Wednesday, April 24, 2024
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इनकम टैक्स रिटर्न क्या होता है आईटीआर के प्रकार | Meaning of ITR in Hindi

नमस्कार दोस्तों आज ,में आपको बताने वाली हूँ की इनकम टैक्स रिटर्न क्या होता है शायद कई लोगो इनकम टेक्स भरते होंगे और क्या आप लोगो को इसके पूरी जानकारी है यदि आपको भी इससे जुडी जानकारी जानना है और आप सर्च का रहे है तो आप बिलकुल सही वेबसाइट पर आये है आज में आपको हिंदी में जानकारी अपने यूजर्स को देती हूँ आप भी इस हिंदी ब्लॉग का फायदा उठाये और समझे क्या है इनकम टैक्स रिटर्न क्या होता है यदि आप हिंदी में ब्लॉग पढ़ना पसंद करते है तो आप में हिंदी में और सरल तरीके से समझाती हूँ जिससे आपको मेरे बताये गए प्रोसेस अच्छे से और जल्दी से समझ सके। तो आइए शुरू करते है और जानते है इनकम टैक्स रिटर्न क्या होता है आईटीआर के प्रकार | Meaning of ITR in Hindi



इनकम टैक्स रिटर्न क्या होता है

इनकम टैक्स रिटर्न एक दस्तावेज होता है जिसमें व्यक्ति या कंपनी के आय का विवरण दिया जाता है। इसमें व्यक्ति या कंपनी द्वारा कमाई गई राशि, इनकम टैक्स द्वारा कटौती की गई राशि और बचतों की जानकारी शामिल होती है। इस दस्तावेज के माध्यम से सरकार व्यक्ति या कंपनी के द्वारा कमाई गई राशि पर कितना टैक्स देना होगा उसे निर्धारित करती है। इसे व्यक्ति या कंपनी को नियमित रूप से भरना होता है।

आईटीआर किसे भरनी होती है?

आईटीआर यानी इनकम टैक्स रिटर्न भरना हर व्यक्ति या कंपनी के लिए अनिवार्य होता है जो भारत में आय कमाते हैं। यह भारतीय सरकार द्वारा निर्धारित किए गए कानूनों के अनुसार हर साल भरना आवश्यक होता है। आईटीआर भरने से सरकार कमाई गई राशि पर टैक्स कटौती करती है जिसे भारतीय सरकार विभिन्न क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए उपयोग करती है।

आईटीआर भरना जरूरी है

हाँ, आईटीआर भरना जरूरी है। भारत में जो भी व्यक्ति या कंपनी आय कमाते हैं, उन्हें अपनी कमाई का विवरण वार्षिक रूप से भरना होता है। इसे इनकम टैक्स रिटर्न भी कहा जाता है। आयकर विभाग द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार, आयकर रिटर्न न भरने पर शासन द्वारा नुकसान या जुर्माने का प्रावधान है।

इन लोगों को नहीं देना होता टैक्स

भारत में कुछ लोगों को अपनी कमाई पर टैक्स नहीं देना होता है, जैसे कि न्यूनतम आय सीमा से कम आय वाले व्यक्ति, संघ राज्य सरकार द्वारा निर्धारित विशेष क्षेत्रों में काम करने वाले व्यक्ति आदि। साथ ही, कुछ विशेष आय के स्रोतों पर जैसे लॉटरी अथवा किसी विशेष रूप से छूट दी जाने वाली आय को भी टैक्स के दायरे से बाहर रखा जाता है।

आईटीआर कब तक भरनी होती है?

भारत में आईटीआर भरने की अंतिम तिथि अक्टूबर महीने की 31 तक होती है। इसके बाद आयकर विभाग द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार देरी से भरी गई आईटीआर पर जुर्माने लग सकते हैं। इसलिए, आयकर रिटर्न को समय पर भरना बेहद आवश्यक होता है।

आईटीआर के प्रकार

आय की रिटर्न (Return of income)

इनकम टैक्स में इनकम की रिटर्न ही भरी जाती है। किसी भी व्यक्ति के जरिये जब साल भर में कमाई हुई इनकम के बारे में जानकारी सही से और Time पर इनकम टैक्स विभाग को दी जाती है तो उसे आय की रिटर्न कहते हैं।

हानि की रिटर्न (Return of loss)

इनकम टैक्स में इनकम की रिटर्न के साथ ही लॉस की रिटर्न का भी प्रावधान होता है। यदि किसी साल में किसी व्यक्ति को नुकसान होता है, तो उसके लिए लॉस की रिटर्न भरना होती है, क्योंकि यदि इस साल के लॉस को वो अगले साल के मुनाफे से सेट ऑफ कर सकता है।

विलंबित रिटर्न (Belated return)

रिटर्न को लास्ट डेट से पहले ही भरना होता है। परंतु यदि आईटीआर को लास्ट डेट के बाद भरते है तो इसे बिलेटेड रिटर्न कहते हैं। यह अगले साल की 31 दिसंबर से पहले तक भर सकते हैं।

