Saturday, April 27, 2024
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श्री कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है? 2023

श्री कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है- आज में सुनील आप लोगो को बताने जा रहा हूँ की हम सब जन्माष्टमी क्यों मनाते है गोविंदा,कान्हा, बाल गोपाल, गोपाल जैसे 108 नामों से पुकारे जाने वाले भगवान श्री कृष्ण युगों-युगों से सभी लोगो के दिल में रहते हैं. उन्होंने पृथ्वी पर एक आम मानव की तरह जन्म लेकर पृथ्वी को दुष्टों के विनाश  से बचाया. इसलिए हजारों वर्षों से हम भारतीय जन्माष्टमी के पर्व को पूरी श्रद्धा के साथ मनाते है





 जन्माष्टमी क्या है

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का यह पर्व प्रत्येक हर हिंदू के लिए एक विशेष दिन होता है. माना जाता है कि इस दिन  भगवान को भक्ति भाव से प्रसन्न करने पर संतान,अधिक बुद्धि एवं अधिक उम्र की प्राप्ति हो. सभी हिंदुओं द्वारा जन्माष्टमी के इस पावन पर्व को भगवान श्री कृष्ण के जयंती के रूप में मनाते है।

जन्माष्टमी के इस पावन पर्व पर सभी हिंदुओं द्वारा भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन पर उन्हें प्रसन्न करने के लिए मंदिरों में सजावट की जाती है और  उपवास रखा जाता है एव कई स्थानों पर श्री कृष्ण रासलीला का आयोजन किया जाता है।




जन्माष्टमी (Janmashtami) हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो श्रीकृष्ण के जन्मदिन को मनाने के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर अगस्त और सितंबर के बीच आती है। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की जन्म कथा सुनाई जाती है और उन्हें याद करने के लिए भक्ति और पूजा की जाती है। भक्त उनके चरित्र, लीलाओं, और वाणी के गीतों का पाठ करते हैं और उन्हें याद करने के लिए विशेष प्रसाद तैयार करते हैं, जिन्हें चरणामृत (Charanamrit) कहा जाता है। यह प्रसाद की वितरण का आयोजन मक्के में किया जाता है और बाल गोपाल (श्रीकृष्ण की मूर्ति के रूप में) को खिलाया जाता है।




जन्माष्टमी के दिन कई स्थानों पर धार्मिक प्रक्रियाएं, परंपराएं और उत्सव कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। मंदिरों में आरती, भजन संध्या, कथा पाठ, रासलीला (कृष्ण और राधा की लीलाएं दिखाने वाला नाटक), दही हांडी फोड़ने का आयोजन और कई धार्मिक और सांस्कृतिक प्रदर्शनी होती हैं।

यह त्योहार हिन्दू समुदाय के लोगों के बीच बहुत प्रिय है और भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

 श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2023 कब है? When is Shri Krishna Janmashtami 2023?

कृष्ण भगवान के जन्म दिन से हिंदू पंचांग (कैलेंडर) के अनुसार भद्रपद माह के कृष्ण पक्ष के आंठवे दिन हिंदुओं द्वारा प्रति वर्ष कृष्ण जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है. इस साल वर्ष 2023 में 18 अगस्त गुरुवार को कृष्ण जन्माष्टमी मनाया जायेगा और यह 19 अगस्त शुक्रवार को ख़त्म होगा।



श्री कृष्ण जन्माष्टमी क्यों मनाया जाता है?-Why is Shri Krishna Janmashtami celebrated?

श्री कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन की खुशी में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण त्योहार है। यह त्योहार हिन्दू पंचांग के आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है, जो भगवान कृष्ण के जन्मदिन के रूप में जाना जाता है। श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के दशवतार में से एक माने जाते हैं और उनका जन्म द्वापर युग में हुआ था। उनके जन्म का विवरण पुराणों, खगोलशास्त्र और आध्यात्मिक ग्रंथों में मिलता है।

श्रीकृष्ण का जन्म मात्र एक घड़ी रात्रि को हुआ था, जिसे रात्रि का विशेष समय माना जाता है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन भक्त भगवान कृष्ण के लीला, कथाओं, गीता के उपदेश आदि का स्मरण करते हैं और उनके भगवत रूप की पूजा अर्चना करते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण की मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है,

उनके भजन गाए जाते हैं और उनके लीला की कथाएं सुनी जाती हैं। भक्तों के बीच रासलीला का आयोजन भी किया जाता है, जिसमें विभिन्न अवतारणों में भगवान कृष्ण की लीलाएं दिखाई जाती हैं। इसके अलावा, जन्माष्टमी के दिन भक्त उपवास रखते हैं और रात्रि को जन्माष्टमी के प्रायः मिधा-मिथा प्रसाद का भोग भगवान कृष्ण को अर्पित करते हैं। यह त्योहार भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति और आध्यात्मिकता की अद्वितीयता को मनाने का एक उपयुक्त और महत्वपूर्ण मौका होता है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी इतिहास-Shri krishna Janmashtami History

