Wednesday, May 1, 2024
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श्राद्ध महालय पक्ष पितृ मोक्ष कैसे अमावस्या एवं क्या है 2023 Pitru Mahalaya Paksha Navmi Shraddh In Hindi

श्राद्ध महालय पक्ष पितृ 2023-हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में आपको श्राद्ध महालय पक्ष के बारे में बताने जा रहा हूँ श्राध्य पक्ष अथवा पितृ पक्ष में पूर्वजो को भोजन अर्पित किया जाता हैं उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती हैं. हिन्दू धर्म में पितरो के तर्पण की इस विधि का महत्व होता हैं इसे नियमानुसार उचित तिथी के दिन किया जाता हैं.



श्राध्य पितृ पक्ष 2023

नाम श्राध्य पितृ पक्ष
तिथि भादौं में पूर्णिमा से आश्विन की अमावस्या तक
धर्म हिन्दू
अवधि 15 दिन
2023 में कब 29 september से 14 October

श्राध्य पितृ पक्ष कब आता हैं

यह श्राध्य पक्ष / पितृ पक्ष भाद्र पद में शुरू होता हैं, यह 15 दिन तक रहता हैं. यह भादो की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन की अमावस्या तक माना जाता हैं.


वर्ष 2023 में पितृ पक्ष श्राध्य पक्ष की समय सारणी

श्राद्ध महालय पक्ष पितृ 2023-किस दिन किसका श्राद्ध किया जाता हैं. इसका विवरण इस तालिका में दिया गया हैं. इसके आलावा पितृ पक्ष / श्राध्य पक्ष  में कुछ खास तिथी के बारे में दिया गया हैं. इस वर्ष  2023 में पितृ पक्ष  या श्राध्य पक्ष 29 september से शुरू हो कर 14 october को खत्म होगा.

प्रतिपदा श्राद्ध

जिस भी व्यक्ति की मृत्यु प्रतिपदा तिथि (शुक्ल पक्ष/ कृष्ण पक्ष) के दिन होती हैं उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता हैं. इस दिन नाना पक्ष के सदस्यों का श्राद्ध भी किया जाता हैं अगर नाना पक्ष के कुल में कोई न हो और आपको मृत्यु तिथी ज्ञात ना हो तो इस दिन उनका श्राद्ध करने का विवरण पुराणों में मिलता हैं

द्वितीया श्राद्ध

श्राद्ध महालय पक्ष पितृ 2023-जिस भी व्यक्ति की मृत्यु द्वितीय तिथि (शुक्ल पक्ष/ कृष्ण पक्ष) के दिन होती हैं उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता हैं. इसे महा भरणी भी कहते हैं.  भरणी श्राद्ध गया श्राद्ध के तुल्य माना जाता हैं क्यूंकि भरणी नक्षत्र का स्वामी यमराज होता हैं जो कि मृत्यु का देवता माना जाता हैं इसलिए इस दिन के श्राद्ध का महत्व पुराणों में अधिक मिलता हैं.

तृतीया श्राद्ध

जिस भी व्यक्ति की मृत्यु तृतीय तिथि (शुक्ल पक्ष/ कृष्ण पक्ष) के दिन होती हैं उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता हैं

चतुर्थी श्राद्ध

जिस भी व्यक्ति की मृत्यु चतुर्थी तिथि (शुक्ल पक्ष/ कृष्ण पक्ष) के दिन होती हैं उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता हैं

पञ्चमी श्राद्ध

जिस भी व्यक्ति की मृत्यु पंचमी तिथि (शुक्ल पक्ष/ कृष्ण पक्ष) के दिन होती हैं उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता हैं. इसे कुंवारा श्राद्ध भी कहते हैं जिनकी विवाह किये बिना ही मृत्यु हो जाती हैं उनका श्राद्ध इस दिन किया जाता हैं

षष्ठी श्राद्ध

इसे छठ श्राद्ध भी कहते हैं, जिस भी व्यक्ति की मृत्यु षष्ठी तिथि (शुक्ल पक्ष/ कृष्ण पक्ष) के दिन होती हैं उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता हैं.

