गोवर्धन क्यों मनाते है –हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में आपको गोवर्धन क्यों मनाते है उसके बारे में बताने जा रहा हूँ क्यों करते है पूजा क्या राज है इसके पीछे का दिवाली के अगले दिन यानी कि आज हर जगह गोवर्धन पूजा की जा रही है। इसमें भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है। यही नहीं इस दिन 56 या 108 तरह के पकवान बनाकर श्रीकृष्ण को उनका भोग लगाया जाता है। इन पकवानों को ‘अन्नकूट’ कहा जाता है। मान्यता है कि ब्रजवासियों की रक्षा के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य शक्ति से विशाल गोवर्धन पर्वत को छोटी अंगुली में उठाकर हजारों जीव-जतुंओं और मनुष्यों के जीवन को देवराज इंद्र के कोप से बचाया था। यानी भगवान कृष्ण ने देवराज के घमंड को चूर-चूर कर गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। उस दिन से ही गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई। इसे अन्नकूट पर्व भी कहते हैं। इस दिन लोग अपने घरों में गाय के गोबर से गोवर्धन बनाकर उनकी पूजा करते हैं। तो आइए जानते हैं कि कान्हा को लगने वाला यह विशेष भोग क्या है और क्यों गोवर्धन के दिन बनाते हैं इसे?
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अन्नकूट यानी कि अन्न का समूह
गोवर्धन क्यों मनाते है –अन्नकूट पर्व पर तरह-तरह के पकवानों से भगवान की पूजा का विधान है। अन्नकूट यानी कि अन्न का समूह। श्रद्धालु तरह-तरह की मिठाइयों और पकवानों से भगवान कृष्ण को भोग लगाते हैं। गोवर्धन पूजा के दिन बनने वाले अन्नकूट में कई सारी सब्ज़ियों को एक साथ मिलाकर, मिलीजुली सब्जी और कढ़ी-चावल,पूड़ी आदि बनाया जाती है। इसके बाद भगवान कृष्ण को इसका भोग लगाया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा जाता है।
गोवर्धन पूजा आज, जानें पूजा विधि, मंत्र और व्रत कथा
गोवर्धन पूजा एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है जो भगवान कृष्ण के भक्तों द्वारा मनाया जाता है। यह पर्व अक्टूबर-नवम्बर महीने में आता है और गोवर्धन पूजा का मुख्य उद्देश्य गोवर्धन पर्वत की पूजा और भगवान कृष्ण के बल और दैन्य को याद करना होता है।
पूजा विधि:
गोवर्धन क्यों मनाते है –पूजा सामग्री: पूजा के लिए आपको दीपक, अगरबत्ती, रोली, चावल, कुमकुम, बत्ती, फूल, नीरज, फल, नरियल, दूध, घी, गुड़, तिल, आकाशतिलक, दबे हुए छिद्रा, गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा, और व्रत की संग्रहणीय की आवश्यकता होती है।
पूजा के आरंभ में: गोवर्धन पूजा को पूजा स्थल पर रखकर आरंभ करें। व्रत करने वाले व्यक्ति को निरंतर भगवान कृष्ण की आराधना करनी चाहिए।
गोवर्धन पर्वत की पूजा: गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा को चावल और अगरबत्ती की दीपक से पूजें।
मन्त्र जाप: गोवर्धन पूजा में भगवान कृष्ण के मंत्रों का जाप करें, जैसे “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और “ॐ कृष्णाय नमः।”
अन्न का दान: इस पूजा के दौरान गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा के लिए अन्न का दान करें।
पर्वत पर प्रदर्शन: फिर, व्रत करने वाले व्यक्ति को अपने परिवार के साथ गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा के चारों ओर चक्कर लगाने के लिए कहा जाता है. इससे गोवर्धन पर्वत का प्रतीत बनता है।
व्रत कथा:
