Monday, April 29, 2024
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BA 1st Year Evs Important Questions Answer In Hindi

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प्रश्न  विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया गया

  1. पांच जुलाई
  2. पांच मई
  3. पांच जून
  4. पांच दिसंबर

उत्तर पांच जून

प्रश्न  निम्नलिखित में से किन्ही पांच के उत्तर दीजिये

क – जलीय परिस्थतिक तंत्र 

BA 1st Year Evs Important Questions Answer In Hindi- जलीय परिस्थतिक तंत्र (Aquatic ecosystem) वह पारितंत्र है जिसमें जल प्रमुख कारक होता है। इसमें सभी प्रकार के जलीय निकाय शामिल हैं, जैसे कि नदियाँ, झीलें, तालाब, समुद्र, महासागर, आर्द्रभूमि, आदि। जलीय परिस्थतिक तंत्रों में विभिन्न प्रकार के जीव रहते हैं, जिनमें पौधे, जानवर, सूक्ष्मजीव, आदि शामिल हैं। ये जीव एक-दूसरे के साथ और अपने पर्यावरण के साथ जटिल संबंधों में रहते हैं।

जलीय परिस्थतिक तंत्रों को विभिन्न कारकों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे कि जल की लवणता, जल की गहराई, प्रकाश की उपलब्धता, आदि।

ख वायुमंडल 

वायुमंडल (Atmosphere) पृथ्वी को चारों ओर से घेरे हुए गैसों का आवरण है। यह पृथ्वी के लिए एक आवरण के रूप में कार्य करता है जो इसे सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाता है, पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित करता है, और मौसम को पैदा करता है। BA 1st Year Evs Important Questions Answer In Hindi

वायुमंडल का मुख्य घटक नाइट्रोजन (78%) है। अन्य प्रमुख घटक ऑक्सीजन (21%), आर्गन (0.9%), और कार्बन डाइऑक्साइड (0.04%) हैं। वायुमंडल में अन्य गैसों और पदार्थों की भी थोड़ी मात्रा होती है, जैसे कि जल वाष्प, ओजोन, और धूल।

ग अम्लीय वर्षा 

घ  सतत विकास

सतत विकास एक ऐसी विकास प्रक्रिया है जिसका लक्ष्य वर्तमान पीढ़ी की ज़रूरतों को पूरा करते हुए भावी पीढ़ियों की ज़रूरतों और हितों का भी ध्यान रखना है। यह पर्यावरण संरक्षण, आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के बीच संतुलन बनाने पर ज़ोर देता है। BA 1st Year Evs Important Questions Hindi

सतत विकास के 17 लक्ष्य हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2015 में सभी के लिए टिकाऊ विकास एजेंडा का हिस्सा के रूप में अपनाया था। ये लक्ष्य 2030 तक दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने की दिशा में काम करने का आह्वान करते हैं।

ये लक्ष्य गरीबी, भूख, अस्वस्थता, शिक्षा की असमानता, लैंगिक असमानता, स्वच्छ जल और स्वच्छता, सस्ती और टिकाऊ ऊर्जा, उद्यमशीलता और रोज़गार, असमानता कम करना, टिकाऊ शहर और समुदाय, ज़िम्मेदार उपभोग और उत्पादन, जलवायु परिवर्तन से निपटना, स्थलीय पारिस्थितिक तंत्रों का संरक्षण, जल के नीचे के जीवन का संरक्षण, शांति और न्याय को बढ़ावा देना, और मज़बूत संस्थाएं बनाना शामिल हैं।

सतत विकास सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय मुद्दों को एक पूरे के रूप में देखता है और यह समझता है कि इन मुद्दों को एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता। यह विकास के ऐसे मॉडल की वकालत करता है जो लंबे समय में टिकाऊ हो और सभी के लिए फायदेमंद हो। BA 1st Year Evs Important Questions Answer In Hindi

