क्या है रमज़ान 2024 का –हेलो दोस्तों मेरा नाम मोहित है आज में आपको रमज़ान के बारे में बताने जा रहा हु। भारत में कई संस्कृतियों का मैल हैं. सभी संस्कृतियों की अपनी मान्यतायें हैं लेकिन सभी का मकसद प्रेम और करुणा ही हैं. बस निभाने का तरीका अलग-अलग हैं, इसलिए भारत में कई त्यौहार मनायें जाते हैं. कई नव वर्ष हमारे देश में मनाये जाते हैं साथ ही एक से अधिक कैलंडर भी हमारे देश में होते हैं. सभी धर्मो के अपने अलग महीने होते हैं, उसमे कई परंपरायें सम्मिलित होती हैं. कई मान्यतायें भी शामिल होती हैं लेकिन सभी का उद्देश्य ख़ुशी औए एकता होता हैं. ऐसे ही रमज़ान का अपना एक महत्व होता हैं, जो इस्लामिक देशो में बड़े जोरो शोरो ने मनाया जाता हैं.
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क्या हैं रमज़ान का महिना
क्या है रमज़ान 2024 का –यह मुस्लिम संस्कृति का एक बहुत ही महान महिना होता है, जिसके नियम बहुत कठिन होते हैं, जो इंसान में सहन शीलता को बढ़ाते हैं. रमज़ान का महिना बहुत ही पवित्र माना जाता हैं, यह इस्लामिक केलेंडर के नौवे महीने में आता हैं. मुस्लिम धर्म में चाँद का अत्याधिक महत्व होता हैं. इस्लामिक कैलेंडर में चाँद के अनुसार महीने के दिन गाने गाये जाते हैं, जो कि 30 या 29 होते हैं, इस तरह 10 दिन कम होते जाते हैं जिससे रमज़ान का महिना भी अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक प्रति वर्ष 10 दिन पहले आता हैं. रमज़ान के महीने को बहुत ही पावन माना जाता हैं. रमज़ान अपने कठोर नियमो के लिए पुरे विश्व में जाना जाता हैं. रमज़ानके दिनों की चमक देखते ही बनती हैं. पूरा महिना मुस्लिम इलाको में चमक – दमक एवम शोर शराबा रहता हैं. सभी आपस में प्रेम से मिलते हैं. गिले शिक्वे भुलाकर सभी एक दुसरे को अपना भाई मानकर रमज़ान का महिना मनाते हैं.
साल 2024 में रमजान कब है
इस साल 2024 में रमजान 11 मार्च को शुरू होकर 9 अप्रैल की शाम को ख़त्म होगी.
रमज़ान का इतिहास
इस पाक महीने को शब-ए-कदर कहा जाता हैं. मान्यता यह हैं कि इसी दिन अल्लाह ने अपने बन्दों को “कुरान शरीफ” से नवाज़ा था. इसलिए इस महीने को पवित्र माना जाता हैं और अल्लाह के लिए रोज़ा अदा किया जाता है, जिसे मुस्लिम परिवार का छोटे से बड़ा सदस्य पूरी शिद्दत से निभाता हैं.
कैसे किया जाता हैं रमज़ान में रोज़ा
रमज़ान में रोज़ा किया जाता हैं जिसे अल्लाह की इबादत कहते हैं. रोज़ा करने के नियम होते हैं.
सहरी : सहरी का बहुत महत्व होता है, इसके लिए सुबह सूरज निकलने के देड़ घंटे पहले उठना होता हैं और कुछ खाने के बाद ही रोजा शुरू होता हैं. इसके बाद पूरा दिन कुछ खा या पी नहीं सकते.
इफ्तार : शाम को सूरज डूबने के बाद कुछ समय का अंतराल रखते हुए रोजा खोला जाता हैं. जिसका समय निश्चित होता है.
तरावीह : रात को एक निश्चित समय पर तरावीह की नमाज अदा की जाती हैं, यह समय लगभग 9 बजे का होता हैं. साथ ही मज़िदो में कुरान पढ़ी जाती हैं. ऐसा पुरे रमज़ान होता हैं इसके बाद चाँद के अनुसार 29 या 30 दिन बाद ईद का जश्न मनाया जाता हैं.
रमज़ान के नियम
क्या है रमज़ान 2024 का –रमज़ान के नियम बहुत ही कठिन होते हैं. कहा जाता हैं इससे इंसान और अल्लाह के बीच की दुरी कम होती हैं. इन्सान में धर्म के प्रति भावना बढ़ती हैं, साथ ही अल्लाह पर विश्वास पक्का होता हैं. रमज़ान में एकता की भावना बढ़ती है.
अल्लाह का नाम लेना, कलाम पढ़ना
रमज़ान में रोजा रखा जाता है, जिसमे अल्लाह का नाम लिया जाता हैं. नमाज़ अदा की जाती है, साथ ही कलाम भी पढ़ा जाता हैं.
