आपकी दीपावली बिना यह आरती गाएं अधूरी है! -वर्तमान समय में पैसों की कमी अक्सर व्यक्तियों के लिए कमजोरी का कारण बन जाती है। ऐसे समय में लगभग हर कोई धन और समृद्धि में वृद्धि की इच्छा रखता है। हालाँकि, उनके सर्वोत्तम प्रयासों के बावजूद, कुछ लोगों के पास उतनी संपत्ति नहीं हो सकती जितनी वे चाहते हैं या इसे अर्जित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। ऐसे में सनातन हिंदू धर्म के संदर्भ में लक्ष्मी पूजा के माध्यम से धन की देवी लक्ष्मी देवी की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जिन घरों पर देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं, वहां धन-संपत्ति प्रचुर मात्रा में बनी रहती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसे घरों में रहने वालों को आर्थिक तंगी का सामना कम ही करना पड़ता है।
|| लक्ष्मी जी की आरती ||
आपकी दीपावली बिना यह आरती गाएं अधूरी है-ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
लक्ष्मी माता की आरती, ओम जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
ओम जय लक्ष्मी माता॥
सब बोलो लक्ष्मी माता की जय, लक्ष्मी नारायण की जय।
आपकी दीपावली बिना यह आरती गाएं अधूरी है! आरती पूरी होने के बाद, पवित्र तुलसी के पौधे को आरती अर्पित करने और फिर घर के सदस्यों को आरती में भाग लेने की अनुमति देने की प्रथा है।
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