ङ खाद श्रखला

खाद श्रृंखला एक पारिस्थितिक तंत्र में मृत जीवों के क्षय और पुनर्चक्रण की प्रक्रिया है। इसमें जीवाणु, कवक, और अन्य सूक्ष्मजीव शामिल होते हैं जो मृत जीवों को पचाते हैं और उन्हें पोषक तत्वों में तोड़ देते हैं। ये पोषक तत्व फिर पौधों द्वारा अवशोषित किए जाते हैं, जो उन्हें भोजन के रूप में उपयोग करते हैं। पौधों को खाने वाले जानवरों द्वारा पोषक तत्वों का सेवन किया जाता है, और फिर अपघटकों द्वारा उनके शरीर को पचाया जाता है। इस तरह, खाद श्रृंखला पोषक तत्वों को पारिस्थितिक तंत्र में पुनर्नवीनीकरण करने में मदद करती है।

खाद श्रृंखला पारिस्थितिक तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पोषक तत्वों को पुनर्नवीनीकरण करने में मदद करती है। पोषक तत्व पौधों के लिए आवश्यक हैं, और वे जानवरों के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। खाद श्रृंखला के बिना, पौधे और जानवर मर जाएंगे और पारिस्थितिक तंत्र अस्थिर हो जाएगा।

च भूमि का हास्र

भूमि क्षरण पृथ्वी की सतह से उपजाऊ मिट्टी के स्थायी नुकसान की प्रक्रिया है। यह प्राकृतिक या मानवीय क्रियाओं के कारण हो सकता है। भूमि क्षरण एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या है जो खाद्य सुरक्षा, जल गुणवत्ता और जैव विविधता को खतरे में डालती है।

भूमि क्षरण के दो प्रकार 

  • यांत्रिक क्षरण: यह क्षरण तब होता है जब मिट्टी को हवा या पानी के बलों द्वारा हटा दिया जाता है। यांत्रिक क्षरण के दो मुख्य प्रकार हैं:
    • वायु अपरदन: यह क्षरण तब होता है जब हवा की तेज गति मिट्टी को उड़ा देती है। वायु अपरदन के कारण अक्सर रेगिस्तान और अन्य शुष्क क्षेत्रों में होता है।
    • जल अपरदन: यह क्षरण तब होता है जब पानी की गतिशीलता मिट्टी को धो देती है। जल अपरदन के कारण अक्सर पहाड़ी क्षेत्रों और अन्य क्षेत्रों में होता है जहां भारी वर्षा होती है।
  • रासायनिक क्षरण: यह क्षरण तब होता है जब मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी होती है। रासायनिक क्षरण के कारण अक्सर अति-चराई, अत्यधिक सिंचाई और कृषि प्रदूषण के कारण होता है।

प्रश्न  निम्नलिखित में से सही गलत लिखिए

क  जैव विविधता हॉटस्पॉट शब्द का सबसे नॉर्मन मायर्स द्वारा स्थापित किया गया है ✓

ख  भारत में दो जैव विविधता के मुख्य स्थल है

ग  स्वच्छ भारत अभियान वर्ष 2016 में शुरू किया गया था

शहरी क्षेत्र में PM 2,5 प्रमुख वायु प्रदूषण है ✓

हर साल 22 जून को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है

प्रश्न  निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पर अंतर स्पष्ट कीजिए

1 सौर ऊर्जा और पनबिजली ऊर्जा

विशेषता सौर ऊर्जा पनबिजली ऊर्जा
ऊर्जा स्रोत सूर्य का प्रकाश पानी की गति
उत्पादन विधि सौर पैनलों का उपयोग करके सूर्य के प्रकाश को बिजली में परिवर्तित करना बांध बनाकर पानी के प्रवाह को नियंत्रित करना और टर्बाइन चलाना
उत्पादन क्षमता दिन के समय और मौसम के अनुसार भिन्न होती है अधिक स्थिर उत्पादन क्षमता
प्रदूषण शून्य कम प्रदूषणकारी
लागत निवेश लागत अधिक है, लेकिन लंबी अवधि में कम लागत वाली है निवेश लागत कम है, लेकिन लंबी अवधि में अधिक लागत वाली हो सकती है
उपलब्धता दुनिया भर में उपलब्ध है सीमित भौगोलिक क्षेत्रों में उपलब्ध है
संभाव्यता दुनिया की ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा पूरा करने की क्षमता है दुनिया की ऊर्जा जरूरतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पूरा करने की क्षमता है

