Saturday, April 27, 2024
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इस साल 2024 में कुंडे कब है Kunde Kab Hai 2024

इस साल 2024 में कुंडे कब है – कुंडे का त्योहार सुन्नी मुसलमानों द्वारा मनाया जाता है। इस दिन इमाम जाफर सादिक का जन्मदिन होता है। इस दिन लोग टिकिया, खस्ता, और पूड़ी बनाते हैं और इमाम जाफर सादिक के नाम से फातिहा दिलाते हैं

कुंडे क्यों मनाए जाते हैं

कुंडे सुन्नी मुसलमानों द्वारा मनाए जाने वाले एक त्योहार हैं। इस दिन इमाम जाफर सादिक का जन्मदिन होता है। इमाम जाफर सादिक छठवें शिया इमाम थे। उन्हें “मुजतबा” भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “चुना हुआ”। इन्हें इस्लाम के सबसे उलुमा इमामों में से एक माना जाता है।

  • इमाम जाफर सादिक की याद में: इस दिन लोग इमाम जाफर सादिक की याद में प्रार्थना करते हैं और उनके नाम से फातिहा दिलाते हैं।
  • मुरादें पूरी होने की मान्यता: कुंडे के दिन खीर-पूड़ी बनाकर कुंडे में रखी जाती है। मान्यता है कि इस दिन मांगी गई मुरादें पूरी होती हैं।

कुंडे मनाने के तरीके अलग-अलग देशों और क्षेत्रों में अलग-अलग होते हैं। लेकिन आम तौर पर, लोग इस दिन टिकिया, खस्ता, और पूड़ी बनाते हैं। इन्हें कुंडे में रखकर इमाम जाफर सादिक के नाम से फातिहा दिलाई जाती है। इसके बाद लोग रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ इन पकवानों को खाते हैं।

इस साल 2024 में कुंडे कब है 

इस साल 2024 में कुंडे 22 रजब को हैं। 22 रजब इस्लामी कैलेंडर का 22वां महीना है। 2024 में 15 रजब जनवरी को है, और 22 रजब 29 जनवरी को है।

कुंडे क्यों बनाते हैं?

कुंडे एक प्रकार का मिट्टी का बर्तन है जिसका उपयोग इस्लामी त्योहार कुंडे के अवसर पर किया जाता है। इस दिन लोग टिकिया, खस्ता, पूड़ी बनाते हैं और इमाम जाफर सादिक के नाम से फातिहा दिलाते हैं। कुंडे में इन पकवानों को रखकर इमाम जाफर सादिक के नाम पर दान किया जाता है।

इस साल 2024 में कुंडे कब है – कुंडे बनाने का धार्मिक महत्व भी है। मान्यता है कि इस दिन कुंडे बनाकर दान करने से इमाम जाफर सादिक की कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

कुंडे की नियाज़ की हक़ीक़त।

कुंडे की नियाज़ एक धार्मिक प्रथा है जो इमाम जाफर सादिक के जन्मदिन के अवसर पर की जाती है। इस दिन लोग टिकिया, खस्ता, पूड़ी आदि बनाते हैं और इमाम जाफर सादिक के नाम से फातिहा दिलाते हैं। फिर इन पकवानों को कुंडे में रखकर गरीबों और जरूरतमंदों में दान किया जाता है।

कुंडे की नियाज़ की हक़ीक़त यह है कि यह एक प्रकार का सदका और खैरात है। इस दिन दान करने से इमाम जाफर सादिक की कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

कुंडे की नियाज़ की शरीयत में कोई आधार नहीं है। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि यह एक सुन्नत है।

कुंडे की नियाज़ के बारे में कुछ लोगों का यह भी मानना है कि यह एक अंधविश्वास है। उनका कहना है कि दान करने से किसी की कृपा प्राप्त नहीं होती है।

कुंडे की नियाज़ करना या न करना व्यक्ति की व्यक्तिगत पसंद है। हालांकि, इस्लाम में सदका और खैरात को बहुत महत्व दिया गया है। इसलिए, इस दिन दान करना एक अच्छा काम है।

कुंडे की नियाज़ की हक़ीक़त के बारे में अलग-अलग लोगों के अलग-अलग मत हैं। हालांकि, एक बात तो साफ है कि यह एक धार्मिक प्रथा है जो इमाम जाफर सादिक के जन्मदिन के अवसर पर की जाती है।

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