रक्षा बंधन पर पूजा की थाली कैसे सजाये Raksha bandhan Ki Thali Kaise Sajaye – रक्षा बंधन एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो भारतीय उपमहाद्वीप में मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के प्रेम और संबंध को मनाने का एक विशेष अवसर होता है जो श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जिसे “रक्षाबंधन पूजा” भी कहा जाता है। इस दिन, बहन अपने भाई की मुंहबोली सुरक्षा और देखभाल की प्रतीक रूपी राखी बांधती हैं और भाई बहन के प्रेम और संबंध को पुनः स्थापित करने के रूप में उन्हें उपहार देते हैं। रक्षा बंधन पर पूजा की थाली कैसे सजाये Raksha bandhan Ki Thali Kaise Sajaye
Quick Links
रक्षाबंधन का त्योहार के रीति-रिवाज
- राखी बंधन: बहन अपने भाई की मुंहबोली सुरक्षा के प्रतीक रूप में राखी बांधती हैं। राखी एक धागा होता है जो बहन भाई की कलाई पर बांधती हैं और उनकी दुर्गति से उन्हें बचाने की प्रार्थना करती है।
- तिलक और चावल: बहन भाई की चेहरे पर तिलक लगाती है और उन्हें चावल देती है। यह प्रतीकित करता है कि उनकी जीवनमें सफलता और खुशियाँ हो।
- पूजा और आरती: बहन और भाई मिलकर पूजा करते हैं और आरती उतारते हैं। इसके दौरान वे देवी देवताओं की आराधना करते हैं और भगवान की कृपा की प्रार्थना करते हैं।
- उपहार: भाई बहन एक-दूसरे को उपहार देते हैं, जैसे कि धन, वस्त्र, मिठाई, आदि। यह उनके प्रेम और देखभाल को स्वीकारने का तरीका होता है।
- रक्षाबंधन का उद्देश्य भाई-बहन के संबंध को मजबूत बनाने, प्रेम और सम्मान को व्यक्त करने और उनके बीच साथीपन को मजबूती से स्थापित करने का है। यह एक परिवारिक और सामाजिक त्योहार है जो एकता और सद्भावना की भावना को प्रमोट करता है।
सामग्री
- एक बड़ी थाली
- रोली और चावल (तिलक के लिए)
- राखी
- दिये और मैच
- पूजा विधियों की किताब
- मिठाई
- सुविधानुसार फूल, चावल, दूध, घी, गंगाजल (शुद्धिकरण के लिए)
अन्य जरुरी चीजे
- सबसे पहले, एक शुद्ध और साफ थाली तैयार करें।
- थाली के मध्य में एक छोटे से बर्तन में घी रखें और उसमें दिये रखें।
- थाली के एक कोने में रोली और चावल रखें।
- थाली के दूसरे कोने में राखी रखें।
- थाली के बचे हुए स्थान पर मिठाई रखें।
- थाली के आस-पास फूल रखें और साफ पानी या गंगाजल के साथ पूजा की दिशा में अवश्यक सामग्री रखें।
पूजा क्रिया
- पूजा का समय चुनें और विशेष रूप से पारिवारिक सदस्यों को बुलाएं।
- सभी लोग पूजा स्थल पर एकत्र हों और ध्यान में आकर्षित हों।
- पूजा विधियों की किताब के अनुसार पूजा का पालन करें: तिलक लगाएं, राखी बंधें, आरती करें, प्रार्थना करें।
- प्रार्थना के दौरान, आप और आपके परिवार के सदस्य आपसी स्नेह और सदभावना की भावना को अपनाएं।
- पूजा के बाद, सभी राखी अपने भाइयो को बांधे और साथ ही एक दूसरे को शुभकामनाएं दें।
- मिठाई बाँटें और आपसी बंधन को मजबूती से दर्शाएं और साथ मजबूत बनाये
पूजा की विधि
- पूजा की थाली को साफ़ करें और उस पर कपड़ा बिछाएं।
- थाली के मध्य में घी की दिया और उसके आसपास फूल रखें।
- अपने भाई का विशेष आसन स्थापित करें, जैसे कि आसन या पूजा स्थल।
- रक्षाबंधन के पारंपरिक आराध्यता के लिए, पहले बहन अपने हाथों में रोली और चावल लेकर तिलक लगाएं।
- फिर, उन्हें एक पर्याप्त संख्या में राखी दिए जाते हैं, जिन्हें बहन भाई की कलाई पर बांधती हैं।
- इसके बाद, भाई को दुग्ध, घी, मिष्ठान, फल आदि का प्रसाद दें।
- अब बहन और भाई साथ में पूजा स्थल पर बैठकर पूजा करें।
- पूजा की विधियों के अनुसार, आप मंत्रों का पाठ कर सकते हैं और दीपक उतार सकते हैं।
- आपके परिवार की धार्मिक प्रथाओं और प्राथमिकताओं के अनुसार, आप विभिन्न देवी-देवताओं की आराधना कर सकते हैं।
- पूजा के बाद, आप एक दूसरे को आशीर्वाद दें और एक-दूसरे के साथ मिलकर मिठाई खाएं।
रक्षाबंधन का नियम क्या है?