 

2 कीटनाशक और खाद

विशेषता कीटनाशक खाद
परिभाषा कीटों, कृमियों, और अन्य हानिकारक जीवों को मारने या नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले रसायन। पौधों के विकास और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए उपयोग किए जाने वाले पदार्थ।
प्रकार जैविक कीटनाशक, सिंथेटिक कीटनाशक जैविक खाद, रासायनिक खाद
कार्रवाई कीटों को मारना, कीटों के विकास को रोकना, कीटों को आकर्षित या भगाने से रोकना पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करना, मिट्टी की उर्वरता में सुधार करना, रोगों और कीटों के प्रतिरोध में सुधार करना
लाभ कीटों के प्रकोप को कम कर सकते हैं, फसल उत्पादन को बढ़ा सकते हैं फसल उत्पादन को बढ़ा सकते हैं, मिट्टी की उर्वरता में सुधार कर सकते हैं, रोगों और कीटों के प्रतिरोध में सुधार कर सकते हैं
नुकसान पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं, फसलों में अवांछित रसायनों के अवशेष छोड़ सकते हैं
उदाहरण डीडीटी, मेथील पैराथिऑन, डाइक्लोरोवेस गोबर खाद, केंचुआ खाद, जैविक खाद

 

3 परमाणु ऊर्जा और जलीय ऊर्जा

विशेषता परमाणु ऊर्जा जलीय ऊर्जा
ऊर्जा स्रोत परमाणु विखंडन पानी की गति
उत्पादन विधि यूरेनियम और थोरियम जैसे परमाणु पदार्थों को विखंडित करके ऊर्जा उत्पन्न करना बांध बनाकर पानी के प्रवाह को नियंत्रित करना और टर्बाइन चलाना
उत्पादन क्षमता स्थिर अधिक स्थिर
प्रदूषण कम, लेकिन परमाणु दुर्घटनाओं का जोखिम कम, लेकिन बांधों से बाढ़ का जोखिम
लागत अधिक प्रारंभिक लागत, लेकिन लंबी अवधि में कम लागत वाली कम प्रारंभिक लागत, लेकिन लंबी अवधि में अधिक लागत वाली हो सकती है
उपलब्धता सीमित दुनिया भर में उपलब्ध है
संभाव्यता दुनिया की ऊर्जा जरूरतों का एक बड़ा हिस्सा पूरा करने की क्षमता है दुनिया की ऊर्जा जरूरतों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा पूरा करने की क्षमता है

 

4 पेट्रोलियम और जैव गैस

5 घास क्षेत्र पारिस्थितिक तंत्र और मरुस्थलीय पारिस्थितिक तंत्र 

प्रश्न  निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए इसमें से केवल तीन प्रश्न के उत्तर दीजिए

गिद्ध प्रजनन कार्यक्रम

गिद्ध प्रजनन कार्यक्रम एक ऐसा कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य गिद्धों की आबादी को बढ़ाना है। गिद्धों की आबादी में गिरावट के कई कारण हैं, जिनमें दवाओं, प्रदूषण और शिकार शामिल हैं। गिद्ध प्रजनन कार्यक्रम इन कारणों को कम करने या समाप्त करने के लिए काम करते हैं।

  • गिद्धों को पकड़ा जाना और प्रजनन केंद्रों में लाया जाना।
  • गिद्धों को आरामदायक और स्वस्थ वातावरण प्रदान करना।
  • गिद्धों के प्रजनन को प्रोत्साहित करना।
  • गिद्धों को जंगल में छोड़ा जाना।

गिद्ध प्रजनन कार्यक्रमों को सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य संगठनों द्वारा चलाया जाता है। भारत में, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय गिद्ध प्रजनन कार्यक्रमों का संचालन करता है Evs Important Questions Answer In Hindi

गिद्ध प्रजनन कार्यक्रमों ने गिद्धों की आबादी को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उदाहरण के लिए, भारत में, गिद्ध प्रजनन कार्यक्रमों के कारण गिद्धों की संख्या में 200 से अधिक प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