संशोधित रिटर्न (Revised return)

यदि अपने आईटीआर भरते हुए समय किसी भी प्रकार की गलती हो जाती है। इस गलती को ठीक करने के लिए इसके जगह दूसरी रिटर्न भरी जाती है, जिसे रिवाइज्ड रिटर्न कहते हैं।

दोषपूर्ण रिटर्न (Defective return)

वैसे अकसर हर कोई जरुरी जानकारी ध्यानपूर्वक ही फील करता है यदि किसी से गलती के चलते अगर रिटर्न में सभी जरूरी जानकारी नहीं दी जाए या कोई गलत जानकारी दी जाए तो ऐसी रिटर्न को डिफेक्टिव रिटर्न कहते हैं। डिपार्टमेंट के जरिये गलती दिखने पर करदाता को उसे ठीक करने के लिए भी कहा जाता है।

आईटीआर फॉर्म के प्रकार

भारत में आईटीआर के कुछ मुख्य फॉर्म होते हैं:

ITR-1: यह फॉर्म सालाना आयकर रिटर्न के लिए होता है जिसमें सैलरी या पेंशन, ब्याज आय, आय अनुदान आदि का विवरण होता है।

ITR-2: यह फॉर्म व्यक्तिगत आयकर रिटर्न के लिए होता है जिसमें व्यक्ति की आय और निवेशों का विवरण होता है।

ITR-3: यह फॉर्म बिजनेस आयकर रिटर्न के लिए होता है जो कि बिजनेस आय का विवरण और प्रॉपराइटरशिप, पार्टनरशिप आदि के लिए होता है।

ITR-4: यह फॉर्म बिजनेस आयकर रिटर्न के लिए होता है जो कि प्रॉपराइटरशिप, पार्टनरशिप या किसी अन्य संस्थान के लिए होता है जो कम से कम 8 करोड़ रुपये के अधिकारी वाले बिजनेस को चलाती हो।

ITR-5: यह फॉर्म पार्टनरशिप, LLP और अन्य संस्थाओं के लिए होता है।

ITR-6: यह फॉर्म कंपनियों के लिए होता है जो कि निजी या सार्वजनिक हो सकती हैं।

ITR-7: यह फार्म कंपनी के साथ साथ सभी लोगों के लिए होता है जिन्हें धारा 139(4A), धारा 139(4B), धारा 139(4C), धारा 139(4D), धारा 139 (4E) या 139 (4F) के तहत टैक्स रिटर्न फाइल करना ज़रूरी है।

आईटीआर नहीं भरने पर क्या होगा?

यदि कोई व्यक्ति आईटीआर नहीं भरता है तो उसे आयकर विभाग के द्वारा दंड दिया जा सकता है। अनुमानित आय के अनुसार दंड का भुगतान करना होता है जो 5000 रुपये से अधिक हो सकता है। इसके अलावा, अगर कोई आईटीआर नहीं भरता है तो उसे बैंक या वित्तीय संस्थानों द्वारा लोन लेने में भी दिक्कत हो सकती है।

FAQs

आईटीआर क्या होता है?
आईटीआर एक दस्तावेज होता है जो आयकर विभाग द्वारा जारी किया जाता है। इसमें आपकी कुल आय, कर भुगतान और आयकर संबंधी अन्य जानकारी होती है।

आईटीआर भरना क्यों ज़रूरी है?
आईटीआर भरना कानूनी रूप से ज़रूरी है। इससे आप अपनी आयकर संबंधी जिम्मेदारियों को पूरा करते हैं और आपकी आयकर दायित्व की गणना होती है।

आईटीआर कब भरना होता है?
आईटीआर को हर वर्ष की आय के आधार पर भरना होता है। इसे आयकर विभाग द्वारा निर्धारित तिथि तक भरना होता है।

आईटीआर भरने के लिए क्या जरूरी होता है?
आपकी आयकर रिटर्न भरने के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होती है:

निष्कर्ष

यह तक दोस्तों आपने सीखा की इनकम टैक्स रिटर्न क्या होता है उम्मीद है आपको मेरा बताया गया तरीका अच्छा लगा होगा यदि आप ऐसे ही और हिंदी ब्लॉग पढ़ना चाहते हैं तो आप बिलकुल सही वेबसाइट पर आये है में अपने ऑडियंस को हिंदी में और फ्री में जानकारी देती हूँ यदि आप मेरी इस वेबसाइट के साथ ऐसे बने रहते है तो आपको टेक्नोलॉजी से जुड़े या अन्य जानकारिया ऐसे हिंदी हिंदी में जानने को मिलेगी इसके लिए आपको सबसे पहले JUGADME को सब्सक्राइब करना होगा जिससे आप तक मेरे बनाये गए पोस्ट आप तक आसानी से पहुंच जाये। और अपने रिश्तेदारों को जरूर शेयर करे। मुझे आपलोगो को सहयोग की अति आवश्यकता है।
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