सप्तमी श्राद्ध

जिस भी व्यक्ति की मृत्यु सप्तमी तिथि (शुक्ल पक्ष/ कृष्ण पक्ष) के दिन होती हैं उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता हैं

अष्टमी श्राद्ध

जिस भी व्यक्ति की मृत्यु अष्टमी तिथि (शुक्ल पक्ष/ कृष्ण पक्ष) के दिन होती हैं उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता हैं

नवमी श्राद्ध

श्राद्ध महालय पक्ष पितृ 2023-जिस भी व्यक्ति की मृत्यु नवमी तिथि (शुक्ल पक्ष/ कृष्ण पक्ष) के दिन होती हैं उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता हैं. इसे बुढ़िया नवमी अथवा मातृनवमी भी कहते हैं इस दिन माता, दादी अथवा किसी भी महिला का श्राद्ध किया जाना सही माना जाता हैं.

दशमी श्राद्ध

जिस भी व्यक्ति की मृत्यु दशमी तिथि (शुक्ल पक्ष/ कृष्ण पक्ष) के दिन होती हैं उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता हैं

एकादशी श्राद्ध

जिस भी व्यक्ति की मृत्यु एकादशी तिथि (शुक्ल पक्ष/ कृष्ण पक्ष) के दिन होती हैं उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता हैं.इसे ग्यारस श्राद्ध भी कहते हैं.

द्वादशी श्राद्ध

जिस भी व्यक्ति की मृत्यु द्वादश तिथि (शुक्ल पक्ष/ कृष्ण पक्ष) के दिन होती हैं उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता हैं. इस दिन सन्यासी व्यक्ति का श्राद्ध करना उपयुक्त माना जाता हैं.

त्रयोदशी श्राद्ध

जिस भी व्यक्ति की मृत्यु त्रयोदशी तिथि (शुक्ल पक्ष/ कृष्ण पक्ष) के दिन होती हैं उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता हैं. इस दिन बच्चो का श्राद्ध किया जाता हैं.इसे कक्ब्ली एवम बलाभोलनी भी कहा जाता हैं.

चतुर्दशी श्राद्ध

जिस भी व्यक्ति की मृत्यु चौदस तिथि (शुक्ल पक्ष/ कृष्ण पक्ष) के दिन होती हैं उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता हैं.इस दिन उनका श्राद्ध करना उपयुक्त माना जाता हैं जिनकी अकाल मृत्यु (हत्या, दुर्घटना अथवा आत्म हत्या )हुई हो. इस दिन को घात चतुर्दशी श्राद्ध अथवा घायल चतुर्दशी श्राद्ध कहा जाता हैं.

सर्वपित्रू अमावस्या

श्राद्ध महालय पक्ष पितृ 2023-जिस भी व्यक्ति की मृत्यु अमावस अथवा पूर्णिमा (शुक्ल पक्ष/ कृष्ण पक्ष) के दिन होती हैं उनका श्राद्ध इसी दिन किया जाता हैं. इस दिन किसी भी तिथि में मृत्यु पाने वाले व्यक्ति का श्राद्ध किया जा सकता हैं. अगर कोई व्यक्ति श्राद्ध के 15 दिन नियमो का पालन नहीं कर सकता अथवा परिजन की मृत्यु तिथी भूल गया हो या कारणवश उस तिथी के दिन श्राद्ध न कर पाया हो तो वो इस दिन श्राद्ध की विधि कर सकता हैं.इसे पितृ अमावस श्राद्ध कहा जाता हैं.