  • गिद्धों को पकड़ाना और उन्हें प्रजनन केंद्रों में लाना महंगा और समय लेने वाला हो सकता है।
  • गिद्धों के प्रजनन को प्रोत्साहित करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि वे धीमी गति से प्रजनन करने वाले पक्षी हैं।
  • गिद्धों को जंगल में छोड़ना सुरक्षित और सफल होना चाहिए।

गिद्ध प्रजनन कार्यक्रम गिद्धों की आबादी को बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण हैं। इन कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए, सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य संगठनों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।

पर्यावरण और मानव समुदायों पर खनन की हानिकारक प्रभाव

भूमि कटाव: खनन के लिए भूमि को खोदना और प्रसंस्करण से भूमि कटाव हो सकता है। यह मिट्टी की गुणवत्ता को खराब कर सकता है, जल निकायों को दूषित कर सकता है और वन्यजीवों के आवास को नष्ट कर सकता है।

जल प्रदूषण: खनन गतिविधियों से निकलने वाले रसायन और कचरा जल निकायों को दूषित कर सकता है। इससे मछलियों और अन्य जलीय जीवन को नुकसान हो सकता है, और मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

वायु प्रदूषण: खनन गतिविधियों से निकलने वाला धुआँ और धूल वायु प्रदूषण का कारण बन सकता है। इससे मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो सकता है, और जलवायु परिवर्तन में योगदान हो सकता है।

वनों की कटाई: खनन के लिए अक्सर वनों की कटाई की आवश्यकता होती है। इससे वन्यजीवों के आवास नष्ट हो सकता है और जलवायु परिवर्तन में योगदान हो सकता है।

ध्वनि प्रदूषण: खनन गतिविधियों से निकलने वाली आवाज़ ध्वनि प्रदूषण का कारण बन सकती है। इससे मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

मानव समुदायों पर खनन के हानिकारक प्रभाव

  • स्वास्थ्य समस्याएं: खनन गतिविधियों से निकलने वाले रसायन और धूल मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं। इससे सांस की बीमारियां, कैंसर और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
  • आर्थिक कठिनाइयाँ: खनन गतिविधियाँ अक्सर स्थानीय समुदायों के लिए आर्थिक कठिनाइयाँ पैदा कर सकती हैं। इससे जमीन और संपत्ति का नुकसान हो सकता है, और रोजगार के अवसरों में कमी आ सकती है।
  • सामाजिक संघर्ष: खनन गतिविधियाँ अक्सर स्थानीय समुदायों में सामाजिक संघर्ष का कारण बन सकती हैं। इससे भूमि और संसाधनों के नियंत्रण पर विवाद हो सकते हैं।

भारत में कोई भी पर्यावरण आंदोलन

चिपको आंदोलन

चिपको आंदोलन भारत में एक महत्वपूर्ण पर्यावरण आंदोलन था जिसने वन संरक्षण के लिए लोगों की शक्ति का प्रदर्शन किया। यह आंदोलन 1973 में उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में शुरू हुआ, जब स्थानीय लोगों ने पेड़ों की कटाई को रोकने के लिए पेड़ों को गले लगा लिया। आंदोलन ने जल्द ही पूरे देश में लोकप्रियता हासिल कर ली और यह भारत में पर्यावरणवाद के उदय का प्रतीक बन गया।

चिपको आंदोलन के नेतृत्व में सुंदरलाल बहुगुणा थे, जिन्हें “चिपको बाबा” के रूप में जाना जाता है। बहुगुणा ने लोगों को वनों के महत्व के बारे में शिक्षित करने और उन्हें पेड़ों को बचाने के लिए प्रेरित करने के लिए कड़ी मेहनत की। आंदोलन के परिणामस्वरूप, कई वन क्षेत्रों को कटाई से बचाया गया और भारत में वन संरक्षण पर अधिक ध्यान दिया जाने लगा।

  • आंदोलन स्थानीय लोगों के लिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि वे पेड़ों पर निर्भर थे और उन्हें अपनी आजीविका के लिए पेड़ों की लकड़ी और अन्य संसाधनों की आवश्यकता थी।
  • आंदोलन शांतिपूर्ण और अवज्ञाकारी था, जिससे यह लोगों के लिए अधिक आकर्षक हो गया।
  • आंदोलन के नेताओं, जैसे सुंदरलाल बहुगुणा, ने लोगों को वनों के महत्व के बारे में शिक्षित करने के लिए कड़ी मेहनत की।