गलत आदतों से दूर रहे
रमज़ान के पुरे महीने गलत आदतों से दूर रहने की हिदायत दी जाती है, जिसके लिए खास निगरानी भी रखी जाती है. किसी भी तरह के नशे से दूर रहने की सख्ती की जाती हैं. यहाँ तक कि गलत देखने, सुनने एवम बोलने तक की मनाही की जाती हैं. शराब एवम अन्य किसी नशे की मनाही रहती हैं.
मारा कुटी करना भी गलत माना जाता हैं
रमज़ान के दिनों में किसी भी तरह की लड़ाई को गलत माना जाता हैं. हाथ पैर का गलत इस्तेमाल रमज़ान के नियमों का उलंघन हैं. यहाँ तक की किसी लड़ाई को देखना भी गलत समझा जाता हैं.
महिलाओं के प्रति अच्छी भावना
रमज़ान के पुरे महीने सेक्स की भी स्वतंत्रता नहीं रहती. अपनी पत्नी को भी वासना की दृष्टि से देखना गलत माना जाता हैं और पराई को तो देखना एवम छूना निहायती बुरा समझा जाता हैं.
नेकी का रास्ता दिखाया जाता हैं
रमज़ान में दान का महत्व है, जिसे जकात कहते हैं. सभी को अपनी श्रद्धा एवम स्थिती अनुसार नेक कार्य करना होता हैं. रोजाना किये जाने वाले नेक कार्यों को बढ़ाने को कहा जाता हैं.
अस्त्गफ़र करे
रमज़ान में लोगो को उनके गुनाह मानने को कहा जाता है, जिससे वे अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांग सके. जिससे उसके दिल का भार कम होता है, अगर वो अपनी गलती की तौबा करता है, तो उसे उसका अहसास होता है और वो आगे से ऐसा नही करता.
जन्नत की दुआ
रमज़ान में लोग जन्नत की दुआ करते है, जिसे जन्नतुल फिरदौस की दुआ करना कहा जाता है, इसे जन्नत का सबसे ऊँचा स्थान माना जाता है.
रोज़ा की छुट
मुस्लिम परिवार में हर एक व्यक्ति रमज़ान में रोज़ा रखता है, लेकिन कुछ विशेष कारणों के कारण छुट भी दी जाती है. लेकिन शायद यह छुट सभी देशों में नहीं मानी जाती.
पाँच साल से छोटे बच्चे को रोज़ा की मनाही होती हैं.
बहुत बुजुर्ग को भी रोज़ा में छुट मिलती हैं.
अगर कोई बीमार है, तो रोज़ा खोल सकता हैं.
गर्भवती अथवा बच्चे को दूध पिलाने वाली महिला को रोज़े की मनाही होती हैं.
रमज़ान के महीने का महत्व
रमज़ान लोगो में प्रेम और अल्लाह के प्रति विश्वास को जगाने के लिए मनाया जाता हैं. साथ ही धार्मिक रीति से लोगो को गलत कार्यों से दूर रखा जाता है, साथ ही दान का विशेष महत्व होता हैं. जिसे जकात कहा जाता हैं. गरीबो में जकात देना जरुरी होता हैं. साथ ही ईद के दिन फितरी दी जाती हैं यह भी एक तरह का दान होती हैं.
यह था रमज़ान का महत्व. मुस्लिम समाज में रमज़ान की चमक देखते ही बनती हैं. साथ ही इसे पूरा समाज मिलजुलकर करता हैं.
इस्लाम धर्म के मुताबिक मुसलमान का मतलब “मुसल-ए-ईमान” होता हैं अर्थात जिसका ईमान पक्का हो. जिसके लिए उन्हें कुछ नियमों को समय के साथ पूरा करना होता हैं तब ही वे असल मायने में मुसलमान कहलाते हैं जिनमे
अल्लाह के अस्तित्व में यकीन.
नमाज
रोज़ा
जकात
हज
यह सभी दायित्व निभाने के बाद ही इस्लाम के अनुसार वह व्यक्ति असल मुसलमान कहलाता हैं. रमज़ान को बरकती का महिना कहा जाता हैं. इसमें खुशियाँ एवम धन आता हैं. साथ ही एकता का भाव बढ़ता हैं. आपसी बैर कम होते हैं.
रमज़ान भी एक ऐसा त्यौहार है, जो एकता और प्रेम ही सिखाता हैं. इस तरह देखे तो दीपावली और रमज़ान में क्या भेद देखेंगे ? लेकिन सदियों से चली आ रही हैं यह हिन्दू- मुस्लिम की लड़ाई अल्लाह और ईश्वर के अपने बच्चों के प्रति समान प्रेम तक को अनदेखा कर देती हैं.
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