बहुत से लोग ऐसे भी होते हैं जो धार्मिक चीजों से इतने ज्यादा प्रभावित हो जाते हैं कि वह आध्यात्मिकता को अपने जीवन का हिस्सा ही बना लेते हैं। अगर ऐसा देखा जाए तो आध्यात्मिकता हमारे जीवन का जरूरी हिस्सा होती है। एक ऐसे ही कवि का आध्यात्मिकता से गहरा नाता जुड़ गया था। बौद्ध धर्म से वह इतना ज्यादा प्रभावित हुए कि उन्होंने अपना नाम ही बदल लिया। हम यहां पर बात कर रहे हैं हिंदी के लेखक और कवि नागार्जुन की। इस लेखक का नाम मैंने आज पहली बार ही सुना था। स्कूल के दिनों में भी इतने लेखकों की कविताएं पढ़ी पर इनके नाम से परिचित मैं आज ही हुई। पहले इनका नाम पढ़कर मुझे दक्षिण भारत के स्टार नागार्जुन का ख्याल आया। नागार्जुन का लेखक परिचय व भाषा शैली
Quick Links
नागार्जुन का जीवन परिचय
लेखक का नाम | वैद्यनाथ मिश्र |
जन्म तिथि | 11 जून सन् 1911 |
जन्म स्थान | गाँव : सतलखा, जिला : मधुबनी, राज्य : बिहार, देश : भारत |
उपनाम | हिंदी सहित्य के लिए : नागार्जुन मैथिली रचनाओं के लिए : यात्री संस्कृत रचनाओं के लिए : चाणक्य लेखकों और मित्रों में : नागाबाबा नाम से प्रचलित रहे | |
पिता का नाम | गोकुल मिश्र |
माता का नाम | श्रीमती उमादेवी |
पत्नी का नाम | अपराजिता देवी |
नागार्जुन का लेखक परिचय व भाषा शैली-नागार्जुन के जीवन में भी अन्य कवियों की ही तरह सुख से ज्यादा दुख थे। उन्होंने भी अपने जीवन में कई उतार चढ़ाव देखें। इनसे जुड़ा एक रोचक तथ्य यह है कि उन्होंने अपने जीवन में अपने कई नाम रखे। जैसे कि हिंदी सहित्य के लिए वह नागार्जुन नाम इस्तेमाल किया करते थे।
मैथिली रचनाओं के लिए वह अपने लिए यात्री नाम इस्तेमाल किया करते थे। संस्कृत रचनाओं के लिए चाणक्य नाम और लेखकों और मित्रों में वह नागाबाबा नाम से पहचाने जाते थे। इनके पिता का नाम गोकुल मिश्र था। और इनकी माता का नाम श्रीमती उमादेवी था। इनके माता-पिता को चार संतानों की प्राप्ति तो हुई पर वह चारों ही इस दुनिया से जल्दी चली गई। Nagarjun Biography in Hindi
इनके पिता और माता ने भोलेनाथ से कामना की कि वह उनको एक पुत्र की प्राप्ति का वर दे। और ऐसा ही हुआ। गोकुल मिश्र और उमादेवी के घर एक सुंदर से बालक ने जन्म लिया। उसका नाम रखा गया वैद्यनाथ मिश्र। इनके पिता ने सोचा कि शायद यह बालक भी अब ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रह सकेगा। यह उसको ठक्कन (ठगने वाला) नाम से पुकारने लगे। वह अपनी माँ बाप की आंखों का तारा बन गया था।-नागार्जुन का लेखक परिचय व भाषा शैली Nagarjun Biography in Hindi
नागार्जुन का बचपन
नागार्जुन का जन्म 30 जून 1911 को हुआ था। उनका परिवार सतलखा गाँव, दरभंगा, बिहार से ताल्लुक रखता था। वह माध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार से थे। उनके पिता बिल्कुल ही निरक्षर थे। वह कुछ भी कमाई नहीं करते थे। धन के नाम पर जो कुछ भी पूजा पाठ करवाने से मिलता वह उससे ही अपने जीवन का गुजारा कर रहे थे।-नागार्जुन का लेखक परिचय व भाषा शैली
नागार्जुन की माता धार्मिक स्वभाव की महिला थी। नागार्जुन के पिता कोमल स्वभाव के कम और गुस्सैल स्वभाव के व्यक्ति ज्यादा थे। उनके पिता अपनी पत्नी पर भी खूब अत्याचार करते थे। उनके पिता ने धन के लालच में आकर अपनी पैतृक संपत्ति बेच दी थी। उनका ऐसा स्वभाव देख कर नागार्जुन के बाल मन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा। नागार्जुन का बचपन बिल्कुल भी अच्छा नहीं रहा। नागार्जुन का लेखक परिचय व भाषा शैली
