंदर ROM का होना काफी जरुरी है। ROM Kya Hai और कितने प्रकार के होते हैं? यानी किसी कंप्यूटर में ROM न हो तो  बिना ROM के कंप्यूटर में कुछ भी डाटा स्टोर नहीं कर सकते हैं. यह Booting Process और System को On करने में मदद करता है.

ROM एक चिप के बराबर की होती है यह BIOS Computer को Operating System से Connect करती है और कंप्यूटर के On होने में मदद करती है. ROM Motherboard और CPU से जुडी रहती है इसके अन्दर हम कुछ भी डाटा सेव कर सकते हैं जैसे कि Application, Multimedia, Software, Files Etc. यह एक Permanent Storage है.

Advantages Of ROM

इसकी प्रकृति Non-Volatile है, जो की program स्थाई रूप से रखता है.

इसके data अपने आप नहीं बदलते है, बदलने से ही data बदलता है.

ये RAM से सस्ता होता है.

RAM से ज्यादा भरोसेमंद हैं। क्यूंकि RAM में Data तब तक रहता है जब तक Power Supply रहता है.

ये स्थिर है  और जिसको बार बार Refresh करने की कोई जरुरत नहीं.

इसमें data को बोहत सोच समझ के डाला ज्याता है जिसको हम बार बार बदल नहीं सकते.

RELATED ARTICLES
4 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Most Popular