मुस्लिम धर्म की स्थापना कब और कैसे हुई – इस्लाम धर्म की स्थापना का आरंभ विश्वास के अनुसार 7वीं सदी में हुआ था, जब पैगंबर मोहम्मद (सल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने अपनी पहली वाहयात प्राप्त की थीं। पैगंबर मोहम्मद को मुस्लिम धर्म के अद्भूत संदेशकारी और प्रवर्तक माना जाता है, जिनके जीवन और उनके प्रेरणास्त्रोतों को कुरान में दर्शाया गया है।
इस्लाम को कबूल करे और हमसे जुड़े 🤲 |
Quick Links
मुस्लिम धर्म की स्थापना कब और कैसे हुई
मुस्लिम धर्म की स्थापना कब और कैसे हुई – मुस्लिम धर्म की स्थापना इस परंपरागत मान्यता के अनुसार, 610 ईसा पूर्व में हुई थी, जब मोहम्मद ने मेक्का नगर में अपनी पहली वाहयात प्राप्त की। यह घटना कुरान में दर्शाई गई है और इसे इस्लामी धर्म के आरंभ का क्रियात्मक क्षण माना जाता है।
इस्लाम धर्म की सच्चाई
मुस्लिम धर्म की स्थापना कब और कैसे हुई – मोहम्मद के संदेश का मुख्य सारांश यह है कि एक एकमेव ईश्वर है और मनुष्यों को उसी की इबादत करनी चाहिए। इस्लाम का मुख्य सिद्धांत “तौहीद” है, जिसमें ईश्वर की एकता का आदान-प्रदान है।
इस्लाम धर्म का विस्तार सिर्फ मक्का और मदीना में ही नहीं हुआ, बल्कि बाद में यह पूरे आरबी स्वाधीनता और उत्तरी अफ्रीका, एशिया, और यूरोप में फैल गया।
इस्लाम की सच्चाई या इसका मान्यता प्राप्त होना व्यक्ति के आत्म-अनुसंधान और आत्म-निर्धारण पर आधारित है। मुस्लिम धर्म के अनुयायियों का मानना है कि कुरान में एक सत्य और मुकम्मल धर्म की बात की गई है, और इसे अनुसरण करना उनके जीवन का उद्देश्य है।
इस्लाम का उदय हज़रत आदम अलैहिस्सलाम के आने से हुआ।
भारत में इस्लाम कब आया
मुस्लिम धर्म की स्थापना कब और कैसे हुई – इस्लाम का पहला सम्बन्ध भारत में 7वीं सदी के आस-पास बना था, जब अरबी व्यापारी और यात्री भारत आए थे। हालांकि, इस्लाम का व्यापक प्रसार भारत में 12वीं सदी के बाद हुआ था।
भारत में इस्लाम के पहले आने वाले संबंधों का उल्लेख कुछ चीनी और अरबी लेखों में है, जिनमें 7वीं सदी में भारत में मुस्लिमों के प्राथमिक संपर्क का जिक्र है।
मुस्लिम धर्म की स्थापना कब और कैसे हुई – इसके बाद, इस्लाम का प्रसार भारत में अधिक हुआ जब मुस्लिम आक्रमणकारियों ने भारतीय उपमहाद्वीप के कुछ हिस्सों को जीता और वहां अपना शासन स्थापित किया। 711 ईसा पूर्व में, मुस्लिम आक्रमणकारी मोहम्मद बिन कसीम ने सिंधु घाटी क्षेत्र को जीता और इसे अब्बासी खलीफा के शासन के तहत रख लिया।
दिल्ली सल्तनत के बाद, मुघल साम्राज्य ने भी भारत में इस्लाम को फैलाया। मुघल साम्राज्य के कई सुलतानों और बादशाहों ने भारतीय सांस्कृतिक परंपरा को समाहित किया और उसे अपने शासनकाल में सहजता दी।
इस प्रकार, इस्लाम भारत में बार-बार आया और वहां समाज, सांस्कृतिक और राजनीतिक परिवर्तनों का कारण बना। इस प्रकार, इस्लाम ने भारतीय सभ्यता के साथ अपना विविध और महत्वपूर्ण संबंध साझा किया है।
इस्लाम धर्म से पहले कौन सा धर्म था
- हिन्दू धर्म: हिन्दू धर्म भारत का प्राचीन और महत्वपूर्ण धर्म है जिसमें वेद, उपनिषद, स्मृति, पुराण आदि शास्त्रों के आधार पर अनेक देवताओं की पूजा और संसार-चक्र की सांसारिक चरित्रण की बातें हैं।
- जैन धर्म: जैन धर्म भी भारतीय मौलिक धर्मों में से एक है, जिसमें तप, अहिंसा, आचार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका, और मोक्ष की प्राप्ति के लिए साधना की जाती है।
- बौद्ध धर्म: बौद्ध धर्म भी भारतीय सूचना परंपराओं का हिस्सा है, जिसमें सिद्धार्थ गौतम बुद्ध के उपदेशों पर आधारित है।
- जुदैयो-ईसाई धर्म: इसे अधिकांश लोगों ने मध्य पूर्व का धर्म माना है। यह बाइबिल के प्रेरित है और ईसा मसीह को मसीह और भगवान के पुत्र के रूप में मानता है।
- जनवादी धर्म (जन्य धर्म): कई अन्य धार्मिक परंपराएं भी भूतपूर्व में अलग-अलग समय और स्थानों पर उत्पन्न हुईं, जैसे कि जनवादी धर्म (जन्य धर्म)।
इस्लाम धर्म की स्थापना कहां हुई
सऊदी अरब में इस्लाम धर्म से पहले कौन सा धर्म था?
उस समय अरब में यहूदी, ईसाई धर्म और बहुत सारे समूह जो मूर्तिपूजक थे क़बीलों के रूप में थे। सऊदी अरब क्षेत्र में इस्लाम धर्म से पहले, यहाँ के लोग पूर्वाचीन अरबी धर्मों का पालन करते थे। इसका एक प्रमुख उदाहरण है ‘जाहिलीया’ या ‘जाहिली युग’ कहलाने वाले काल का। जाहिलीया अरबी धर्म अस्तित्व में थे और इसमें विभिन्न पगडंडों और देवताओं की पूजा की जाती थी।
इस समय, मक्का शहर में एक प्रमुख मंदिर, काबा, में बहुत से अलग-अलग देवी-देवताओं की मूर्तियों की पूजा होती थी। मुस्लिम ट्रेडर और नबी मुहम्मद के समय में इस्लाम का आगमन हुआ और उन्होंने मक्का में काबा को शुद्ध करने के लिए किए गए सारे पूजा पद्धतियों को खत्म कर दिया। इस घटना के पश्चात, मक्का नगर में इस्लाम का प्रचार-प्रसार शुरू हुआ और यह धर्म सऊदी अरब और पूरे अरबी क्षेत्र में फैला।
इस प्रकार, सऊदी अरब में इस्लाम से पहले का समय जाहिलीया के रूप में जाना जाता है, जब लोग अलग-अलग अरबी धर्मों का अनुष्ठान करते थे।