उन्होंने अपने बचपन में गरीबी और लाचारी देखी थी। बहुत से लोग इनके बारे में कहते हैं कि नागार्जुन का स्वभाव बड़ा ही घुमंतू तरह का हो गया था। इसका सबसे बड़ा कारण उनके पिता ही थे। वह नागार्जुन को हर जगह अपने साथ घुमाने ले जाते थे। मात्र सात साल की उम्र में ही नागार्जुन ने अपनी माँ को खो दिया था। नागार्जुन बेहद दुखी रहने लगे थे। उन्होंने अपना बचपन बेहद संघर्ष के साथ गुजारा। नागार्जुन का लेखक परिचय व भाषा शैली
नागार्जुन की शिक्षा
नागार्जुन की शिक्षा सबसे पहले घर से ही चालू हुई। वह घर पर ही रहकर खूब सारी किताबें पढ़ा करते थे। उनको किताबों से बहुत ज्यादा लगाव था। उनकी संस्कृत विषय पर बहुत अच्छी पकड़ थी। उन्होंने तरौनी, गनौली और पचगछिया के संस्कृत पाठशाला में दाखिला लिया था।नागार्जुन का लेखक परिचय व भाषा शैली
उनकी शिक्षा का अंदाज ऐसा था जैसे कि मानो वैदिक काल में हुआ करती हो। क्योंकि नागार्जुन का परिवार इतना धनी नहीं था कि वह नागार्जुन को पढ़ने के लिए किसी धनवान विद्यालय में भेज सके इसलिए नागार्जुन की पढ़ाई मिथिलांचल से ही हुई। उनकी संस्कृत की पढ़ाई बनारस से हुई। उनको अपने विद्यार्थी जीवन में आर्य समाज से लगाव हो गया। यहां तक कि विद्यार्थी काल में ही उनका बौद्ध धर्म की तरफ भी झुकाव हुआ।
उन्होंने इसी के चलते ही कई जगहों की यात्रा की। यहां तक कि वह श्री लंका भी गए। इन्हीं एक यात्राओं में उनका परिचय राहुल सांकृत्यायन से हुआ। वह भी नागार्जुन की ही तरह बौद्ध धर्म से बहुत ज्यादा प्रभावित थे। सन् 1926 में उनको काव्यतीर्थ की उपाधि प्राप्त हुई थी। उन्होंने केलानाया, कोलंबो में पाली भाषा पर भी अपनी पकड़ मजबूत की।
नागार्जुन का राजनीति में प्रवेश
नागार्जुन जैसे ही बड़े हुए उनको राजनीति का शौक चढ़ गया। राजनीति जैसे विषय में उनको दिलचस्पी आने लगी। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में खुलकर भाग लिया। चंपारण के किसान आंदोलन में भी उन्होंने किसानों का साथ दिया। वह आम जनता के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना चाहते थे। उस दौर में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से वह बहुत ज्यादा प्रभावित हो गए थे। वह नेताजी का अनुसरण करने लगे थे। नागार्जुन का लेखक परिचय व भाषा शैली Nagarjun Biography in Hindizz
नागार्जुन का विवाह
नागार्जुन का विवाह कृष्णकांत झा की पुत्री अपराजिता देवी के साथ हुआ था। नागार्जुन की पत्नी अपराजिता देवी हीरपुर बवशी टोेल की रहने वाली थी। उनका वैवाहिक जीवन ज्यादा अच्छा नहीं रहा। नागार्जुन के पिता का स्वभाव अच्छा नहीं था। वह नागार्जुन को नौकरी नहीं करने की वजह से हर समय टोकते रहते थे। नागार्जुन का लेखक परिचय व भाषा शैली
नागार्जुन अपने पिता की हरकतों से इतना ज्यादा तंग आ गए थे कि वह छोटी सी अपराजिता के बारे में ज्यादा सोचे समझे बगैर ही 1934 ई. में उन्हें छोड़कर घर से भाग गए। अपराजिता की उम्र उस समय मात्र बारह वर्ष ही थी। वह इस बात से बहुत दुखी हो गई थी।
हालांकि बाद में 1941 में वह घर दुबारा लौट आए। नागार्जुन के चार बेटे हुए और दो बेटियां। बेटों के नाम शोभाकान्त, सुकान्त, श्रीकान्त और श्यामाकान्त मिश्र। और बेटियों के नाम है उर्मिला और मन्जू। नागार्जुन की पत्नी का 18 फरवरी 1997 में देहांत हो गया था। इसके बाद वह और भी ज्यादा अकेलेपन का अनुभव करने लगे थे। Nagarjun Biography in Hindi
नागार्जुन के पुरस्कार
1968 में मैथिल काव्य संग्रह ‘‘पत्रहीन नग्न गाछ’’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, हिन्दी कविता के लिए मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार, साहित्य अकादमी की ‘‘मानद फैलोशिप’’, पश्चिम बंगाल द्वारा ‘‘राहुल सम्मान, मध्यप्रदेश सरकार द्वारा ‘‘कबीर पुरस्कार, बिहार सरकार द्वारा ‘‘राजेन्द्र शिखर पुरस्कार। नागार्जुन का लेखक परिचय व भाषा शैली
नागार्जुन की भाषा शैली