पुराणों में  इसका बहुत अधिक महत्व होता हैं. पुराणों के अनुसार मृत्यु के बाद शरीर मृत हो जाता हैं लेकिन आत्मा अर्थात जीव जिन्दा रहता हैं. मृत्यु के एक साल बाद इस जीव को पितर कहते हैं. इन पितरों की शांति के लिए श्राद्ध किया जाता हैं इस विधि को तर्पण करना कहते हैं. मान्यतानुसार श्राद्ध के दिनों में पितर धरती पर आते हैं उन्हें भोजन अर्पण किया जाता हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए यह श्राद्ध विधि की जाती हैं

पितृ श्राद्ध पक्ष पूजा विधि

सामग्री : कुशा,कुशा का आसन, काली तिल, गंगा जल, जनैउ, ताम्बे का बर्तन, जौ, सुपारी, कच्चा दूध.

सबसे पहले स्वयं को पवित्र करते हैं जिसके लिए खुद पर गंगा जल छिड़कते हैं.

श्लोक ना आने पर गायत्री मन्त्र का उच्चारण कर विधि संपन्न की जा सकती हैं.

खुद को पवित्र करने के बाद कुशा को अनामिका (रिंग फिंगर) में बाँधते हैं.

जनेऊ धारण करे.

ताम्बे के पात्र में फूल, कच्चा दूध, जल ले.

अपना आसान पूर्व पश्चिम में रखे. कुशा का मुख पूर्व दिशा में रखे.

हाथों में चावल एवम सुपारी लेकर भगवान का मनन करे उनका आव्हान करें.

दक्षिण दिशा में मुख कर पितरो का आव्हान करें.इसके लिए हाथ में काली तिल रखे.

अपने गोत्र का उच्चारण करें साथ ही जिसके लिए श्राद्ध विधि कर रहे हैं उनके गोत्र एवम नाम का उच्चारण करें और तीन बार तर्पण विधि पूरी करें.

अगर नाम ज्ञात न हो तो भगवान का नाम लेकर तर्पण विधि करें.

तर्पण के बाद धूप डालने के लिए कंडा ले, उसमें गुड़ एवम घी डाले.

बनाये गए भोजन का एक भाग धूप में दे.

उसके आलावा एक भाग गाय , कुत्ते, कौए, पीपल एवम देवताओं के लिए निकाले.

इस प्रकार भोजन की आहुति के साथ पितृ श्राद्ध पक्ष विधि पूरी की जाती हैं.

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पितृ मोक्ष अमावस्या महत्व

श्राद्ध महालय पक्ष पितृ 2023-यह श्राद्ध के महीने में आखरी दिन होता हैं, जो कि आश्विन की आमवस्या का दिन होता हैं, इस दिन सभी तर्पण विधि पूरी करते हैं, इस दिन भूले एवम छूटे सभी श्राद्ध किये जाते हैं. इस दिन दान का महत्व होता हैं. इस दिन ब्राह्मणों एवम मान दान लोगो को भोजन कराया जाता हैं| पितृ पक्ष में पितृ मोक्ष अमावस्या का सबसे अधिक महत्व होता हैं. आज के समय में व्यस्त जीवन के कारण मनुष्य तिथिनुसार श्राद्ध विधि करना संभव नहीं होता ऐसे में इस दिन सभी पितरो का श्राद्ध किया जा सकता हैं.

श्राद्ध में दान का बहुत अधिक महत्व होता हैं. इन दिनों ब्राह्मणों को दान दिया जाता हैं जिसमे अनाज, बर्तन, कपड़े आदि अपनी श्रद्धानुसार दान दिया जाता हैं. इन दिनों गरीबो को भोजन भी कराया जाता हैं.

श्राद्ध तीन पीढ़ी तक किया जाना सही माना जाता हैं इसे बंद करने के लिए अंत में सभी पितरो के लिए गया (बिहार), बद्रीनाथ जाकर तर्पण विधि एवम पिंड दान किया जाता हैं. इससे जीवन में पितरो का आशीर्वाद बना रहा हैं एवम जीवन पितृ दोष से मुक्त होता हैं.

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