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का इतिहास महत्वपूर्ण और रोचक है। इसे श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाने के लिए किया जाता है और इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं भी हैं। श्रीकृष्ण का जन्म मात्र एक घड़ी रात्रि को हुआ था, जिसे जन्माष्टमी की रात्रि के रूप में मनाया जाता है। विष्णु पुराण के अनुसार, भगवान कृष्ण का जन्म द्वापर युग के महाभारत काल में हुआ था। उनका जन्म सन् 3228 ईसा पूर्व की बात है। वृन्दावन में वृषभनु और देवकी के घर में हुआ था। भगवान कृष्ण के जन्म से पहले, कंस नामक राजा देवकी के भाई और उनके पति वसुदेव का उपाधि ग्रहण कर लिया था और उनको गहरी कैद में डाल दिया था। कंस ने एक दिव्य वचन में कहा था कि देवकी का सबका पहला संतान मार जाएगा, क्योंकि उसके हाथों से ही उसका नाश होगा। इसके बाद, श्रीकृष्ण का जन्म हुआ और देवकी-वसुदेव के घर में उनकी अवतारण ली गई। जन्म के समय, भगवान विष्णु की विशेष आवृत्ति ने उन्हें अनुपम रूप में प्रकट किया, जिसे विष्णुपुराण में “विष्णुरूप” कहा गया है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर, भगवान के अवतारण की कथाओं का पाठ किया जाता है और भक्त उनकी भक्ति और पूजा करते हैं। यह त्योहार भगवान कृष्ण के जीवन और उनकी दिव्य लीलाओं का स्मरण करने का अवसर प्रदान करता है और भक्तों को आध्यात्मिकता की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा – Shri Krishna Janmashtami Story

श्री कृष्ण जन्माष्टमी कथा पुराणों में विभिन्न रूपों में प्रस्तुत है, परंतु एक प्रमुख कथा विष्णु पुराण और भागवत पुराण में मिलती है। निम्नलिखित कथा श्रीकृष्ण के जन्म की प्रमुखता दिखाती है: कंस राजा, मथुरा के राजा उग्रसेन का पुत्र, देवकी के भाई था। कंस ने अपनी दुष्टता के कारण उग्रसेन को कैद कर दिया और उग्रसेन की पत्नी देवकी को अपने साथ गहरी कैद में डाल दिया।

कंस ने एक दिव्य वचन में कहा कि देवकी का प्रथम संतान मृत्यु के मुख से बच्चा होगा, क्योंकि वही उसके हाथों से मरेगा। इस बीच, देवकी का भाई नन्द और उनकी पत्नी यशोदा गोकुल गए हुए थे। देवकी ने अपने पति वसुदेव से विनम्रता से प्रार्थना की कि वे भगवान विष्णु का अवतार उनकी संतान के रूप में उत्पन्न होने की स्वीकृति ले लें। विष्णु भगवान ने देवकी की प्रार्थना को सुना और उन्होंने वादा किया कि वे उनकी संतान के रूप में उत्पन्न होंगे। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन, जब व्यास महर्षि के आश्रम में देवकी-वसुदेव को कैद किया था,

विष्णु भगवान ने अपनी माया से देवकी के गर्भ में अवतरित हो गए। गर्भवती देवकी के पेट से अचानक दिव्य ज्योति चमकी, और जगत का प्रकाश फैल गया। इसी दिन, वृन्दावन में नंद और यशोदा के घर में देवकी के गर्भ से उत्पन्न होने वाले बच्चे का जन्म हुआ। यह बच्चा भगवान श्रीकृष्ण थे। उनकी जन्म के समय, घर में आद्य रात्रि की शांति के बावजूद, अचानक उजियारा फैला और सभी चक्कर चलाने लगे। इसके बाद, विष्णु भगवान के आदिश्वारूप में श्रीकृष्ण ने अपने पालकों को दिखाया और वहां से गोकुल लिए गए। उनके पालकों ने उन्हें यशोदा माता और नंद बाबा के पास ले जाकर पाला। यहीं से श्रीकृष्ण की बचपन की अनगिनत लीलाएं और माखन चोरी की कथाएं शुरू होती हैं, जिन्हें उनके वृन्दावन के जीवन से जोड़कर प्रस्तुत किया जाता है। यह कथा श्री कृष्ण के जन्म की मुख्यता दर्शाती है और इस दिन की महत्वपूर्णता को स्पष्ट करती है।

 

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