Monday, May 6, 2024
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मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय व भाषा शैली – Munshi Premchand biography in hindi

मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय व भाषा शैली – Munshi Premchand biography in hindi हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज आपको मुंशी प्रेमचंद के बारे में बताने जा रहा हु।

मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय- हिन्दी, बहुत खुबसूरत भाषाओं मे से एक है हिन्दी एक ऐसा विषय है जो हर किसी को अपना लेती है अर्थात्, सरल के लिये बहुत सरल और, कठिन के लिये बहुत कठिन बन जाती है  हिन्दी को हर दिन एक नया रूप एक नई पहचान देने वाले थे, उसके साहित्यकार उसके लेखक . उन्ही मे से, एक महान छवि थी मुंशी प्रेमचंद की  वे एक ऐसी प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी थे, जिसने हिन्दी विषय की काया पलट दी . वे एक ऐसे लेखक थे जो, समय के साथ बदलते गये और , हिन्दी साहित्य को आधुनिक रूप प्रदान किया मुंशी प्रेमचंद ने सरल सहज हिन्दी को, ऐसा साहित्य प्रदान किया जिसे लोग, कभी नही भूल सकते बड़ी कठिन परिस्थियों का सामना करते हुए हिन्दी जैसे, खुबसूरत विषय मे, अपनी अमिट छाप छोड़ी . मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के लेखक ही नही बल्कि एक महान साहित्यकार, नाटककार, उपन्यासकार जैसी, बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।


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मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय

नाम मुंशी प्रेमचंद
मूल नाम धनपत राय श्रीवास्तव
उर्दू भाषा की रचनाओं में नाम नवाबराय
जन्म 31 जुलाई, 1880
जन्म का स्थल लमही गांव, जिला-वारणशी, उत्तरप्रदेश
पिता का नाम अजायबराय
माता का नाम आनन्दी देवी
मृत्यु 8 अक्टूबर 1936
पेशा लेखक तथा अध्यापक
भाषा हिंदी तथा उर्दू
पत्नी शिवरानी देवी
प्रमुख रचनाएँ सेवासदन, गोदान, गबन, रंगभूमि, कर्मभूमि, मानसरोवर, नमक का दरोगा इत्यादि
विधाएँ निबंध, नाटक, उपन्यास, कहानी

मुंशी प्रेमचंद जी की जीवनी

मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय- 31 जुलाई 1880 को , बनारस के एक छोटे से गाँव लमही मे, जहा प्रेमचंद जी का जन्म हुआ था . प्रेमचंद जी एक छोटे और सामान्य परिवार से थे . उनके दादाजी गुर सहाय राय जोकि, पटवारी थे और पिता अजायब राय जोकि, पोस्ट मास्टर थे . बचपन से ही उनका जीवन बहुत ही, संघर्षो से गुजरा था . जब प्रेमचंद जी महज आठ वर्ष की उम्र मे थे तब, एक गंभीर बीमारी मे, उनकी माता जी का देहांत हो गया-मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय व भाषा शैली मुंशी प्रेमचंद 

बहुत कम उम्र मे, माताजी के देहांत हो जाने से, प्रेमचंद जी को, बचपन से ही माता–पिता का प्यार नही मिल पाया . सरकारी नौकरी के चलते, पिताजी का तबादला गौरखपुर हुआ और, कुछ समय बाद पिताजी ने दूसरा विवाह कर लिया . सौतेली माता ने कभी प्रेमचंद जी को, पूर्ण रूप से नही अपनाया . उनका बचपन से ही हिन्दी की तरफ, एक अलग ही लगाव था . जिसके लिये उन्होंने स्वयं प्रयास करना प्रारंभ किया, और छोटे-छोटे उपन्यास से इसकी शुरूवात की . अपनी रूचि के अनुसार, छोटे-छोटे उपन्यास पढ़ा करते थे . पढ़ने की इसी रूचि के साथ उन्होंने, एक पुस्तकों के थोक व्यापारी के यहा पर, नौकरी करना प्रारंभ कर दिया .