रक्षा बंधन पर पूजा की थाली कैसे सजाये Raksha bandhan Ki Thali Kaise Sajaye बहन राखी को अपने भाई की कलाई पर बांधती है। राखी एक धागा होता है जिसका अर्थ होता है कि बहन अपने भाई की सुरक्षा और खुशियों की प्रार्थना करती है। बहन अपने भाई की आँखों में तिलक लगाती है और उन्हें चावल देती है। यह भाई की दुर्गति से उन्हें बचाने की प्रार्थना का प्रतीक होता है।
- रक्षा बंधन पर निबंध लिखिए – भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना। रक्षाबंधन Essay व कहानी जानिए
- रक्षाबंधन की कहानी-Raksha Bandhan ki Kahani 2023
रक्षा बंधन पर पूजा की थाली कैसे सजाये Raksha bandhan Ki Thali Kaise Sajaye बहन और भाई मिलकर पूजा करते हैं। इसमें विभिन्न पूजा उपकरणों का प्रयोग किया जाता है, जैसे कि दीपक, फूल, धूप, आरती, आदि। बहन और भाई आपसी आशीर्वाद देते हैं और उपहार आपस में आपसी प्रेम और सम्मान की दिशा में देते हैं।बहन और भाई के बीच में सामाजिक और पारिवारिक समारोह आयोजित किए जाते हैं। इसमें मिलनसार भोज, खेल-कूद और विभिन्न आकर्षण शामिल होते हैं।
भद्रा काल में राखी क्यों नहीं बांधी जाती है?
भद्रा काल (Bhadra) एक हिन्दू पंचांग में एक महिने की विशेष प्रकृति का हिस्सा होता है, और इसके दौरान कुछ विशेष तिथियाँ आती हैं जिन्हें “भद्रा तिथियाँ” कहते हैं। भद्रा तिथियाँ किसी क्षेत्र में रक्षाबंधन के महिने के दौरान आ सकती हैं और कई स्थानों में इन तिथियों में राखी बांधने की विभाग की जाती है. हिन्दू धर्म में, भद्रा काल के कुछ तिथियाँ किसी शुभ कार्य के लिए अशुभ मानी जाती हैं, क्योंकि इस समय नकारात्मक ऊर्जाएं महसूस हो सकती हैं। यह विशेष रूप से विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, नामकरण आदि जैसे समारोहों के लिए माना जाता है। रक्षा बंधन पर पूजा की थाली कैसे सजाये
इसी तरह, रक्षाबंधन के महीने में भद्रा काल के दौरान भी राखी बांधने से बचाव किया जाता है क्योंकि इस समय कुछ लोग इसको अशुभ मानते हैं और इसके कारण विवाद या दुर्गति की सम्भावना हो सकती है। इसके अलावा, भद्रा काल के दौरान मौसम में अस्थिरता भी होती है, जिसके कारण बीमारियों का प्रसार हो सकता है, इसलिए इस समय भी राखी बांधने से बचा जाता है। विभिन्न समाजों और क्षेत्रों में भिन्न अनुसार भी हो सकते हैं। लोगों के आस-पास की संस्कृति, परंपराएँ और आध्यात्मिक मान्यताओं के आधार पर भद्रा काल में रक्षाबंधन की पूजा और राखी बांधने की निर्णय ली जाती है।
FAQ
Q : रक्षाबंधन का त्यौहार कब मनाया जाता है ?
श्रावण माह की पूर्णिमा के दिन
Q : राखी 2023 में कितनी तारीख को है ?
23 अगस्त
Q : इस साल राखी बंधने का शुभ मुहूर्त कितने बजे का है ?
30 अगस्त को सुबह 10:58 बजे से 31 अगस्त को रात 7:05 बजे तक
Q : रक्षाबंधन का त्यौहार कैसे मनाते हैं ?
बहनें अपने भाइयों को राखी बांधती है