चिपको आंदोलन भारत में पर्यावरणवाद के उदय के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। इसने लोगों को दिखाया कि वे अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए एकजुट होकर काम कर सकते हैं।

शहरों में जैव विविधता उद्यान का महत्व

पर्यावरणीय पर्यटन

प्रश्न  मानव समुदायों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए 

स्वास्थ्य समस्याएं: जलवायु परिवर्तन से होने वाली चरम मौसम की घटनाएं, जैसे हीटवेव, सूखे, बाढ़ और तूफान, मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं। इन घटनाओं से गर्मी से संबंधित बीमारियां, सांस की बीमारियां, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

आर्थिक कठिनाइयाँ: जलवायु परिवर्तन से होने वाली चरम मौसम की घटनाएं और समुद्र के स्तर में वृद्धि कृषि, मछली पकड़ने और अन्य आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकती हैं। इससे रोजगार के अवसरों में कमी आ सकती है और गरीबी बढ़ सकती है।

 

सामाजिक संघर्ष: जलवायु परिवर्तन से होने वाली चरम मौसम की घटनाएं और समुद्र के स्तर में वृद्धि संसाधनों के लिए संघर्ष का कारण बन सकती हैं। इससे सामाजिक संघर्ष और अशांति बढ़ सकती है।

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले लोग वे हैं जो पहले से ही गरीबी, असमानता और अन्य सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। ये लोग चरम मौसम की घटनाओं के लिए कम तैयार होते हैं और इन घटनाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए कम संसाधन होते हैं।

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए, हमें कार्बन उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने के लिए उपाय करने की आवश्यकता है।

नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों में निवेश: नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत, जैसे सौर और पवन ऊर्जा, जीवाश्म ईंधन की तुलना में कम कार्बन उत्सर्जन करते हैं।

ऊर्जा दक्षता में सुधार: ऊर्जा दक्षता में सुधार से ऊर्जा की खपत को कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सकता है।

वनों की रक्षा और पुनर्वनीकरण: वन कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद मिल सकती है।

जलवायु परिवर्तन एक गंभीर खतरा है जो मानव समुदायों पर कई तरह से हानिकारक प्रभाव डाल रहा है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए, हमें कार्बन उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने के लिए उपाय करने की आवश्यकता है।

प्रश्न भारत में बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि के सामाजिक आर्थिक प्रभावों को समझाइए और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन पर एक संक्षिप्त नोट लिखिए

भारत में बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि के सामाजिक आर्थिक प्रभाव

भारत में बाढ़ एक बार-बार होने वाली प्राकृतिक आपदा है। पिछले कुछ दशकों में, भारत में बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि हुई है। इसकी कई वजहें हैं, जिनमें जलवायु परिवर्तन, वन कटाव, और शहरीकरण शामिल हैं।

  • जनहानि: बाढ़ के कारण हर साल भारत में सैकड़ों लोगों की मौत होती है।
  • संपत्ति का नुकसान: बाढ़ से घर, दुकानें, और अन्य संपत्ति का भारी नुकसान होता है।
  • आजीविका का नुकसान: बाढ़ से किसान, मछुआरे, और अन्य लोगों की आजीविका प्रभावित होती है।
  • सामाजिक अस्थिरता: बाढ़ से सामाजिक अस्थिरता बढ़ सकती है।
  • आर्थिक विकास में बाधा: बाढ़ से आर्थिक विकास में बाधा आती है।