जिससे वह अपना पूरा दिन, पुस्तक पढ़ने के अपने इस शौक को भी पूरा करते रहे . प्रेमचंद जी बहुत ही सरल और सहज स्वभाव के, दयालु प्रवत्ति के थे . कभी किसी से बिना बात बहस नही करते थे, दुसरो की मदद के लिये सदा तत्पर रहते थे . ईश्वर के प्रति अपार श्रध्दा रखते थे . घर की तंगी को दूर करने के लिये, सबसे प्रारंभ मे एक वकील के यहा, पांच रूपये मासिक वेतन पर नौकरी की . धीरे-धीरे उन्होंने खुद को हर विषय मे पारंगत किया, जिसका फायदा उन्हें आगे जाकर मिला ,एक अच्छी नौकरी के रूप मे मिला . और एक मिशनरी विद्यालय के प्रधानाचार्य के रूप मे, नियुक्त किये गये . हर तरह का संघर्ष उन्होंने, हँसते – हँसते किया और अंत मे, 8 अक्टूबर 1936 को अपनी अंतिम सास ली .




मुंशी प्रेमचंद की शिक्षा

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प्रेमचंद जी की प्रारम्भिक शिक्षा, सात साल की उम्र से, अपने ही गाँव लमही के, एक छोटे से मदरसा से शुरू हुई थी  मदरसा मे रह कर, उन्होंने हिन्दी के साथ उर्दू व थोडा बहुत अंग्रेजी भाषा का भी ज्ञान प्राप्त किया।-मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय व भाषा शैली मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय

ऐसे करते हुए धीरे-धीरे स्वयं के, बल-बूते पर उन्होंने अपनी शिक्षा को आगे बढाया, और आगे स्नातक की पढ़ाई के लिये , बनारस के एक कालेज मे दाखिला लिया . पैसो की तंगी के चलते अपनी पढ़ाई बीच मे ही छोड़नी पड़ी . बड़ी कठिनाईयों से जैसे-तैसे मैट्रिक पास की थी . परन्तु उन्होंने जीवन के किसी पढ़ाव पर हार नही मानी, और 1919 मे फिर से अध्ययन कर बी.ए की डिग्री प्राप्त करी .

मुंशी प्रेमचंद का विवाह

मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय- प्रेमचंद जी बचपन से, किस्मत की लड़ाई से लड़ रहे थे . कभी परिवार का लाड-प्यार और सुख ठीक से प्राप्त नही हुआ . पुराने रिवाजो के चलते, पिताजी के दबाव मे आकर , बहुत ही कम उम्र मे पन्द्रह वर्ष की उम्र मे उनका विवाह हो गया . प्रेमचंद जी का यह विवाह उनकी मर्जी के बिना , उनसे बिना पूछे एक ऐसी कन्या से हुआ जोकि, स्वभाव मे बहुत ही झगड़ालू प्रवति की और, बदसूरत सी थी . पिताजी ने सिर्फ अमीर परिवार की कन्या को देख कर, विवाह कर दिया -मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय व भाषा शैली

थोड़े समय मे पिताजी की भी मृत्यु हो गयी, पूरा भार प्रेमचंद जी पर आ गया  एक समय ऐसा आया कि उनको नौकरी के बाद भी जरुरत के समय अपनी बहुमूल्य वास्तुओ को बेच कर, घर चलाना पड़ा बहुत कम उम्र मे ग्रहस्थी का पूरा बोझ अकेले पर आ गया  उसके चलते प्रेमचंद की प्रथम पत्नी से उनकी बिल्कुल नही जमती थी जिसके चलते उन्होंने उसे तलाक दे दिया और कुछ समय गुजर जाने के बाद अपनी पसंद से दूसरा विवाह , लगभग पच्चीस साल की उम्र मे एक विधवा स्त्री से किया  प्रेमचंद जी का दूसरा विवाह बहुत ही संपन्न रहा उन्हें इसके बाद, दिनों दिन तरक्की मिलती गई




मुंशी प्रेमचंद की कार्यशैली

प्रेमचंद जी अपने कार्यो को लेकर, बचपन से ही सक्रीय थे। बहुत कठिनाईयों के बावजूद भी उन्होंने, आखरी समय तक हार नही मानी और अंतिम क्षण तक कुछ ना कुछ करते रहे, और हिन्दी ही नही उर्दू मे भी, अपनी अमूल्य लेखन छोड़ कर गये-मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय व भाषा शैली




मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय- लमही गाँव छोड़ देने के बाद, कम से कम चार साल वह कानपुर मे रहे, और वही रह कर एक पत्रिका के संपादक से मुलाकात करी, और कई लेख और कहानियों को प्रकाशित कराया  इस बीच स्वतंत्रता आदोलन के लिये भी कई कविताएँ लिखी

मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय- धीरे-धीरे उनकी कहानियों,कविताओं, लेख आदि को लोगो की तरफ से, बहुत सरहाना मिलने लगी . जिसके चलते उनकी पदोन्नति हुई, और गौरखपुर तबादला हो गया  यहा भी लगातार एक के बाद एक प्रकाशन आते रहे, इस बीच उन्होंने महात्मा गाँधी के आदोलनो मे भी, उनका साथ देकर अपनी सक्रीय भागीदारी रखी . उनके कुछ उपन्यास हिन्दी मे तो, कुछ उर्दू मे प्रकाशित हुए-मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय व भाषा शैली

उन्नीस सौ इक्कीस मे अपनी पत्नी से, सलाह करने के बाद उन्होंने, बनारस आकर सरकारी नौकरी छोड़ने का निर्णय ले लिया . और अपनी रूचि के अनुसार लेखन पर ध्यान दिया . एक समय के बाद अपनी लेखन रूचि मे, नया बदलाव लाने के लिये उन्होंने सिनेमा जगत मे, अपनी किस्मत अजमाने पर जोर दिया, और वह मुंबई पहुच गये और, कुछ फिल्मो की स्क्रिप्ट भी लिखी परन्तु , किस्मत ने साथ नही दिया और, वह फ़िल्म पूरी नही बन पाई . जिससे प्रेमचंद जी को नुकसानी उठानी पड़ी और, आख़िरकार उन्होंने मुंबई छोड़ने का निर्णय लिया और, पुनः बनारस आगये . इस तरह जीवन मे, हर एक प्रयास और मेहनत कर उन्होंने आखरी सास तक प्रयत्न किये-मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय व भाषा शैली

प्रेमचंद जी की प्रमुख रचनाओ के नाम

मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय- देखा जाये तो, मुंशी प्रेमचंद जी की सभी रचनाये प्रमुख थी . किसी को भी अलग से, संबोधित नही किया जा सकता . और उन्होंने हर तरह की अनेको रचनाये लिखी थी जो, हम बचपन से हिन्दी मे पढ़ते आ रहे है ठीक ऐसे ही, उनके कई उपन्यास नाटक कविताएँ कहानियाँ और लेख हिन्दी साहित्य मे दिये गये है

गोदान,गबन,कफ़न आदि अनगिनत रचनाये लिखी है .-मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय व भाषा शैली




मुंशी प्रेमचंद द्वारा कथित कथन व अनमोल वचन

वे एक ऐसे व्यक्ति थे जो, अपनी रचनाओ मे बहुत ही स्पष्ट और कटु भाषाओं का उपयोग करते थे . उन्होंने ऐसे कथन हिन्दी और अन्य भाषाओ मे लिखे थे जोकि, लोगो के लिये प्रेरणा स्त्रोत बन जाते थे . उनमे से कुछ कथन हम नीचे दे रहे है .मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय व भाषा शैली




FAQ

Q- मुंशी प्रेमचंदकिस लिए प्रसिद्ध है?

Ans- मुंशी प्रेमचंद आधुनिक हिन्दुस्तानी साहित्य के लिए प्रसिद्ध है।

Q- मुंशी प्रेमचंद की कौन सी उपासना है?

Ans- मुंशी प्रेमचंद की गोदान, ईदगाह, कफन, निर्मला, दो बेलों की कथा है

Q- मुंशी प्रेमचंद कितनी रचनाएं हैं?

Ans- मुंशी प्रेमचंद 300 रचनाएं हैं।

Q- मुंशी प्रेमचंद का जन्म कब और कहां हुआ था?

Ans-  मुंशी प्रेमचंद का जन्म 31 जुलाई 1880 को लमती वाराणसी में हुआ था।

Q- मुंशी प्रेमचंद की मृत्यृ कब हुई?

Ans- मुंशी प्रेमचंद की मृत्यृ 8 अक्टूबर 1936 को वाराणसी में हुआ।


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