गोवर्धन पूजा एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है जो भगवान कृष्ण के भक्तों द्वारा मनाया जाता है। यह पर्व अक्टूबर-नवम्बर महीने में आता है और गोवर्धन पूजा का मुख्य उद्देश्य गोवर्धन पर्वत की पूजा और भगवान कृष्ण के बल और दैन्य को याद करना होता है।
गोवर्धन क्यों मनाते है –गोवर्धन पूजा, जो कि दीपावली के दूसरे दिन मनाई जाती है, हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपने उंगली से उठाया था, इसलिए इस दिन को गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस पूजा को करने से घर में धन, सुख, समृद्धि और खुशियाँ बढ़ती हैं।
गोवर्धन पूजा विधि:
पूजा सामग्री: गोवर्धन पूजा के लिए चावल, दूध, दही, घी, फूल, बिल्व पत्र, गूँथे बांधने के लिए धागा, श्रीकृष्ण मूर्ति या पिक्चर, गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा या बनायी गई चाप, और पूजा के लिए ब्रजभाषा में मंत्रों की पुस्तक।
पूजा स्थल: एक शुद्ध स्थल पर या मंदिर में गोवर्धन पूजा का आयोजन करें।
पूजा की तैयारी: गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा बनाएं या खरीदें। उसे बिल्व पत्रों, फूलों, धागे और तिलक के साथ सजाएं।
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पूजा क्रिया:
- पूजा स्थल पर गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा को रखें।
- श्रीकृष्ण की मूर्ति या पिक्चर को भी सजाएं।
- श्रीकृष्ण के मंत्रों का जप करें और धूप, दीप, फूल, चावल, दूध, दही, और घी की आरती करें।
- फिर गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा का दर्शन कराएं और अपने परिवार के सदस्यों के साथ उसका पूजन करें।
व्रत कथा: गोवर्धन पूजा के दिन, गोवर्धन पर्वत की पूजा के बाद, श्रीकृष्ण के द्वारका वापस आने पर व्रजवासियों ने उन्हें स्वागत किया था। इसका महत्वपूर्ण कथा गोवर्धन पूजा के दिन सुनाई जाती है।
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मंत्र:
“ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः”
गोवर्धन पूजा का आयोजन आपके धार्मिक आदर्शों और परंपराओं के अनुसार करें और इस अवसर पर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करें।
इसलिए गोवर्धन पर बनाते हैं अन्नकूट
अन्नकूट यानी कि गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण ने देवराज इंद्र के घमंड को चूर-चूर कर दिया था और गोवर्धन पर्वत की पूजा की थी। कथा के अनुसार भगवान कृष्ण ने देवराज इंद्र के गुस्से की वजह से होने वाली भारी बारिश से गोवर्धन पर्वत के नीचे समूचे वृंदावनवासियों को बचाया था। इसके बाद कृष्ण ने लोगों को पर्वत और प्रकृति से मिलने वाली वस्तुओं की अहमियत बताने और उनके प्रति सम्मान जताना सिखाने के लिए गोवर्धन पूजा की शुरूआत की थी,इसलिए हर साल गोवर्धन पूजा की जाती है। जिसमें लोग गोबर और साबुत अनाज से भगवान कृष्ण और गोवर्धन पर्वत के प्रतीक बनाकर पूजा करते हैं और प्रकृति से मिलीं चीजों से ही अन्नकूट बनाकर भोग लगाया जाता है।
अत्यंत महत्वपूर्ण है यह गोवर्धन पूजा
सनातन धर्म के लोगों के लिए गोवर्धन पूजा अत्यंत के महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है क्योंकि इसमें गाय माता की पूजा की जाती है। साथ ही कई अन्य जगहों पर यह पूजा परिवार की सुख-समृद्धि, अच्छी सेहत और लंबी उम्र की कामना के लिए भी की जाती है। पूजा में कान्हा का अच्छे से साज-श्रृंगार करके शुभ मुहूर्त देखकर उनकी पूजा-आराधना की जाती है। कान्हा के समक्ष अपनी समस्त मनोकामनाओं की अर्जी लगाकर उसे पूरी करने की विनती की जाती है।