Monday, April 29, 2024
Homeतीज त्यौहारछोटी दिवाली क्यों मनाते है जानिए रहस्य choti diwali kyu manate hai

छोटी दिवाली क्यों मनाते है जानिए रहस्य choti diwali kyu manate hai

 हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में छोटी दिवाली क्यों मनाते है उसके बारे में बताने जा रहा हूँ इस बार दिवाली 11 नवंबर को मनाई जाएगी, जिसका मतलब है कि यह शनिवार को होगी। इससे पहले हम का आयोजन करते हैं, जिसे नरक चतुर्दशी या काली चौदस भी कहा जाता है। तो चलिए जानते हैं कि दीवाली मनाई जाती है।

की कथा इस प्रकार है बहुत समय पहले की बात है, एक सुखमयगांव में एक बड़ा ही नामी राजा और उसकी रानी रहते थे। यह राजा और रानी बहुत ही धर्मिक और उदार नरम दिल के थे। उन्होंने गांव के लोगों के लिए हमेशा कल्याणकारी कार्य किए और उनकी दरिद्रता दूर की। एक दिन, राजा के दरबार में एक तपस्वी आया और उन्हें एक विशेष आशीर्वाद देने का वचन दिया। राजा और रानी ने खुशी-खुशी आशीर्वाद प्राप्त किया और वे आपसी सम्झौते से उस आशीर्वाद को मांगने के लिए समय तय किया। के दिन, तपस्वी वापस आये और राजा के सामने एक विशेष प्रकार की चिराग (लैंप) लाए। यह चिराग विशेषत: अनगिनत दीपों की तरह चमक रहा था। तपस्वी ने राजा और रानी को बताया कि यह चिराग दुर्भाग्य को दूर करने और सुख-शांति को बढ़ाने का सार्थक प्रतीक है। राजा और रानी ने इस चिराग को अपने दरबार में जलाया और गांव के लोगों को सबके घरों में दीप जल

एक प्रसिद्ध कथा है भगवान श्रीकृष्ण और देवी सत्यभामा के बीच की. इस कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण और सत्यभामा एक दिन अपने अंधकार कारण गोवर्धन पर्वत पर गए।

छोटी दिवाली क्यों मनाते है गोवर्धन पर्वत के पास, एक बड़ी धनी महिषासुर नामक राक्षस बसता था, जिसका नाम नरकासुर भी था। नरकासुर ने अपनी दुराचारी पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्रागज्योतिषपुर राज्य में एक राक्षस नरकासुर नामक था। उसने इंद्र को युद्ध में परास्त करके देवी मां की कान की बालियों को छीन लिया था। इसके अलावा, वह देवताओं और ऋषियों की 16 हजार बेटियों का अपहरण करके उन्हें अपने स्त्रीगृह में बंदी बनाकर रखा था। स्त्रियों के प्रति नरकासुर के द्वेष को देखकर सत्यभामा ने कृष्ण से यह अनुरोध किया कि वह नरकासुर का वध करने का मौका प्रदान करें।

इसलिए छोटी द‍िवाली को कहते हैं नरक चतुर्दशी

Narak Chaturdashi 2022: इस बार दिवाली के दिन आ रही नरक चतुर्दशी! अकाल मौत से बचने कर ले यह उपाय - Betul Update

इसलिए छोटी दिवाली को नरक चतुर्दशी कहते हैं, क्‍योंकि इस दिन श्रीकृष्ण ने नरकासुर को मारकर धर्म और न्‍याय की विजय का प्रतीक स्थापित किया था।

कथा आगे म‍िलती है क‍ि नरकासुर को यह शाप था क‍ि उसकी मृत्यु एक स्त्री के हाथ ही होगी। सत्यभामा कृष्ण द्वारा चलाये जा रहे रथ में बैठकर युद्ध करने के लिए गयी। उस युद्ध में सत्यभामा ने नरकासुर को परास्त करके उसका वध किया और सभी कन्याओं को छुड़वा लिया। इसील‍िए इस दिन को नरक चतुर्दशी भी कहते है। छोटी दिवाली भी इसी दिन मनाई जाती है। इसका कारण यह है क‍ि नरकासुर की माता भूदेवी ने यह घोषणा की थी क‍ि उसके पुत्र की मृत्यु के दिन को मातम के तौर पर नहीं बल्कि त्यौहार के तौर पर याद रखा जाए।

READ MORE :-

दीपावली क्यों मनायी जाती है deepawali kyu manayai jati hai in hindi

कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। नरक चतुर्दशी 6 नवंबर, मंगलवार को है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन यम और माता महालक्ष्मी को प्रसन्न कर लेता है, उसे मृत्योपरांत नरक नहीं भोगना पड़ता है।

नरक चतुर्दशी का महत्व

शास्त्रों में कहा गया है कि नरक चतुर्दशी कलयुग में मानव योनि में उत्पन्न हुए लोगों के लिए बहुत उपयोगी है। कलयुगी मानव न जानते हुए भी अनेकों प्रकार के पाप कर लेता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि कलयुगी जीव इस दिन के नियमों और महत्व को समझें और करें। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तेल लगाएं। स्नान करने के बाद विष्णु मंदिर या कृष्ण मंदिर में भगवान का दर्शन अवश्य करना चाहिए। इससे पाप कटता है और रूप सौन्दर्य की प्राप्ति होती है।

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now

घर के बाहर रखें यम का दीपक

नरक चतुर्दशी पर कई घरों में रात को घर का सबसे बुजुर्ग सदस्य एक दीपक जलाकर पूरे घर में घुमाता है। फिर उसको ले जाकर घर से बाहर कहीं दूर रखकर आता है। घर के अन्य सदस्य अंदर रहते हैं और इस दीपक को नहीं देखते हैं। यह यम का दीपक कहलाता है।

पाप मुक्त हुए राजा रति देव

ऐसी मान्यता है कि रति देव नामक एक धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने कोई पाप नहीं किया था, लेकिन एक दिन उनके समक्ष यमदूत आ खड़े हो गए थे। यमदूत को सामने देख राजा अचंभित हुए और बोले मैंने तो कभी कोई पाप कर्म नहीं किया और आपके यहां आने का मतलब है कि मुझे नरक जाना होगा। यह सुनकर यमदूत ने कहा कि राजन एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था, यह उसी पाप कर्म का फल है। इसके बाद राजा ने यमदूत से एक वर्ष का समय मांगा। यमदूतों ने राजा को एक वर्ष की मोहलत दे दी। राजा अपनी परेशानी लेकर ऋषियों के पास पहुंचे और उन्हें सारी कहानी सुनाकर पाप से मुक्ति का उपाय पूछा। तब ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्राह्मणों को भोजन करवा कर उनके प्रति हुए अपराधों के लिए क्षमा याचना करें। राजा ने वैसा ही किया और पाप मुक्त हुए। इसके पश्चात उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है।

RELATED ARTICLES
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Most Popular