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन

  • बाढ़ चेतावनी प्रणाली: बाढ़ चेतावनी प्रणाली का उपयोग करके लोगों को बाढ़ की चेतावनी दी जानी चाहिए ताकि वे सुरक्षित स्थानों पर जा सकें।
  • बाढ़ नियंत्रण उपाय: बाढ़ नियंत्रण उपाय जैसे बांध, तटबंध, और जल निकासी प्रणाली का निर्माण करके बाढ़ के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
  • राहत और पुनर्वास: बाढ़ के बाद राहत और पुनर्वास कार्यों को समय पर और प्रभावी ढंग से किया जाना चाहिए।
  • बाढ़ प्रबंधन में स्थानीय लोगों की भागीदारी: बाढ़ प्रबंधन में स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।
  • बाढ़ प्रबंधन के लिए संसाधनों का आवंटन: बाढ़ प्रबंधन के लिए पर्याप्त संसाधनों का आवंटन किया जाना चाहिए।
  • बाढ़ प्रबंधन के लिए कानून और नियमों का पालन: बाढ़ प्रबंधन के लिए बनाए गए कानून और नियमों का पालन किया जाना चाहिए।

भारत में बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि एक गंभीर समस्या है। इस समस्या से निपटने के लिए बाढ़ प्रबंधन के उपायों को मजबूत करने की आवश्यकता है।

प्रश्न  दिल्ली जैसे महानगरी क्षेत्र में लैंडफिल के साथ जुड़े विभिन्न खतरों और समस्याओं का वर्णन करें ठोस अपशिष्ट निपटान उपाय पर भी एक नोट लिखिए जो मौजूदा लैंडफिल पर बोझ को कम करने के लिए जाने की आवश्यकता है

  • पर्यावरणीय खतरा: लैंडफिल से वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, और भूमि प्रदूषण होता है। वायु प्रदूषण से श्वास संबंधी बीमारियां, कैंसर, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। जल प्रदूषण से जलीय जीवन को नुकसान हो सकता है और पीने के पानी को दूषित कर सकता है। भूमि प्रदूषण से भूमि की उर्वरता कम हो सकती है और खाद्य उत्पादन को प्रभावित कर सकती है।

  • स्वास्थ्य खतरा: लैंडफिल से निकलने वाले हानिकारक पदार्थों के संपर्क में आने से लोगों को स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। इनमें दमा, एलर्जी, कैंसर, और जन्मजात विकार शामिल हैं।

  • सुरक्षा खतरा: लैंडफिल में आग लगने या ढहने का खतरा होता है। इन घटनाओं से जान-माल का नुकसान हो सकता है।
  • आर्थिक खतरा: लैंडफिल के संचालन और रखरखाव में लागत होती है। यह लागत सरकार या स्थानीय निकायों को वहन करनी पड़ती है।

ठोस अपशिष्ट निपटान उपाय जो मौजूदा लैंडफिल पर बोझ को कम करने के लिए जाने की आवश्यकता है

  • अपशिष्ट प्रबंधन का पुनर्वर्गीकरण: अपशिष्ट को जैव निम्नीकरणीय, पुनर्चक्रण योग्य, और गैर-पुनर्चक्रण योग्य के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट को कंपोस्टिंग या अन्य तरीकों से संसाधित किया जा सकता है। पुनर्चक्रण योग्य अपशिष्ट को पुनर्चक्रण किया जा सकता है। गैर-पुनर्चक्रण योग्य अपशिष्ट को लैंडफिल में भेजा जा सकता है।

  • अपशिष्ट कम करना: अपशिष्ट को कम करने के लिए कई उपाय किए जा सकते हैं। इनमें उत्पादों की कम खपत, पुन: उपयोग, और मरम्मत शामिल हैं।
  • कंपोस्टिंग: जैव निम्नीकरणीय अपशिष्ट को कंपोस्टिंग करके खाद में बदला जा सकता है। यह खाद को खेती या बागवानी में उपयोग किया जा सकता है।
  • पुनर्चक्रण: पुनर्चक्रण योग्य अपशिष्ट को नए उत्पादों में बनाया जा सकता है। इससे कच्चे माल की खपत कम होती है और प्रदूषण कम होता है।
  • ऊर्जा उत्पादन: अपशिष्ट से ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है। इससे कचरे को कम किया जा सकता है और ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत प्रदान किया जा सकता है।

दिल्ली जैसे महानगरी क्षेत्रों में लैंडफिल पर बोझ को कम करने के लिए इन उपायों को अपनाने की आवश्यकता है।

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