हर चार साल बाद क्यों मनाया जाता है – पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में 365.2422 दिन लगते हैं। इसका मतलब है कि 365 दिनों का साल 0.2422 दिन छोटा होता है। यह अंतर हर साल बढ़ता जाता है और कुछ सालों में ऋतुओं में बदलाव आने लगता है।
लीप ईयर इस अंतर को कम करने का एक तरीका है। हर चार साल में एक अतिरिक्त दिन जोड़कर हम ऋतुओं को उनके सही समय पर रखते हैं। 29 फरवरी को लीप डे कहा जाता है। यह अतिरिक्त दिन फरवरी महीने में जोड़ा जाता है। लीप डे क्या है और कैसे इसकी शुरुआत हुई
Quick Links
लीप डे क्या है?
हर चार साल बाद क्यों मनाया जाता है – लीप डे वह अतिरिक्त दिन है जो हर चार साल में फरवरी महीने में 28 तारीख के बाद जोड़ा जाता है। इस दिन को “लीप डे” कहा जाता है। 2024 में, 29 फरवरी लीप डे होगा।
लीप डे किसने बनाया?
लीप डे की अवधारणा का श्रेय रोमन सम्राट जूलियस सीज़र को जाता है। 46 ईसा पूर्व में, उन्होंने जूलियन कैलेंडर पेश किया, जिसमें हर चार साल में एक अतिरिक्त दिन जोड़ा जाता था। यह दिन फरवरी महीने में 28 तारीख के बाद जोड़ा गया था और इसे “बीसेक्सटाइल” कहा जाता था, जिसका अर्थ है “छठा दिन”।
हर चार साल बाद क्यों मनाया जाता है – जूलियस सीज़र ने लीप डे को इसलिए बनाया क्योंकि उन्हें पता था कि पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में वास्तव में 365.2422 दिन लगते हैं। 365 दिनों का एक सामान्य वर्ष, इस वास्तविक समय से थोड़ा कम होता है। समय के साथ, यह अंतर बढ़ता जाएगा और मौसम कैलेंडर से अलग हो जाएगा।
लीप डे जोड़कर, जूलियस सीज़र ने यह सुनिश्चित किया कि कैलेंडर वर्ष ऋतुओं के साथ तालमेल बनाए रखे। हर चार साल बाद क्यों मनाया जाता है लीप ईयर
जूलियन कैलेंडर के बाद, 1582 में पोप ग्रेगोरी XIII ने ग्रेगोरियन कैलेंडर पेश किया। इस कैलेंडर में कुछ सुधार किए गए थे, जिनमें लीप वर्षों की गणना के लिए नए नियम भी शामिल थे। ग्रेगोरियन कैलेंडर आज दुनिया में सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला कैलेंडर है।
लोग लीप डे कैसे मनाते हैं?
जो लोग 29 फरवरी को पैदा हुए हैं, वे हर चार साल में अपना जन्मदिन मनाते हैं। कुछ लोग इस दिन को विशेष रूप से मनाते हैं, जैसे कि पार्टी करके या दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताकर।
लोग लीप डे को शादी, सालगिरह या अन्य विशेष अवसरों को मनाने के लिए उपयोग करते हैं। यह एक अनोखा और यादगार दिन है, जो किसी भी अवसर को विशेष बनाने के लिए एकदम सही है।
कुछ देशों और संस्कृतियों में लीप डे को उत्सव के रूप में मनाया जाता है। उदाहरण के लिए, आयरलैंड में, 29 फरवरी को “लीप डे” के रूप में जाना जाता है और इसे परेड, पार्टियों और अन्य उत्सवों के साथ मनाया जाता है।
Also Read
कुछ लोग लीप डे को नई चीजों को आजमाने या कुछ अलग करने के लिए उपयोग करते हैं। आप एक नया शौक शुरू कर सकते हैं, यात्रा कर सकते हैं, या स्वयंसेवा कर सकते हैं।
लीप डे पर कितने लोगों का जन्मदिन होता है?
लीप डे पर कितने लोगों का जन्मदिन होता है, यह निश्चित रूप से कहना मुश्किल है। इसका कारण यह है कि जन्म दर और मृत्यु दर साल-दर-साल बदलती रहती है।
कुछ अनुमानों के अनुसार, दुनिया भर में लगभग 4.1 मिलियन लोग 29 फरवरी को पैदा हुए हैं। यह दुनिया की कुल आबादी का लगभग 0.0006% है। यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में लगभग 200,000 लोग 29 फरवरी को पैदा हुए हैं।
लीप ईयर का गणित
365 दिन (सामान्य वर्ष) + 0.2422 दिन (वार्षिक अंतर) = 365.2422 दिन (पृथ्वी की परिक्रमा) लीप ईयर के बिना, ऋतुओं में धीरे-धीरे बदलाव आने लगता है।
यदि 365 दिनों का साल ही मानक होता, तो 100 साल बाद ऋतुएं 24.22 दिन पीछे खिसक जातीं। इसका मतलब है कि दिसंबर में गर्मी और जून में सर्दी हो सकती है। लीप ईयर ऋतुओं को उनके सही समय पर रखने में मदद करता है।
लीप ईयर की शुरुआत कैसे हुई?
लीप ईयर की अवधारणा प्राचीन रोम से आई है। 46 ईसा पूर्व में, रोमन सम्राट जूलियस सीजर ने जूलियन कैलेंडर पेश किया। जूलियन कैलेंडर में हर चार साल में एक लीप ईयर होता था। जूलियन कैलेंडर 1582 तक इस्तेमाल होता रहा।
1582 में, पोप ग्रेगरी XIII ने ग्रेगोरियन कैलेंडर पेश किया। ग्रेगोरियन कैलेंडर में कुछ बदलाव किए गए थे, जिसमें लीप ईयर के नियम भी शामिल थे। आज दुनिया भर में ज्यादातर देश ग्रेगोरियन कैलेंडर का उपयोग करते हैं।
लीप ईयर के रोचक तथ्य
29 फरवरी को जन्मे लोगों का जन्मदिन हर चार साल में एक बार आता है। 2024 एक लीप ईयर है। अगला लीप ईयर 2028 में होगा।
2000 एक लीप ईयर था, लेकिन 1900 नहीं था। 400 साल में 97 लीप ईयर होते हैं। 100 साल में 24 लीप ईयर होते हैं। 4 साल में 1 लीप ईयर होता है।
हर चार साल बाद क्यों मनाया जाता है लीप ईयर?
हर चार साल बाद लीप ईयर मनाया जाता है क्योंकि पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में 365 दिन, 5 घंटे, 48 मिनट और 46 सेकंड लगते हैं। हम कैलेंडर में 365 दिन मानते हैं, इसलिए हर साल 5 घंटे, 48 मिनट और 46 सेकंड बच जाते हैं। चार साल में यह बचा हुआ समय लगभग 24 घंटे (1 दिन) के बराबर हो जाता है। इसलिए, हर चार साल में एक अतिरिक्त दिन जोड़कर हम इस अंतर को समायोजित करते हैं।