नागार्जुन की भाषा शैली एकदम सरल और सहज थी। वह स्वच्छंद होकर लिखा करते थे। उनकी कविताओं में स्पष्टता झलकती थी। लोग उनकी कविताओं को अच्छे से समझ लेते थे। क्योंकि वह घुमंतू स्वभाव के थे इसलिए उनकी कविताएं ज्यादातर हर राज्य की कहानी को दर्शाती थी। नागार्जुन का लेखक परिचय व भाषा शैली Nagarjun Biography in Hindi
नागार्जुन की रचनाएं
- युगधारा
- सतरंगे पंखों वाली (1949)
- तालाब की मछलियाँ (1974)
- तुमने कहा था (1980)
- खिचड़ी विप्लव देखा हमने (1980)
- हजार-हजार बाँहों वाली (1981)
- पुरानी जूतियों का कोरस (1982)
- रत्नगर्भ (1984)
- ऐसे भी हम क्या ! ऐसे भी तुम क्या ! (1985)
- आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने (1986)
- इस गुब्बारे की छाया में (1990)
- भूल जाओ पुराने सपने (1994)
- अपने खेत में (1997)
नागार्जुन के उपन्या
- रतिनाथ की चाची
- बलचनमा
- नयी पौध
- बाबा बटेसरनाथ
- वरुण के बेटे
- दुखमोचन
- कुंभीपा
- हीरक जयन्ती
- उग्रतारा
- जमनिया का बाबा
- गरीबदास
नागार्जुन पर केंद्रित विशिष्ट साहित्य\
- नागार्जुन का रचना-संसार
- नागार्जुन की कविता
- नागार्जुन का कवि-कर्म
- जनकवि हूँ मैं
- नागार्जुन : अंतरंग और सृजन-कर्म
- आलोचना
- तुमि चिर सारथि
- युगों का यात्री
नागार्जुन के अनुवाद कार्य
नागार्जुन हर चीज को अच्छे से करने में बेहद माहिर थे। क्या आपको पता है कि नागार्जुन ने लिखने के अलावा अनुवाद का कार्य भी अच्छे से संभाला। जी हाँ, नागार्जुन ने संस्कृत, मैथिली और बांग्ला की बहुत सी कृतियों का अनुवाद कार्य भी अच्छे से संभाला। क्योंकि वह कालिदास को अपना आदर्श मानते थे इसलिए उन्होंने कालिदास की कई रचनाओं का हिंदी में अनुवाद किया। उनका अनुवाद वाला काम भी अच्छा चल पड़ा। उन्होंने कालिदास के अलावा जयदेव, शरतचंद्र, कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी और विद्यापति आदि की रचनाओं का हिंदी में अनुवाद किया। Nagarjun Biography in Hindi
नागार्जुन का व्यक्तित्व
“उनका समूचा जीवन एक झोले में रहता था, कापी, पेन, एक – दो छोटी डिबियायें, गमछा, एक पायजामा, अलीगढ़ कट जो सफेद न होकर कुछ बदरंगीपन लिए होता था। कुर्ता भी मोटी खादी का। दो – चार दिन कहीं निकल जाते और जब लौटते तो बस वही झोला कांधे पर चिपका रहता।” Nagarjun Biography in Hindi
नागार्जुन-यतीन्द्रनाथ गौड़
यह पंक्तियाँ यतीन्द्रनाथ गौड़ ने अपनी किताब – बाबा नागार्जुन : जीवनी और उनका चुनिंदा साहित्य में व्यक्त की है। उनका कहना एकदम सही है। नागार्जुन का जीवन बहुत सीधा-सादा सा रहा। उनको कभी भी तड़क-भड़क वाली जिंदगी रास नहीं आई। उनका पूरा जीवन सादगीपूर्ण बीत गया। लोगों को अनेकों प्रकार के शौक रहते हैं परंतु उनको कोई खास शौक कभी भी नहीं रहा। वह अक्सर कहा करते थे कि शौक पालने से उल्टे आदतें ही खराब होगी। Nagarjun Biography in Hindi
उनके मन में समाज को सुधारने की जद्दोजहद बनी रहती थी। वह लोगों पर ममता लुटाना अच्छे से जानते थे। उनका यह भाव इसलिए था क्योंकि बचपन में उनको कभी भी वैसा प्यार नहीं मिला था जो इनको मिलना चाहिए था। वह सच्चे प्यार के लिए हमेशा तरसते ही रहे। उन्होंने अपनी कविताओं में महिलाओं पर भी गहराई से लिखा। वह अपनी माँ को अपने पिता द्वारा प्रताड़ित होते हुए देख चुके थे। Nagarjun Biography in Hindi
नागार्जुन निधन
नागार्जुन का निधन 5 नवम्बर 1998 को हो गया था। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें दमा का रोग हो गया था। उनकी पत्नी अपराजिता का निधन उनसे पहले हो गया था। उन्होंने हिंदी साहित्य में बहुत बड़ा योगदान दिया था। वह आधुनिक हिंदी साहित्य के जाने माने व्यक्ति में से एक गिने जाते हैं। Nagarjun Biography in Hindi