कैसे करे घर में अहोई अष्टमी का व्रत कथा How to observe Ahoi Ashtami fast at home Katha in hindi –हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में आपको अहोई अष्टमी व्रत के बारे में बताने जा रहा हूँ हर एक उपवास के पीछे पौराणिक कथा होती है, जो हमें सीख देती हैं एवम धर्म का मार्ग दिखाती हैं. पश्चाताप का भाव देती हैं और उनसे बाहर निकलने का मार्ग भी सिखाती हैं. कैसे करे घर में अहोई अष्टमी का व्रत कथा How to observe Ahoi Ashtami fast at home Katha in hindi
चार माह के त्यौहारों का महत्व पुराणों में मिलता हैं. सभी धर्मो में इन चार महीनो में कई धार्मिक उत्सव होते हैं. हिन्दू धर्म में उपवास एवम सात्विक पूजा पाठ को अधिक माना जाता हैं. घर की महिलायें परिवार के सुख के लिए कई रीती रिवाज मानती और उन्हें पूरा करती हैं. इसी श्रद्धा के साथ मातायें अहोई अष्टमी का व्रत करती हैं. यह व्रत भी परिवार के कल्याण एवम समृद्धि के लिए किया जाता हैं. यह व्रत खासतौर पर संतान की खुशहाली के लिए किया जाता हैं. यह दिवाली उत्सव के एक हफ्ते पूर्व मनाया जाता हैं
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अहोई अष्टमी व्रत महत्व
यह व्रत बड़े व्रतों में से एक हैं इसमें परिवार कल्याण की भावना छिपी होती हैं. इस व्रत को करने से पारिवारिक सुख प्राप्ति होती हैं. इसे संतान वाली स्त्री ही करती हैं.
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अहोई अष्टमी व्रत 2023 में कब हैं
कैसे करे घर में अहोई अष्टमी का व्रत-यह कार्तिक माह का अति प्रिय एवम उत्तम उपवास हैं. यह कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी दीयों के त्यौहार दिवाली से लगभग सात दिन पूर्व मनाया जाता हैं. इसे करवा चौथ के समान ही महान व्रत कहते हैं, यह करवा चौथ के चार दिवस बाद आता हैं. अहोई अष्टमी व्रत वर्ष 2023 में 5 नवंबर, को मनाया जायेगा
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त
पूजा का समय | 12:59 से 03:18 |
अष्टमी तिथि शुरू होगी | 5 नवंबर 12:59 PM |
अष्टमी तिथि ख़त्म होगी | 6 नवंबर 03:18 PM |
अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय | 05:58 PM |
अहोई अष्टमी व्रत कथा
कैसे करे घर में अहोई अष्टमी का व्रत-बहुत समय पहले साहूकार था. उसके सात पुत्र एवं एक पुत्री थी. दिवाली महोत्सव समीप था. घर की साफ़ सफाई पूरी करना था, जिसके लिए रंग रोंगन करना था, जिसके लिए साहूकार की पुत्री जंगल गई मिट्टी लाने उसने कुदाली से खोद कर मिट्टी ली. खोदते समय उसकी कुदाली स्याह के बच्चे को लग गई और वो मर गया. तब ही स्याह ने साहूकार के पुरे परिवार को संतान शोक का श्राप दे दिया, जिसके बाद साहूकार के सभी पोत्रो की मृत्यु हो गई, इससे सभी मातायें विचलित थी. साहू कार की सातों बहुयें एवम पुत्री समस्या के निवारण के लिए मंदिर गई और वहाँ अपना दुःख देवी के सामने विलाप करते हुए कहने लगी. तब ही वहाँ एक महात्मा आये, जिन्होंने उन सभी को अहोई अष्टमी का व्रत करने को कहा. इन सभी ने पूरी श्रद्धा के साथ अहोई अष्टमी का व्रत किया, जिससे स्याही का क्रोध शांत हुआ और उसके खुश होते ही उसने अपना श्राप निष्फल कर दिया, इस प्रकार आठों स्त्रियों की संतान जीवित हो गई.
इस प्रकार इस व्रत का महत्व में संतान की सुरक्षा का भाव निहित होता हैं :
अहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि
- प्रातः जल्दी स्नान किया जाता हैं.
- इसमें दिन भर का निर्जला व्रत किया जाता हैं.
- शाम में सूरज ढलने के बाद अहोई अष्टमी की पूजा की जाती हैं.
- इसमें अहोई अष्टमी माता का चित्र बनाया जाता हैं और विधि विधान से उनका पूजन किया जाता हैं.
- चौक बनाया जाता हैं. इस पर चौकी को रख उस पर अहोई माता एवम सईं का चित्र रखा जाता हैं.
- सर्वप्रथम कलश तैयार किया जाता हैं. गणेश जी की स्थापना की जाती है, इनके साथ ही अहोई अष्टमी माता का चित्र रखा जाता हैं.
- आजकल बाजारों में यह चित्र मिल जाता हैं.
- पूजा के बाद कुछ मातायें जल एवम फलाहार ग्रहण करती हैं.
- इस दिन कई स्त्रियाँ चांदी की माता बनाती हैं पूजा के बाद इन्हें माला में पिरो कर धारण करती हैं.
- इस माला को दिवाली के बाद उतारा जाता हैं और बड़ो का आशीष लिया जाता हैं.
अहोई अष्टमी माता बच्चो की सुरक्षा करती है, सदैव उनके साथ होती हैं इसलिए मातायें इनकी पूजा करती हैं. यह व्रत कार्तिक माह में आता हैं इसे एक उत्सव के रूप में मनाया जाता हैं.
कैसे करे घर में अहोई अष्टमी का व्रत-हिन्दू समाज में महिलायें परिवार के लिए कई रीती रिवाज करती हैं इससे परिवार में शांति एवम खुशहाली बनी रहती हैं. आज के समय में महिलायें भी बहुत व्यस्त हो गई हैं ऐसे में सभी रीती रिवाज कर पाना कठिन हो जाता हैं. और इस तरह से उपवासों का करना सेहत पर भी गलत प्रभाव डाल सकता हैं, लेकिन श्रद्धा के साथ जो भी इस कलयुग में ईश्वर भक्ति करेगा, उसे ईश्वर की कृपा अवश्य मिलेगी.
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